21-08-2014, 11:11 PM | #21 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:13 PM | #22 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना (6)
कहानी के पिछले भाग में हमने बताया था कि शमरदल का ख़ज़ाना प्राप्त करने के बाद जोज़र ने उसे अब्दुस्समद को दे दिया।उसके बाद (जादूई ख़ुरजीन) के साथ अपने शहर वापस चला गया।वहां पहुंचकर उसने देखा कि उसके भाइयों ने उसकी मां से वह पैसा ले लिया जो जोज़र ने अपनी मां के लिए रखा था।वे मां को अकेला छोड़कर चले गए और भूख के कारण उनकी मां भीख मांगने पर विवश हुई।जोज़र अपनी मां को घर ले गया और उसे समझाया बुझाया।इसके बाद जादूई ख़ुरजीन से उसने मां के लिए अच्छे-अच्छे खाने मंगवाए। और अब आगे की कहानी।जोज़र ने ख़ूरजीन का रहस्य अपनी मां को बताया।उसने मां से कहा कि इस रहस्य को वह किसी को न बताए।जोज़र के भाइयों ने जब सारा पैसा खर्च कर दिया और वे खाली हाथ हो गए तो वे वापस घर आए।जोज़र ने पहले की तरह इस बार भी उनकी ग़लती को माफ़ कर दिया और उन्हें घर में बुलाया।जोज़र प्रतिदिन अधिक मात्रा में खाना तैयार करता और सब लोग साथ बैठकर उसे खाते थे।खाने के बाद जो भोजन बच जाता था उसे वह ग़रीबों में बांट दिया करता था।एकबार जब जोज़र सो रहा था तो उसके भाइयों ने खाने के रहस्य के बारे में अपनी मां से पूछा।उनकी मां इस रहस्य को छिपा नहीं सकी और उसने उन्हें पूरी बात बता दी।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:14 PM | #23 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
मां ने अपने बेटों से कहा कि वे इस रहस्य को अपने पास ही रखें और उसे किसी दूसरे को न बताएं।मां की बात सुनने के बाद सलीम और सालिम ने ख़ुरजीन प्राप्त करने के लिए योजना बनाई।उन्होंने नाव के मालिक से बात की कि वह रात को सोते समय वे उसके भाई को अपनी नाव में कहीं दूर ले जाए जिसके बदले में वे उसे बहुत पैसे देंगे।आधी रात को जब जोज़र गहरी नींद में सो रहा था सलीम और सालिम नाव वाले के साथी के साथ घर में आए और सोते में जोज़र को उठाकर नाव में डाल दिया और उसके मुंह पर कपड़ा बांध दिया।नाव वाले ने जोज़र को नाव में डालने के बाद अपनी यात्रा आरंभ कर दी।अगले दिन सलीम और सालिम अपनी मां के पास आए और उससे कहा कि उनका भाई जोज़र, अपने कुछ मेहमानों के साथ बाहर गया है।यह सुनकर उनकी मां बहुत दुखी हुई और रोने लगी।इसपर सलीम और सालिम ने कहा कि तुम जोज़र को हमसे अधिक प्रेम करती हो।
यह सुनकर मां ने कहा कि तुम भी मेरी संतान हो और तुमको भी मैं प्यार करती हूं किंतु जब से तुम्हारे पिता की मृत्यु हुई है उस समय से तुम लोग मेरे साथ दुर्वयव्हार कर रहे हो जबकि जोज़र सदैव ही मेरे साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करता है। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:14 PM | #24 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
मां की यह बात सुनकर सलीम और सालिक बहुत क्रोधित हुए।उन्होंने अपनी मां से झगड़ा किया और उसको मारा भी।उसके बाद उन्होंने जोज़र की दो ख़ुरजीनों को अपनी मां से लिया।उनमें से एक में सोना भरा हुआ था और दूसरे में आभूषण थे।दोनों ने उन्हें आपस में बांट लिया।इसके बाद दोनों के बीच जादूई ख़ुरजीन के लेकर झगड़ा हुआ।वे उस ख़ुरजीन के दो टुकड़े करके उसे आपस में बांटना चाहते थे।इसपर उनकी मां ने चिल्लाते हुए कहा कि हे मूर्ख बेटों! इसको काटो नहीं अन्यथा इसका असर समाप्त हो जाएगा।उसको बीच से मत काटो बल्कि एसे ही उसे अपने पास रखो।जब भी तुमको भोजन की आवश्यकता हो उससे प्राप्त करो।
किंतु सलीम और सालिम ने अपनी मां की बात नहीं सुनी।सुबह होने तक उनके बीच ख़ुरजीन को लेकर झगड़ा होता रहा।संयोग की बात है कि उनके पड़ोस में राजा का एक सिपाही आया हुआ था।वह पड़ोसी का मेहमान था।उसने सलीम और सालिम की सारी बातों को सुन लिया जिससे उसे ख़ुरजीन के जादूई होने का पता चल गया था।अगले दिन वह राजा के पास गया और उसने रात में जो कुछ सुना था वह उसे बताया।यह सुनकर राजा ने आदेश दिया कि सलीम और सालिम को उसकी सेवा में उपस्थित किया जाए।राजा के सिपाही दोनों भाइयों को पकड़कर उसके पास लाए।उनको राजा के सिपाहियों ने इतना मारापीटा कि अंततः उन्होंने सारी बातें स्वीकार कर लीं। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:19 PM | #25 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
राजा ने उनसे जादुई ख़ुरजीन लेली और दोनों को जेल में डलवा दिया।
इस घटना को एक वर्ष बीत गया।सलीम और सालिम अब भी जेल में बंद थे।उधर जोज़र पानी के जहाज़ पर काम करता था।एकबार समुद्र में तूफ़ान आया।जहाज़ पानी में डूब गया।जोज़र के अतिरिक्त जहाज़ पर सवार सारे लोग डूब गए।वह तैरता हुआ समुद्र के तट पर पहुंचा।वहां वे उसने पैदल चलना शुरू किया।चलते-चलते वह एक कारवा तक पहुंचा जो अरब जा रहा था।इस कारवां का मालिक एक व्यापारी था जो बहुत कृपालू था। उसने जब जोज़र की आपबीती सुनी तो उससे कहा कि वह उसके साथ रहकर काम करे।जोज़र ने व्यापारी की बात मान ली और वह उसके साथ हो लिया।वे लोग जद्दा नगर पहुंचे।संयोग से वह समय हज का था।व्यापारी ने हज का निर्णय किया और अपने साथ जोज़र को भी ले लिया।वे दोनों मक्का पहुंचे।जिस समय जोज़र मक्के की परिक्रमा कर रहा था उस दौरान उसकी दृष्टि एक व्यक्ति पर पड़ी जो उसे जाना पहचाना लग रहा था।जब उसने ध्यान से देखा तो समझ गया कि वह तो अब्दुस्समद है।वह उसके निकट गया और उसे सलाम किया।जोज़र को देखकर अब्दुस्समद बहुत खुश हुआ। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:19 PM | #26 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
उसने जोज़र को गले लगाया और पूछा कि तुम यहां कैसे? जोज़र ने अपनी सारी आपबीती उसे सुनाई।अब्दुस्समद उसे अपने घर ले गया।घर जाकर उसने जोज़र से कहा कि मेरा यह मानना है कि अब तुम्हारे लिए अच्छे दिन आने वाले हैं।हज पूरी करने के बाद तुम मेरे साथ चलो।जोज़र ने व्यापारी से विदा ली और वह अब्दुस्समद के साथ हो लिया।अब्दुस्समद ने चांदी की एक अंगूठी जोज़र को दी जो उसने शमरदल के ख़ज़ाने से प्राप्त की थी।उसने जोज़र को अंगूठी देते हुए कहा कि जब भी तुमको किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो तुम इस अंगूठी के नग पर हाथ रखना और उसी समय अंगूठी का सेवक उस्थित होगा जिसका नाम रअद है।वह तुम्हारी ज़रूरत पूरी कर देगा।यह कहते हुए अब्दुस्समद ने अंगूठी के नग पर हाथ रखा।उसी समय रअद उपस्थित हुआ।अब्दुस्समद ने रअद से जोज़र को परिचित कराते हुए कहा कि अबके बाद से तुम्हारा स्वामी जोज़र है।यह सुनकर रअद ने कहा कि मैं सदैव आपकी सेवा के लिए तैयार हूं।यह सुनकर जोज़र ने रअद से कहा कि तुम मुझको मेरे घर पहुंचा दो।यह कहकर उसने अब्दुस्समद से विदा ली।
उसने अंगूठी पहनी और रअद के कांध पर सवार होकर चल पड़ा।काफ़ी देर तक वे आसमान में उड़ते रहे।आधी रात के समय रअद, जोज़र को उसके घर के आंगन में लेकर उतरा।उसने जोज़र को आंगन में उतारा और ग़ाएब हो गया।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:21 PM | #27 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना (7)
जूज़र के भाइयों ने नाव के खेवइया से कहा कि वह जूज़र का अपहरण करके उसे समुद्र में ले जाये। इस योजना के व्यवहारिक हो जाने के बाद जूज़र के भाइ उसका जाजूई थैला लेने के लिए गये परंतु उसके संबंध में उन सबमेंमतभेद हो गया और अंततः थैला राजा के हाथ में चला गया। जूज़र भी नाव के खेवइया के हाथ से बच गया और मक्का की यात्रा के दौरान उसने अपने मित्र अब्दुस्समद को देखा और उसने अपने मित्र जूज़र को एक जादूइ अंगूठी दी। जिस व्यक्ति के पास यह अंगूठी होती थी रअद नाम का एक देव उसके अधिकार में होता था। जूज़र यह अंगूठी लेकर घर वापस आ गया। जब उसने अंगूठी की विशेषता के बारे में सुना तो उसने अंगूठी की ओर हाथ बढाया तो रअद नाम का देव प्रकट हो गया। उसने देव से कहा कि वह उसके दो भाइयों सलीम और सालिम को उसके पास लाये। उसकी मां की हतप्रभ आंखों के सामने ज़मीन फटी और रअद उसके अंदर चला गया और उन दोनों को अपने कांधों पर बिठाकर जूज़र के समक्ष ला दिया। जूज़र के भाइयों की नज़र जैसे ही जूज़र पर पड़ी दोनों रोने लगे और उससे कहा कि वह उन्हें क्षमा कर दे। जूज़र ने फिर उन्हें क्षमा कर दिया। जूज़र समझ गया कि जादूई थैला राजा के खज़ाने में है। उसने रअद से कहा कि वह राजा के खजाने को यहां ले आये। रअद ने यह काम कर दिया। जूज़र ने थैला उठाया और रअद से कहा मेरे लिए एक अच्छे महल का निर्माण करो और उसमें बहुत सारे नौकर भी हों। रअद ने यह कार्य भी कर दिया। जूज़र ने महल अपनी मां को दे दिया परंतु अब सुनिये राजा के महल में क्या हुआ। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:22 PM | #28 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
राजा के खज़ाने के मालिक ने जब खजाने को खाली देखा तो वह चिल्लाता हुआ राजा के पास पहुंचा और ख़ज़ाने के खाली होने की बात उसे बताई और कहा कि जादूई थैला भी लापता है। राजा ने सिपाहियों एवं सेनापतियों के उपस्थित होने का आदेश दिया जिस व्यक्ति ने जादूई थैला होने की सूचना दी थी उसके अतिरिक्त किसी को भी इस बात की सूचना नहीं थी कि हुआ क्या है। उसने कहा हे राजा मैं रात को एक जगह से गुजर रहा था देखा कि वहां कुछ लोग एक महल का निर्माण करने में व्यस्त हैं। आज मैंने देखा कि वह महल बनकर तैयार हो गया है। जांच पड़ताल की तो ज्ञात हुआ कि महल का मालिक जूज़र है। वह अभी यात्रा से लौटा है और अपने साथ बहुत अधिक सम्पत्ति लाया है और उसने अपने दोनों भाइयों को भी जेल से रिहा कर दिया है। राजा चिल्लाकर बोला शत्रु ज्ञात हो गया। जिसने सलीम और सालीम को जेल से भगाया और हमारे ख़ज़ाने को खाली कर दिया वह जूज़र के अतिरिक्त कोई और नहीं है। इसके बाद राजा ने उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया। उसका मंत्री चालाक व होशियार था।
उसने राजा से कहा महाराज जो एक रात में महल बनवा सकता है उसके पास बहुत अधिक शक्ति भी होगी। उसे गिरफ्तार करने के बारे में सोचना चाहिये। बेहतर यह है कि उसे महल में आमंत्रित किया जाये ताकि हम देखें कि वह कमज़ोर है या शक्तिशाली। उसके हिसाब से कार्यवाही की जाये। राजा ने मंत्री की बात मान ली और वह सफेद वस्त्र धारण करके अकेले जूज़र के महल में पहुंच गया और सलाम किया। उसके महल में मौजूद रक्षकों ने उसके सलाम का जवाब दिया और उससे कहा हे व्यक्ति तू कौन है क्या काम है? >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:24 PM | #29 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
राजा के मंत्री ने जब यह सुना कि जूज़र के महल में मौजूद रक्षकों ने उसे व्यक्ति कह कर पुकारा है तो वह डर गया और समझ गया कि रक्षक जिन्नात हैं। उसने शांत भाव से कहा मैं राजा का मंत्री हूं। मैं आया हूं ताकि तुम्हारे मालिक को राजा के महल में मेहमान होने के लिए आमंत्रित कर सकूं। रक्षकों ने जूज़र की अनुमति मिलने के बाद मंत्री को महल के अंदर प्रवेश होने की अनुमति दी। मंत्री ने जूज़र को आदर भाव से सलाम किया और कहा राजा ने आपको आमंत्रित किया है। जूज़र ने कहा मैं राजा के महल में नहीं जाऊंगा। राजा यदि मेरा दर्शन करना चाहता है वह स्वयं यहां आये। इसके बाद उसने रअद को तलब किया और आदेश किया कि मंत्री के लिए दुनिया का सबसे सुन्दर वस्त्र लाया जाये। मंत्री राजा के महल में पहुंचा। उसने जो कपड़ा पहन रखा था उसे राजा को दिखाया और जो कुछ उसने जूज़र के महल में देखा था सब बयान किया।
राजा ने जूज़र से मुलाक़ात करने का निर्णय किया। वह सिपाहियों के साथ जूज़र के महल की ओर चल पड़ा। जब जूज़र ने यह सुना कि राजा अपने सिपाहियों के साथ यहां आ रहा है तो उसने रअद से कहा कि बहुत अधिक जिन्नातों को महल में ले आये और उन सबको युद्ध का वस्त्र पहनाया जाये और सबसे कहो कि वे महल में पंक्ति में खड़े हो जायें। राजा अपने सिपाहियों के साथ जूज़र के महल में पहुंचा। वह जिन्नात सिपाहियों की संख्या को देखकर ही समझ गया कि जूज़र की शक्ति उससे बहुत अधिक है। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-08-2014, 11:25 PM | #30 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
जूज़र महल के अपने विशेष कमरे में बड़ी शान बान के साथ सिंहासन पर बैठा था। सलीम व सालीम दो मंत्रियों की भांति उसके दोनों ओर खड़े थे। राजा आगे बढ़ा और उसने जूज़र को सलाम किया। जूज़र उसके सम्मान में अपने स्थान से खड़ा हो गया और उसके सलाम का जवाब दिया। राजशाही दस्तरखान बिछाया गया यहां तक कि आधी रात तक बात चीत होती रही और साथ में खाना पीना भी चलता रहा। जब राजा ने जाने का इरादा किया तो जूज़र ने राजा के सिपाहियों को मूल्यवान उपहार देने का आदेश दिया। उसके बाद उसने राजा से विदा ली और उससे कहा कि उससे मिलने के लिए फिर आये। राजा ने जूज़र कीबात स्वीकार कर ली और उसके बाद वह कई बार जूज़र से मिलने के लिए गया। कुछ समय गुज़रा था कि जूज़र और राजा के बीच मित्रता पूर्ण संबंध स्थापित हो गये परंतु राजा को अब भी जूज़र के दिल में मौजूद द्वेष से भय था।
एक दिन उसने अपने मंत्री को बुलाकर कहा हे मंत्री मैं डरता हूं कि जूज़र के मन में हमारे प्रति द्वेष हो। एक दिन वह मेरी हत्या कर देगा और मेरा स्थान ले लेगा। उसके मंत्री ने कहा जब आप उससे डरते हैं तो क्यों नहीं अपनी लड़की का विवाह उससे कर देते। इस स्थिति में वह आपका दामाद हो जायेगा और यदि वह मर जायेगा तो उसकी सारी सम्पत्ति आपकी हो जायेगी। राजा ने मंत्री की बात स्वीकार कर ली। मंत्री के सुझाव पर महल में बड़ी मेहमानी का प्रबंध किया गया और जूज़र को मेहमानी में आमंत्रित किया गया। जूज़र आया और राजा के बगल में बैठ गया तथा दोनों के मध्य बातचीत आरंभ हो गयी। कुछ देर के बाद राजा की सुन्दर बेटी किसी बहाने से उस कमरे में आ गयी जिसमें जूज़र बैठा था। जूजर ने उसे देखा और पसंद कर लिया। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
जोज़र और सरमद, iranian story |
|
|