29-12-2013, 04:35 PM | #31 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
अमिताभ बच्चन जिंदगी को पूरी शिद्दत से जीते हैं. वे अपनी जीवनशैली और खानपान में भले ही सादगी पसंद करते हो, लेकिन निजी जिंदगी में कई चीजों के शौकीन भी हैं. चांदी के बरतन में भोजन: अमिताभ अपने घर आये मेहमान का स्वागत बेहद पारंपरिक अंदाज में करते हैं. वे चांदी के बरतन में ही भोजन परोसते हैं. उनका मानना है कि इससे भोजन का स्वाद बढ़ जाता है. अमिताभ घर आये खास मेहमानों को खुद अपने हाथों से खाना परोसते हैं. कलाई की घड़ी: अमिताभ बच्चन को कलाई घड़ियां कलेक्ट करना बेहद पसंद हैं. उनके घर में बकायदा घड़ियों के कलेक्शन के लिए बिल्कुल अलग जगह बनायी गयी है, जहां वे अपनी घड़ियों को सजा कर रखते हैं. कार: बिग बी कारों के भी बड़े शौकीन हैं. उनके पास लगभग 14 कारें हैं. अमिताभ के पास लगभग तीन बीएमडब्ल्यू व तीन मर्सिडीज कार हैं. जगह न रहने के कारण अमिताभ अपनी कई कारें होटल जे डब्ल्यू मैरियट में पार्क करते हैं. उनकी कई कारें बुलेटप्रूफ भी हैं. कलम: अमिताभ को कलम एकत्रित करने का भी हमेशा से शौक रहा है. वे बचपन से ही कलम इकट्ठा करते थे. उनके पास दुनिया के विभिन्न देशों के अदभुत कलम हैं. वे जिस शहर में भी जाते हैं, वहां की कलम जरूर खरीदते हैं. उनके पास लगभग हजार से भी ज्यादा कलमों का संग्रह है. शॉल: अमिताभ को शॉल एकत्रित करने में भी काफी दिलचस्पी है. आमतौर पर वे घर पर कुरता-पायजामा और शॉल ओढ़ना ही पसंद करते हैं. सूट: अमिताभ बच्चन सूट के भी शौकीन हैं. उन्हें सबसे ज्यादा गबाना के सूट पसंद हैं. वे पिछले 30 साल से उनके सूट पहनते आ रहे हैं. उनके सूट को तैयार करने के लिए फैबरिक्स इटली से मंगाये जाते हैं. इस पर फ्रांस के धागों और इंग्लैंड के बटन का इस्तेमाल होता है. घूमना-फिरना: अमिताभ को लंदन घूमना बेहद पसंद है. वे लंदन जाने पर वहां के सबसे महंगे होटल ‘संत जेम्स कोर्ट’ में ठहरना पसंद करते हैं. पुरानी चीजों का संग्रह: अमिताभ अपनी जिंदगी को पूरी तरह व्यवस्थित रखना पसंद करते हैं. उन्होंने अपने पिता की सारी रचनाओं को और पांडुलिपियों को संग्रहित किया है. वे अपने माता-पिता से जुड़ी छोटी-से-छोटी वस्तु को संजो कर रखते हैं. इसके अलावा अमिताभ को उनके फैन जो भी वस्तु या तोहफे प्यार से देते हैं, उन्हें भी वह अपने ऑफिस या घर की दीवारों पर सजाना पसंद करते हैं. Last edited by rajnish manga; 29-12-2013 at 04:52 PM. |
05-01-2014, 07:38 PM | #32 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
हारुकि मुराकामी
(जापानी लेखक) राइटर्स ब्लॉक बहुत ख़राब चीज़ होती है. जो न कराए सो कम. जैसे क्रिकेटर फॉर्म खो जाने से खौफ़ खाते हैं, वैसे ही लेखक ब्लॉक से. एक लेखक ने इस बात का मज़ाक उड़ाते हुये बहुत ही बेरहम बात करते कही थी कि जो लेखक बहुत नखरे करते हैं, लिखने के लिए ढेर सारी मांग करते हैं, मन की शांति से लेकर धन की शांति तक, वे दरअसल फर्स्ट रेट लेखक होते ही नहीं. राइटर्स ब्*लॉक से जूझने का लेखकों का तरीक़ा कई बार अद्भुत होता है. जैसे हारुकि मुराकामी ने तो पूरी एक किताब ही इस पर लिख दी है. उनके संस्मरणों की किताब ‘व्हाट आय टॉक व्हेन आय टॉक अबाउट रनिंग’ दौड़ने की उनकी आदत के बहाने उनकी रचना-प्रक्रिया की पड़ताल है. अपनी किताबों के कई हिस्से उन्होंने दौड़ते हुए ही सोचे हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 05-01-2014 at 07:42 PM. |
06-01-2014, 10:57 PM | #33 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
निकोलस केज (Nicholas Cage):
अमरीकी फिल्म अभिनेता, निर्माता-निर्देशक (जन्म: 7 जनवरी, 1964) 2010 में “द सन” को दिए गये एक इंटरव्यू में निकोलस केज ने बताया था कि वे उन्हीं जानवरों का मांस खाना चाहते हैं जिनकी मैथुन क्रियाओं को वो सम्मानजनक समझते हैं. “मेरा ख़याल है कि मछलियाँ सैक्स के मामले में सौम्य होती हैं. इसी प्रकार पक्षियों में भी यही बात देखी जा सकती है. लेकिन सूअर ऐसे नहीं होते. इसलिये मैं सूअर का गोश्त या इसी तरह की और चीजे नहीं खाता. मैं मछली और पक्षी खाना पसंद करता हूँ.” केज ने बताया. आपको यह जान कर हैरानी होगी कि निकोलस केज अपने बचपन और युवावस्था में कॉमिक बुक्स के बड़े रसिया थे. सन 2002 में उन्होंने अपनी 400 पुरानी कॉमिक बुक्स की हेरिटेज नीलामी करवाई जिससे उन्हें $1.6 m (10 लाख 60 हजार डॉलर) की प्राप्ति हुयी. उसने अपने बेटे वेस्टन के साथ एक कॉमिक बुक की भी शुरुआत की है. इसका नाम है – वूडू चाइल्ड (voodoo child). हमारी और से उन्हें जन्मदिन की शुभकामनायें.
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25-01-2014, 02:08 PM | #34 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
विंस्टन चर्चिल की दिनचर्या
ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल के प्रतिदिन की व्यवस्था में फेर बदल नहीं होता था. लेखक करी मेसन ने अपनी पुस्तक “कलाकारों की दिनचर्या” में चर्चिल के कार्यक्रमों के बारे में जो बताया है वह नीचे दर्शाया जा रहा है: शाम 5 बजे > प्रधान मंत्री हल्की व्हिस्की सोडे के साथ लेते थे. इसके बाद वह डेढ़ घंटे के लिये नींद लिया करते थे. चर्चिल इसको सिएस्टा या झपकी कहते थे जिसकी वजह से वह 24 घंटे में डेढ़ दिन जितना कार्य कर लेते थे. जब वह सो कर उठते तो वह नहा कर डिनर के लिये तैयार होते. शाम 8 बजे > चर्चिल डिनर करते जिसके बाद वह ड्रिंक्स लिया करते और सिगार पीते. यह सब कुछ मध्य रात्रि तक चला करता. अपनी नींद के अनियमित होने के कारण युद्ध के दिनों में वह अपनी ‘युद्ध मंत्रिमंडल की बैठकें अपने बाथ-टब में बैठे हुये लिया करते थे.
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22-05-2014, 12:09 AM | #35 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
^^ सुप्रसिद्ध ‘जेम्स बॅांड’ सीरीज़ के लेखक इयान फ्लेमिंग सोने के टाइप राइटर पर उपन्यास की कथा टाइप करते थे. इयान फ्लेमिंग ने न्यूयॉर्क की रॉयल टाइप राइटर कं. से सोने के पुर्जों वाला टाइप राइटर बनवाया था. अपने पहले उपन्यास के मसौदे में सुधार भी इस नये टाइप राइटर पर ही किया गया था. यह उपन्यास और इस उपन्यास का जासूस नायक जेम्स बांड अत्यधिक लोकप्रिय सिद्ध हुये. इयान फ्लेमिंग ने अपने पहले उपन्यास के बाद इसी टाइप राइटर पर अन्य बहुत से उपन्यास लिखे. 1952 में खरीदे गये टाइप राइटर पर इयान फ्लेमिंग 1964 तक यानि अपनी मृत्युपर्यन्त काम करते रहे. उनके सभी उपन्यास और कथाएं बेहद लोकप्रिय साबित हुईं और उन पर बनी सफल फिल्मों ने आधुनिक जासूसों और उनके जासूसी कारनामों की अलग रूमानी शैली संसार के सामने पेश की जो बेहद मक़बूल हुई. जेम्स बांड सिलसिले पर आज भी नई फ़िल्में बनाई जा रही हैं.
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25-05-2014, 01:38 AM | #36 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
Gabriel Garcia Marquez
^ ^ ^ गैब्रियल गार्सिया मार्केज के लिखने की आदतें बेहद दिलचस्प थीं। उन्होंने हमेशा टाइपराइटर पर लिखा। वह सिर्फ दो उंगलियों से टाइप करते थे। दोनों हाथों की तर्जनी से। अगर उनकी मेज पर पीला गुलाब न हो, तो वह लिख नहीं पाते थे। वह अपने लिखे हुए को शब्दों में नहीं मापते थे, बल्कि मीटर में मापते थे, क्योंकि शुरुआती दिनों में वह कागज की लंबी रिम पर लिखा करते थे।
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19-06-2014, 01:00 AM | #37 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
ऐसे लिखते थे डॉ. राही मासूम रज़ा (उनकी पत्नी नैय्यर साहिबा के एक इंटरव्यू से) उनके काम करने का ढंग ये था कि जैसे तीन फ़िल्मों की स्क्रिप्ट रख ली सामने। एक का लिख रहे हैं अब... फिर वहाँ से दिमाग़ का स्विच ऑफ़ किया और दूसरी स्क्रिप्ट पर काम शुरू। ऐसे लिखते थे। फ़िल्म वालों में आम चीज है कि हमारे लिए होटल में कमरा कर दीजिए तब लिखेंगे हम। मासूम का कहना था कि मैं सिर्फ़ घर में लिख सकता हू - जहाँ मुझे मेरी बीवी और बच्चों की आवाजें सुनाई देती रहें। वो कहीं होटल-वोटल में लिखते ही नहीं थे। घर पर हम लोग बात भी कर रहे हैं, बच्चे खेल भी रहे हैं, शोर मचा रहे हैं, म्यूजिक बज रहा है - जब वो स्विच ऑफ़ कर लेते थे दिमाग को- तो असर नहीं होता था उन पर। चाय-दिन में कम से कम पचास बार - जिसमें न शकर, न दूध।
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19-06-2014, 05:53 PM | #38 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
सुंदर प्रस्तुति...
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28-11-2014, 11:56 PM | #39 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
हिंदी के मूर्धन्य कथाकार- उपन्यासकार रांगेय राघव के बारे में लेखक अजित कुमार बताते हैं कि उनकी उपन्यास लेखन की शैली चकित करने वाली थी. राघव जी एक बड़ा सा रजिस्टर ले कर उसमे विभिन्न अध्यायों की क्रम संख्या दर्ज कर लेते थे. हर अध्याय के लिए पन्ने छोड़ते चलते थे. इस प्रकार वह बाद वाला अध्याय पहले और पहले वाला अध्याय बाद में लिख लिया करते थे. कभी कभी बीच के अध्याय भी लिखने शुरू कर देते थे. राघव जी द्वारा लिखित "मुर्दों का टीला" उपन्यास की पांडुलिपि इसी पद्धति से तैयार की जा रही थी जिसे उन्होंने स्वयं देखा था.
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30-11-2014, 09:30 AM | #40 |
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
nice information
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