29-07-2013, 02:04 PM | #32521 |
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हैदराबाद। भाजपा के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू ने आरोप लगाया है कि संप्रग सरकार गरीबी का स्तर कम होने का दावा करके जनता का ध्यान अपनी नाकामियों से हटाने की कोशिश कर रही है। नायडू ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘संप्रग सरकार के शासन में गरीबी का स्तर 37.2 प्रतिशत से घटकर 21.9 प्रतिशत होने संबंधी योजना आयोग का बयान सत्तारूढ पार्टी द्वारा अपनी नाकामियों और खासकर आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने की चाल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व बैंक के अध्ययन समेत सभी रिपोर्टें उजागर करती हैं कि भारत मानव विकास सूचकांक के लिहाज से बांग्लादेश से और कई बार नेपाल, श्रीलंका और चीन से भी काफी पीछे है।’’ नायडू ने कहा, ‘‘अगर ऐसा है तो सरकार कैसे दावा कर सकती है कि गरीबी का स्तर कम हुआ है और लोग 33 रपये प्रति दिन में जीवन चलाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं इसलिए सरकार को इस बारे में स्थिति साफ करने की जरूरत है। नायडू के मुताबिक पार्टी पांच अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र से पहले खाद्य सुरक्षा विधेयक पर विचार-विमर्श करेगी और संसद में इस विधेयक पर संशोधन लाने के लिए दबाव बनाएगी। उन्होंने दावा किया कि चुनाव पूर्व सभी सर्वेक्षणों में संकेत मिला है कि भाजपा का ग्राफ बढ रहा है और पार्टी की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मोदी की बढती लोकप्रियता से परेशान होकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
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29-07-2013, 02:05 PM | #32522 |
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अब ‘ताकतवर’ सेबी कर्मचारियों की संख्या बढाएगा
मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को बाजार में गड़बड़ी करने वालों तथा धोखाधड़ी की योजनाएं चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अधिक अधिकार मिल गए हैं। ऐसे में अब बाजार नियामक ने अपने अधिकारी के प्रभावी तथा तेजी से इस्तेमाल के लिए कर्मचारियों की संख्या बढाकर 1,000 करने की योजना बनाई है। एक स्वतंत्र परामर्शक ने हाल में सेबी को दो-तीन साल में अपने कर्मचारियों की संख्या में 50 फीसद से अधिक की वृद्धि करने का सुझाव दिया है। फिलहाल सेबी के कर्मचारियों की संख्या 600 है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियामक की योजना अपने श्रमबल की संख्या में तेजी से इजाफा करने की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल में सेबी को संभावित निवेश धोखाधड़ी योजनाआें की निगरानी के लिए अधिक अधिकार प्रदान किए हैं। इन अधिकारों के क्रियान्वयन के लिए सेबी को अधिक कर्मचारियों की जरूरत है। नियामक जद अपने विभागों और कार्यालयों में अधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि नियामक ने कर्मचारियों की जरूरत के बारे में आंतरिक विचार विमर्श शुरू किया है। साथ ही वह मामला दर मामला आधार पर बाहरी प्रतिभाआें ेके पूल से भी नियुक्ति करने पर विचार कर रहा है।
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पहाड़ों को बचाना है तो हिमालय नीति बनाएं : बहुगुणा
पहाड़ों पर फलदार पेड़ लगाए जाएं नई दिल्ली। उत्तराखंड में पुनर्वास और बहाली की कवायद के बीच मशहूर पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा ने कहा है कि तात्कालिक उपाय करने की बजाय अलग हिमालय नीति बनाकर ही पहाड़ों को भविष्य में भी प्राकृतिक आपदाओं से बचाया जा सकता है। चिपको आंदोलन के नेता 86 वर्षीय बहुगुणा ने कहा कि मैंने अपना पूरा जीवन हिमालय को बचाने की मुहिम में लगा दिया। मैं निराश नहीं हूं बल्कि खुशी है कि मैं लोगों को जागृत कर सका । उत्तराखंड की इस त्रासदी के बाद मैं फिर पुरजोर तरीके से मांग करता हूं कि अभी भी समय है, हिमालय के लिए अलग नीति बनाई जाए। अस्वस्थ होने के बावजूद सक्रिय बहुगुणा ने कहा कि हिमालय नीति में स्थाई रोजगार, विनाशकारी पर्यटन पर रोक, पानी के संकट से निपटने के उपाय और हरित पुनर्वास जैसे सभी अहम मसले शामिल किए जाए। उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर फलदार और पशुओं को चारा देने वाले पेड़ लगाए जाएं। इसके अलावा मैं सरकार से अनुरोध करूंगा कि कोई तात्कालिक उपाय न करते हुए भविष्य के बारे में सोचकर दूरगामी नीति बनाई जाए । इसके अलावा स्थाई रोजगार के उपाय भी जरूरी हैं। पानी के संकट को आने वाले समय की भीषण समस्या बताते हुए बहुगुणा ने कहा कि इससे बचने के लिए अभी से कमर कसनी होगी । उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पानी का संकट बहुत बड़ा होगा और अभी से पहाड़ों पर ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि इससे बचा जा सके। इसके लिए प्राकृतिक जलाशय बनाए जाएं और छोटे-छोटे बांधों के जरिए पानी चोटी तक पहुंचाया जाए ताकि ऊपर से नीचे की ओर पानी का बहाव रहे। उन्होंने कहा कि बांध बनाना कोई हल नहीं है बल्कि सर्पाकार गति से बहने वाली नदी को रोककर यह उसके औषधीय गुण खत्म कर देते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के हरित पुनर्वास की बातें हो रही हंै लेकिन पेड़ लगाने भर से काम पूरा नहीं हो जाता। उनकी देखरेख भी जरूरी है। यहां पानी के अभाव में पौधे सूख जाते हैं। बहुगुणा ने तीर्थस्थानों के आसपास पर्यटन के नाम पर भविष्य में किसी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह विनाशकारी पर्यटन है। अब तीर्थस्थानों पर तीर्थयात्री कम और पर्यटक ज्यादा जाते हैं, जिनके लिए तमाम सुविधाएं बनाई जा रही हैं। इससे पहाड़ खोखले हुए हैं। सरकार जब नए सिरे से उत्तराखंड को बसाए तो इस विनाशकारी पर्यटन को बढ़ावा न दे । उन्होंने पहाड़ों पर आवागमन के लिए रोपवे के इस्तेमाल पर भी जोर दिया । उन्होंने कहा कि सड़कें बनाने के लिए विस्फोट करके सुरंग बनाई जाती है जो पहाड़ को कमजोर करती है। इससे अच्छा होगा कि रोपवे को आवागमन का जरिया बनाया जाए।
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29-07-2013, 02:06 PM | #32524 |
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सादिक जमाल मुठभेड़ प्रकरण
पूर्व आईबी अधिकारी से पूछताछ कर सकती है सीबीआई नई दिल्ली। गुजरात में साल 2003 में सादिक जमाल के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में जांच एक नए चरण में प्रवेश कर रही है और सीबीआई इस मामले में खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक सुधीर कुमार से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार को मामले में पूछताछ के लिए और मुठभेड़ से पहले के घटनाक्रम को समझने के लिए बुलाया जाएगा। कुमार द्वारा दी गई जानकारी को ही भावनगर शहर के रहने वाले जमाल की हत्या के पीछे कथित कारण बताया जाता है। गुजरात अपराध शाखा के एक दल ने 13 जनवरी, 2003 को अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में गैलेक्सी सिनेमा के पास मुठभेड़ को अंजाम दिया था। केंद्रीय सतर्कता आयोग के सदस्य के पद से सेवानिवृत्त हुए कुमार उक्त घटना के समय आईबी में विशेष निदेशक के रूप में कार्यरत थे। सूत्रों ने आईबी की आॅपरेशनल सेल के तत्कालीन संयुक्त निदेशक से पूछताछ की संभावना से इंकार नहीं किया जो बाद में संगठन के प्रमुख हो गए थे। सूत्रों ने कहा कि एजेंसी मुख्यालय में आईबी में पश्चिमी क्षेत्र को संभाल रहे कुमार की भूमिका को लेकर एजेंसी के जांच के दायरे में थी। उन्होंने जानकारी दी थी कि जमाल एक आतंकवादी है जिसका मिशन गुजरात में वीआईपी लोगों को मारना है। सीबीआई पहले ही इस मामले में महाराष्ट्र कैडर के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी से दो बार पूछताछ कर चुकी है और अब सुधीर कुमार तथा राजेंद्र कुमार को बुलाएगी। जमाल के भाई शब्बीर ने मुठभेड़ में तत्कालीन संयुक्त सचिव (आईबी) राजेंद्र कुमार, प्रदेश के पूर्व गृह राज्यमंत्री और मुख्यमंत्री की कथित भूमिका की आगे जांच की मांग की थी। गुजरात पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि जमाल एक आतंकवादी था जो मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया को मारने के लिए शहर में आया था। इशरत जहां मुठभेड़ मामले के दौरान भी इसी तरह का दावा किया गया था। सीबीआई मामले में पहले ही एक आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है और एक पूरक आरोप पत्र दाखिल करके पूरी साजिश का खुलासा करने की योजना बना रही है। एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया कि जब उसने 21 दिसंबर, 2012 को आठ आरोपियों के खिलाफ इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था तो अपराध को अंजाम देने में अन्य लोगों की मिलीभगत और संलिप्तता से सम्बंधित जांच को लंबित रखा गया था और मामले में आगे जांच प्रगति पर है। शब्बीर की एक याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने साल 2011 में सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह मामले में नई प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इस सम्बंध में जांच का काम संभाले। शब्बीर का आरोप है कि सादिक को राजनीतिक साजिश के तहत मारा गया। सहायक खुफिया ब्यूरो , मुंबई की 6 जनवरी, 2003 की एक खुफिया रिपोर्ट भी एजेंसी की जांच के घेरे में है, जिसमें कथित तौर पर दावा किया गया था कि सादिक जमाल दाउद इब्राहिम गिरोह का सदस्य था और गुजरात में 2002 में हुए दंगों का बदला लेने के लिहाज से प्रदेश में भाजपा नेताओं को मारने के लिए पहुंचा था। सीबीआई ने इस मामले में मुंबई के पूर्व पत्रकार केतन तिरोडकर के अलावा गुजरात के आठ पुलिसकर्मियों को भी गिरफ्तार किया है जिनमें तरण बरोट और जे जी परमार भी शामिल हैं। इन्हें 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले और तीन अन्य मामलों में भी आरोपी बनाया गया था।
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29-07-2013, 02:06 PM | #32525 |
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भारतीय डॉक्टरों ने दुर्लभ कैंसर से जूझ रहे अफ्रीकी मरीज को दी नयी जिंदगी
गुड़गांव। कैंसर के एक दुर्लभ मामले से जूझ रहे कांगो के 22 वर्षीय नोसी को यहां एक अस्पताल में नयी जिंदगी मिली है। आंख को छोड़कर उनके चेहरे का बड़ा हिस्सा कैंसर से प्रभावित था और बचने की दर केवल 10 फीसदी थी। नोसी के मुंह, ओंठ, गाल, जबड़े की हड्डी और जीभ का 90 फीसदी हिस्सा कैंसर से प्रभावित था और पिछले चार साल से न तो वह खा पा रहा था और न ही बोल पाता था। गुड़गांव स्थित पारस अस्पताल में आॅपरेशन करने वाले सर्जनों की टीम की अगुवाई करने वाले राकेश दुरखुरे ने कहा, ‘‘दुनिया में अपनी तरह का यह छठा मामला है। पांच महीने पहले जब नोसी ने संपर्क किया तो उसकी स्थिति दहला देनेवाली थी। हर जगह अपने बेटे के इलाज के बारे में मनाही के बाद उसकी मां सारी उम्मीदें छोड़ चुकी थी।’’ डॉक्टर ने कहा, ‘‘यह युवक चार साल से न तो बोलने में सक्षम था, न खा पाता था न चबा पाता था। ड्राप से किसी तरह उसकी मां उसे आहार देती थी।’’ मौत का जोखिम जुड़ा होने के कारण भारत और विदेश के कई अस्पतालों ने उसका इलाज करने से मना कर दिया था। दुरखुरे ने तीन चरण में सर्जरी की और अंतिम सर्जरी के लिए कुल छह महीने का समय लगेगा। डॉक्टर ने कहा, ‘‘हमने उसकी सर्जरी तीन चरण में की और आखिरकार उसकी आवाज लौटाने में सफल रहे। अब छह महीने के बाद सर्जरी की जाएगी।’’ आॅपरेशन के पहले चरण में कैंसर के खतरे को कम करने के लिए चार सत्र में कीमोथेरेपी की गयी। श्वसन के लिए नाक के सामने के छेदों को भरा गया और संक्रमण रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स की भारी मात्रा दी गयी। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे चरण में हमने गाल, उपरी जबड़ा, निचले जबड़े की हड्डी और आधी जीभ को हटाया। हमारी टीम ने दो परतों- मुंह की त्वचा के लिए छाती की त्वचा और चेहरे के लिए जांघ की त्वचा का इस्तेमाल किया। अगली सर्जरी छह महीने के बाद की जाएगी जब उसके मुंह और ओंठ को हटाया जाएगा।’’ चार वर्षों में पहली बार पिछले सप्ताह नोसी के दांतों की सफाई हुयी। डॉक्टर ने कहा, ‘‘वह भावुक हो गया और रोने लगा।’’ अब बोलने में सक्षम हो चुके नोसी एक नयी जिंदगी की आशा के साथ अगले सप्ताह अपने देश जाएंगे और अगली सर्जरी के लिए फिर आएंगे।
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29-07-2013, 02:07 PM | #32526 |
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महिला आरक्षण विधेयक आम सहमति से ही होगा पारित : मीरा कुमार
नारी सशक्तीकरण में महिला आरक्षण का बहुत महत्व नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती रफ्तार को रोकने और महिलाओं के सशक्तीकरण से ही महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाई जा सकती है और वर्षों से संसद में लटके बहु प्रतीक्षित ‘महिला आरक्षण विधेयक’ के बीच घनिष्ठ सम्बंध बताया है लेकिन साथ ही इस विधेयक के भविष्य को लेकर संशय भी जाहिर किया है। मीरा कुमार ने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण से ही महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाई जा सकती है और इस कड़ी में महिला आरक्षण विधेयक बहुत महत्व रखता है। उन्होंने बातचीत में सशंकित लहजे में कहा कि ये विधेयक बहुत दिनों से लंबित है । लेकिन इस पर सबकी सहमति नहीं है। जब तक सब की सहमति नहीं हो जाती, इसका पारित होना संभव नहीं लगता । लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो चुका है, लेकिन वर्षों से लोकसभा में लंबित है। पहली संप्रग सरकार ने मई 2008 में महिला आरक्षण विधेयक (108वां संशोधन) पेश किया था। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित कुल सीटों की एक तिहाई सीटें इन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। समाजवादी पार्टी और राजद जैसे दलों के इस विधेयक में कोटे के भीतर कोटे का प्रावधान किए जाने पर अड़े रहने सम्बंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि सब को मिलकर महिला आरक्षण विधेयक पर आम राय बनानी चाहिए। सपा और राजद के अलावा बसपा, शिवसेना तथा कई अन्य दल भी विधेयक के मौजूदा प्रारूप के खिलाफ हैं। महिलाओं को आरक्षण सम्बंधी इसी प्रकार के विधेयक 1990 के दशक के अंतिम वर्षों में भी पेश किए जा चुके हैं लेकिन वे सम्बंधित लोकसभाओं के भंग होने के साथ ही समाप्त हो गए। इस सम्बंध में सबसे पहला विधेयक लोकसभा में देवगौड़ा सरकार द्वारा 12 सितंबर 1996 को पेश किया गया था। इसके बाद इसे मार्च 2010 में पेश किया गया। राज्यसभा इसे 2010 में ही पारित कर चुकी है लेकिन कानून बनने के लिए इसे अभी लोकसभा की हरी झंडी मिलना जरूरी है। 12 साल से अधिक का लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद यह विधेयक हकीकत में बदलता नजर नहीं आ रहा है।
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01-08-2013, 05:12 AM | #32527 |
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नीतीश ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा, ‘चोर की दाढी में तिनका’
पटना। जदयू द्वारा संबंध तोड़ लिए जाने पर भाजपा का इसे जनादेश के साथ विश्वासघात बताए जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसे ही इसके लिए जिम्मेवार ठहराया और कहा, ‘चोर की दाढी में तिनका’। बिहार विधानसभा स्थित अपने कक्ष में आज पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि भाजपा से संबंध सही समय पर तोड़ा और बिहार में जो हालात उत्पन्न कर दिए गए थे वैसे में हम लोगों ने जो कदम उठाया है उसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था । भाजपा द्वारा मोदी को चुनाव अभियान समिति प्रमुख बनाए जाने पर उससे जदयू के नाता तोड़ने के कदम को सही ठहराते हुए नीतीश ने कहा कि, ‘हम लोग अलग नहीं होते तो क्या करते। वक्त बीतता रहता और हम सोए रहते।’ भाजपा पर राजनीतिक बात नहीं करने और घोर गैर-राजनीतिक बात करने का आरोप लगाते हुए नीतीश ने कहा कि अंत में सबको पता चल जाएगा। उन्होंने कहा, ‘भाजपा के पास मुद्दा क्या है। जो कमजोर रहता है, वह चीखता ज्यादा है।’ नीतीश ने कहा, ‘जदयू के दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में हमने बिहार मॉडल की तारीफ की थी और अटलजी की कार्यशैली की प्रशंसा की थी। किसी के बारे में कुछ और तो कहा नहीं था, पर भाजपा को लगा कि हम किसी के खिलाफ बोल रहे हैं। ऐसे में यह ‘चोर की दाढी में तिनका’ के मुहावरे को चरितार्थ करता है।’ उन्होंने कहा, ‘देश के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने वाला व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष छवि का होना चाहिए। हमने तो किसी व्यक्ति का नाम लिया तो नहीं था पर भाजपा के लोगों को खुजली होने लगी।’ नीतीश ने कहा कि अमर्त्य सेन जी ने क्या कहा बिहार की प्रगति की तारीफ की और भाजपा स्वयं को बिहार के विकास का भागीदार मानती है और उसके लोग उन्हें भारत रत्न लौटाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि बिहार की तरक्की की बात करना आपको नागवार गुजरता है, तब बिहार के विकास के श्रय का बंटवारा क्यों कर रहे हैं। नीतीश ने कहा, ‘जनता ने उन (भाजपा) पर विश्वास कर सत्ता में बैठने के लिए जनादेश दिया था पर वे स्वयं उछल कर विपक्ष में जा बैठे। ऐसे में विश्वासघात उन्होंने किया या हमने?’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा को जनता ने विपक्ष में बैठने का जनादेश नहीं दिया था और सत्ता से बाहर निकाल दिए जाने पर सदन में बगल वाली कुर्सी पर बैठे रहते और कहते कि जदयू ने हमें निकाल दिया है। हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला नहीं है, इसलिए हम बगल में बैठे हुए हैं, तब तो जनता कहती कि हमने उनके साथ अन्याय किया है।’ नीतीश ने कहा, ‘हमने तो बुलाया ताकि अलग होने के रोड मैप को बनाने पर चर्चा हो पर वे आए ही नहीं। उसके बाद हमने सोचा कि मंत्रिमंडल की बुलाई गयी बैठक में बात कर लेंगे पर भाजपा के लोग आए ही नहीं । ऐसे में हम क्या करते।’ उन्होंने कहा कि 1994 से लेकर जिस मुद्दे को लेकर अब तक समझौता नहीं किया उस पर आज कैसे करते और अगर हम लोग अलग होने का निर्णय नहीं लेते तो यह हमारी भूल होती । नीतीश ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि संबंध अचानक तोड़ा गया है। एक साल से इस पर बात चल रही थी। आगे तो वे (भाजपा) बढ गए । ऐसे में या तो हम मुगालते में रहते या अपना निर्णय लेकर आगे बढते।’ उन्होंने कहा कि जब यह साफ हो गया कि उनके इरादे क्या हैं तो अपना समय बर्बाद करने से क्या फायदा था। नीतीश ने कहा कि जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयीजी के नेतृत्व में राजग सरकार बनी तो हमारी कुछ बातों को माना भी गया और विवादित मुद्दों को अलग रखा गया था। बिहार में जदयू-भाजपा का गठबंधन इसलिए चल रहा था, क्योंकि उसमें किसी बाहरी तत्व का कोई हाथ नहीं था। उन्होंने कहा कि लेकिन अब वे (भाजपा) सारी चीजों पर बिल्कुल बदल गए। पहले छह महीने में कुछ और बातें की और अगले छह महीने में अचानक कुछ और बातें बोलने लगे। नीतीश कुमार ने भाजपा पर आम सहमति वाले मुद्दों से अलग हटकर दूसरी बातें करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2005 में हुए बिहार के दो विधानसभा चुनावों, 2009 के लोकसभा चुनाव और 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय यहां राजग की जो राजनीतिक सोच थी उससे भाजपा अलग हुई है। उन्होंने कहा कि देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था और उसके खिलाफ विपक्ष के सबसे बडे धडे राजग के सबसे बडे घटक के रूप में भाजपा को हाल में आयोजित भारत बंद के दौरान व्यापक गोलबंदी का माहौल बनाना और उसे अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना चाहिए था पर उसने ऐसा किया नहीं। नीतीश ने भाजपा पर कांग्रेस-विरोधी माहौल को पंक्चर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें हमलोगों का कहां कोई कसूर है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कल क्या होगा इसकी चिंता हम नहीं करते और न उसकी हमें परवाह है, पर अपने सिद्धांतों से समझौता कर बिहार में भाजपा और जदयू की सरकार को आराम से चलने देते? जनता ने क्या हमें इसी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था?’ नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर उन्हें ‘पानी का बुलबुला’ बताते हुए और भाजपा द्वारा उन्हें बढा-चढाकर पेश किए जाने की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि यह जब फूटेगा तो लोग खुद हकीकत जान जाएंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या इस बुलबुले के फूटने पर राजग में उनकी वापसी की उम्मीद है, इस पर नीतीश ने कहा, ‘हम लोग तो अब आगे बढ गए । यह रोज-रोज होता है क्या ।’ भाजपा द्वारा नीतीश कुमार के पैतृक जिला नालंदा से विश्वासघात रैली की शुरूआत करने और लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनाने के लिए लोहा देने की अपील करने पर नीतीश ने कहा, ‘नालंदा तो ज्ञान का केंद्र रहा है न कि वहां कोई लोहा का कारखाना है।’ उन्होंने कहा कि वहां दुनिया भर के लोग ज्ञान प्राप्त करने आए और वहां से ज्ञान की किरण निकलती है। राजग से अलग होने के बाद जदयू के कांग्रेस सहित किसी अन्य दल से गठबंधन किए जाने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा, ‘हमारे यहां इसको लेकर कोई चर्चा नहीं है और न ही किसी दल से अबतक कोई बात हुई है। हम तो अपना काम करेंगे। चुनाव आएगा, लडेंगे।’
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सुप्रीम कोर्ट गैस मूल्य नीति पर करेगा विचार
केन्द्र और रिलायंस को दिए नोटिस नई दिल्ली। प्राकृतिक गैस की कीमत बढ़ाने का सरकार का विवादास्पद निर्णय अब उच्चतम न्यायालय पहुंच गया और न्यायालय इस मामले पर गौर करने के लिये तैयार हो गया। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद गुरूदास दासगुप्ता की जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार, रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. और पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली को नोटिस जारी किये। इन सभी को चार सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं। इस मामले में अब छह सितंबर को आगे सुनवाई होगी। न्यायालय ने कहा कि एक वरिष्ठ सांसद की जनहित याचिका में उठाये गये मुद्दे पर विचार की आवश्यकता है और इस याचिका को प्रारंभिक चरण में ही दरकिनार नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने गुरूदास दासगुप्ता की इस जनहित याचिका पर बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लि., नीको रिसोर्सेज लि. और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय से भी जवाब मांगा है। दासगुप्ता ने आरोप लगाया है कि प्राकृतिक गैस की कीमत बढाते समय सरकार ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया है। कम्युनिस्ट सांसद ने न्यायालय से एक अप्रैल, 2014 से प्राकृतिक गैस की कीमत 4.2 अमेरिकी डालर प्रति ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) से बढाकर 8.4 अमेरिकी डालर एमबीटीयू करने के सरकार के निर्णय की समीक्षा करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा उन्होंने सरकार को कई निर्देश देने का अनुरोध किया है। दासगुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गंसाल्विज ने न्यायालय में कहा कि गैस की कीमत बढाने के निर्णय पर गौर करने की आवश्यकता है क्योंकि पेट्रोलियम मंत्री ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और अपने पूर्ववर्ती मंत्री की राय को भी दरकिनार कर दिया है। याचिका में रिलायंस और नीको को केजी बेसिन के वे इलाके तत्काल छोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जिनके बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी और सरकार को इसे अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया जाये। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कृष्णा गोदावरी बेसिन से गैस निकालने के ठेके के दायित्व का कथित रूप से उल्लंघन करने के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज से एक अरब अमेरिकी डालर बतौर जुर्माना वसूलने के लिये कंपनी के खिलाफ पंचाट कार्यवाही में मोइली व्यवधान डाल रहे हैं। याचिका में इस मामले में पंचाट नियुक्त करने और सारी कार्यवाही छह महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने याचिका का विरोध करते हुये कहा कि मामले को पंचाट कार्यवाही में ‘डालने’ का कोई औचित्य नहीं है। याचिका में कैग को परियोजना लागत का वित्तीय अंकेक्षण तेजी से पूरा करने और कैबिनेट सचिव को इस मसले से संबंधित सारा रिकार्ड पेश करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
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दुर्गा के साथ आए आईएस अधिकारी, निलंबन वापस लेने की मांग
लखनऊ। अखिलेश यादव सरकार पर दबाव बनाते हुए उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी अपनी उस महिला सहयोगी के साथ एकजुट हो गये हैं जिसे खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने के बाद निलंबित किया गया है। आईएसएस अधिकारियों ने उसके निलंबन आदेश को वापस लेने की मांग की है। इस बीच, यह मुद्दा एक बड़े विवाद में तब्दील हो गया है। पंजाब काडर की 2009 बैच की आईएएस अधिकारी एवं गौतमबुद्ध नगर में उप जिलाधिकारी (एसडीएम) 28 वर्षीय दुर्गा शक्ति नागपाल को कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना एक मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश देने के बाद निलंबित कर दिया गया था। दुर्गाशक्ति के निलम्बन के मुद्दे को लेकर आईएएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने लखनऊ में कार्यवाहक मुख्य सचिव आलोक रंजन से मुलाकात की और उनके निलंबन को फौरन वापस लेने की मांग की। इस दौरान उनके साथ दुर्गाशक्ति भी मौजूद थीं। रंजन ने मुलाकात के दौरान कहा कि वह मामले को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेंगलूर से लौटने के बाद उनके समक्ष रखेंगे । अखिलेश इस वक्त कर्नाटक में हैं । एसोसिएशन के महासचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने बताया कि रंजन के साथ बैठक में नोएडा की एसडीएम दुर्गाशक्ति नागपाल को बिना नोटिस दिए निलम्बित किए जाने पर असंतोष जाहिर करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई को वापस लेने की मांग की गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ सपा सरकार शक्तिशाली रेत माफिया की शहर पर ईमानदार अधिकारियों को निशाना बना रही। दुर्गा ने उत्तर प्रदेश में खैरकानूनी खनन एवं रेत माफिया के खिलाफ कदम उठाये थे। राज्य में पहली बार तैनाती के महज 10 माह के भीतर उन्हें निलंबित किया गया है। सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा था कि वर्ष 2009 बैच की आईएएस अधिकारी और गौतम बुद्ध नगर (सदर) तहसील की उप जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को रबुपुरा थाना क्षेत्र के कादलपुर गांव में एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर अदूरदर्शी तरीके से हटवाने के कारण साम्प्रदायिक सौहार्द प्रभावित होने पर 27 जुलाई की रात को निलम्बित कर दिया गया था । प्रवक्ता ने बताया कि निलंबन के दौरान दुर्गा राजस्व बोर्ड से संबद्ध रहेंगी। उप्र सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री एवं सपा प्रमुख मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने संभल में संवाददाताओं से बातचीत में दुर्गाशक्ति के निलम्बन के औचित्य संबंधी सवाल पर कहा, ‘बिना जांच के हम कुछ नहीं कह सकते हैं। आरोपों की जांच के बाद ही पता चलेगा कि गलती किसकी है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।’ सपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि खनन माफिया के दबाव में निलंबन आदेश निकाला गया है। भाजपा की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, ‘यह सरकार एक ओर जहां भ्रष्ट अधिकारियों को बचा रही है वहीं दूसरी ओर वह ईमानदार अधिकारियों को निशाने पर ले रही है।’ उन्होंने कहा, ‘दुर्गा के मामले में राज्य सरकार इतनी जल्दबाजी में क्यों थी, जबकि बुनियादी प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया।’ दिल्ली में भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में फिर कैसे गुंडाराज कायम हो गया है जहां रेत माफिया के खिलाफ दृढता से लड़कर अपना दायित्व निभाने वाली एक ईमानदार अधिकारी को दंडित किया गया है।’ कांगे्रस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में रेत माफिया सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में न केवल मौजूदा सरकार, बल्कि पूर्व सरकार के तहत भी रेत माफिया चल रहा था। यह रेत माफिया मध्य प्रदेश में भी चल रहा है।’ सिंह ने दावा किया, ‘रेत माफिया ही उप्र एवं मप्र में सरकारें चला रहा है।’
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01-08-2013, 05:13 AM | #32530 |
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एसडीएम को निलंबित करने के पीछे वोट बैंक की राजनीति है : भाजपा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की महिला आईएएस अधिकारी को निलंबित किए जाने के वहां के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि इसके पीछे वोट बैंक की राजनीति है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली ने यहां ‘भाजपा महिला कार्यकर्ता संगम’ कार्यक्रम में कहा, ‘उत्तर प्रदेश में एक महिला अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। हर कोई कह रहा है कि वह ईमानदार अधिकारी हैं। इसके पीछे (फैसले) क्या कारण है? यह वोट बैंक की राजनीति है।’ कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को एक विवादास्पद धार्मिक स्थल की दीवार गिरवाने का आदेश देने पर उनके विरूद्ध कार्रवाई की गई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल इस बारे में कहा था, ‘यह प्रशासनिक निर्णय है। उन्होंने (एसडीएम) एक धार्मिक स्थल की दीवार गिराने का आदेश दिया था।’ उधर राज्य में विपक्ष ने सरकार के निर्णय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि ऐसा खनन माफिया के दबाव में किया गया है।
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