31-10-2011, 08:12 PM | #31 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
उत्तरी गुवाहाटी ! पूर्वोत्तर राज्य असम को सामान्य तौर पर वनस्पतियों और जीवों से भरा पूरा माना जाता है। लेकिन पर्यावरणविदों ने सारस जिसे यहां आम बोलचाल की भाषा में ‘हरगिल्ला’ कहा जाता है, के लुप्त होने की आशंका जाहिर की है। इस पक्षी के लुप्त होने की आशंका की वजह मानवीय हस्तक्षेप और इस पक्षी के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। इस पक्षी के बारे में अनुसंधान कर रहे गैर-सरकारी संगठन ‘अर्ली बर्ड्स’ के मोली बरूआ हरगिल्ला को ‘लुप्त पक्षी’ बताते हैं। उन्होंने कहा कि इस पक्षी का सबसे बड़ा शत्रु मानव है। लोग धड़ले से पेड़ों को काट रहे हैं जहां हरगिल्ला अपना बसेरा बनाते है। बरूआ ने कहा कि इस पक्षी के बसेरे वाले क्षेत्र से दुर्गंध आने के कारण इस क्षेत्र के निकट बसे हुए लोग पेड़ों को काट रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह पक्षी सामान्य तौर पर सिमुलु के पेड़ों में अपना बसेरा बनाते है। ये पेड़ ज्यादातर ब्रम्हपुत्र नदी के दोनों ओर उत्तरी गुवाहाटी में पाए जाते हैं।’’ हाल ही में नगर और उसके आस पास किए गए गणना के मुताबिक केवल 127 हरगिल्ला बचे हैं। 2002 में इनकी संख्या 288 थी। इनकी संख्या 2003 में 203, 2004 में 233, 2005 में 247, 2006 में 167, 2007 में 118, 2008 में 147, 2009 में 147 और 2010 में 113 थी।
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31-10-2011, 08:52 PM | #32 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
ऐसा भी होता है !
महारानी के निधन की घोषणा करने का प्रशिक्षण दे रहा है बीबीसी : रिपोर्ट लंदन ! बीबीसी इन दिनों अपने सभी समाचार प्रस्तोताओं को ब्रिटेन की महारानी का निधन होने की सूरत में उनकी मृत्यु की घोषणा किस प्रकार की जाए, इसका प्रशिक्षण दे रहा है । वर्ष 2002 में राजमाता के निधन की घोषणा के तौर तरीकों को लेकर बीबीसी को काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा था। वरिष्ठ समाचार वाचक पीटर सिसोन स्लेटी रंग के सूट और मैरून रंग की टाई लगाकर स्क्रीन पर राजमाता के निधन की घोषणा करने चले गए थे । इस बार भी इसी प्रकार की फजीहत से बचने के लिए समाचार प्रस्तोताओं को महारानी ऐलिजाबेथ द्वितीय के निधन की घोषणा करने के संबंध में प्रशिक्षित किया जा रहा है । दी संडे टाइम्स समाचारपत्र ने यह जानकारी दी है । बीबीसी के कालेज आफ जर्नलिज्म में समाचार वाचकों को एक छद्म वीडियो दिखाया जा रहा है जिसमें ह्यू एडवर्ड महारानी ऐलिजाबेथ द्वितीय के निधन की घोषणा कर रहे हैं । दैनिक ने एक बीबीसी सूत्र के हवाले से बताया, ‘‘ सभी समाचार संगठनों की तरह बीबीसी भी योजना बनाकर काम करता है । हम कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं कि उनसे क्या उम्मीद की जाती है ।’’दैनिक ने लिखा है कि अलमारी में सादगीपूर्ण कपड़ों का सेट रखा रहता है ताकि इस प्रकार की घोषणा करने के लिए समाचार प्रस्तोता उन्हें तुरंत पहन सकें ।
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31-10-2011, 09:25 PM | #33 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
जीन संवर्धित मच्छर निपटेंगे डेंगू बुखार से
लंदन ! जीन संवर्धित मच्छर डेंगू बुखार और अन्य कीट-जन्य रोगों का मुकाबला करने में प्रभावी साबित हो सकते हैं। डेंगू एडीज एजिप्टाई मच्छर के काटने पर एक विषाणु के संचरित होने से पैदा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि हर साल डेंगू के पांच करोड़ मामले सामने आते हैं और यह संख्या हर साल बढती जा रही है। अब तक इस रोग का मुकाबला करने के लिए कोई टीका विकसित नहीं किया जा सका है। बीबीसी के अनुसार, ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक दल ने केमेन द्वीपों के डेंगू प्रभावित हिस्सोें के बारे में दावा किया है कि यहां के जीन संवर्धित नर मच्छरों ने सफलतापूर्वक जंगली मादा मच्छरों के साथ समागम किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पहले जंगली स्थिति में ऐसा समागम नहीं देखा गया था और इससे रोग के वाहक मच्छरों की संख्या को रोका जा सकता है।
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31-10-2011, 09:50 PM | #34 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
क्या महज दिमागी बहकावे की उपज है ‘सूक्ष्म शरीर का अनुभव?’
लंदन ! शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में कहा है कि सूक्ष्म शरीर का अनुभव जैसी घटना कुछ और नहीं बल्कि हमारे दिमाग के बहकावे का नतीजा है। एडिनबर्ग और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का दावा है कि अस्पताल के बिस्तर से उपर उठने और किसी प्रकाश पुंज की तरफ आकर्षित होकर चलने जैसी घटनाओं का वर्णन इंसानी दिमाग के आधार पर किया जा सकता है जो हमें मृत्यु की प्रक्रिया का अहसास कराती हैं। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने दिमागी परिवर्तनों से संबंधित उन अध्ययनों की समीक्षा की जो मौत के नजदीक वाली स्थिति के अनुभव के लिए जिम्मेदार होती हैं। अखबार डेली मेल ने प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर कैरोलिन वाट के हवाले से कहा कि मौत के बाद वाली स्थिति की तरफ आकर्षित करने वाले प्रकाश पुंज देखने जैसी घटना, उन कोशिकाओं के मृत होने से घटित होती हैं जो हमारे आंखों पर पड़ने वाले प्रकाश को चित्रों में परिवर्तित करती है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका सबसे बढिया स्पष्टीकरण यह है कि आप अध्यात्म में विचरण नहीं करते हैं बल्कि यह आपका दिमाग है जो अनोखे अनुभवों का अहसास कराता है।’’
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31-10-2011, 10:12 PM | #35 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
विश्व में 20 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं :आईएलओ
जिनीवा ! मौजूदा वैश्विक आर्थिक हालात के कारण रोजगार के अवसर में कमी आ रही है जिससे हाल में सुधार में देरी हो सकती और कई देशों में सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है। यह चेतावनी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने जी-20 सम्मेलन से पहले जारी रपट में दी। रपट में संकेत दिया गया है कि अगले दो साल में आठ करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे ताकि संकट पूर्व रोजगार के स्तर पर वापस आया जा सके । उक्त आठ करोड़ में से 2.7 करोड़ रोजगार के अवसर विकसित अर्थव्यवस्थाओं में और शेष अवसर उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में पैदा होने चाहिए। हालांकि वृद्धि में हाल में हुई कमी से संकेत मिलता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था जरूरत के मुकाबले सिर्फ आधी मात्रा में रोजगार पैदा कर सकती है। आईएलओ ने कहा कि जहां तक मौजूदा रूझान का संबंध है विकसित अर्थव्यवस्थाओं को रोजगार के मामले में पुन: संकट पूर्व के स्तर पर आने में कम से कम पांच साल लगेंगे। वैश्विक रोजगार दृष्टिकोण भयानक है क्योंकि विश्व भर में 20 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं। रपट के मुताबिक करीब दो तिहाई विकसित देशों और आधी उभरती व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार में कमी फिर से दिखने लगी है। जी-20 के नेता तीन और चार नवंबर को फ्रांस के कान शहर में बैठक कर रहे हैं और वे यूरो क्षेत्र के रिण संकट समेत वैश्विक समस्या से निपटने के लिए तरीके खोजने की कोशिश करेंगे।
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31-10-2011, 10:17 PM | #36 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
अब पहले चल सकेगा हार्टअटैक का पता
वाराणसी । काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के कुलपति और डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक डा. लालजी सिंह ने आज दावा किया कि बायोसीन वाईडिंग प्रोटीन सी थ्री नामक जीन की जांच के जरिये अब यह पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा किसी को हार्टअटैक कब होगा। सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा कि हार्ट अटैक का पता लगाने वाली दवा की खोज चल रही है जिससे रोगी का उपचार समय पर किया जा सकेगा । उन्होंने कहा कि मानव शरीर में तीस हजार जीन पाये जाते हैं। प्रत्येक जीन मां व पिता से आते हैं।अगर किसी बच्चे के शरीर में माता पिता के माध्यम से मायोसीन वाइंडिंग प्रोटीन सी थ्री नामक एक एक जीन आ ज़ुए और दोनों जीन खराब हो तो बच्चा या तो जन्म लेने के तत्काल बाद मर जायेगा या एक दो साल तक जीवित रह सकेगा । उन्होंने कहा कि यदि माता पिता के मायोसीन वाइंडिंग प्रोटीन सी थ्री नामक जीन में कोई एक जीन खराब होगा तो वह 50 साल तक जिंदा रह सकेगा ।
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31-10-2011, 10:44 PM | #37 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
छात्रा को मिला कैंसर रोधी दवाओं पर शोध पेटेंट
हिसार । हरियाणा के हिसार की एक छात्रा ने कैंसर रोधी दवाओं में इस्तेमाल होने वाले रसायन का पेटेंट हासिल किया है। किसी छात्र के शोध को पेटेंट प्राप्त होने का यह विश्व में पहला वाकया है। हिसार के गुरूजम्भेश्वर विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाली मीनाक्षी पाल ने अरनीबिया पौधे से पूरे वर्ष शिकोनिन प्राप्त करने में सफलता हासिल की है। इससे पहले यह पौधा केवल तीन महीने ही शिकोनिन देता था। शिकोनिन ज्यादा मात्रा में मिलने से कैंसर व अन्य रोगों के इलाज में काम आने वाली दवाइयां सस्ती प्राप्त हो सकेगी। डा. मीनाक्षी पाल ने टीशू कल्चर व जेनेटिक ट्रांसफरमेशन तकनीकी के माध्यम से प्रयोगशाला में अरनिबिया पौधे से साल भर शिकोनिन प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है। इस शोध को बाकायदा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट भी प्राप्त हो गया है। पिछले दिनों विश्वविद्यालय ने डा. मीनाक्षी पाल को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया था। उनके शोध को भारत सरकार और पूरे यूरोप ने पेटेंट प्रदान कर दिया है और इसके साथ ही यह शोध अब फार्मेसी में दवाइयां बनाने के काम आ सकेगा। अरनीबिया एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिससे निकलने वाले केमिकल शिकोनिन का एंटी कैंसर, एंटी नियो प्लास्टिक, एंटी फंगल दवा बनाने के लिए औषधि निर्माण क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है। फूड इंडस्ट्री व फैशन इंडस्ट्री में भी इस केमिकल की खासी मांग है। डा. मीनाक्षी अरनिबिया पौधे के अलावा जेटरोफा पौधे से बायो डीजल प्राप्त करने के लिए भी शोध कर रही है।
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01-11-2011, 06:43 PM | #38 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
दुकानों के अंदर तक ले जायेगा गूगल मैप
सैन फ्रान्सिस्को ! गूगल की नि:शुल्क सेवा ‘गूगल मैप्स’ अब आपको दुकानों, रेस्तरां, जिम आदि के भीतर की तस्वीर भी दिखाने जा रहा है। पिछले साल अप्रैल में एक परीक्षण के दौरान ही दुकानों के भीतर ली गई विभिन्न तस्वीरों को श्रंखलाबद्ध तरीके से दिखाया गया था। गूगल की प्रवक्ता डियेना यिक ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में ऐसी अंदरूनी तस्वीरों को लेकर लोगों का रुझान बढ रहा है। जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका जैसे देशों में कई छोटे दुकानदार भी अपने प्रतिष्ठानों के भीतर की तस्वीरें लेने के लिये छायाकारों को बुला रहे हैं। इन तस्वीरों को गूगल मैप पर डाला जायेगा। इन तस्वीरों के माध्यम से साइट पर जानकारी जुटाने वाले लोग खुद को इन प्रतिष्ठानों के भीतर महसूस करेंगे। हालांकि लोगों की गोपनीयता के मसले को लेकर इन तस्वीरों में गूगल ने पास खड़े लोगों के चेहरों को धुंधला कर दिया है।
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01-11-2011, 06:48 PM | #39 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
अब छिपकली की तरह दीवारों पर रेंगने वाला रोबोट
पेरिस ! छिपकली की शारीरिक रचना से प्रेरित होकर वैज्ञानिकों ने एक टैंक के आकार का बिना चेहरे और बिना हाथों वाला रोबोट विकसित किया है जो बिना किसी गोंद या चिपचिपे तरल पदार्थ के दीवारों पर चल और रेंग सकता है। 249 ग्राम के इस रोबोट से 240 ट्रैक जुड़े हैं जिन्हें सूखे माइक्रोफाइबर्स से ढका गया है । इसकी मदद से यह रोबोट आसानी से खिड़कियों और दीवारों से चिपककर चल सकता है। छिपकली दीवार पर सेटाई नाम के बालों की मदद से चलती है जिससे दीवार पर आणविक आकर्षण उत्पन्न होता है। इस आणविक बल को वान डर वाल्स बल कहते हैं। ब्रिटेन की शोध पत्रिका ‘स्मार्ट मैटेरियल्स एंड स्ट्रक्चर’ में प्रकाशित खबर के अनुसार इस रोबोट की पट्टियां मशरूम के आकार की पॉलीमर माइक्रोफैब्रिक्स टोपियों से जुड़ी हैं। ये टोपियां 0.017 मिलीमीटर चौड़ी और 0.01 मिलीमीटर उंची हैं। इसकी तुलना में इंसान के बाल का आकार लगभग 0.1 मिलीमीटर घना होता है। कनाडा के सिमोन फ्रेजर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जेफ क्रान ने कहा, ‘‘वान डर वाल्स बल के अपेक्षाकृत कमजोर होने पर पॉलीमर टोपियां रोबोट और सतह के बीच संपर्क को अधिकतम स्तर तक बढा देती है जिससे यह रोबोट आसानी से दीवारों पर चढ और रेंग सकता है।’’
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01-11-2011, 07:08 PM | #40 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
एक अरब साल पुराने जीवाणु का ‘सृजन’
वाशिंगटन ! वैज्ञानिकों ने एक अरब साल पुराने जीवाणु एन्जाइम बनाने का दावा किया है। साथ ही इस दल ने इस जीव के एक अरब साल पहले से वर्तमान समय तक विकास बताने वाले एन्जाइम का निर्माण किया है। जर्नल आॅफ मोलेक्यूलर बायोलॉजी एंड एवोल्यूशन के मुताबिक वैकाटो विश्वविद्यालय ने नए अभिकलन तकनीक के जरिये एक प्राचीन जीवाणु के आकार, रूप और संयोजन की सही भविष्यवाणी की है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक अरब साल पुराने बैसिलस जीवाणु एन्जाइम बनाकर आधुनिक जीवाणु के जरिये प्राचीन प्रोटीन का निर्माण किया। वैज्ञानिकों के दल के सदस्य जो हॉब्बस ने कहा, ‘‘हमलोगों ने एक अरब साल पुराने प्रोटीन एन्जाइम बनाने में सफलता प्राप्त की है जो कि प्रयोगशाला में भी काम करता है।’’ इसके साथ ही इस दल ने इस जीव के एक अरब साल पहले से वर्तमान समय तक विकास बताने वाले एन्जाइम का निर्माण किया है।
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