My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 28-08-2014, 11:57 PM   #31
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

‘‘ हूंह ऐगो बैलो नै समभरो हौ, हमरा की समहारमीं

फिर क्या था मुझे ताब आ गया और बैल की शामत। दो तीन हाथ का एक डंडा मेरे हाथ में था ही
, मैं बैल के पीछे पीछे दौड़ गया। एक हाथ से उसकी पूछ पकड़ी और दूसरे हाथ से डंडा सटाक सटाक देता गया और बैल भागता गया। कभी बगैचा, कभी खेत, कभी तलाब। इस बीच कई बार उसकी पूछ छूट जाती और फिर सारी ताकत लगा कर पकड़ता और उसे पीट देता। अंत में बैल समझ गया और भागत हुआ बथान में जा कर धुंसा गया। मैं थक कर चूर हो गया। थोड़े देर बाद रीना मिली थी और बोल पड़ी –

‘‘पगला जा हीं की कभी कभी’’

‘‘समझ में आइलौ, तों संहलमीं की नै’’

उसे कैसे बताता कि मेरा पागल पन तो वही है।

खैर यह सिलसिला तो चल ही रहा था कि एक दिन अचानक रास्ते में मुझसे आगे जा रही रधिया ने कागज का एक टुकड़ा गिरा दिया। मेरे पीछे कई लोग आ रहे थे और कहीं इन लोगों के हाथ मंे पत्र नहीं लग जाय मैंने उसे उठा लिया। घर आकर जब उसे खोला तो वह प्रेमपत्र कम मेरी स्तुति गान अधिक थी। उसमें कई महान लोगों की सुक्तियों के सहारे मुझे यह समझाने का प्रयास किया गया था कि मैं बहुत महान हूं। धत्त तेरी की
, मैंने अपना माथा ठोंक लिया। कमरे वाली प्रसंग का रधिया पर उल्टा असर हुआ और वह मुझे बहुत अच्छा आदमी समझने लगी, उसे क्या पता था कि यह सब मैंने अपनी अच्छाई के लिए कम और रीना के प्यार के लिए अधिक किया था।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 28-08-2014, 11:58 PM   #32
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

प्रेम ईश्वर का प्रसाद है जिसे जिया जा सकता है जाना नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हो रहा है। सोना-गाना, हंसना-रोना सब रीना के साथ होता। उसे पाने के जनून में पढ़ाई करता हुआ पाया कि प्रेम जीवन को संबार सकता है। रात में पढ़ाई छत पर होती थी। गर्मी का मौसम हो तो छत पर लालटेन जला कर बैठ जाता पर चेहरा रीना की छत की तरफ रखता, पढ़ते हुए मन में यही एहसास होता कि रीना देख रही है और सुबह जब आंख खुलती की उसी की छत को देखता जहां एक पपीहा की तरह रीना टकटकी लगाये बैठी मिलती। यह सिलसिला महीनों से चलता आ रहा था पर आज जैसे ही आंख खुली तो रीना ने इशारा किया और जब मैं मुड़ कर देखा तो रधिया छत पर अहले सुबह जग कर मेरी तरफ देख रही है। मेरे छत पर मुंडेर नहीं थी इसलिए सोये हुआ मैं दिख जाता। रधिया को बेचैन आंखों से देखता हुआ पाकर मैं विचलित हो गया। मैं नीचे आ गया। अब मैं और रीना थोड़े अधिक सावधान हो गए थे शायद इसलिए कि जवान हो गए थे। सुबह चार बजे का समय प्रेम पत्रों कें आदान प्रदान का सबसे मुफीद समय बन गया। रीना भी छत से नीचे आती, मैं भी, और रास्ते में चलते हुए पत्रों का आदान-प्रदान हो जाता।

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 12:00 AM   #33
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

आज उसी समय रीना ने राह चलते हुए कहा –

‘‘ काहे नै बता दे ही रधिया के सब साफ साफ, छो-पांच, छो-पांच की करो ही’’

‘‘डर लगो है वह सबके बता नै दे’’

‘‘ई में डरे की की बात है आज नै कल तो सब जनबे करतै।’’

उसी समस तय हो गया आज रधिया को सबकुछ बता देना है और जब वह मेरे घर आई तो उसे साफ साफ बता दिया कि मैं रीना से प्यार करता हूं। वह कोई दोपहर का समय था। घर के आगे बनी झोपड़ी में रीना बैठी थी
, जब तक हम दोनों सो नहीं चले जाते तब तक आमने सामने रहते थे।

‘‘काहे ले हमरा परेशान करो हीं, हम रीनमा से प्रेम करो हिऔअ’’

मेरे मुंह से ऐसा सुनना कि रधिया के देह में जैसे आग लग गई वह गुस्से से तिलमिलाने लगी।


‘‘ की बोलोहो, हमर प्यार के कोई कीमत नै है।’’

‘‘ है नै, हम आदर करो ही ओकर, मुदा प्रेम तो एकेगो से होबो है ने’’
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 12:01 AM   #34
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

और साथ ही रीना की ओर ईशार करता हुआ मैंने समझाया कि इसे सब कुछ बता दिया। उस समय तक टीवी का असर कुछ कुछ होने लगा था और मेरे द्वारा ईशारा किये जाने पर रीना ने एक फलांइंग किस मेरी ओर फेंक दिया। रधिया गुस्से से आग बबुला हो कर वहां से चली गई। मैं डर सा गया कहीं यह कुछ उलटा पुलटा न कर दे और मैं एहतियातन उसके प्रेम पत्र को उसके जीजा को दिखा दिया। जिसके जबाब में वे भी यही बोले कि यह लड़की नहीं सुधरेगी।

खैर रधिया के प्रेम को जिस तिरस्कार का सामना करना पड़ा वह इससे विचलित हो गई थी और इसकी सजा के रूप में यह बात सामने आई कि उसने रीना के सहेलियों तक यह बात फैला दी कि रीनमां और बबलुआ एक दूसरा से प्रेम करतें हैं। बात जंगल के आग की तरह फैल तो गई थी पर यह अभी एक उर्म तक के लोगों तक ही सीमित थी। यह जानकारी भी मुझे रीना ने ही दी। अभी तब गांव में प्रेम का पलना संभव नहीं हो सका था। गांव क्या
, ईलाके में किसी ने प्रेम विवाह नहीं की थी और यह सब सिनेमाई बातें मानी जाती थी। हां, एक बात थी कि प्रेम को फंसने का एक विकृत नाम दे दिया गया था। पर अपने प्रेम के महिनों हो गए पर किसी ने आज तक नहीं जाना पर रधिया ने यह राज फाश कर दिया। हलांकि गांव में जिसने भी जाना उसे विश्वास नहीं हुआ। होता भी कैसे।

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 10:56 PM   #35
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

यह निश्छल प्रेम की अविरल घारा थी जिसकी निर्मलता ही उसकी प्राण थी।

आज मेरे दोस्त मुतना ने टोक दिया,

‘‘कि हो, की सुन रहलिऔ हों’’

‘‘कि सुनो हीं’’

‘‘रीनमां कें बारे में बड़ी चर्चा है गांव में’’

‘‘तोरा की दिक्कत है।’’

मैं अब और अधिक सावधान हो गया। सारी बात रीना में मुझे प्रेम पत्र के माध्यम से बता दी। मैंने उसे भी बताया कि गांव में अब जब सब लोग जान रहें है तब यह आग धीरे धीरे घर तक आएगी तैयार रहना है।

गांव में प्रेम होने का मतलब अभी तक साफ था कि दोनों के बीच शरीर का रिश्ता है, बस।

ऐसा रोज हो भी रहा था। अभी कल ही वभनटोली में कहरटोली के लड़का कमलेशबा की जमकर पिटाई कर दी गई।

‘‘साला बाभन के लड़की पर लाइन मारों हीं, काट कें फेंक देबौ।’’

इस बात ने आग पकड़ ली और कहर टोली के लोग भी गुहार बना कर बभनटोली आ गए,
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 10:59 PM   #36
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

‘‘आखिर हम सब भी गांव में रहबै की नै’’। पंचायती होने की बात हुई पर इस पंचयती में लड़की पक्ष के लोग को इसकी सूचना कोई नहीं दे सका, कारण एक ही था घर की इज्जत है सड़क पर क्या लाना। कमलेश राम मेरा दोस्त था। मुझसे दो क्लास सीनियर था। पूरे कहरटोली में एक मात्र उसके बाबूजी नौकरी करते थे, रेलवे में। उससे दोस्ती के अभी कुछ ही महीने हुए थे। दोस्ती का कारण भी दुश्मनी बनी थी। हुआ यूं था कि कमलेश राम के घर के पास एक सरकारी चापाकल गाड़ा गया था जो कि मैं जिस कुंए से पानी लाता था उससे थोड़ी दूरी पर था पर चापाकल से पानी लाना ज्यादा आसान था सो मैं भी अपने धर के लिए पानी वहीं से लाने लगा। पर कमलेश राम ने इसका विरोध किया और उसने यह कह कर चापाकल का हैंडल खोल लिया कि बाभन का लड़का इस चापाकल से पानी नहीं लेगा। फिर क्या था हो गया हंगामा। मैं कमलेश से वहीं भिड़ गया। उठा पटक होने लगी, गांव के लोग जुट गए और कहार होकर बाभन से लड़ो है।

मैं उस लड़ाई में जीता तो नही पर जब लोग जमा हो गए तब सभी ने छुड़ा दिया और मैं चापाकल से पानी लेकर ही दम लिया। उसके बाद कमलेश को घेर कर पीटने का प्लान बभनटोली के लड़कों के द्वारा बनायी गयी जिसकी भनक कमलेश को लगी और उसने मेरे क्रिकेट टीम के आलराउंडर खिलाड़ी संजय राम से इसकी खबर मुझको भिजबाई कि गलती हो गई। उसका कॉलेज आना जाना बंद हो गया क्योंकि कॉलेज का रास्ता भी बभनटोली होकर गुजरता था। मेरे मन में भी कुछ नहीं था और फिर संजय मेरा लंगोटिया यार भी था। मेरी आदत भी उस समय अजीब थी और मैं कहरटोली और दुसधटोली के लड़कों के साथ ही ज्यादा समय देता था। मैं जिस फाइव स्टार क्रिकेट टीम का कप्तान था वह इन्हीं सबसे मिल कर बनी हुई थी। तुला फास्टर, टिंकू स्पीनर और अनवर हीटर।

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 11:00 PM   #37
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

इसका कारण भी था। गांव में छोटे किसान के घर से होने की वजह से मैं जात को कम और वर्ग को अधिक समझता था और इसलिए मेरे विचार भी इनके साथ ही ज्यादा मिलते थे।

खैर
, संजय के इस प्रस्ताव के बाद से कमलेश के साथ मेरी दोस्ती हो गई और जिन लोगों ने मेरे मुददे को लेकर कमलेश को पीटने की योजना बनाई वह फैल हो गयी।


पर आज नेपला सिंह ने उसकी पिटाई देवी स्थान के पास घेर कर कर दिया। बाद मंे जब कमलेश ने इस पिटाई पर से पर्दा उठाया तो मैं हक्का बक्का रह गया।


‘‘काहे ले पिटलकौ हो’’

‘‘संवरिया के फेरा में हलै, जब उ दुत्कार देलकै तो साला हमरा पर खिसयाल रहो है।’’

मैं उसके साथ ही शाम में टहलने लगा। कमलेश के बारे में काफी लोगों ने मुझे समझाया कि वह ठीक लड़का नहीं पर उस समय कौन अच्छा और कौन बुरा यह कौन समझता था। कमलेश का संवरिया नाम की एक सांवली सी लड़की से संबध था इस बात को उसने मेरे साथ सांझा भी किया था। गांव मंे इसकी चर्चा भी खुब रही पर किसी को कुछ हाथ नहीं लगी थी सो सभी चुप थे पर अब बात बिगड़ गई थी और आज सभी जगह यह चर्चा हो रही थी कि संवरिया पेट से है


बचपन से ही यह बात सालती रहती थी की जिसे लोग समाज कहते हैं वह कई चेहरों वाला होता है पर एक बात सबसे गंभीर यह देख रहा था कि छोटी छोटी बातों पर अपनों पर भी कीचड़ उछालने वाला समाज घाव को छुपाने वाला है और संवरिया के साथ भी ऐसा ही हुआ।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 11:01 PM   #38
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

खैर, आज दोपहर का समय था और मैं चिंतित मुर्दा में अपने चौंकी पर लेटा था। मेरे हाथ में एक छोटी सी किताब थी जिसका नाम मैं नहीं जानता, पर उसे पढ़ रहा था। कुछ गंभीर विषय की किताब थी जिसकी कई बातें सोंचने पर मजबूर कर रही थी। दरअसल यह किताब आज से दो तीन साल पहले हाथ तब लगी थी जब फूआ से झगड़ा कर अपने घर भाग गया था। घर में चाचा के टूटे बक्से से इसे चुराई थी। किताबों को पढ़ने का शौक तो था ही, बक्सा में किताब ढूंढ रहा था तभी नजर गई थी दो छोटी सी किताबों पर जिसमें से एक का नाम था ‘‘किशोरों की सेक्स समस्याऐं’’ और दूसरी शीर्षकहीन थी। कौतूहलवश पहली किताब को पढ़ गया पर उसे घर में छुपा कर रखना बहुत ही मुश्किल होता था इसलिए उसे दोस्तों को दे दिया और वह गांव भर के लड़कों के बीच होती हुयी गायब हो गयी।

पर दूसरी किताब की ढेर सारी बातें समझ में नहीं आती थी पर उसमें छोटी छोटी कहानियों के माध्यम से बहुत बात समझाई गई थी जिसमें समाज और आदमी का चरित्र का चित्रण था। उस किताब का पहला चेप्टर था सत्य की खोज जिसमें एक कहानी थी कि एक राजा को वित्त मंत्री की जरूरत पड़ी और उसने देश के सभी गणीत के विद्वानों को साक्षात्कार के लिए बुलाया। बहुत लोग जमा हुए जिसे राजा ने एक कमरे में यह कह कर बंद कर दिया कि जो गुणा-भाग कर दरवाजे से बाहर आएगा वही मंत्री बनेगा। सभी लोग छोटे से कमरे से निकलने के लिए गुणा-भाग करने लगे पर एक व्यक्ति शांति से बैठ गया। कुछ देर बाद वह उठा और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया। सत्य की खोज यही थी। दरवाजा बाहर से बंद नहीं था।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 11:03 PM   #39
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

आज फिर इस किताब को मैं पढ़ रहा था। कई बातें थी खास पर एक बात मन में बैठ रही थी जो कह रहा था कि आदमी को समाज के हिसाब से अपना चरित्र नहीं गढ़ना चाहिए बल्कि अपने हिसाब से, अपने मन के हिसाब से अच्छा आदमी बनना चाहिए। इस किताब ने गहरी छाप छोड़ी मेरे जीवन पर।

बहुत सालों बाद
, लगभग आज से दस साल के बाद यह जान सका था जो किताब मैं पढ़ता था वह ओशो रजनीश की किताब थी ‘‘ मिटटी का दीया’’

कई चीजें आपके जीवन पर गहरी छाप छोड़ जाती है जिसमें एक यह पुस्तक थी जिसे आज पढ़ रहा था और दूसरी यह घटना जो आज घटी थी। आज मेरी उदासी का कारण भी दूसरी घटना थी।

गांव में ऐसी ही एक घटना घटी जो मन को विचलित कर गया। बचपन से डायन-कमाइन
, भुत-पिचास को नहीं मानता था पर आज सुबह सुबह ही मेरे दोस्त मनोज की मां को डायन के आरोप में घर से केश पकड़, खींच कर लाया गया और सौंकड़ों लोगों ने एक बीमार बच्चा को ठीक करने का दबाब बनाया। गंाव के भीड़ में ही चाची के साथ मार पीट ही नहीं किया गया, गंदी गंदी गालियां भी दी गई। बच्चा के पिता मास्टर साहब कह रहे थे
‘‘ तों डायन हीं तब हमहूं भगत के लाइबै, लंगटे नचाइबै।’’ यदि हमर बेटवा के कुछ हो गेलउ तब तोरा सब बापुत के जिंदा जला देबौ।’’ वहीं मेरे बगल से ही किसी ने कहा

‘‘ ई रंडीया हांकल डायन है हो, कल हमरों घूर घूर के देख रहलौ हल और तुरंत मथवा दुखाई लगलौ।’’

कोई नंगा करने की बात कह रहा था तो कोई गर्म लोहा से दागने की।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-08-2014, 11:04 PM   #40
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

पता नहीं क्या हुआ पर उस घटना के समय मैं मनोज के बगल में ही खड़ा था, वह रो रहा था और मैं उसे चुप रहने के लिए नहीं कह रहा था। यह हंगामा जब खत्म हुआ तब थोड़ी देर बाद पता चला कि बच्चा ठीक हो गया। गांव का कोई भी आदमी उस रास्ते से नहीं जाता जिस रास्ते में मनोज रहता था। मनोज था तो बाभन ही पर बहुत ही गरीब। एक घूर जमीन नहीं और बाबू जी दिल्ली मे कमाने गए थे पर पांच साल से लौट कर नहीं आये थे। रहने को एक घर भी नहीं था जिसकी वजह से उसका परिवार पुस्तकाल के खंडहरनुमा घर मंे रहता था। पहले वह जुआरियों, गंजेड़ियों और व्याभिचारियों का अड्डा था पर जब से मनोज का परिवार वहां रहने लगा, बैठकी बंद हो गई। उधर से कोई गुजरना नहीं चाहता, कोई अपने बच्चे को मनोज के साथ रहने नहीं देता और उसके घर चले जाने पर पिटाई अवश्य होती। पर मेरी बात अलग थी। मैं प्रति दिन उसके घर जाता। चाची कुछ न कुछ खाने को देती। उनकी बोली इतनी मधुर थी कि मां भी उस लाड़ से कभी नहीं बुलाया? इस घटना के बाद भी मैं मनोज के साथ उसके घर गया था। चाची बहुत रो रही थी जार-जार। रोते हुए अपने दुख भी जता रही थी जिसमें मास्टर साहब के बारे में बता रही थी।

‘‘गरीबका के कोई इज्जत नै है बउआ। इहे भंगलहबा परसूं रतिया हम्मर घारा में घूंस आइलो हल। जब हल्ला कईलिओं तब भगलो और आज डायन कहो हो।’’
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
उपन्यास, जीना मरना साथ, लम्बी कहानी, a long love story, hindi novel, jeena marna sath sath


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:45 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.