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Old 03-05-2013, 09:02 PM   #31
jai_bhardwaj
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पाक जेलों में बंद भारतीयों के लिए संघर्ष होगा: दलबीर

भिखीविंड। अंतिम संस्कार से पूर्व पत्रकारों से बातचीत में सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तान की जेलों में बंद सैकड़ों भारतीयों की जान की रक्षा के लिए वह निरंतर संघर्ष करती रहेंगी। पाकिस्तान जेल में बंद प्रत्येक भारतीय उनके लिए सरबजीत है। सरबजीत की तरह अन्य किसी भारतीय का जीवन पाकिस्तान की सरकार छीन न ले। इसके लिए पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीयों के परिजनों से मिलकर जल्द ही संघर्ष शुरू करेगी।
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Old 03-05-2013, 09:04 PM   #32
jai_bhardwaj
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लाहौर की कोट लखपत जेल में खूंखार व पेशेवर हमलावरों का शिकार हुए सरबजीत की मौत सिर पर गहरी चोटें लगनी की वजह से हुई है। इस बात का खुलासा पाकिस्तान से भारत में लौटी सरबजीत की लाश का पोस्टमार्टम करने के बाद हुआ है।

सिविल अस्पताल पट्टी में सरबजीत के शव का पोस्टमार्टम करने के लिए पांच सदस्यीय मेडीकल बोर्ड गठित किया गया था। पोस्टमार्टम से पूर्व जब सरबजीत का शव ताबूत से निकाला गया को उसके सरबजीत के मुंह से खून बह रहा था। जिसे देख कर पोस्ट मार्टम करने वाला बोर्ड भी हैरान हो गया। सूत्रों के मुताबिक सरबजीत सिंह के शरीर से दिल और किडनी गायब है। पाक में आलम यह था कि उनका इलाज चार डॉक्टरों की टीम ने किया और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों का बोर्ड छह सदस्यीय था।
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Old 03-05-2013, 09:05 PM   #33
jai_bhardwaj
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

जिस शहर के बाशिंदे आज भी इस जुमले पर गुमान करते हैं कि जिसने लाहौर नहीं देखा वह जन्मा ही नहीं, उसने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को तिल-तिल करते मरते हुए देखा भी और दुनिया को दिखाया भी। 49 साल के सरबजीत को कभी साझा रही सरहद को लांघने की गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बीते शुक्रवार को लाहौर की कोट लखपत जेल में नफरत से भरे खूंखार कैदियों के सुनियोजित हमले में मरणासन्न हुए सरबजीत ने जिन्ना अस्पताल में बुधवार आधी रात के बाद भारतीय समयानुसार डेढ़ बजे इस बेरहम दुनिया से विदा ले ली।

तरनतारन के भिखीविंड गांव के सिख दलित परिवार के किसान सरबजीत को पाकिस्तान ने जीते जी तो रहम की भीख देने से इन्कार किया, लेकिन उनके शव की सुरक्षा में तमाम तामझाम दिखाया। पाकिस्तान ने उन्हें सुरक्षा तब दी जब उनके प्राण पखेरू हो चुके थे। एक विडंबना यह भी कि उनका इलाज चार डॉक्टरों की टीम ने किया और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों का बोर्ड छह सदस्यीय था।

पूरे देश में गम और गुस्से की लहर के बीच सरबजीत का पार्थिव शरीर भारत सरकार की ओर से भेजे गए विशेष विमान से अमृतसर लाया गया, जहां से उसे दोबार पोस्टमार्टम के लिए अमृतसर मेडिकल कॉलेज लाया गया। शुक्रवार सुबह सरबजीत के शव को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा। अगस्त, 1990 की एक रात वह भटकर मुल्क की सीमा लांघकर पाकिस्तान पहुंच गए। इसके बाद 1991 में उन्हें जासूसी और लाहौर व फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी गई। तमाम अपील, अनुरोध और इस पुख्ता दलील के बाद भी उन्हें माफी नहीं दी गई कि वह गलत पहचान का शिकार हुए हैं। मई, 2008 में पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को फांसी दिए जाने पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी। लगता है भारत के दुश्मनों ने तभी सरबजीत को मौत की सजा देने का वैकल्पिक रास्ता खोज लिया था। उसी के तहत पिछले शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने उन पर जानलेवा हमला किया, जिसकी परिणति आज पूरे देश के सामने है।

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पाकिस्तानी जेल में अमानवीय व्यवहार का शिकार हुए सरबजीत सिंह की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है। सरबजीत को शहीद घोषित करते हुए बादल ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की बात कही। प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसके अलावा सरकार सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी।

भिखीविंड गांव में सरबजीत का राजकीय सम्मान के साथ होने वाले अंतिम संस्कार की तैयारियां प्रशासन ने पूरी कर ली हैं। इस मौके पर हजारों लोगों की आमद को लेकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है।

इससे पहले, बुधवार की रात सरबजीत की मौत की खबर उस समय आई जब उनकी असहाय-निरुपाय, लेकिन गजब की जीवट वाली बहन दलबीर कौर परिवार समेत लाहौर से लौटकर दिल्ली आ गई थीं। उनके साथ सरबजीत की पत्नी और उनकी दोनों बेटियां भी थीं। हालात की मारी और नाराज-नाउम्मीद दलबीर इस आस में दिल्ली आई थीं कि शायद सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, गृहमंत्री वगैरह अंतिम सांसें गिनते उनके भाई को बचाने के लिए कुछ करें। वह इन सबसे गुहार लगा पातीं कि उसके पहले ही सरबजीत की मौत की खबर आ गई। परिवार ने पूरी रात रो-रोकर काटी।
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Old 03-05-2013, 09:06 PM   #34
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गुरुवार सुबह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरबजीत के रोते-बिलखते परिजनों को ढांढस बंधाने की कोशिश करने के लिए उनके साथ करीब 40 मिनट बिताए। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी उन्हें ढांढस बंधाया। पाकिस्तान के रवैये पर भारत ने सख्ती दिखाते हुए इसे भारतीय नागरिक की हत्या करार दिया है। आम लोगों के साथ ही सरकार और संसद में भी घटना पर गुस्सा फूटा। भारत ने इस बात पर भी नाखुशी जताई है कि सरबजीत को इलाज के लिए बाहर भेजने पर पाकिस्तान सरकार की सुस्ती के कारण उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।




पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि सरबजीत ने गरिमा के साथ जेल में दमन और अत्याचार का सामना किया। इस दुख की घड़ी में सरकार उसके परिवार के साथ खड़ी है और परिवार की हरसंभव मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार सरबजीत सिंह की मौत पर शोक व्यक्त करने और दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक प्रस्ताव पेश करेगी। इस मामले से निपटने में नाकामी के लिए केंद्र सरकार पर बरसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केंद्र की कूटनीतिक विफलता और कमजोरी की निशानी है। देश इच्छा और ताकत के साथ चलाए जाते हैं, मगर सरकार में उसकी कमी दिखी है। भारत सरकार सरबजीत के मामले में राष्ट्रीय भावना समझने में विफल रही और जहां जरूरी कूटनीतिक पहल करनी चाहिए थी, वहां भी कोई कदम नहीं उठाया गया।
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Old 03-05-2013, 09:10 PM   #35
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केन्द्रीय गृहमंत्री सरबजीत सिंह के परिजनों से मिल कर ढाढस बंधाया .....
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कांग्रेसी राजकुमार राहुल गांधी भी सरबजीत सिंह के परिजनों से मिले .............
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स्कूली बच्चों ने दी सरबजीत सिंह को श्रद्धांजली .........



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Old 07-05-2013, 08:57 PM   #38
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लाश पर राजनीति ! राजनैतिक दलों का तो कोई धर्म ईमान होता ही नहीं ,कब अपना पाला ,सुर बदल कर कट्टर दुश्मन को जन्म जन्मान्तरों का मित्र घोषित कर उनके साथ दावतें उड़ाने लगे .जिसने उनको बर्बाद किया है उन्ही के गले में बाहें डालकर मंच साझा करते दिखाई देने लगें.ये कोई अनहोनी बात नहीं, क्योंकि राजनीति में तो शत्रु -मित्र अवसर के अनुसार ही बनाए जाते हैं, वर्तमान भारतीय राजनीति तो इसकी चरम पराकाष्ठा है.

दुःख तो तब होता है ,जब प्रियजन की हत्या या मौत भी अवसरवादिता की शिकार बन जाती है.सरबजीत की हत्या से सम्पूर्ण देश में एक आक्रोश व्याप्त होगया .मीडिया, राजनैतिक दल जो सरबजीत का कोई समाचार भूले भटके दिखाते थे या चर्चा होती थी ,कल से इसी मुद्दे पर आंसू बहाते दिख रहे थे.जिस सरकार ने पूर्व में भी भारतीय कैदियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और अमानुषिक अत्याचारों पर आवाज बुलंद नहीं की .कुछ दिन पूर्व एक अन्य कैदी चमेल सिंह की क्रूर हत्या पर विरोध नहीं जताया,.इसी सरबजीत मुद्दे को पाकिस्तान से बात करते समय अपनी प्राथमिकता सूची में नहीं रखा .खूखार पाक आतंकियों पर पानी की तरह धन बहाया . परन्तु सरबजीत पर प्राणघातक हमले के बाद भी उसके लिए बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए पाकिस्तान पर दवाब नहीं बनाया और फिर सारे आंसू मिनटों में बहा दिए..ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में किसी भी परिवार का आक्रोश और क्रोध का गुबार फूटने को तैयार होगा ही .


वही परिदृश्य था सरबजीत के परिवार के सदस्यों का.रोती हुई बेटियां. विधवा पत्नी ,क्रोध से आगबबूला बहिन दलबीर कौर ,जिन्होंने पाकिस्तान सरकार के घिनौने व्यवहार की आलोचना से अधिक भारतसरकार पर अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा था कि भारत सरकार अपने नागरिक को बचा नहीं सकी ,सरकार का कमजोर रुख उसके भाई की मौत का कारण बना,भारतसरकार ने उनके परिवार को धोखा दिया ,वो सरकार की कड़ी फजीहत करेंगी आदि आदि .


पढ़िए उनके परिवार का बयान


“परिवार ने कहा कि सरबजीत को बचाने में नाकाम रहे मनमोहन सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए। सरबजीत लाहौर के एक अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहे हैं। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने अटारी सीमा पर पत्रकारों से कहा कि मुझे इस बात से शर्म महसूस हो रही है कि उनकी जिंदगी को खतरा होने के बावजूद हमारा देश उन्हें बचाने में नाकाम रहा। सरकार की अयोग्यता सामने आ गई है। मनमोहन सिंह को फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि मनमोहन सिंह और सोनिया इस गंभीर स्थिति में सो रहे हैं “
(दैनिक हिन्दुस्तान )


सरबजीत का शव भारत आने पर नौटंकी करने में माहिर राहुल,सोनिया ,शिंदे और अन्य नेतागण भी वहाँ पहुंचे (ये भिन्न विषय है कि सबको वहाँ जाने और आंसू बहाने की अनुमति नहीं मिली) सभी पहुंचे और आत्मीयता जताने के रिकार्ड तोड़ दिए.(जो कुछ अप्रत्याशित नहीं) लेकिन उन सबसे बढ़कर आश्चर्यजनक तो था उसी बहिन दलबीर कौर का बदला रुख ,जिन्होंने चंद सिक्कों और अन्य सुविधाओं के लोभ में सरकार के मगरमच्छी अश्रुओं और सहानुभूति पर विश्वास करते हुए अपने भाई की हत्या के लिए दोषी सरकार को क्लीन चिट् दे दी और केवल पाकिस्तान का दोष मानकर अपने परिवार को भी सहमत कर लिया.

और फिर भाषण दे डाला

अब देशवासियों को सब भूल कर एक हो जाना चाहिए और मनमोहन सिंह सरकार के हाथ मजबूत करने चाहियें.सारा दोष पकिस्तान का है


इतनी जल्दी इतना परिवर्तित रुख ! क्या स्वार्थ सब इंसानी रिश्तों से ऊपर है,पल में ही भुला दिया ! उफ ! मानव से अच्छे तो जानवर हैं ,हमारे घर के पास एक वानर की मृत्यु करंट लगने से हो गई थी ,पूरे क्षेत्र को वानरों ने घेरा बना कर जाम लगवा दिया था ,और कुछ भी खाया पिया नहीं किसी ने भी .अंतत अनेकानेक साधनों के बल पर उस घेरे को समाप्त कराया जा सका .

नाराजगी देशवासियों को होनी स्वाभाविक है इस रुख पर .विचार किया जाय तो ये एक आम नियति बन चुकी है,इस प्रकार की बड़ी घटनाएँ घटित होने पर पीड़ित परिवार को खरीद कर अपनी प्रशंसा करवाना,जबकि स्वयम सरकार उत्तरदायित्व हो

.परन्तु क्या परिवार का कोई दोष नहीं जिसकी आँखें 12- 14 घंटे में ही अपने प्रिय की मौत को भूल सिक्कों की चमक से चुंधिया गईं.


मेरे विचार से सरकार का नहीं उस परिवार का दोष अधिक है,आप क्या सोचते हैं इस विषय में ?
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