14-08-2013, 05:35 PM | #301 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
मेरे मन का अपनापन है और नहीं तो क्या कह दूँ समर में हारे होय पराजय, अपनों से हारा है 'जय' इसे पराजयगान कहूँ या तुम्ही कहो मैं क्या कह दूँ
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
15-08-2013, 04:00 PM | #302 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
जीवन के इस महाकाव्य में, अपने छंद औ सर्ग जीना-मरना, विजय-पराजय, कड़वा-मीठा द्वंद्व नर्क मिला तो यहीं मिलेगा, यहीं मिलेगा स्वर्ग अपनापन है पागलपन, पागलपन मय अपनापन सूफ़ी का पागलपन ही है निशात-स्वर्ग-गुलमर्ग |
|
15-08-2013, 05:50 PM | #303 | |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
जीवन का यथार्थ कह डाला , सरल - सौम्य भाषा में तीन रंग से छन्द सजाये, देश-प्रेम की अभिलाषा में नतमस्तक हो गया आज 'जय', फिर से हे रजनीश! चमक उठे हो प्रखर सूर्य बन,मन की घोर निराशा में
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
|
15-08-2013, 08:19 PM | #304 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
उपरोक्त चतुष्पदी के लिये कृपया मेरा विनम्र नमन स्वीकार करें. Last edited by rajnish manga; 15-08-2013 at 08:22 PM. |
|
18-08-2013, 07:25 PM | #305 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
हृदय कलश जब छलकेगा तो नयनों से नीर बहेगा ही
मन अन्तर जब दहकेगा तब जिह्वा से तीर चलेगा ही क्रोध,वियोग,प्रेम और पीड़ा, चित्त को 'जय' बहकाते हैं क्षमा, दया और त्याग हों साथी, तो मन धीर धरेगा ही
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
18-08-2013, 11:17 PM | #306 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: छींटे और बौछार
बहुत सुन्दर, जय जी. इस रचना में आपने जीवन का इतना बड़ा सत्य उजागर किया है कि पढ़ कर मन वीणा के तार झंकृत हो गये. कृपया मेरा धन्यवाद और बधाई स्वीकार करें.
|
22-08-2013, 07:29 PM | #307 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
बूढ़े और कांपते हाथों ने, कल पकड़ी एक कलाई
युगल नयन तब बरस पड़े,जब राखी एक उठायी शब्द रहित एक स्मृति गाथा, पढी-सुनी दोनों ने बहना अस्सी पार कर चुकी, नब्बे का 'जय' भाई शब्द रहित = मूक भाषा में स्मृति गाथा = भूली बिसरी स्मृतियाँ
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
22-08-2013, 07:31 PM | #308 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
बहुत बहुत आभार बन्धु।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
23-08-2013, 07:54 PM | #309 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
जब भी कभी उन्माद के पल आ गए
आवेश के अति सघन बादल छा गए क्रोध की बूँदों से जलमग्न रिश्ते हो गए सम्बन्ध-च्युत होते ही 'जय' घबरा गए
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
31-08-2013, 06:55 PM | #310 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: छींटे और बौछार
जब तुम्हें दिया तो अक्षत था
सम्पूर्ण चूर्ण बिखरा है मन भूकंप हुआ धरती खिसकी क्षण भर में बिखर गया जीवन
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 Last edited by jai_bhardwaj; 31-08-2013 at 06:57 PM. |
Bookmarks |
Tags |
ghazals, hindi poems, poems, shayaris |
|
|