09-04-2013, 11:42 PM | #31 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
आपि नाथु नाथी सभ जा की रिधि सिधि अवरा साद ॥ संजोगु विजोगु दुइ कार चलावहिलेखे आवहि भाग ॥ आदेसु तिसै आदेसु ॥ आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥२९॥ |
09-04-2013, 11:42 PM | #32 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
एका माई जुगति विआई तिनि चेले परवाणु ॥
इकु संसारी इकु भंडारी इकु लाए दीबाणु ॥ जिवतिसु भावै तिवै चलावै जिव होवै फुरमाणु ॥ ओहु वेखै ओना नदरि न आवै बहुता एहु विडाणु ॥ आदेसुतिसै आदेसु ॥ आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥३०॥ |
23-04-2013, 04:48 PM | #33 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
॥ जपु ॥
आसणु लोइ लोइ भंडार ॥ जो किछु पाइआ सु एका वार ॥ करि करि वेखै सिरजणहारु ॥ नानक सचे की साची कार ॥ आदेसुतिसै आदेसु ॥ आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥३१॥ |
23-04-2013, 04:48 PM | #34 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
इक दू जीभौ लख होहि लखहोवहि लख वीस ॥
लखु लखु गेड़ा आखीअहि एकु नामु जगदीस ॥ एतु राहि पति पवड़ीआ चड़ीऐहोइ इकीस ॥ सुणि गला आकास की कीटा आई रीस ॥ नानक नदरी पाईऐ कूड़ी कूड़ै ठीस ॥३२॥ |
23-04-2013, 04:49 PM | #35 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
आखणि जोरु चुपै नह जोरु ॥
जोरु न मंगणि देणि न जोरु ॥ जोरु न जीवणि मरणि नह जोरु ॥ जोरु न राजिमालि मनि सोरु ॥ जोरु न सुरती गिआनि वीचारि ॥ जोरु न जुगती छुटै संसारु ॥ जिसु हथि जोरु करिवेखै सोइ ॥ नानक उतमु नीचु न कोइ ॥३३॥ |
23-04-2013, 04:49 PM | #36 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
राती रुती थिती वार ॥
पवण पाणी अगनी पाताल ॥ तिसु विचि धरती थापि रखी धरम साल ॥ तिसु विचि जीअ जुगति के रंग ॥ तिन के नाम अनेक अनंत॥ करमी करमी होइ वीचारु ॥ सचा आपि सचा दरबारु ॥ तिथै सोहनि पंच परवाणु ॥ नदरी करमिपवै नीसाणु ॥ कच पकाई ओथै पाइ ॥ नानक गइआ जापै जाइ ॥३४॥ |
23-04-2013, 04:49 PM | #37 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
धरम खंड का एहोधरमु ॥
गिआन खंड का आखहु करमु ॥ केते पवण पाणी वैसंतर केते कान महेस ॥ केते बरमेघाड़ति घड़ीअहि रूप रंग के वेस ॥ केतीआ करम भूमी मेर केते केते धू उपदेस ॥ केते इंद चंदसूर केते केते मंडल देस ॥ केते सिध बुध नाथ केते केते देवी वेस ॥ केते देव दानव मुनि केते केतेरतन समुंद ॥ केतीआ खाणी केतीआ बाणी केते पात नरिंद ॥ केतीआ सुरती सेवक केते नानकअंतु न अंतु ॥३५॥ |
23-04-2013, 04:49 PM | #38 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
गिआन खंड महि गिआनु परचंडु ॥
तिथै नाद बिनोद कोड अनंदु ॥ सरम खंड की बाणी रूपु ॥ तिथै घाड़ति घड़ीऐ बहुतु अनूपु ॥ ता कीआ गला कथीआ ना जाहि ॥ जेको कहै पिछै पछुताइ ॥ तिथै घड़ीऐ सुरति मति मनि बुधि ॥ तिथै घड़ीऐ सुरा सिधा की सुधि ॥३६॥ |
23-04-2013, 04:49 PM | #39 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
करम खंड की बाणी जोरु ॥
तिथै होरु न कोई होरु ॥ तिथै जोध महाबल सूर ॥ तिन महि रामु रहिआभरपूर ॥ तिथै सीतो सीता महिमा माहि ॥ ता के रूप न कथने जाहि ॥ ना ओहि मरहि न ठागे जाहि ॥ जिनकै रामु वसै मन माहि ॥ तिथै भगत वसहि के लोअ ॥ करहि अनंदु सचा मनि सोइ ॥ सच खंडि वसैनिरंकारु ॥ करि करि वेखै नदरि निहाल ॥ तिथै खंड मंडल वरभंड ॥ जे को कथै त अंत न अंत ॥ तिथै लोअलोअ आकार ॥ जिव जिव हुकमु तिवै तिव कार ॥ वेखै विगसै करि वीचारु ॥ नानक कथना करड़ा सारु॥३७॥ |
23-04-2013, 04:50 PM | #40 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
जतु पाहारा धीरजु सुनिआरु ॥
अहरणि मति वेदु हथीआरु ॥ भउ खला अगनि तप ताउ ॥ भांडा भाउ अमृतु तितु ढालि ॥ घड़ीऐ सबदु सची टकसाल ॥ जिन कउ नदरि करमु तिन कार ॥ नानक नदरी नदरि निहाल ॥३८॥ |
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