30-10-2013, 02:55 AM | #33651 |
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वाशिंगटन। भारत और विश्व में दिवाली के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को स्वीकार करते हुए अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में दिवाली पर दो अलग अलग प्रस्ताव पेश किए गए हैं। सीनेटरों मार्क वार्नर और जॉन कोर्निन ने कल सीनेट में प्रस्ताव पेश किया, जिसमें अमेरिका और भारत के लोगों के बीच आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित मजबूत सम्बंध स्थापित करने का समर्थन किया गया है, ताकि वे वैश्विक शांति एवं समृद्धि जैसे हितों के लिए मिल कर काम कर सकें। अमेरिकी कांग्रेस के सांसद जोए क्राउली और पीटर रोसकॉम ने भी पिछले सप्ताह प्रतिनिधि सभा में एक अलग प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें भारतीय मूल के अमेरिकियों और पूरे विश्व के प्रवासी भारतीयों के प्रति गहरा सम्मान जताया गया है। इसमें भारत और अमेरिका तथा पूरे विश्व में धार्मिक विविधता की प्रशंसा की गई है। इस वर्ष पहली बार रोशनी का यह उत्सव कैपिटल हिल में मनाया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस सदस्य और सीनेटर शामिल होंगे। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस वर्ष 2013 में कांग्रेस के कई सदस्य अमेरिकी कैपिटल में दिवाली का त्योहार मनाएंगे। इसमें कहा गया है कि भारतीय मूल के अमेरिकियों के लिए दिवाली का बहुत महत्व है और इस त्योहार को पूरे अमेरिका में प्रतिवर्ष हिंदू, सिख, जैन और अन्य समुदाय के लोग मनाते हैं। क्राउले ने कहा कि लाखों भारतीयों और भारतीय-अमेरिकियों के लिए दिवाली का विशेष महत्व है और मैं पहली बार कैपिटल हिल पर मनाई जाने वाली दिवाली का हिस्सा बनने को लेकर गौरवान्वित और रोमांचित हूं।
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30-10-2013, 02:58 AM | #33652 |
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नई कहानी के तीसरे स्तंभ का अवसान
पंचतत्व में विलीन हुए ‘हंस’ के संपादक राजेन्द्र यादव, साहित्यकारों ने जताया शोक नई दिल्ली। हिन्दी साहित्य में ‘नई कहानी आंदोलन’ की त्रयी में शामिल चिरपरिचित रचनाकार और ‘हंस’ के संपादक राजेन्द्र यादव का कल देर रात यहां निधन हो गया। उन्हें उनकी बेटी ने मुखाग्नि दी। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि कल रात करीब साढ़े 11 बजे 84 वर्षीय राजेन्द्र यादव को सांस की तकलीफ की शिकायत के बाद मैक्स अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें मृत लाया घोषित कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि आज शाम लोदी रोड स्थित विद्युत शव दाह गृह में राजेन्द्र यादव का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनकी बेटी रचना ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। राजेन्द्र यादव उस नई कहानी आंदोलन की अंतिम कड़ी थे, जिसमें कमलेश्वर और मोहन राकेश शामिल हैं। इस त्रयी को कहानी को साहित्य की मुख्यधारा में लाने का श्रेय दिया जाता है। नई कहानी आंदोलन के अग्रदूत को अंतिम विदाई देने वालों में नामवर सिंह, रवीन्द्र कालिया, अशोक वाजपेयी, विश्वनाथ त्रिपाठी, अशोक चक्रधर, पद्मा सचदेव, असगर वजाहत, अतुल अंजान और डी.पी. त्रिपाठी सहित साहित्य, कला, राजनीति क्षेत्र की तमाम हस्तियां मौजूद थीं। उनकी पत्नी और हिन्दी की नामचीन साहित्यकार मन्नू भंडारी ने बताया कि करीब दो साल पहले हर्निया के आॅपरेशन के बाद से ही उनकी (राजेन्द्र यादव) तबीयत बहुत अच्छी नहीं रहती थी। राजेन्द्र यादव का जन्म 28 अगस्त 1929 को आगरा में हुआ था और उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नातक की उपाधि हासिल की थी। यादव प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ के संपादक थे, जिसकी स्थापना मुंशी प्रेमचंद ने 1930 में की थी। इस पत्रिका का प्रकाशन 1953 में बंद हो गया था, लेकिन यादव ने 31 जुलाई 1986 को उपन्यास सम्राट के जन्मदिन पर इसे फिर से शुरू किया। उनका पहला उपन्यास ‘प्रेत बोलते हैं’ 1951 में प्रकाशित हुआ और इसे नए शीर्षक ‘सारा आकाश’ के साथ 1960 में प्रकाशित किया गया। इस पर इसी नाम से बासु चटर्जी ने 1969 में फिल्म बनाई। उनके रचनाकर्म में ‘कुल्टा’ और ‘शह और मात’ जैसी रचनाएं शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने तुर्गनेव, चेखव और लेर्मोन्तोव जैसे रूसी लेखकों के रचनाकर्म का हिन्दी में अनुवाद भी किया। यादव 1999 से 2001 तक प्रसार भारती बोर्ड के नामांकित सदस्य भी रहे।
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30-10-2013, 02:59 AM | #33653 |
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राजेन्द्र यादव का निधन : साहित्य जगत की रोचकता कम हो गई
नई दिल्ली। हंस के संपादक और वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र यादव के निधन पर साहित्य जगत से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जाने से साहित्य जगत की रोचकता कम हो गयी और प्रेमचंद एवं उनकी साझा विरासत ‘हंस’ का क्या होगा? नयी दिल्ली के मयूर विहार स्थित राजेन्द्र यादव के फ्लैट के बाहर आज सुबह से ही साहित्य जगत के नामचीन लोगों से लेकर नवोदित रचनाकारों का तांता लगा हुआ था। राजेन्द्र यादव का कल रात निधन हो गया था। वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने कहा, ‘‘प्रेमचंद के हंस को निकालने की जिम्मेदारी लेकर उन्होंने साहित्य जगत के लिए बहुत बड़ा काम किया। यदि उन्होंने इसके अलावा कुछ भी न किया होता तो भी वह साहित्य जगत में अमर हो जाते।....अब हमारे उपर जिम्मेदारी है कि साहित्य की इस विरासत को किस तरह संभाला जाये।’’ यादव से करीब 60 साल पुराने रिश्तों को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘राजेन्द्र यादव ने हंस को सांस्कृतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और ज्वलंत समस्याओं के बारे में लिखा। उनके जाने के बाद हंस का क्या होगा, इसके बारे में सोचना होगा, क्योंकि हिन्दी साहित्य में ‘कौओं की भीड़’ है।’’ साहित्य अकादमी के उप सचिव ब्रजेन्द्र त्रिपाठी ने कहा, ‘‘राजेन्द्र यादव के जाने से साहित्य की दुनिया वीरान हो गयी और उसकी जीवंतता एवं रोचकता कम हो जायेगी। चर्चा में रहने वाले उनके स्त्री विमर्श और दलित विमर्श लेखों का अभाव हमेशा खलेगा।’’ लेखिका निर्मला जैन ने कहा, ‘‘राजेन्द्र यादव से मतभेद रखकर भी लोग उनसे अलग नहीं हो सकते थे। मैंने उन्हें जीवट इंसान के तौर पर देखा है, जो विकट से विकट परिस्थितियों में भी कमजोर नहीं पड़ते थे।’’ उन्होंने कहा कि वह साहित्यिक और वैचारिक बहस को मन में नहीं रखते थे, लेकिन अपनी बात को बड़े ही बेबाक तरीके से कहते थे। वह नये रचनाकारों के प्रति बेहद सकारात्मक रवैया रखते थे। इस वक्त साहित्य जगत में कई ऐसे रचाकार हैं, जिन्हें निखारने का श्रेय राजेन्द्र यादव को जाता है। राजकमल प्रकाशन के प्रमुख अशोेक माहेश्वरी ने कहा कि राजेन्द्र यादव हिन्दी साहित्य के फलक पर सामाजिक सरोकारों से संबंध रखने वाले व्यक्ति थे। साहित्य में महिला और दलितों से जुड़े मसले उनके कारण ही बड़े मुद्दे बने। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र यादव लोकतांत्रिक तरीका अपनाने वाले और सकारात्मक रवैया रखने वाले व्यक्ति थे। वह बड़ी विस्तृत सोच और जनसंपर्क वाले लोगों में शामिल थे। लेखक डा. देशबंधु राजेश ने कहा कि हंस को पुनर्जीवीत करके उन्होंने न केवल प्रेमचंद की आत्मा को शांति प्रदान की बल्कि नये और प्रतिभाशाली लेखकों की फौज खड़ी करके हिन्दी साहित्य को विशेष आयाम प्रदान किया। ज्ञानपीठ के निदेशक और लेखक रवीन्द्र कालिया ने कहा, ‘‘मोहन राकेश, कमलेश्वर और राजेन्द्र यादव की तुलना करने का यह सही वक्त नहीं है। लेकिन यह ‘नयी कहानी’ की तिकड़ी थी, जिसके प्रयासों से उपेक्षित साहित्यिक विधा कहानी को हिन्दी में केंद्रीय पटल पर लाया जा सका।’’ ‘गालिब छुटी शराब’ के लेखक ने कहा, ‘‘राजेन्द्र यादव नयी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर थे, जिनके प्रयासों से स्त्री विमर्श और दलित विमर्श सशक्त रूप से उभरकर सामने आये। इससे पहले साहित्य में विमर्श पिछड़ रहा था।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में किसी भी युवा रचनाकार का आकलन ही इससे किया जाता है कि वह अपने लेखन में स्त्री मुक्ति और उपेक्षित वर्ग के प्रति किस प्रकार की दृष्टि रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘राजेन्द्र यादव ने अपनी नयी टीम तैयार की और उदय प्रकाश एवं अखिलेश जैसे कई युवा लेखक उनके प्रयासों से सामने आये। वह हिन्दी साहित्य की यमुना के कृष्ण थे और यह इत्तेफाक है कि उनका कार्यालय यमुना के किनारे था।’’ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘राजेन्द्र यादव नयी कहानी आंदोलन के बाद से ही लगातार चर्चा में रहे, क्योंकि उनकी साहित्यिक सक्रियता जीवन भर बनी रही। ‘हंस’ के जरिये उन्होंने दलित और स्त्री विमर्श को साहित्य की मुख्यधारा में लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। साहित्य के अतिरिक्त राजनीति और देश की ज्वलंत वैचारिक बहसों में भी हस्तक्षेप किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनके दो टूक बयान कई बार विवादों के विषय बने ,लेकिन उन्होंने अपनी पराजय स्वीकार नहीं की। वह एक सूरमा की तरह साहित्य के मोर्चे पर लड़ते रहे।’’
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30-10-2013, 03:00 AM | #33654 |
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भारत-चीन संबंधों में रूकावट के लिए लोकतंत्र कोई बहाना नहीं : थिंक टैंक
बीजिंग। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हालिया चीन यात्रा पर पहली टिप्पणी में चीन के एक सरकारी थिंक टैंक ने आज कहा कि भारत को ‘घरेलू बाधाओं’ और ‘राजनीतिक अवरोधकों’ से पार पाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन के साथ संबंधों के विकास में उसका लोकतंत्र बाधक न बने । शंघाई इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल स्ट्डीज के रिसर्च फेलो लियू जिंग्यी द्वारा लिखे एक लेख में कहा गया है, ‘अमेरिका चीन असैन्य परमाणु करार के आकार लेने के बाद भारतीय मीडिया ने भारत और चीन के बीच हस्ताक्षरित सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर होने को सबसे अधिक सराहा ।’ चीन की अपनी हालिया यात्रा के दौरान सिंह ने चीन के साथ कारोबार में व्यापार असंतुलन और चीन पाकिस्तान संबंधों का मामला भी उठाया था । ‘वास्तविक आर्थिक विकल्पों की राह में दिल्ली की घरेलू बाधाएं’ शीर्षक वाले लेख में यह बात कही गयी है । ग्लोबल टाइम्स ने आज यह लेख प्रकाशित किया है । लेख में कहा गया है कि भारत में औद्योगिक पार्क स्थापित करने की चीन की योजना, बांग्लादेश, चीन , भारत और म्यांमा आर्थिक कोरिडोर की उसकी योजना पूरी नहीं हो पायी है । लेख में कहा गया है कि भारत के कुछ आंतरिक तत्व हैं जो चीन के साथ उसके आर्थिक संबंधों को गति देने की राह में बाधा हैं और इन बाधाओं में ‘विपक्षी दलों का विरोध, विदेशी पूंजी के प्रति जनता का प्रतिरोध, पुराने पड़ चुके श्रम कानून संस्थान और हित समूहों की मौजूदगी प्रमुख है । लेख में कहा गया है, ‘भारत को चीन के मुकाबले अधिक घरेलू बाधाओं को पार करना होगा। उसका लोकतंत्र चीन के साथ उसके संबंधों के विकास में रूकावट का बहाना नहीं बनना चाहिए।’ इसमें आगे कहा गया है कि बीसीआईएम कोरिडोर के संबंध में भारत की घरेलू चिंताएं मुख्य रूप से अनसुलझे सीमा विवादों को लेकर है और ऐसी आशंका है कि उसके उत्तर पूर्वी क्षेत्र को खोलने से संघर्ष की स्थिति में उसकी सुरक्षा को एक खतरा पैदा कर सकता है ।
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30-10-2013, 03:02 AM | #33655 |
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गोवा के विधायकों ने 2012 के चुनाव में आयोग के दिशानिर्देशों की सीमा में किया खर्च
पणजी। पिछले साल मार्च में राज्य चुनाव के दौरान गोवा विधानसभा के सभी चयनित सदस्यों ने भारतीय चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों में तय राशि से कहीं कम खर्च किया । विधायकों की ओर से खर्चों की जानकारी देने वाले शपथपत्रों की सार्वजनिक जानकारी चुनाव आयोग के स्थानीय कार्यालय ने दी है जिसके अनुसार, पोरवोरिम क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय विधायक रोहन खाउंटे ने अभियान के लिए सबसे ज्यादा 6.20 लाख रूपए खर्च किए। चुनाव आयोग द्वारा चुनावी खर्च की सीमा 8 लाख रूपए प्रति उम्मीदवार तय की गई थी। रिकॉर्डों के अनुसार, किसी भी उम्मीदवार ने इतनी राशि खर्च नहीं की। आंकड़ों के अनुसार, भाजपा के सभी विजेता विधायकों ने 2 से लेकर 3 लाख रूपए खर्च किए थे। जबकि भारी पराजय का सामना करने वाली कांग्रेस के विजेता उम्मीदवारों ने 3 से लेकर 3.5 लाख रूपए खर्च किए। भाजपा के विधायक विष्णु वाघ और विश्वजीत राणे के शपथपत्रों के अनुसार, इन दोनों ने जनसभाओं के आयोजन पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया। कांग्रेस के पांडुरंग मडकईकर और एलेक्सियो रेजिनाल्डो लॉरेंसो ने क्रमश: 5.21 लाख और 4.83 लाख रूपया खर्च किया। इस तरह वे सबसे ज्यादा खर्च करने वाले विधायकों में शामिल हैं। सत्ताधारी पक्ष में से भाजपा विधायक माइकल लोबो ने अपने अभियान में 4.04 लाख रूपया खर्च किया। पणजी चुनावीक्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने सिर्फ 2.76 लाख रूपए खर्च किए थे। विपक्ष के नेता प्रतापसिंह राणे ने सबसे कम खर्च किया। उनके चुनाव अभियान पर 1.69 लाख रूपए का खर्च दिखाया गया है। वर्ष 2012 के चुनावों में भाजपा ने बहुमत से जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस को मिली सीटों की संख्या घटकर इकाई अंकों तक ही सीमित रह गई थी।
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30-10-2013, 03:03 AM | #33656 |
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खाने में बेहोशी की दवा मिलाकर महिला से छात्रों ने किया बलात्कार
भोपाल। एक युवक के साथ ‘लिव-इन-रिलेशन’ में रहने वाली एक महिला ने कल महिला पुलिस थाना पहुंचकर उसके साथ एक पड़ोसी छात्र एवं दो अन्य द्वारा दस माह पहले उसे खाने में बेहोशी की दवा खिलाकर बलात्कार करने की शिकायत दर्ज कराई है। महिला पुलिस थाने से आज यहां मिली जानकारी के अनुसार महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि चूंकि छात्र ने अगले दिन उससे माफी मांग ली थी, इसलिए वह चुप रही, लेकिन उसका दिल लगातार उसे कचोटता रहा और उसी ग्लानिवश अब मामले की शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंची है। यह घटना इस साल 7-8 जनवरी के रात की है। पुलिस ने बताया कि महिला ने शिकायत में कहा है कि वह मूलत: श्यामला हिल्स इलाके की रहने वाली है और एक होटल में काम करती है, लेकिन कुछ समय से वह एक युवक के साथ ऐशबाग की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रह रही है। महिला ने कहा कि गत सात जनवरी की शाम पड़ोस में रहने वाला छात्र प्रणव नागले :19: और उसके दो मित्रों सुजीत बैस एवं मनोज कुमार ने उसका दरवाजा खटखटाकर बताया कि उसकी गैस खत्म हो गई है । छात्रों ने उससे उसके घर पर खाना बनाने की इजाजत मांगी । उसने छात्रों को इसकी इजाजत दे दी। छात्रों ने खाना बनाया और उसे भी खिलाया। पुलिस को दी अपनी शिकायत में महिला ने कहा है कि खाना खाने के कुछ देर बाद वह बेहोश हो गई जिसके बाद तीनों छात्रों ने उससे बलात्कार किया। सुबह उसे इसका पता चला और छात्रों से उसने नाराजगी जताई । इस बीच सुजीत आया और रात वाली घटना के लिए माफी मांगी। लेकिन उसका मन लगातार कचोटता रहा और आत्मग्लानि हुई जिसके लिए वह अब घटना की शिकायत कर रही है। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ बलात्कार का प्रकरण दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
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30-10-2013, 03:04 AM | #33657 |
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एयर मार्शल अरूप राहा होंगे अगले वायु सेना प्रमुख
नई दिल्ली। एयर मार्शल अरूप राहा भारतीय वायु सेना के अगले मुखिया होंगे । वह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन की जगह लेंगे । 26 दिसंबर 1954 को जन्मे 59 वर्षीय राहा का वायु सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल तीन साल रहने की उम्मीद है । रक्षा मंत्रालय की ओर से यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘सरकार ने एयर मार्शल राहा को एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन की सेवानिवृत्ति के बाद वायु सेना का अगला प्रमुख नियुक्त करने का फैसला किया है ।’’ राहा वर्तमान में वायु सेना के उप प्रमुख हैं । भारतीय वायु सेना में राहा ने 14 दिसंबर 1974 को लड़ाकू पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया था । वह 39 साल के अपने करयिर में विभिन्न कमानों, स्टाफ और निर्देशन नियुक्तियां पा चुके हैं । वह यूक्रेन में भारतीय दूतावास में एयर अताशे भी रह चुके हैं । विभिन्न तकनीकी पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त राहा स्ट्रेटेजिक न्यूक्लियर आॅरियंटेशन कोर्स तथा जूनियर कमांडर्स कोर्स भी कर चुके हैं । वह मध्य एयर कमान तथा पश्चिमी एयर कमान का भी नेतृत्व कर चुके हैं । राहा फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर्स स्कूल, तंबारम (तमिलनाडु) तथा भारतीय वायु सेना के ग्वालियर स्थित रणकौशल और लड़ाकू विकास प्रतिष्ठान (सीडीई) में डायरेक्टिंग स्टाफ रह चुके हैं । भारतीय वायु सेना प्रमुख मनोनीत ऐसे समय बल की कमान संभालेंगे जब यह स्वदेशी और विदेश प्रशिक्षक विमान के मुद्दे पर अपने सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ उलझा है । वायु सेना फ्रांसीसी कंपनी डासॉल्ट एविएशन से 126 राफेल बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान खरीदने के लिए गहन बातचीत कर रही है ।
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30-10-2013, 03:05 AM | #33658 |
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महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री का निधन
अकोला। महाराष्ट्र के रिसोड निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेसी विधायक और महाराष्ट्र सरकार में पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री सुभाष जनक का यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। 55 वर्षीय जनक का कल यहां एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी, बेटा और एक बेटी है । जनक ने दो बार मेडसी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया और वह रिसोड मालेगांव विधानसभा सीट से भी जीते । वर्ष 2009 में हुए पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में यह नवगठित सीट थी। पश्चिमी विदर्भ क्षेत्र के जाने माने ग्रामीण नेता जनक वर्ष 2008 में अशोक चव्हाण मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए थे । उनके पार्थिव शरीर को जिले में उनके पैतृक गांव मंगुल जनक ले जाया गया है । उनका अंतिम संस्कार आज किया जाएगा।
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जदयू के चिंतन शिविर में सांसद रामसुंदर दास बेहोश हुए, अस्पताल भेजे गए
राजगीर। बिहार के नालंदा जिला के राजगीर में जारी जदयू के चिंतन शिविर में आज मंच पर बैठे सांसद रामसुंदर दास बेहोश हो गए जिन्हें इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जदयू के चिंतन शिविर को जिस समय बिहार के कृषी मंत्री नरेंद्र सिंह संबोधित कर रहे थे, मंच पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के बगल में एक कुर्सी पर बैठे दास ने अचानक आंख बंद कर ली और बेहोश हो गए। दास की स्थिति को देखते हुए मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सीट से उठे और दास को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाने का निर्देश दिया। इस अवसर पर चिंतन शिविर में शामिल जदयू के प्रतिनिधियों ने वयोवृद्ध दास के स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआ की। दास की तबीयत बिगडने से चिंतन शिविर करीब 15 मिनट के लिए बाधित हुआ। बिहार के हाजीपुर संसदीय सीट से जदयू सांसद दास ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान को पराजित किया था और वे लोकसभा जदयू के उपनेता हैं।
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सत्ता में आने पर पक्षपात खत्म करेगी एमएनएफ
एजल। विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने मतदाताओं से वायदा किया है कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो भाई-भतीजावाद को खत्म करने के लिए सभी सरकारी नौकरियों में भर्ती रोजगार कार्यालयों के माध्यम से की जाएगी। राज्य में आगामी 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होगा । एमएनएफ नेताओं ने कल कहा कि राजनीतिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों की अनुशंसाओं पर होने वाली युवाओं की भर्तियों को वह बंद कर देंगे। पूर्व मंत्रियों आर ललथनगलैना और लैनसुअमा एवं पूर्व विधायक लालछनडामा रालते सहित एमएनएफ के नेताओं ने मतदाताओं से वायदा किया है कि राज्य स्तरीय भ्रष्टाचार विरोधी इकाई लोकायुक्त का गठन किया जाएगा, जिसके पास मुख्यमंत्री और मंत्रियों सहित सरकारी कर्मचारियों एवं नौकरशाहों की जांच करने का अधिकार होगा।
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