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Old 17-05-2011, 01:25 AM   #371
Bond007
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Originally Posted by bhoomi ji View Post
साक्षत्कार और उस सूत्र का तो कोई लिंक ही नहीं था......आपने कैसे तुलना कर ली???
साक्षात्कार और उस विवादित/भयानक सूत्र का सीधा कोई लिंक नहीं था, बल्कि तुलना जितेन्द्र जी और अभिषेक जी द्वारा पहले की गई बातों के बीच की थी| साथ ही एक बहुत बड़ा क्लू इसी सूत्र में अभिषेक जी की प्रविष्टि थी जिसमें कहा गया था, "अब ये सूत्र 2 अप्रैल को खोला जाएगा"| यानी इनका झगड़ा 2 अप्रैल तक ख़तम हो जाना था| ऐसा क्या समाधान निकलने वाला था भला, जो सिर्फ 2 तारीख तक ही झगड़ा चलता?

साक्षात्कार सूत्र में आपसे बात करके सिर्फ अपने शक को यकीन में बदला था|
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मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
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Old 17-05-2011, 12:59 PM   #372
jitendragarg
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Originally Posted by bond007 View Post
जरूर लगा होगा| इस घटना से कुछ ही समय पहले मैंने कई लोगों को इस फोरम पर रजिस्टर करने के लिए कहा था| और ये सब देखकर मुझे शर्म महसूस हो रही थी कि कैसी जगह पर बुला लिया उन लोगों को | पता नहीं क्या सोचेंगे फोरम के लोगों के बारे में और मेरे बारे में कि कितनी गन्दी जगह पर आशियाना बनाए बैठा है | सौभाग्य से एक ही बंदे ने उस समय रजिस्टर किया था, और बाकियों से मैंने मना कर दिया था कि अब वहां मुलाकात नहीं हो पाएगी इसलिए रजिस्टर मत करो|
जिन बाकियों को मना किया था, उनको अब वापिस कौन बुलाएगा!
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Old 17-05-2011, 11:25 PM   #373
Bond007
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Originally Posted by jitendragarg View Post
जिन बाकियों को मना किया था, उनको अब वापिस कौन बुलाएगा!
मुझे नहीं पता......|
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Old 19-05-2011, 02:42 AM   #374
jai_bhardwaj
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प्राक्कथन
मेरा व्यक्तिगत विचार है कि किसी भी विवादित विषय पर परिचर्चा नहीं होनी चाहिए / इतिहास कभी भी विवादों से परे नहीं रहा है / एक ही घटना दो विभिन्न पहलुओं से देखने पर दो भिन्न भिन्न चित्रों को प्रतिपादित करती है / दोनों ही पक्ष विरोधाभाषी हो सकते है किन्तु दोनों ही अपने अपने दृष्टिकोण से सत्य भी होते हैं / रेल की पटरियों की भाँति सामानांतर सत्य !
प्रस्तावना
प्रस्तुत सूत्र भी आरोप और प्रत्यारोपों का सागर बन गया है / वर्तमान और निवर्तमान नियामकों के मध्य हुई वार्तालाप में सूत्र के कुछ पृष्ठ सामान्य सदस्यों के लिए 'मसाला' जैसे बन पड़े हैं / किसी भी स्थिति में ऐसी स्थिति से बचना चाहिए था / खैर यह सब भी अब 'इतिहास' बन चुका है /
हिंदी फोरम और भाईजी (मैं) दीपावली २०१० से एक सप्ताह पूर्व मैं एक व्यवसायिक यात्रा पर मैनपुरी और शिकोहाबाद के मध्य था तभी हिंदी फोरम के एक तत्कालीन नियामक ने मुझे दूरभाष पर संपर्क किया और कुछ अधिकार ग्रहण करने का आग्रह किया / मैंने उन्हें बताया कि (१) मैं मोबाइल से नेट पर आता हूँ अतः मेरी गति बहुत धीमी है ;(२) मैं तकनीकी जानकारी नहीं रखता हूँ और (३) मेरा फोरम पर आने का समय है रात्रि ११ बजे से अधिकतम तीन घंटों का है / ऐसी स्थिति में मैं फोरम में नियमन कार्य त्वरित गति से नहीं कर सकूंगा / तब उन्होंने कहा कि ये सब वे जानते हैं और जानते हुए ही आग्रह किया है / उन्होंने तत्काल लाग इन होकर सहमति देने को कहा / कार में होने के कारण मैंने उन्हें कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ तो उन्होंने सहमति का एस एम् एस करने को कहा / मैंने ऐसा कर दिया / कुछ ही देर बाद उन्होंने मुझे 'नियामक' बनने की सूचना दे दी /
अभिषेक और भाईजी
नियमन कार्य करते हुए कुछ ही दिन हुए थे कि एक दिन अभिषेक बन्धु का व्यक्तिगत सन्देश आया जिसमे उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन का सार संक्षेप दिया था / प्रतिउत्तर में मैंने भी अपने पारिवारिक और व्यावसायिक जीवन के पन्ने खोल दिए थे / तत्पश्चात दूरभाष का आदान प्रदान हुआ और फिर मध्यरात्रि में प्रतिदिन लम्बी लम्बी वार्ता होने लगी थी / विषय होता था फोरम की प्रगति / हम एक दूसरे के विचारों को समझते और एक निष्कर्ष के आने तक उन पर विस्तृत चर्चा करते / हम बहुत से फोरम चरित्रों की अच्छाईयों और बुराइयों पर विशद चर्चा भी करते थे /
अमित तिवारी और नियामक क्षेत्र
व्यावसायिक व्यस्तता के कारण मैं अधिक सक्रिय नहीं रह पा रहा था और इसकी जानकारी मैंने अभिषेक को दे भी दी थी / तब मैंने उनसे अपनी निष्क्रियता पर स्वयं को नियमन कार्य से च्युत करने का आग्रह भी किया था / किन्तु उन्होंने कहा था कि मैं अपनी सुविधानुसार फोरम भ्रमण करता रहूँ और नियमन कार्य देखता रहूँ / मैंने ऐसा ही किया / एक बार कई दिनों के बाद फोरम में आया तो अमित को नियामक क्षेत्र में उपस्थित पाया और वहां कुछ उथल पुथल और हलचलhttp://myhindiforum.com/showpost.php...&postcount=146 दिखी / क्योंकि मुझे वाद विवाद और आरोप प्रत्यारोपों से कष्ट होता है अतः मैंने नियामक क्षेत्र में जाना ही त्याग दिया अथवा कम से कम समय के लिए जाता किन्तु बिना किसी प्रतिक्रिया के वापस आ जाता था /
वयस्क विषय और हिंदी फोरम
दूरभाष पर अभिषेक की किन नियामकों से ऐसे विषय पर फोरम बनाने का दबाव बनाया गया मैं इस विषय में पूर्णतया अनजाना हूँ / मुझे स्मृत है कि एक बार aksh से अभिषेक बन्धु ने चुटकुले विभाग में कम प्रविष्टियों का जिक्र किया था तो aksh का उत्तर था कि उन्हें वयस्क चुटकुले अधिक आते हैं / तब अभिषेक ने सुझाव दिया था कि वे गुप्तांग और कामुक शब्दों को परिवर्तित करते हुए चुटकुले प्रविष्ट कर सकते हैं / जहां तक इस विषय में सबूत http://myhindiforum.com/showpost.php...ुत करने की बात है इस पर खालिद भाई ki http://myhindiforum.com/showpost.php...णी बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया है / वैसे क्या कभी फोरम संचालकों ने सोचा था कि इसे भविष्य में हिंदी में भी परिवर्तित करेंगे ? नहीं / किन्तु आज यह हिन्दीमय हो चुका है / भविष्य तो अनदेखा है उज्जवल भी है और निपट अन्धेरा भी हो सकता है / क्या कोई प्रबंध प्रतिनिधि फोरम के भविष्य के पांच वर्षो की छवि को यहाँ प्रस्तुत कर सकता है ? नहीं क्योंकि किसी को नहीं पता कि अगले पल क्या होने वाला है / जिस विषय पर इस सूत्र पर इतना वाद विवाद और आरोप प्रत्यारोप प्रकट हुए क्या जाने पांच वर्ष बाद फोरम उसी स्थिति में दृष्टिगत हो जाए ? मित्रों, कल्पना की कोई सीमा नहीं है और मनुष्य के विचार सतत परिवर्तनशील होते हैं / लुटेरा और डाकू एक दिन महर्षि (बाल्मीकि) कहलाया और सर्वाधिक स्नेह करने वाली माता एक रात्रि के उपरान्त कुमाता (कैकेई) कहलायी , ऐसा किसने सोचा था / हम सभी समय, स्थिति और स्थान के अनुरूप विचार करते हैं और उनका अनुपालन भी करते हैं /
उपसंहार
फोरम के इतिहास सूत्र में मुझे कुछ प्रविष्टियों http://myhindiforum.com/showpost.php...&postcount=183, http://myhindiforum.com/showpost.php...&postcount=155 को पढ़ कर पीड़ा हुई किन्तु सभी के विचार एक जैसे तो नहीं हो सकते / इसी इतिहास की एक मात्र प्रविष्टि मुझे सर्वोत्तम http://myhindiforum.com/showpost.php...1&postcount=12 प्रतीत हुई यदि इसी क्रम में सूत्र की रचना होती तो कदाचित सूत्र भी सर्वोत्तम होता / धन्यवाद मित्रों /

(संभावित शाब्दिक त्रुटियों को कृपया शुद्ध कर के पढ़ लें /)
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754

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Old 19-05-2011, 10:56 AM   #375
YUVRAJ
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आपने अपना नजरिया रखा है ...
इतिहास तो कहीं नजर नहीं आता ...
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Originally Posted by bhaaiijee View Post
प्राक्कथन
मेरा व्यक्तिगत विचार है कि किसी भी विवादित विषय पर परिचर्चा नहीं होनी चाहिए / इतिहास कभी भी विवादों से परे नहीं रहा है / एक ही घटना दो विभिन्न पहलुओं से देखने पर दो भिन्न भिन्न चित्रों को प्रतिपादित करती है / दोनों ही पक्ष विरोधाभाषी हो सकते है किन्तु दोनों ही अपने अपने दृष्टिकोण से सत्य भी होते हैं / रेल की पटरियों की भाँति सामानांतर सत्य !
प्रस्तावना
प्रस्तुत सूत्र भी आरोप और प्रत्यारोपों का सागर बन गया है / वर्तमान और निवर्तमान नियामकों के मध्य हुई वार्तालाप में सूत्र के कुछ पृष्ठ सामान्य सदस्यों के लिए 'मसाला' जैसे बन पड़े हैं / किसी भी स्थिति में ऐसी स्थिति से बचना चाहिए था / खैर यह सब भी अब 'इतिहास' बन चुका है /
हिंदी फोरम और भाईजी (मैं) दीपावली २०१० से एक सप्ताह पूर्व मैं एक व्यवसायिक यात्रा पर मैनपुरी और शिकोहाबाद के मध्य था तभी हिंदी फोरम के एक तत्कालीन नियामक ने मुझे दूरभाष पर संपर्क किया और कुछ अधिकार ग्रहण करने का आग्रह किया / मैंने उन्हें बताया कि (१) मैं मोबाइल से नेट पर आता हूँ अतः मेरी गति बहुत धीमी है ;(२) मैं तकनीकी जानकारी नहीं रखता हूँ और (३) मेरा फोरम पर आने का समय है रात्रि ११ बजे से अधिकतम तीन घंटों का है / ऐसी स्थिति में मैं फोरम में नियमन कार्य त्वरित गति से नहीं कर सकूंगा / तब उन्होंने कहा कि ये सब वे जानते हैं और जानते हुए ही आग्रह किया है / उन्होंने तत्काल लाग इन होकर सहमति देने को कहा / कार में होने के कारण मैंने उन्हें कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ तो उन्होंने सहमति का एस एम् एस करने को कहा / मैंने ऐसा कर दिया / कुछ ही देर बाद उन्होंने मुझे 'नियामक' बनने की सूचना दे दी /
अभिषेक और भाईजी
नियमन कार्य करते हुए कुछ ही दिन हुए थे कि एक दिन अभिषेक बन्धु का व्यक्तिगत सन्देश आया जिसमे उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन का सार संक्षेप दिया था / प्रतिउत्तर में मैंने भी अपने पारिवारिक और व्यावसायिक जीवन के पन्ने खोल दिए थे / तत्पश्चात दूरभाष का आदान प्रदान हुआ और फिर मध्यरात्रि में प्रतिदिन लम्बी लम्बी वार्ता होने लगी थी / विषय होता था फोरम की प्रगति / हम एक दूसरे के विचारों को समझते और एक निष्कर्ष के आने तक उन पर विस्तृत चर्चा करते / हम बहुत से फोरम चरित्रों की अच्छाईयों और बुराइयों पर विशद चर्चा भी करते थे /
अमित तिवारी और नियामक क्षेत्र
व्यावसायिक व्यस्तता के कारण मैं अधिक सक्रिय नहीं रह पा रहा था और इसकी जानकारी मैंने अभिषेक को दे भी दी थी / तब मैंने उनसे अपनी निष्क्रियता पर स्वयं को नियमन कार्य से च्युत करने का आग्रह भी किया था / किन्तु उन्होंने कहा था कि मैं अपनी सुविधानुसार फोरम भ्रमण करता रहूँ और नियमन कार्य देखता रहूँ / मैंने ऐसा ही किया / एक बार कई दिनों के बाद फोरम में आया तो अमित को नियामक क्षेत्र में उपस्थित पाया और वहां कुछ उथल पुथल और हलचलhttp://myhindiforum.com/showpost.php...&postcount=146 दिखी / क्योंकि मुझे वाद विवाद और आरोप प्रत्यारोपों से कष्ट होता है अतः मैंने नियामक क्षेत्र में जाना ही त्याग दिया अथवा कम से कम समय के लिए जाता किन्तु बिना किसी प्रतिक्रिया के वापस आ जाता था /
वयस्क विषय और हिंदी फोरम
दूरभाष पर अभिषेक की किन नियामकों से ऐसे विषय पर फोरम बनाने का दबाव बनाया गया मैं इस विषय में पूर्णतया अनजाना हूँ / मुझे स्मृत है कि एक बार aksh से अभिषेक बन्धु ने चुटकुले विभाग में कम प्रविष्टियों का जिक्र किया था तो aksh का उत्तर था कि उन्हें वयस्क चुटकुले अधिक आते हैं / तब अभिषेक ने सुझाव दिया था कि वे गुप्तांग और कामुक शब्दों को परिवर्तित करते हुए चुटकुले प्रविष्ट कर सकते हैं / जहां तक इस विषय में सबूत http://myhindiforum.com/showpost.php?p=82980&postcount=287प्रस्तुत करने की बात है इस पर खालिद भाई ki http://myhindiforum.com/showpost.php?p=83209&postcount=302टिप्पणी बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया है / वैसे क्या कभी फोरम संचालकों ने सोचा था कि इसे भविष्य में हिंदी में भी परिवर्तित करेंगे ? नहीं / किन्तु आज यह हिन्दीमय हो चुका है / भविष्य तो अनदेखा है उज्जवल भी है और निपट अन्धेरा भी हो सकता है / क्या कोई प्रबंध प्रतिनिधि फोरम के भविष्य के पांच वर्षो की छवि को यहाँ प्रस्तुत कर सकता है ? नहीं क्योंकि किसी को नहीं पता कि अगले पल क्या होने वाला है / जिस विषय पर इस सूत्र पर इतना वाद विवाद और आरोप प्रत्यारोप प्रकट हुए क्या जाने पांच वर्ष बाद फोरम उसी स्थिति में दृष्टिगत हो जाए ? मित्रों, कल्पना की कोई सीमा नहीं है और मनुष्य के विचार सतत परिवर्तनशील होते हैं / लुटेरा और डाकू एक दिन महर्षि (बाल्मीकि) कहलाया और सर्वाधिक स्नेह करने वाली माता एक रात्रि के उपरान्त कुमाता (कैकेई) कहलायी , ऐसा किसने सोचा था / हम सभी समय, स्थिति और स्थान के अनुरूप विचार करते हैं और उनका अनुपालन भी करते हैं /
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फोरम के इतिहास सूत्र में मुझे कुछ प्रविष्टियों http://myhindiforum.com/showpost.php...&postcount=183, http://myhindiforum.com/showpost.php...&postcount=155 को पढ़ कर पीड़ा हुई किन्तु सभी के विचार एक जैसे तो नहीं हो सकते / इसी इतिहास की एक मात्र प्रविष्टि मुझे सर्वोत्तम http://myhindiforum.com/showpost.php...1&postcount=12 प्रतीत हुई यदि इसी क्रम में सूत्र की रचना होती तो कदाचित सूत्र भी सर्वोत्तम होता / धन्यवाद मित्रों /

(संभावित शाब्दिक त्रुटियों को कृपया शुद्ध कर के पढ़ लें /)
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Old 19-05-2011, 12:04 PM   #376
arvind
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Originally Posted by yuvraj View Post
आपने अपना नजरिया रखा है ...
इतिहास तो कहीं नजर नहीं आता ...
ये इतिहास पर जय भाई की तरफ से टिप्पणी है।
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Old 19-05-2011, 12:28 PM   #377
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Originally Posted by bhaaiijee View Post
प्राक्कथन
मेरा व्यक्तिगत विचार है कि किसी भी विवादित विषय पर परिचर्चा नहीं होनी चाहिए / इतिहास कभी भी विवादों से परे नहीं रहा है / ..........

...... यदि इसी क्रम में सूत्र की रचना होती तो कदाचित सूत्र भी सर्वोत्तम होता / धन्यवाद मित्रों /

(संभावित शाब्दिक त्रुटियों को कृपया शुद्ध कर के पढ़ लें /)
जय भाई.....,
आपके बेबाक, निष्पक्ष और मूल्यवान विचारो से मुझे अति प्रसन्नता हुई है। मेरा भी यही मानना है कि हम सब एक परिवार की तरह है। ऐसा परिवार जो हिन्दी, भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों के प्रति समर्पित है। यह फोरम अभिषेक जी द्वारा उपलब्ध कराया गया एक ऐसा ही मंच है, जहा हम सब मिलकर हिन्दी के लिए कुछ सृजनात्मक कार्य कर सके। मैंने पहले भी लिखा है कि यह एक ऐसा पारिवारिक मंच है, जहा आप अपने किसी भी दोस्त या रिश्तेदार के साथ यहा आ सकते है और गर्व से कह सकते है कि मै भी इस फोरम का एक सदस्य हूँ।

परंतु अगर कोई भी इस मंच को गंदा करने की सोचता भी है या गंदी नजर भी डालता है तो ये मेरे जैसे कुछ "सरफिरो" को बर्दास्त नहीं होता और ऐसे मे बजाय "तटस्थ" रहने के "मुहतोड़" जवाब देने को तैयार हो जाते है। हम जिस जगह पर है और अपना समझते है, उसके बारे मे कोई भी कुछ गलत करे या सोचे तो उसको करारा जवाब मिलता आया है और आगे भी मिलेगा।
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Old 19-05-2011, 02:19 PM   #378
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हो सकता है अरविंद भाई जी ....
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Originally Posted by arvind View Post
ये इतिहास पर जय भाई की तरफ से टिप्पणी है।

Last edited by YUVRAJ; 19-05-2011 at 03:26 PM. Reason: edit for Chang
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Old 21-05-2011, 06:22 PM   #379
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Originally Posted by Bond007 View Post

खैर प्रबंधन को जो करना था किया, लेकिन मेरे (और अन्य कई सदस्यों के भी) दिमाग को अतिरिक्त टेंशन देने के जुर्म में तत्कालीन फोरम प्रबंधन को ताउम्र कोसता रहूंगा|


नियामकों से पंगे......
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Old 21-05-2011, 06:26 PM   #380
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Originally Posted by bhoomi ji View Post
साक्षत्कार और उस सूत्र का तो कोई लिंक ही नहीं था......आपने कैसे तुलना कर ली???

समझा करो भूमि जी,
ये जासूस हैं, कहीं का कनेक्शन कहीं ले जाकर बैठाते हैं.
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