My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 22-12-2013, 10:33 AM   #31
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

किस्सा हूर और लंगूर का
(वाया गली मुहावरों वाली)

आप जितने भी जोड़े देखते होंगे उनमें से 95 प्रतिशत बेमेल ही मिलेंगे। पता नहीं क्या जादू है कि हमेशा हूर लंगूर के हाथों ही आ फँसती है। हमारे हाथ में भी आखिरकार एक हूर लग ही गई थी, आज से छत्तीस साल पहले।

जब शादी नहीं हुई थी हमारी तो बड़े मजे में थे हम।अपनी नींद सोते थे और अपनी नींद जागते थे।न ऊधो का लेना था न माधो का देना। हमारा तो सिद्धान्त ही थाआई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक। याने कि अपने बारे में हम इतना ही बता सकते हैं किआगे नाथ न पीछे पगहा। किसी केतीन-पाँच में कभी रहते ही नहीं थेहम।बसअपने काम से काम रखते थे। हमारे लिये सभी लोग भले थे क्योंकि आप तो जानते ही हैं किआप भला तो जग भला।

पर थे एक नंबर के लंगूर हम। पर पता नहीं क्या देखकर एक हूर हम पर फिदा हो गई। शायद उसने हमारी शक्ल पर ध्यान न देकर हमारी अक्ल को परखा रहा होगा और हमेंअक्ल का अंधापाकर हम पर फिदा हो गई रही होगी। या फिर शायद उसने हमेंअंधों में काना राजासमझ लिया होगा। या सोच रखा होगा कि शादी उसी से करो जिसे जिन्दगी भर मुठ्ठी में रख सको।

बस फिर क्या था उस हूर ने झटपट हमारी बहन से दोस्ती गाँठ ली और रोज हमारे घर आने लगी। अच्छी मति चाहो, बूढ़े पूछन जाओ वाले अन्दाज में हमारी दादी माँ को रिझा लिया। हमारे माँ-बाबूजी की लाडली बन गई। इधर ये सब कुछ हो रहा था और हमें पता ही नहीं था कि अन्दर ही अन्दर क्या खिचड़ी पक रही है

इतना होने पर भी जब उसे लगा किदिल्ली अभी दूर हैतो धीरे से हमारे पास आना शुरू कर दिया पढ़ाई के बहाने। किस्मत का फेर, हम भी चक्कर में फँसते चले गये। कुछ ही दिनों मेंआग और घी का मेलहो गया। आखिरएक हाथ से ताली तो बजती नहीं। हम भी ओखली में सर दिया तो मूसलो से क्या डरनाके अन्दाज में आ गये। उस समय हमें क्या पता था किअकल बड़ी या भैंस। गधा पचीसी के उस उम्र में तो हमेंसावन के अंधे के जैसा हरा ही हरा सूझता था। अपनी किस्मत पर इतराते थे और सोचते थे किबिन माँगे मोती मिले माँगे मिले ना भीख

अबअपने किये का क्या इलाज? दुर्घटना घटनी थी सो घट गई। उसके साथ शादी हो गई हमारी। आज तक बन्द हैं हम उसकी मुठ्ठी में और भुगत रहे हैं उसको।अपने पाप को तो भोगना ही पड़ता है। ये तो बाद में समझ में आया किलंगूर के हाथ में हूरफँसती नहीं बल्कि हूर ही लंगूर को फाँस लेती हैं। कई बार पछतावा भी होता है परअब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
(साभार: जी.के.अवधिया)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-12-2013, 08:33 PM   #32
internetpremi
Diligent Member
 
internetpremi's Avatar
 
Join Date: Jul 2013
Location: California / Bangalore
Posts: 1,335
Rep Power: 46
internetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond reputeinternetpremi has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

Thanks for this great "all in one" thaali. Delicious indeed.
internetpremi is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2013, 02:30 PM   #33
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

विनाश काले विपरीत बुद्धि

पाण्डवों के वन जाने के बाद नगर में अनेक अपशकुन हुए। उसके बाद नारदजी वहां आए और उन्होंने कौरवों से कहा कि आज से ठीक चौदह वर्ष बाद पाण्डवों के द्वारा कुरुवंश का नाश हो जाएगा. (कुछ ).... द्रोणाचार्य की बात सुनकर धृतराष्ट्र ने कहा गुरुजी का कहना ठीक है। तुम पाण्डवों को लौटा लाओ। यदि वे लौटकर न आवें तो उनका शस्त्र, सेवक और रथ साथ में दे दो ताकि पाण्डव वन में सुखी रहे। यह कहकर वे एकान्त में चले गए। उन्हें चिन्ता सताने लगी उनकी सांसे चलने लगी। उसी समय संजय ने कहा आपने पाण्डवों का राजपाठ छिन लिया अब आप शोक क्यों मना रहे हैं? संजय ने धृतराष्ट्र से कहा पांडवों से वैर करके भी भला किसी को सुख मिल सकता है। अब यह निश्चित है कि कुल का नाश होगा ही, निरीह प्रजा भी न बचेगी।

सभी ने आपके पुत्रों को बहुत रोका पर नहीं रोक पाए। विनाशकाल समीप आ जाने पर बुद्धि खराब हो जाती है। अन्याय भी न्याय के समान दिखने लगती है। वह बात दिल में बैठ जाती है कि मनुष्य अनर्थ को स्वार्थ और स्वार्थ को अनर्थ देखने लगता है तथा मर मिटता है। काल डंडा मारकर किसी का सिर नहीं तोड़ता। उसका बल इतना ही है कि वह बुद्धि को विपरित करके भले को बुरा व बुरे को भला दिखलाने लगता है। धृतराष्ट्र ने कहा मैं भी तो यही कहता हूं।

द्रोपदी की दृष्टि से सारी पृथ्वी भस्म हो सकती है। हमारे पुत्रों में तो रख ही क्या है? उस समय धर्मचारिणी द्र्रोपदी को सभा में अपमानित होते देख सभी कुरुवंश की स्त्रियां गांधारी के पास आकर करुणकुंदन करने लगी। ब्राहण हमारे विरोधी हो गए। वे शाम को हवन नहीं करते हैं। मुझे तो पहले ही विदुर ने कहा था कि द्रोपदी के अपमान के कारण ही भरतवंश का नाश होगा। बहुत समझा बुझाकर विदुर ने हमारे कल्याण के लिए अंत में यह सम्मति दी कि आप सबके भले के लिए पाण्डवों से संधि कर लीजिए। संजय विदुर की बात धर्मसम्मत तो थी लेकिन मैंने पुत्र के मोह में पड़कर उसकी प्रसन्नता के लिए उनकी इस बात की उपेक्षा कर दी।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 07-01-2014, 04:23 PM   #34
Dr.Shree Vijay
Exclusive Member
 
Dr.Shree Vijay's Avatar
 
Join Date: Jul 2013
Location: Pune (Maharashtra)
Posts: 9,467
Rep Power: 117
Dr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond repute
Thumbs up Re: मुहावरों की कहानी

Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post
किस्सा हूर और लंगूर का (वाया गली मुहावरों वाली)
(साभार: जी.के.अवधिया)
Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post
विनाश काले विपरीत बुद्धि
श्री जी.के.अवधिया - के लिए कौवे के गले में मोतियों की माला.....

श्री ध्रतराष्ट्र जी - के लिए अक्ल के अन्धो कों कोई कैसे समझा सकता हैं..........

दोनों ही बेहतरीन हैं.............
__________________


*** Dr.Shri Vijay Ji ***

ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे:

.........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :.........


Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread.



Dr.Shree Vijay is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2014, 04:13 PM   #35
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

मुहावरे में कुत्ता
(आलेख: वीरेन्द्र जैन)

कुत्ता बहुत पुरानी जाति है। पाण्डव स्वर्ग जाते हुये अपने कुत्ते को स्वर्ग में भी साथ ले गये थे और उसके बिना युधिष्टर ने स्वर्ग में जाने से भी मना कर दिया था। तब से ही यह परम्परा चल पड़ी है कि जो भी बड़ा आदमी कहीं जा रहा है उसके पीछे पीछे उसके कुत्ते भी जाते हैं। परम्परा बड़ी खराब चीज़ होती है जो चलती चली जाती है। पिछले दिनों जब अमेरिका के प्रेसीडेंट भारत आये थे तब गान्धीजी की समाधि पर जाने से पहले उनके कुत्तों ने गान्धीजी की पूरी समाधि को सूंघा था। वे सोचते होंगे कि क्या पता ये गान्धी अब पुराने गान्धी न हों और अचानक ही समाधि से उठ कर धायँ धायँ कर दें। अमेरिका ने इतने पाप किये हैं कि उसके पदाधिकारियों को हरेक से डर लगता रहता है।

किसी ज़माने में कुत्ते पुलिस के विशेषण की तरह याद किये जाते थे किंतु बहुत दिनों से पुलिस वालों ने उस विशेषण से पीछा छुड़ा लिया है क्योंकि अब राठौर जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ और भी बड़े बड़े विशेषण जुड़ने लगे हैं। किसी ज़माने में किसी कवि ने लिखा था कि -कुत्ता कहने से बुरा मानते पुलिस वाले:

रक्खा निज ठौर का फिर नाम कुतवाली क्यों


राजनीति को सर्वग्रासी कहा जाता है सो वो अब विशेषणों से लेकर गालियों तक सब कुछ हज़म करने लगी है। गालिब पहले ही कह गये हैं कि गालियाँ खा के बेमज़ा न हुआ। किसी ज़माने में जब राम जेठमलानी भाजपा में थे तब उन्होंने बोफोर्स काण्ड पर राजीव गान्धी से प्रति दिन दस सवाल पूछने का सिलसिला शुरू किया था शायद वे राजीव जी की क्षमता पहचानते थे और नहीं चाहते होंगे कि एक दिन में ज्यादा सवाल पूछ कर सारे उत्तर एक साथ माँगे जायें। राजीवजी ने उनके किसी सवाल का तो उत्तर नहीं दिया था अपितु इतना भर कहा था कि कुत्ते भौंकते ही रहते हैं। प्रति उत्तर में अपने समय के नामी वकील जो अभी मनु शर्मा की वकालत करने में भी बिल्कुल नहीं शरमाये थे उत्तर में कहा था कि कुत्ता चोर को देखकर ही भौंकता है।



__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 14-02-2014 at 04:15 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2014, 04:16 PM   #36
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

लोगों के शौकों का पता धीरे धीरे ही चलता है हाल ही में पता चला है कि भाजपा के नये अध्यक्ष नितिन गडकरी को मुहावरे दार भाषा बोलने का बहुत शौक है और इसी शौक के वशीभूत उन्होंने कह दिया कि लालू और मुलायम कुत्ते की तरह सोनिया जी के तलुवे चांटते है। अब ये बात काँग्रेसियों को कैसे हज़म हो सकती है कि उनके हक़ को दूसरी पार्टी के लोग हड़प जाएं। उन्होंने विरोध किया तो भारतीय संस्कृति के गौरव माननीय गडकरी जी ने कहा कि उन्होंने तो मुहावरे में कुत्ता कहा था। कल्पना करें कि अगर उन्होंने उक्त स्पष्टीकरण नहीं दिया होता तो हो सकता था कि लोग सोचते कि सोनिया जी के तलुवे इतने साफ सुथरे इसलिए रहते हैं। यह् रहस्य अब समझ में आया।

आदरणीय गडकरीजी जब मुहावरेदार भाषा का प्रयोग करते हैं तो उन्हें पता ही होगा कि हिन्दी में मुहावरों का भण्डार भरा हुआ है। इनमें से कुछ हैं- राम नाम जपना पराया माल अपना मुँह में राम बगल में छुरी राम मिलायी जोड़ी, इक अन्धा इक कोड़ी राम नाम ले हज़म कर गये, गौशाला के चन्दे इत्यादि मुहावरे कम पड़ जायें तो इस अकिंचन को सेवा का अवसर दें। आप जैसे मुहावरेदार महानुभाव की सेवा करके मुझे बड़ी खुशी होगी।
**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 26-02-2014, 07:26 PM   #37
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

सांच को आंच नहीं

किसी नगर में एक जुलाहा रहता था| वह बहुत बढ़िया कम्बल तैयार करता था| कत्तिनों से अच्छी ऊन खरीदता और भक्ति के गीत गाते हुए आनंद से कम्बल बुनता| वह सच्चा था, इसलिए उसका धंधा भी सच्चा था, रत्तीभर भी कहीं खोट-कसर नहीं थी|


एक दिन उसने एक साहूकार को दो कम्बल दिए| साहूकार ने दो दिन बाद उनका पैसा ले जाने को कहा| साहूकार दिखाने को तो धरम-करम करता था, माथे पर तिलक लगाता था, लेकिन मन उसका मैला था| वह अपना रोजगार छल-कपट से चलाता था|

दो दिन बाद जब जुलाहा अपना पैसा लेने आया तो साहूकार ने कहा - "मेरे यहां आग लग गई और उसमें दोनों कम्बल जल गए अब मैं पैसे क्यों दूं
?"

जुलाहा बोला - "यह नहीं हो सकता मेरा धंधा सच्चाई पर चलता है और सच में कभी आग नहीं लग सकती
|

जुलाहे के कंधे पर एक कम्बल पड़ा था उसे सामने करते हुए उसने कहा - "यह लो, लगाओ इसमें आग
|"

साहूकार बोला - "मेरे यहां कम्बलों के पास मिट्टी का तेल रखा था| कम्बल उसमें भीग गए थे| इस लिए जल गए
|

जुलाहे ने कहा - "तो इसे भी मिट्टी के तेल में भिगो लो
|"

काफी लोग वहां इकट्ठे हो गए| सबके सामने कम्बल को मिट्टी के तेल में भिगोकर आग लगा दी गई| लोगों ने देखा कि तेल जल गया, लेकिन कम्बल जैसा था वैसा बना रहा
|

जुलाहे ने कहा - "याद रखो सांच को आंच नहीं
|"

साहूकार ने लज्जा से सिर झुका लिया और जुलाहे के पैसे चुका दिए
|

सच ही कहा गया है कि जिसके साथ सच होता है उसका साथ तो भगवान भी नहीं छोड़ता
|
**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 26-02-2014, 11:58 PM   #38
ndhebar
Special Member
 
ndhebar's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Kerrville, Texas
Posts: 4,605
Rep Power: 50
ndhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond reputendhebar has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to ndhebar
Default Re: मुहावरों की कहानी

Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post
किस्सा हूर और लंगूर का
(वाया गली मुहावरों वाली)
ये वाला बेहतरीन है.………
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
ndhebar is offline   Reply With Quote
Old 02-03-2014, 10:39 AM   #39
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

कड़वा सच

एक फकीर कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक सौदागर मिला, जो पांच गधों पर बड़ी-बड़ी गठरियां लादे हुए जा रहा था। गठरियां बहुत भारी थीं, जिसे गधे बड़ी मुश्किल से ढो पा रहे थे। फकीर ने सौदागर से प्रश्न किया, ‘इन गठरियों में तुमने ऐसी कौन-सी चीजें रखी हैं, जिन्हें ये बेचारे गधे ढो नहीं पा रहे हैं?’

सौदागर ने जवाब दिया, ‘इनमें इंसान के इस्तेमाल की चीजें भरी हैं। उन्हें बेचने मैं बाजार जा रहा हूं।फकीर ने पूछा, ‘अच्छा! कौन-कौन सी चीजें हैं, जरा मैं भी तो जानूं!सौदागर ने कहा, ‘यह जो पहला गधा आप देख रहे हैं इस पर अत्याचार की गठरी लदी है।फकीर ने पूछा, ‘भला अत्याचार कौन खरीदेगा?’ सौदागर ने कहा, ‘इसके खरीदार हैं राजा-महाराजा और सत्ताधारी लोग। काफी ऊंची दर पर बिक्री होती है इसकी।

फकीर ने पूछा,इस दूसरी गठरी में क्या है?’ सौदागर बोला, ‘यह गठरी अहंकार से लबालब भरी है और इसके खरीदार हैं पंडित और विद्वान। तीसरे गधे पर ईर्ष्या की गठरी लदी है और इसके ग्राहक हैं वे धनवान लोग, जो एक दूसरे की प्रगति को बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसे खरीदने के लिए तो लोगों का तांता लगा रहता है।फकीर ने पूछा, ‘अच्छा! चौथी गठरी में क्या है भाई?’ सौदागर ने कहा, ‘इसमें बेईमानी भरी है और इसके ग्राहक हैं वे कारोबारी, जो बाजार में धोखे से की गई बिक्री से काफी फायदा उठाते हैं। इसलिए बाजार में इसके भी खरीदार तैयार खड़े हैं।फकीर ने पूछा, ‘अंतिम गधे पर क्या लदा है?’ सौदागर ने जवाब दिया,इस गधे पर छल-कपट से भरी गठरी रखी है और इसकी मांग उन औरतों में बहुत ज्यादा है जिनके पास घर में कोई काम-धंधा नहीं हैं और जो छल-कपट का सहारा लेकर दूसरों की लकीर छोटी कर अपनी लकीर बड़ी करने की कोशिश करती रहती हैं। वे ही इसकी खरीदार हैं।तभी महात्मा की नींद खुल गई। इस सपने में उनके कई प्रश्नों का उत्तर मिल गया था।

(प्रस्तुति आभार: बेला गर्ग)

**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 02-03-2014, 10:44 AM   #40
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

पंचतंत्र से:
एक और एक ग्यारह

एक बार की बात हैं कि बनगिरी के घने जंगल में एक उन्मत्त हाथी ने भारी उत्पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत के नशे में चूर होने के कारण किसी को कुछ नहीं समझता था। बनगिरी में ही एक पेड़ पर एक चिड़िया व चिड़े का छोटा-सा सुखी संसार था। चिड़िया अंडों पर बैठी नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चों के निकलने के सुनहरे सपने देखती रहती। एक दिन क्रूर हाथी गरजता, चिंघाडता पेड़ों को तोड़ता-मरोड़ता उसी ओर आया। देखते ही देखते उसने चिड़िया के घोंसले वाला पेड़ भी तोड डाला। घोंसला नीचे आ गिरा। अंडे टूट गए और ऊपर से हाथी का पैर उस पर पड़ा।

चिड़िया और चिड़ा चीखने चिल्लाने के सिवा और कुछ न कर सके। हाथी के जाने के बाद चिड़िया छाती पीट-पीटकर रोने लगी। तभी वहां कठफोडवी आई। वह चिड़िया की अच्छी मित्र थी। कठफोडवी ने उनके रोने का कारण पूछा तो चिड़िया ने अपनी सारी कहानी कह डाली। कठफोडवी बोली 'इस प्रकार ग़म में डूबे रहने से कुछ नहीं होगा। उस हाथी को सबक सिखाने के लिए हमे कुछ करना होगा।'

चिड़िया ने निराशा दिखाई 'हम छोटे-मोटे जीव उस बलशाली हाथी से कैसे टक्कर ले सकते हैं?'

कठफोडवी ने समझाया 'एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। हम अपनी शक्तियां जोडेंगे।'

'कैसे?' चिड़िया ने पूछा।

'मेरा एक मित्र वींआख नामक भंवरा हैं। हमें उससे सलाह लेनी चाहिए।' चिड़िया और कठफोडवी भंवरे से मिली। भंवरा गुनगुनाया 'यह तो बहुत बुरा हुआ। मेरा एक मेंढक मित्र हैं आओ, उससे सहायता मांगे।'

अब तीनों उस सरोवर के किनारे पहुंचे, जहां वह मेंढक रहता था। भंवरे ने सारी समस्या बताई। मेंढक भर्राये स्वर में बोला 'आप लोग धैर्य से जरा यहीं मेरी प्रतीक्षा करें। मैं गहरे पाने में बैठकर सोचता हूं।'

ऐसा कहकर मेंढक जल में कूद गया। आधे घंटे बाद वह पानी से बाहर आया तो उसकी आंखे चमक रही थी। वह बोला 'दोस्तो! उस हत्यारे हाथी को नष्ट करने की मेरे दिमाग में एक बडी अच्छी योजना आई हैं। उसमें सभी का योगदान होगा।'

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
कहावतें, मुहावरे, मुहावरे कहानी, लोकोक्तियाँ, हिंदी मुहावरे, हिन्दी कहावतें, hindi kahavaten, hindi muhavare, idioms & phrases, muhavare kahavaten, muhavaron ki kahani


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:21 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.