24-01-2011, 01:55 PM | #21 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
आपकी जितनी तारीफ की जाय, कम होगा। आपके इस एक सूत्र ने फोरम के मकसद को एक नयी परिभाषा दी है। आपको कोटि-कोटि धन्यवाद। |
06-02-2011, 09:04 PM | #22 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
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06-02-2011, 10:43 PM | #23 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
बेहद बेहद बेहद प्रेरणास्पद थ्रेड !!!!
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06-02-2011, 11:33 PM | #24 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
I will never forget these lines.
Great job Teji, thanks for sharing this wonderful speech in Hindi. |
18-02-2011, 07:22 AM | #25 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
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22-02-2011, 11:57 AM | #26 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
दुनिया बहुत सुन्दर है बताये
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01-03-2011, 01:52 AM | #27 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
Well done guys...jitni tareef ki jaye kam hai.
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07-03-2011, 03:33 PM | #28 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
1970 में स्टीव जोन्स ने स्टीव वाइजनैक व माइक मारकुला के साथ मिलकर एप्पल की नीव रखी। 1980 के शुरुआती दिनों मे जोन्स ने मैकिनटोस का निर्माण किया। लेकिन 1984 में कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर से मतभेद होने के कारण एप्पल से इस्तीफा दे दिया आर नेक्स्ट नाम की कंपनी बना ली। फिर 1996 में एप्पल ने नेक्स्ट का अधिग्रहण कर लिया और जोन्स फिर एप्पल से जुड़ गए। गुस्सैल स्वभाव के स्टीव ने एप्पल को 15 साल पहले तब नया जीवन दिया, जब कम्प्युटर सॉफ्टवेर बनानेवाली कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट के बढ़ते प्रभुत्व से अन्य आईटी कंपनियाँ खत्म हो रही थी। वह कंपनी के संस्थापक सदस्य है। एप्पल के मैक कम्प्युटर और लैपटाप के बाद 2007 मे कंपनी ने आइ फोन लांच करके तहलका मचा दिया था। बाद मे कई अन्य कंपनियों ने टच स्क्रीन फोन बाजार मे उतारा, लेकिन किसी को आइ फोन जैसी सफलता नहीं मिली। पिछले वर्ष जोन्स की ही अगुवाई मे एप्पल ने टैबलेट कम्प्युटर आइ पैड लांच किया, जो एक बार फिर से हिट रहा। एप्पल अपने आइ पोड के लिए पहले से ही जाना जाता रहा है। जानकारो का कहना है कि एप्पल ने बाजार में जो जगह बना ली है, उसे हथियाना आसान नहीं है। लेकिन अगर जोन्स लंबे समय तक कंपनी के काम काज से अलग रहते है, तो कंपनी की साख पर असर पड़ सकता है। अगर जोन्स की जगह कोई ले सकता है, तो वह टिम कुक है। कुक को 2005 मे कंपनी का सीओओ बनाया गया था। वह तकनीकी रूप से बेमिशाल माने जाते हैं। 2009 मे लीवर ट्रांसप्लांट के लिए जब जोन्स ने छह महीने की छुट्टी ली, तो कुक ने ही कंपनी के कामकाज को संभाला था।
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07-03-2011, 03:35 PM | #29 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
जिसने सूचना क्रांति को पूरी दुनिया में एक आयाम दिया, जिसके हर उत्पाद ने विश्व में धूम मचा दी, जिसके हर उत्पाद का गैजेट प्रेमियों को इंतजार रहता है, वह आज खुद अपनी मौत का इंतज़ार कर रहा है। वह शख्स, छह अरब डॉलर का मालिक है और आज भी उसका मूल मंत्र है - "स्टे हंगरी, स्टे फूलिश"। उसका नाम है - स्टीव जोन्स। एप्पल के संस्थापक सीईओ स्टीव जोन्स को कैंसर की बीमारी है। यह बीमारी लाइलाज है। डाक्टरों की मानें, तो स्टीव जोन्स के पास केवल छह हफ्ते का समय है। आइफोन बनानेवाली अमेरिकी कंपनी एप्पल के संस्थापक की जिंदगी खतरे में है। अगर किसी शख्स को यह पता चल जाये कि वह कुछ ही दिनों का मेहमान है, तो इसी डर से ही सारा काम छोड़ देगा। लेकिन ऐसा लगता है कि 55 वर्षीय स्टीव जोन्स इससे बिल्कुल भी विचलित नहीं है।
मीडिया में ऐसी खबरे आयी है कि एप्पल के सीईओ को डॉक्टर ने कह दिया है कि वह छह हफ्ते का मेहमान है। लेकिन हाल ही में उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कि उद्योगपतियों के साथ बैठक में देखा गया। तस्वीरों से ऐसा लग रहा था कि वह स्वस्थ नहीं है। लेकिन चेहरे के हावभाव से जाहिर हो रहा था कि उनपर मौत का डर हावी नहीं है और वह जिंदगी के बचे हुए वक़्त में भी कुछ करना चाहते है। |
07-03-2011, 03:35 PM | #30 |
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Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
24 फरवरी 1955 को अमेरिका के सन फ्रांसिस्को शहर में जन्मे स्टीवन पॉल जोन्स पहले भी कई बीमारियों से पीड़ित रहे है। इसके बावजूद उनकी दिनचर्या में बदलाव नहीं आया। काफी पहले बौद्ध धर्म अपना चुके जोन्स ने 2004 में कर्मचारियों को संबोधित करते हुये कहा था कि उन्हें लीवर में कैंसर हो गया है। उनके लीवर के ट्यूमर का मुश्किल ऑपरेशन किया गया। हालांकि इस ट्यूमर को जानलेवा नहीं बताया गया, लेकिन इससे सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है। 2006 में भी ऐसी खबरें आयी थी कि जोन्स बीमार है, लेकिन उन्होने इसका खंडन किया था। 14 जनवरी 2009 को कर्मचारियों को किये मेल मे जोन्स ने लिखा था: जैसा मै सोचता था, उसके विपरीत मेरा स्वास्थ्य खराब है। इसलिए मै छह महीने की छुट्टी लेता हूँ। अप्रैल 2009 में जोन्स ने लीवर ट्रांसप्लांट करा लिया। छुट्टी से लौटने के बाद वह काफी दुबले हो गए थे। फिर भी पहले की तरह की कंपनी को आगे ले जाने की योजना पर अमल करते रहे। लेकिन जब स्वास्थ्य खराब होने लगा, तो एप्पल को नयी ऊंचाईयों तक पहुचानेवाले दूरदर्शी सीईओ जोन्स ने कर्मियों को इस मेल किया: मेरे अनुरोध पर कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर ने मुझे मेडिकल छुट्टी दे दी है, ताकि मैं अपनी सेहत पर ध्यान दे सकूँ। पहले एप्पल इस बात की सूचना देता रहा है की जोन्स कब काम पर लौटेंगे। लेकिन इस बार नहीं बताया कि वह कब लौट रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि उनकी सेहत अच्छी नहीं है। मीडिया में आयी तसवीरों से भी साफ लगता है कि वह काफी बीमार है। लेकिन जोन्स हौसले के सहारे जिंदगी कि जंग लड़ रहे है, ताकि जिंदगी और मौत के बीच की दूरी को आगे ले जा सकें।
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