25-12-2012, 02:47 AM | #21 | |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
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Gandhiji ka bhi aandolan koi khaas kamyaab nahi tha. saalo tak jail jate rahe, lathi khate rahe, uske baad bhi kuch nahi kar paye the. wo to vishv yudh ke kaaran angrezon ki haalat kharab ho gayi thi, aur sahi samay par Nehru me politics khel li, warna aaj bhi gandhiji ka khandaan aandolan kar raha hota.
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25-12-2012, 09:58 AM | #22 |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
bhai main to jitendra garg ji se kewal yahi kahoonga ki 1-2 log ho sakte hain jo aakh shekne gaye honge, magar bahut saare log acche udeshye se hi gaye honge. sir ji, police ka danda bahut jor se lagta hai. yeh kuch chitra dekhiye...
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25-12-2012, 10:01 AM | #23 |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
इस सामूहिक बलात्कार ने पुरे देश के लोगों में आक्रोश और क्रोध की ज्वाला भड़का दी है। सफदरजंग अस्पताल में भर्ती उस लड़की की चिंताजनक स्थिति उन दरिंदो की हेवानियत बयाँ कर रही है। कई ऑपरेशन हो जाने के वावजूद वह मासूम लड़की जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। पूरा देश उसके ठीक होने के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहा है।
लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बाद क्या वह लड़की एक सामान्य जिंदगी जी पायेगी? सरकार से मुआवजा मिलेगा ओर सब भूल जाएगे पर क्या वह अपनी पीड़ा अपना दर्द भूल पायेगी? वह कितने सपने बुने होगी, की माता पिता का गर्व बनना, अपनी जिंदगी में कुछ बन कर दिखाना, एक अच्छे और उसके काबिल लड़के के साथ शादी करना!!! लेकिन क्या अब यह सब हो पायेगा? अगर भगवान ने उस पर कृपा की और वह ठीक भी हो गयी तब भी क्या इन्ही में से कोई आगे आकर उसका हाथ थामेगा?, उसके अधूरे सपनों को पूरा करेगा?, उससे शादी करेगा? शायद कोई नहीं। भारत में जहाँ लडकियों को लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती का रूप मानकर पूजनीय द्रष्टि से देखा जाता है वही दिल्ली में हुई इस घटना ने देश की नीव को छिन्न भिन्न कर दिया है परन्तु यह घटना कोई पहली बार तो नहीं हुई है नारी तो युगों से अपमानित हो रही है सतयुग में सीता माँ को दोषी न होते हुए भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी, द्रोपदी का चीर हरण हुआ था। तब से लेकर आज तक औरते कभी बलात्कार का, कभी दहेज की आग का, कभी तेजाब की जलन का अत्याचार झेल ही रही है नारी तो युगों से प्रताड़ित हो रही है। बलात्कार जैसे दुष्कर्म हर गली, गावों, शहरों में हर वर्ग में हो रहे है। एक दो माह की नवजात से लेकर एक अधेड़ औरत भी इसका शिकार हो रही है। इसका मतलब महिलाएं किसी भी उम्र में और किसी भी जगह पर सुरक्षित नहीं है। आज के समाचार पात्र में पढ़ा की एक पांच साल के मासूम के साथ कल हैदराबाद में बलात्कार हुआ। लगता हैं दिल्ली बलात्कार घटना के बाद भी कुछ लोगो ने अपनी मानशिक सोच नहीं बदली हैं। दिल्ली में हुयी उस घटना के बाद कोई माता पिता अपनी बेटी को पड़ने के लिए या नौकरी के लिए बाहर भेजकर उसके लौटने तक चेन की साँस नहीं ले पाएंगे। इस घटना के बाद हर महिला डरी हुई है कि शायद जो आज किसी और के साथ हुआ है वह कल उनके साथ भी हो सकता है। डर और खौफ़ और बड़ते हुए दुषकृत्य की ज़िम्मेदार सरकार और पुलिस प्रशासन है। क्योंकि कभी इन हैवानो को सजा नहीं होती कुछ महीनों में या कुछ सालो में वे जेल से छूटकर खुले आम गूमते है कई लोग तो रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करना चाहते वे सोचते है होगा कुछ नहीं बस पुलिस स्टेशन और अदालत के चक्कर लगाने पड़ेगे। इसी वजह से ऐसे दुष्कर्मियो को शह मिलती है। जरुरत हैं तो अब सबसे पहले हमें अपनी सोच बदलने की। हमे सबक लेना होगा उन देशो से जहा बलात्कार जैसे अपराधो के लिए सख्त कानून है, साथ ही हमे हमारे घर में, समाज में, स्कूल में अपने बच्चो को सामाजिक ज्ञान और मानवता के प्रति कर्तव्य का पाठ पढ़ना भी आवश्यक है ताकि हर माँ को अपने बेटों पर गर्व हो। सरकार को भी अपनी राय बदलनी होगी। दोषियों को ऐसे सजा देनी होगी कि फिर कभी किसी महिला को कोई हैवान बुरी नज़रों से देख भी न सके। |
25-12-2012, 01:34 PM | #24 |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
आइए जानें क्या बदला आम लोगों के इस गुस्से ने-
कानूनों की समीक्षा के लिए समिति जनता के बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने यौन उत्पीड़न मामलों में मौजूदा क़ानूनों की समीक्षा के लिए रविवार 23 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी की. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति ने मौजूदा क़ानूनों में संभावित संशोधन पर 30 दिनों में सुझाव मांगे गए हैं. भारतीय जनता पार्टी इस तरह के अपराध के लिए मौत की सजा़ के पक्ष में है. पुलिस वाले निलंबित मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को दुहाई देनी पड़ी कि उनकी भी बेटियां हैं. लचर कानून व्यवस्था पर सवाल उठे और दिल्ली पुलिस आयुक्त को हटाने की मांग हुई लेकिन गाज गिरी दो सहायक पुलिस आयुक्तों पर जिन्हें निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा दो पुलिस उपायुक्तों को कारण बताओ नोटिस थमाया गया है. छह सिपाही, एक हवलदार और एक सब-इंस्पेक्टर को भी निलंबित किया गया है. नोडल अधिकारी की नियुक्ति सामूहिक बलात्कार की घटना के सात दिन बाद उप राज्यपाल तेजिंदर खन्ना ने कई कदमों की घोषणा की है. महिलाओं की शिकायत पर पुलिस की ओर से सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है. विशेष आयुक्त सुधीर यादव को महिला संगठनों से बात करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है और शिकायतों के लिए एक मोबाइल नंबर जारी किया गया है. चरित्र-सत्यापन की कवायद दिल्ली में ड्राइवरों के चरित्र-सत्यापन पर जोर दिया जा रहा है और कहा गया कि पुष्टि होने के बाद ही उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा. इसके अलावा, उपराज्यपाल हर महीने के आखिरी शुक्रवार को शाम चार बजे शिकायतों की सुनवाई करेंगे. दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के नियंत्रण में लाने की मांग भी उठी, लेकिन इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. आला अधिकारियों की बैठक गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जनवरी के पहले हफ्ते में राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और मुख्य सचिवों की बैठक बुलाई है. इसमें महिला यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों में मौजूदा कानूनों में संशोधन पर उनकी राय ली जाएगी. गृहमंत्री का कहना है कि संबंधित कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव संसद में पेश किया जाएगा जिसमें बलात्कारियों के लिए सख्त सज़ा का प्रावधान होगा. source :: BBC Last edited by amol; 25-12-2012 at 01:36 PM. |
25-12-2012, 03:05 PM | #25 | |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ विरोध - क्या यह आ
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क्या होता तो क्या हो जाता ये तो भगवान भी नही बता सकते है....फिर कोइ और कैसे प्रदर्शन कारियो के इस कदम को उचित ठहरा सकता है...?? अगर ऐसा ही चलता रहेगा तो वो दिन दूर नही जब आपका मरीज इस लिये मर जायेगा क्योंकि साथ वाले कमरे मै एक मरीज डोक्टर की लापरवाही की वजह से मर गया था और उसके परिजनो ने पूरे अस्पताल को आग लगा दी थी...!! पीडित लड्की के साथ मै भी खडा हू...और चाहता हू कि उसे जल्द से जल्द इंसाफ मिले..और दोषी व्यक्तियो को कडी से क़डी सजा मिले...पर इसका मतलब ये नही होना चाहिये कि एक पुलिस के सिपाही के परिवार की पीडा को वढा दिया जाये...?? उसकी जिन्दगी उससे छीन ली जाये...?? इस केस के बहाने राजनीतिक रोटिया सेकी जा रही है...जो कि उचित नही है...
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25-12-2012, 03:08 PM | #26 | |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
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25-12-2012, 03:11 PM | #27 |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
koi bhi sikke ke do pehlu hote hai. aapne police ki karyavahi ke photo to dikhaye. par use pehle hui badtameejiyan nahi.. kya aapne police walo ko jab patthar pade the, tab ke video dekhe hai. kya aap jab log galiyan bak rahe the, tab ke video dekhe hai? phir ek tarfa photo dikha kar sansani badhane ki koshish kyun? aapne kabhi hadtaal ke dauran police ko aise kuch karte hue dekha hai? aapko lagta hai, police ne aate hi seedhe dande barsaane shuru kiye?
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25-12-2012, 03:42 PM | #28 |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
25-12-2012, 03:51 PM | #29 | |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
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Please get your facts right. http://www.ndtv.com/video/player/ndt...ests/259351?hp pehle police ne laathicharge kiya tha. upar diye gaye NDTV ke report ko dekhiye. Then only thousands of youths clashed with police, overturned cars, and battled Rapid Action Force units. The government invoked Section 144, outlawing protest, and demonstrators were beaten with bamboo sticks, shot with water cannons and tear gas shells, and arrested. |
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25-12-2012, 05:32 PM | #30 | |
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Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
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kya aapne samachar dekhe the? pehle logo ne pattharbaji shuru ki, uske baad police ne lathicharge kiya. khair, agar in sab baton se kuch fark padta to alag baat hai. sirf sansani post karne se baat galat disha me jayegi. point hai, ki kya pradarshan sahi hai? kya iss pradarshan se kuch bhala hoga? aur kya sarkar ke khilaaf chillane se humara farz pura hota hai? kya main aise aandolan me ja kar, waapis "maal taapne" ke liye MG Road, chandni chowk wagerah ghumne ja sakta hu?
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