30-10-2013, 03:09 AM | #33661 |
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पिछले करीब एक साल से पाकिस्तानी रेंजर्स और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों की नहीं आयोजित हो पाईं बैठकें जैसलमेर। जम्मू-कश्मीर से लगती सरहद पर पाकिस्तानी सेना द्वारा कई बार युद्ध विराम का उल्लंघन करने से उपजे तनाव के मद्देनजर राजस्थान से लगी सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी गई है, वहीं पिछले करीब एक साल से पाकिस्तानी रेंजर्स और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों की बैठकें आयोजित नहीं की जा सकी हंै। बल के सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में सीमा पार से बार-बार की जा रही फायरिंग के कारण दोनों देशों के सीमा रक्षकों के बीच सीमा पर उपजे छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने और सौहार्द कायम करने के लिए होने वाली बैठकें तनाव की भेंट चढ़ गई हैं। सामान्यत: रेंजर्स और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के बीच तिमाही और प्रत्येक छह माह में अधिकारियों की बैठक होती हंै। इन बैठकों में रेंजर्स के डिप्टी डायरेक्टर जनरल तथा बल के उपमहानिरीक्षक स्तर के अधिकारी शरीक होते हंै। सूत्रों का कहना है कि जम्मू कश्मीर में लाइन आॅफ कन्ट्रोल तथा सीमा पर बीएसएफ की चौकियों पर फायरिंग का सिलसिला जारी रहने से दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ रही है और इसके चलते रेंजर्स व बल के अधिकारियों की बैठकें नहीं हो पा रही हंै। ये बैठक एक बार भारत के क्षेत्र में तथा अगली मर्तबा पाकिस्तान के क्षेत्र में होती है। सूत्रों ने बताया कि इस तरह की अंतिम बैठक गत वर्ष सात नवम्बर को राजस्थान के मुनाबाव में हुई थी। इसके तीन माह बाद अगली बैठक पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के खोखरापार में होनी थी लेकिन पाकिस्तान की ओर से आमंत्रित ही नहीं किया गया। इसी तरह उपमहानिरीक्षक स्तर की अंतिम बैठक 19 दिसम्बर 2012 को पंजाब के अटारी क्षेत्र में आयोजित हुई थी, जबकि अगली बैठक पाकिस्तान के लाहौर क्षेत्र में होनी थी जो अभी तक नहीं हो पाई। सूत्रों ने बताया कि बीएसएफ के महानिदेशक तथा रेंजर्स के डायरेक्टर जनरल स्तर की बैठक हर छह महीने में आयोजित होती है। ये बैठक भी एक बार भारत तथा दूसरी बार पाकिस्तान में होती थी। इस स्तर की अंतिम बैठक गत वर्ष एक जुलाई को दिल्ली में हुई थी, जिसमें पाकिस्तान से 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आया था। इस बार सितम्बर के अंतिम सप्ताह में लाहौर में होने वाली उच्च स्तरीय बैठक ऐन वक्त पर रद्द कर दी गई। सूत्रों ने बताया कि एक साल से बैठकों का सिलसिला थम जाने के कारण दोनों देशों के सीमा प्रहरियों के बीच संवादहीनता पैदा हो गई है तथा सीमा संबंधी विवादों का हल भी नहीं हो पा रहा है।
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30-10-2013, 03:10 AM | #33662 |
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यूएई में भारतीयों के लिए सुरक्षा योजना शुरू
दुबई। प्रवासी भारतीयों के कल्याण और सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने यहां वाणिज्य दूतावास में एक विशेष सामाजिक सुरक्षा योजना की शुरुआत की है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने कल महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना (एमजीपीएसवाई) की पेशकश की। यह योजना पिछले वर्ष भारत में पहले ही शुरू की जा चुकी है और अब यह सभी ईसीआर देशों में लागू की जाएगी। रवि ने प्रवासी भारतीय कर्मियों की सुरक्षा, संरक्षण और कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रवासी भारतीयों की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
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30-10-2013, 03:11 AM | #33663 |
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भारत और पेरू में चार समझौते
लीमा। तेजी से बढ़ते लातिन अमेरिकी देश पेरू के साथ अपने सम्बंधों को नया आयाम देने के लिए भारत ने पेरू के साथ चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें से एक रक्षा सहयोग और संयुक्त आयोग की स्थापना किए जाने से सम्बंधित है। बाकी दो अन्य समझौते शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग को लेकर हैं। उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की लातिन अमेरिकी देश की तीन दिवसीय यात्रा की समाप्ति पर कल इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। पेरू ने इस यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार में स्थायी सदस्यता के भारत के दावे का भी समर्थन किया। दोनों देशों ने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद को ‘किसी भी रूप में, किसी भी कारण से और किसी के लिए भी सही नहीं ठहराया जा सकता। ऊर्जा और खजिन संपदा से भरपूर देश के साथ सम्बंधों में अर्थव्यवस्था को प्रमुखता प्रदान करने के मकसद से उप राष्ट्रपति ने यात्रा के दौरान इंडियन चैम्बर्स आॅफ कामर्स (इनचैम) की स्थापना भी की, जो पेरू तथा अन्य लातिन अमेरिकी देशों में भारतीय कारोबार और व्यापार को सुगम बनाएगा। इनचैम को ऐसे समय में सक्रिय किया जा रहा है, जब पेरू इस क्षेत्र में भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी साझेदार के रूप में उभर रहा है। अंसारी ने कहा कि नया संगठन उस अंतराल को भरेगा, जो भारत पेरू वाणिज्यिक और आर्थिक सम्बंधों में अभी तक रहा है। इस मौके पर इनचैम की आधिकारिक वेबसाइट का भी उद्घाटन किया गया। कल एक संयुक्त बयान में दोनों देशों ने इस बात को रेखांकित किया कि उनके बीच मुक्त व्यापार समझौते का दोनों देशों की बढ़ती समृद्धि और कल्याण पर ‘सकारात्मक असर’ पड़ेगा। बयान के अनुसार, पेरू इस महत्वपूर्ण विषय पर व्यापक अध्ययन की पहल करने के लिए भारत के प्रयासों का स्वागत करता है, जिसके दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक प्रभाव होंगे। इस मौके पर उप राष्ट्रपति अंसारी ने पेरू के राष्ट्रपति ओलांता हुमाला तासो के साथ विशेष मुलाकात की और उन्हें भारत यात्रा का निमंत्रण दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। अंसारी इसके बाद आज क्यूबा के लिए रवाना होंगे, जहां भारत के किसी अति विशिष्ट व्यक्ति की कम्युनिस्ट देश की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। क्यूबा के साथ भारत के रिश्ते गहरे और ऐतिहासिक हैं। भारत और पेरू के बीच द्विपक्षीय कारोबार तेजी से बढ़ रहा है और पिछले पांच साल में इसमें सात गुना वृद्धि हुई है। पिछले साल इसकी वृद्धि दर 35 फीसदी थी। इस वर्ष की पहली छमाही में इसमें 44 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। पेरू में भी भारत का निवेश बढ़ रहा है। यहां भारतीय कंपनियों के कार्यालयों की संख्या में भी इजाफा हुआ है और यहां काम करने वाले भारतीय पेशेवरों की संख्या भी बढ़ी है। अंसारी और उनके पेरू के समकक्ष मारिसोल एस्पिनोजा की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, पेरू में भारतीय राजदूत मनप्रीत वोहरा, संस्कृति मंत्रालय के सचिव रवीन्द्र सिंह ने भारत की ओर से समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
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30-10-2013, 03:12 AM | #33664 |
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थ्येन आन मन हादसे में आतंकी तार होने का संदेह
शिनच्यांग के इस्लामी आतंकवादियों की हो रही है पड़ताल बीजिंग। चीन की पुलिस को संदेह है कि थ्येन आन मन चौक पर हुए रहस्यमय कार हादसे में अशांत शिनच्यांग क्षेत्र के इस्लामी आतंकवादियों की संलिप्तता हो सकती है। इस घटना में पांच लोग मारे गए थे और 38 अन्य घायल हो गए थे। कल यहां थ्येन आन मन चौक के प्रवेश द्वार पर एक एसयूवी कार ने पैदल यात्रियों को रौंद दिया था और फिर इसमें आग लग गई थी। यह चौक वही स्थान है, जहां 1989 में सेना ने लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को बर्बरता से कुचल दिया था। सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स के अनुसार कल देर रात पुलिस ने होटलों को नोटिस भेजकर ‘संदिग्ध अतिथियों’ पर नजर रखने को कहा, जो 1 अक्तूबर से ठहरे हुए हों और ‘संदिग्ध वाहनों’ से सम्बंधित सूचना मांगी। पुलिस ने नोटिस में कहा कि ‘सोमवार को एक बड़ी घटना हुई है’। इसने शिनच्चांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र की पिशान काउंटी और शानशन काउंटी के दो लोगों के नाम संदिग्ध के रूप में लिए। इसने यह भी उल्लेख किया कि स्टील की रेलिंग से टकराने और फिर आग की शिकार हुई हल्के रंग की एसयूवी की नंबर प्लेट शिनच्यांग से थी, जहां चीनी सुरक्षाबल अलकायदा समर्थित अलगाववादी संगठन ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ (ईटीआईएम) की ओर से हिंसक विद्रोह का सामना कर रहे हैं। उइगुर मुसलमानों की आबादी वाला शिनच्यांग पिछले कुछ साल से अशांति का सामना कर रहा है, क्योंकि उइगुर लोग प्रांत में हान चीनियों की बढ़ती बस्तियों का विरोध कर रहे हैं। बीजिंग पुलिस के अनुसार वाहन में सवार चालक और दो यात्रियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई तथा दो पर्यटकों की गंभीर रूप से घायल होने के कारण जान चली गई। पर्यटकों में फिलीपीन की एक महिला और दक्षिणी चीन के गुओदांग प्रांत का एक व्यक्ति शामिल है। घटना में घायल हुए 38 पर्यटकों और पुलिस अधिकारियों में फिलीपीन की दो महिलाएं और जापान का एक व्यक्ति शामिल है। दो घायलों की हालत गंभीर बताई जाती है।
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30-10-2013, 03:38 AM | #33665 |
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चीनी अधिकारियों से मिले कयानी
बीजिंग। चीन और पाकिस्तान ने रक्षा सहयोग मजबूत कर अपने सैन्य सम्बंधों को विस्तार देने का फैसला किया है। इसी संदर्भ में पाकिस्तानी सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी ने यहां चीन के उच्च रक्षा अधिकारियों से मुलाकात की। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, चीन और पाकिस्तान अपने सैन्य सम्बंधों को प्रगाढ़ करने पर सहमत हो गए हैं और आपसी सहयोग में वे नई प्रगति ला रहे हैं। चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के उपाध्यक्ष फैन चांगलोंग ने कल रात कयानी से मुलाकात की। उन्होंने द्विपक्षीय सैन्य सम्बंधों के सार्थक विकास की प्रशंसा की और कहा कि यह ‘हमारी सदाबहार दोस्ती को दर्शाता है।’ जल्दी ही सेवानिवृत होने वाले कयानी यहां कल पहुंचे थे। रिपोर्ट में कहा गया कि फैन ने पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने और द्विपक्षीय एवं सैन्य सम्बंधों को बढ़ाने के साझे प्रयासों पर सहमति जताई। कयानी ने कहा कि चीन के साथ अपने रणनीतिक सम्बंधों को पाकिस्तान बहुत महत्वपूर्ण मानता है। चीन और पाकिस्तान की थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच सम्बंधों को गोपनीयता के दायरे में रखा जाता है। इनसे जुड़ी कुछ जानकारियों को उच्चस्तरीय अधिकारियों की यात्राओं के दौरान जारी किया जाता है।
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30-10-2013, 03:39 AM | #33666 |
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सहयोगियों की जासूसी को थी व्हाइट हाउस की मंजूरी
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट, एनएसए के अधिकारी व्हाइट हाउस की सफाई से खफा वाशिंगटन। विदेशी नेताओं की जासूसी की अमेरिकी कार्रवाइयों से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अनजान रहने के आधिकारिक बयानों के बीच अमेरिकी मीडिया का कहना है कि व्हाइट हाउस और अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस जासूसी को मंजूरी दी थी। अपनी एक खोजी रिपोर्ट में लॉस एंजिलिस टाइम्स ने आज कहा कि नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी (एनएसए) के अधिकारी इस पर खफा हैं कि व्हाइट हाउस यह कह रहा है कि ओबामा विदेशी नेताओं की जासूसी की एनएसए की कार्रवाइयों से वाकिफ नहीं थे। सीआईए के पूर्व ठेकेदार एवं व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन की तरफ से उजागर किए गए गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि एनएसए ने जर्मनी और फ्रांस जैसे सहयोगी देशों समेत 35 देशों के नेताओं के सेलफोन संचार टैप किए। इससे यूरोपीय देशों में गुस्से की लहर फैल गई। लॉस एंजिलिस टाइम्स के अनुसार यह स्पष्ट नहीं है कि जासूसी ठीक-ठीक कैसे संचालित की जाती रही है, लेकिन अगर कोई विदेशी नेता जासूसी का शिकार होता, सम्बंधित अमेरिकी राजदूत और उस खास देश के मामले देख रहे व्हाइट हाउस के एनएसए अधिकारी को नियमित रिपोर्टें दी जाती हैं। दैनिक ने कहा कि उसकी रिपोर्ट दो वरिष्ठ पूर्व खुफिया अधिकारियों के साक्षात्कार पर आधारित है, जिन्होंने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर गोपनीय सूचना पर चर्चा की। वरिष्ठ पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारियों में से एक ने कहा कि हो सकता है कि किसी विदेशी नेता के सेलफोन या ईमेल संचार को लक्षित करने वाले एनएसए आपरेशन के बारे में ओबामा को खास तौर पर ब्रीफिंग नहीं की गई हो। दैनिक ने अधिकारी के हवाले से कहा कि लेकिन निश्चित तौर पर नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल और जासूस समुदाय के वरिष्ठ लोग ठीक ठीक जानते हैं कि क्या हो रहा था, और इसके विपरीत कहना हास्यास्पद है। वर्तमान और पूर्व अधिकारियों ने कहा कि अगर प्रमुख विदेशी नेताओं की अमेरिकी जासूसी व्हाइट हाउस के लिए एक खबर है, तो व्हाइट हाउस अपने ब्रीफिंग बुक नहीं पढ़ रहे हैं। दैनिक ने कहा कि कुछ अमेरिकी खुफिया अधिकारी कह रहे हैं कि जासूसी के लिए व्हाइट हाउस उनपर आरोप लगा रहा है, जिसे व्हाइट हाउस में कानून के तहत प्राधिकृत किया गया है। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने गोपनीय सूचना पर चर्चा करते हुए अपनी शिनाख्त सार्वजनिक नहीं करने की शर्ता पर लॉस एंजिलिस टाइम्स से कहा, ‘लोग नाराज हैं।’ उधर, विदेशी नेताओं की जासूसी के विशिष्ट पहलुओं पर कोई चर्चा किए बगैर व्हाइट हाउस प्रेस सचिव जे कार्नी ने कल कहा था कि इस तरह की खुफियागीरी की गतिविधियों ने जानें बचाई हैं। कार्नी का कहना था कि यहां जो काम किया जा रहा है वह जानें बचाते हैं और अमेरिका की सुरक्षा करते हैं और हमारे सहयोगियों की सुरक्षा करते हैं और दुनियाभर के बहुत खतरनाक जगहों पर तैनात अमेरिकियों की जानें बचाते हैं। उधर, एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ अमेरिकी सांसद एवं खुफियागीरी पर सीनेट की प्रवर समिति की अध्यक्ष डायने फीन्स्टीन ने अमेरिका के मित्र देशों के नेताओं की जासूसी की तीखी आलोचना की और एनएसए की जासूसी गतिविधियों की समीक्षा की मांग की।
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30-10-2013, 03:40 AM | #33667 |
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अमेरिकी सीनेट की समिति बेहद नाराज
वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट की गुप्तचर मामलों की समिति न केवल अमेरिकी नागरिकों, बल्कि दूसरे देश के नेताओं के टेलीफोन कॉल सुने जाने तथा गोपनीय सूचनाएं एकत्र करने के राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी के तौर तरीकों से बेहद नाराज हैं। समिति की पिछले सप्ताह की सुनवाई के समय जब उच्च गुप्तचर अधिकारी समिति के समक्ष गवाही देने के लिए उपस्थित हुए, तब कई सदस्यों ने अपनी नाराजगी से इन अधिकारियों को अवगत कराया। समिति के समक्ष आज राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी के प्रमुख पेश हुए हैं और सदस्यों ने उनके समक्ष भी अमेरिका के यूरोप के कुछ मित्र देशों के नेताओं और अमेरिकी नागरिकों की जासूसी का मुद्दा उठाया है। सीनेटरों की सबसे अधिक नाराजगी जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की जासूसी को लेकर है।
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30-10-2013, 03:41 AM | #33668 |
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ओबामा ने दिए जासूसी की समीक्षा के आदेश
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुप्तचर एजेन्सियों द्वारा गोपनीय सूचनाएं एकत्र करने के तौर तरीके की समीक्षा के आदेश दिए हैं। ओबामा ने समीक्षा की बात एक केबल नेटवर्क फ्यूजन को दिए गए इंटरव्यू में कल कही। उन्होंने कहा कि एजेन्सी के कामकाज की समीक्षा की बात इसलिए की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एजेन्सी को कौन से काम करने हैं और कौन से नहीं करने हैं। ओबामा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी तथा अन्य गुप्तचर एजेन्सियां जो भी सूचनाएं एकत्र करती हैं, उसका अंतिम उपयोग करने वाले वह स्वयं हैं और इसीलिए राष्ट्रपति भवन राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी को दिशा-निर्देश जारी करता रहता है।
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30-10-2013, 03:43 AM | #33669 |
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ब्राजील बना रहा है विशेष योजना
साओ पाउलो/ब्राजीलिया। ब्राजील अमेरिकी जासूसी के मद्दे-नजर अपने नागरिकों की रक्षा के लिए विशेष योजना बना रहा है। उसने इसके लिए एक नए कानून का मसौदा तैयार किया है, जिसके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट कम्पनियों को इस बात के लिए बाध्य किया जा सकेगा कि वह ब्राजील के अपने उपभोक्ताओं से एकत्र डाटा इस देश के भीतर ही संग्रहीत करे। सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर तथा टेली कम्यूनिकेशन कम्पनियां ब्राजील की इस नई योजना का विरोध कर रही हैं, किन्तु राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ की ओर से सांसदों पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि वह इसी सप्ताह इस कानून को पास कर दें, ताकि ब्राजील के टेली कम्यूनिकेशन डाटा की बड़े पैमाने पर की जा रही जासूसी को रोका जा सके। अगर ब्राजील का यह कानून पास हो जाता है, तो इसका व्यापक असर गूगल, फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्क साइट्स पर होगा।
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30-10-2013, 03:43 AM | #33670 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
लापता बच्चों का पता लगाएगा मोबाइल
दक्षेस देशों में नई तकनीक का शुरू होगा इस्तेमाल कोलकाता। दक्षेस देशों की एक संस्था सीमा पार से मानव तस्करी से निपटने और लापता बच्चों का पता लगाने के लिए एक डिजिटल व्यवस्था को विकसित करने में जुटी है, जिसमें मोबाइल और जीपीएस तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। साउथ एशिया इनीशिएटिव टू एंड वायलेंस एगेंस्ट चिल्ड्रन (एसएआईईवीएसी) के महानिदेशक डॉ. रिनचेन छोपेल ने कहा कि अब हम गंभीरता से इस बारे में सोच रहे हैं कि किस प्रकार सीमा पार से जारी मानव तस्करी को डिजिटल तकनीक के माध्यम से रोक जा सकता है। उम्मीद है कि वर्ष 2015 के बाद, हमारे पास मोबाइल या जीपीएस तकनीक आधारित एक एकीकृत व्यवस्था होगी, जिसका इस्तेमाल दक्षेस के सभी आठ देशों में किया जा सकेगा। एसएआईईवीएसी दक्षिण एशिया में बच्चों को हिंसा, प्रताड़ना, शोषण, उपेक्षा तथा भेदभाव से संरक्षण प्रदान करती है। हाल ही में कोलकाता में चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट द्वारा लापता बच्चों पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग लेते हुए डॉ. छोपेल ने कहा था कि तकनीक मानव तस्करी का शिकार बने बच्चों का पता लगाने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की व्यवस्था के साथ, विभिन्न सरकारों के बीच सभी स्तरों पर आंकड़ों को साझा किया जाएगा, ताकि जब किसी देश में कोई बच्चा लापता होता है, तो पड़ोसी देशों की सरकारें उस पर सूचना हासिल कर सकें। इससे उनके लिए लापता बच्चे का पता लगाना और उसका पुनर्वास करने में उन्हें आसानी होगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस समय लापता और संवेदनशील बच्चों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक वेब आधारित व्यवस्था अपना रहा है। ऐसा अनुमान है कि हर साल पूरी दुनिया में करीब 12 लाख बच्चे मानव तस्करी का शिकार होते हैं और उन्हें वेश्यावृत्ति और जबरन विवाह का शिकार बनाया जाता है। इनमें से अधिकतर का इस्तेमाल सस्ते मजदूर, बंधुआ मजदूर, खेल-तमाशे और मानव अंगों की खेती के रूप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन्हें सशस्त्र समूहों में भी भर्ती किया जाता है। डॉ. छोपेल ने बताया कि एसएआईईवीएसी अब लापता बच्चों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होेंने कहा कि अपनी भू स्थिति के कारण भारत न केवल एक लक्षित देश है, बल्कि यह एक स्रोत और साथ ही मानव तस्करी के मार्ग के रूप में भी काम करता है। अधिकारी ने बताया कि इस समय दक्षेस देशों के बीच मानव तस्करी के पीड़ितों के सम्बंध में सीमा पारीय सहयोग के लिए कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है। हालांकि अब भारत और बांग्लादेश के बीच में एक आपसी सहमति ज्ञापन पर बातचीत हो रही है। दोनों देश सभी देशों में एक समान 1098 टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर सुनिश्चित करने पर भी काम कर रहे हैं।
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