28-02-2012, 06:10 PM | #391 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। अगर वैज्ञानिकों की मानें तो महिलाएं जल्द ही अपने डॉक्टर से यह बताने के लिए कह सकेंगी कि उन्हें रजोनिवृत्ति कब और कैसे होगी। भारतीय मूल की एक अनुसंधानकर्ता की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने कहा है कि उसने अपने अध्ययन में प्रौढ महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी लक्षण अलग अलग पाए हैं लेकिन इनमें से कुछ लक्षण जैसे अचानक बहुत गर्मी या ठंड लगना अथवा रात को खूब पसीना आना आदि का संबंध रजोनिवृत्ति के समय से है। क्वीन्सलैंड विश्वविद्यालय की प्रो. गीता मिश्र के नेतृत्व वाले इस दल को उम्मीद है कि इस खोज के आधार पर डॉक्टर मरीजों को उन लक्षणों के बारे में ज्यादा विस्तृत तरीके से बता सकते हैं जो रजोनिवृत्ति से जुड़े हैं। विश्वविद्यालय की एक विज्ञप्ति में प्रो मिश्रा ने कहा है ‘जिन महिलाओं में अंतिम मासिक धर्म से पहले मामूली लक्षण सामने आते हैं उनमें आगे जा कर इन लक्षणों के व्यापक रूप में उभरने की संभावना क्षीण होती है।’ ब्रिटेन के मेडिकल रिसर्च काउंसिल के साथ किए गए इस अध्ययन में उन 600 से अधिक महिलाओं से बातचीत की गई जिन्हें स्वाभाविक रजोनिवृत्ति हुई थी। इस बातचीत के आधार पर चार तरह के लक्षणों की पहचान की गई, जो क्रमश: मनोवैज्ञानिक (व्यग्रता और अवसाद), शारीरिक (सिरदर्द और जोड़ों में दर्द), वाहिका प्रेरण (वैस्मोटर) संबंधी (अचानक तेज ठंड या गर्मी लगना) और यौन संबंधी समस्या के थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि इन लक्षणों के समय और तीव्रता के आधार पर यह बताया जा सकता है कि रजोनिवृत्ति कब और कैसी होगी।
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28-02-2012, 06:32 PM | #392 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बच्चों में मोटर न्यूरॉन बीमारी के इलाज का तरीका मिला
लंदन। वैज्ञानिकों ने उस प्रोटीन की पहचान की है जो मोटर न्यूरॉन बीमारी के रूप में बच्चे में मांसपेशी को क्षतिग्रस्त करता है। इस निष्कर्ष पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे जल्द ही नयी दवा बनाई जा सकती है जो क्षति को खत्म करने में मददगार साबित हो सकती है। इस बीमारी को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) या ‘फ्लॉपी बेबी सिंड्रोम’ के नाम से जाना जाता है, जो बच्चों की मृत्यु का अग्रणी आनुवंशिक कारण है। यह 6000 जन्म लेने वाले बच्चों में से एक को प्रभावित करती है लेकिन सर्वाधिक गंभीर रूप से पीड़ित बच्चों में से 50 फीसदी की दो साल की उम्र से पहले मृत्यु हो जाती है। चूहों पर एक अध्ययन में ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग के एक दल ने पाया कि एसएमए से ग्रस्त बच्चों की मांसपेशी एसएमएन नाम की प्रोटीन के कम स्तर से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन से होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उत्परिवर्तन मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति को बाधित करता है जिससे आगे और क्षति होती है।
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28-02-2012, 06:32 PM | #393 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आधुनिक मानव के अस्तित्व में आने से पहले विलुप्त होने के कगार पर थे निएंडरथल
लंदन। पूर्व की धारणाओं के विपरीत वैज्ञानिकों ने इस बात का सबूत पाने का दावा किया है जो सुझाता है कि इस ग्रह पर आधुनिक मानव के अस्तित्व में आने से पहले ही यूरोप में निएंडरथल विलुप्त होने के कगार पर थे। ऐसा माना जाता था कि यूरोप में आधुनिक मानव के अस्तित्व में आने तक हजारों वर्षों तक निएंडरथल आबादी स्थिर रही। अब एक अंतरराष्ट्रीय दल ने दर्शाया है कि यूरोप में ज्यादातर निएंडरथल करीब 50 हजार साल पहले विलुप्तप्राय हो गए थे। इस निष्कर्ष पर वे तब पहुंचे जब उन्होंने प्राचीन डीएनए का विश्लेषण किया। ‘मॉलेक्यूलर बायोलॉजी एंड इवॉल्यूशन’ जर्नल में इसे प्रकाशित किया गया है। नतीजे दर्शाते हैं कि ज्यादातर निएंडरथल यूरोप में करीब 50 हजार साल पहले विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए। उसके बाद निएंडरथल मानव मध्य एवं पश्चिमी यूरोप में फिर से बस गए और वहां 10 हजार साल तक अस्तित्व में रहे। उसके बाद आधुनिक मानव अस्तित्व में आया। निएंडरथल मानव की आदिम प्रजाति है।
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28-02-2012, 06:33 PM | #394 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लिवर कोशिकाएं बनाने में मदद कर सकता है ‘हाइड्रोजन सल्फाइड’
लंदन। बदबूदार सांस की वजह बनने वाली ‘हाइड्रोजन सल्फाइड’ नाम के रसायन का इस्तेमाल दांत की स्टेम कोशिकाओं को मानव लिवर कोशिकाओं में बदलने में किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने एक शोध के जरिए इस तथ्य का पता लगाया है। शोध के इस नतीजे के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जख्मी इंद्रियों को भी दुरुस्त करने में मददगार साबित हो सकता है। जापान की ‘निप्पन डेंटल यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया कि ‘हाइड्रोजन सल्फाइड’ गैस का इस्तेमाल लिवर कोशिकाएं बनाने में की जा सकती हैं और यह मरीजों के लिए अहम इलाज साबित हो सकता है। गौरतलब है कि ‘हाइड्रोजन सल्फाइड’ सांसों में दुर्गंध पैदा करने के लिए कुख्यात है।
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28-02-2012, 06:36 PM | #395 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दान दाताओं के ‘लिवर’ को रखा जा सकता है जिंदा
लंदन। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन विकसित करने का दावा किया है दाताओं के ‘लिवर’ को मानव शरीर के बाहर ‘जिंदा’ रखा जा सकता है। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक दल का कहना है कि दान देने से आपरेशन की टेबल पर जाने के बीच ‘मेट्रा’ नाम की यह मशीन उसे स्वस्थ रखती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘मेट्रा’ एक ऐसी प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है जिससे डाक्टर यह निगरानी कर सकते हैं कि जिस लिवर को प्रतिरोपित करना है वह कितने अच्छे ढंग से काम कर रहा है।
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28-02-2012, 06:36 PM | #396 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘टीएके-875’ से काबू में आएगी मधुमेह की बीमारी
लंदन। मधुमेह से बचाव के लिए ऐसी दवा बनायी जा रही है जिसके बारे में शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे ब्लड सुगर कम करने में उतनी ही मदद मिलेगी जितनी कि किसी जेनरिक दवा के सेवन से होती थी लेकिन इसके दुष्प्रभाव काफी कम होंगे। यह दवा अभी प्रयोग के चरण में है। अमेरिका की ‘यूनिवर्सिटी आफ मिशिगन मेडिकल स्कूल’ की एक टीम की ओर से किए गए शोध से ‘टीएके-875’ नाम की एक दवा बनायी गयी जो ब्लड सुगर में कमी लाने में मदद करती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘टाइप-2’ मधुमेह के इलाज में अमूमन इस्तेमाल की जाने वाली दवा ‘सल्फोनिलयूरिया ग्लिमेपायराइड’ की तरह ही ‘टीएके-875’ भी ब्लड सुगर कम करने में मददगार साबित होती है।
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28-02-2012, 06:37 PM | #397 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कंबोडिया में मिली नन्हीं चमकदार छिपकली
वॉशिंगटन। शोधकर्ताओं ने कंबोडिया के एक सुदूर जंगल में छिपकली की एक ऐसी प्रजाति खोज निकाली है जो दिखने में चमकदार है और उसके शरीर की बनावट लंबे सांप जैसी है। महज तीन इंच लंबी छिपकली की यह प्रजाति बड़ी फुर्तीली है और इसके पांव भी छोटे-छोटे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, छिपकली की इस नयी प्रजाति की खोज 2010 में लाओस की सीमा के नजदीक कंबोडिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र के सुदूर जंगलों में हुई थी। शोध के इस नतीजे को ‘जूटैक्सा’ नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। बहरहाल, शोधकर्ताओं ने इस प्रजाति की खोज की घोषणा करने में इसलिए देर की ताकि पहले इसे आधिकारिक तौर पर नयी प्रजाति के तौर पर घोषित कर दिया जाए। किसी नयी प्रजाति की आधिकारिक घोषणा एक लंबी प्रक्रिया है।
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29-02-2012, 12:52 AM | #398 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दुनिया के सबसे बड़े पेंगुइन के जीवाश्म मिले
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे बड़े पेंगुइन का जीवाश्म मिलने का दावा किया है। ये पक्षी 2.7 करोड़ साल पहले न्यूजीलैंड में पाए जाते थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पक्षी की उंचाई 4.2 फुट थी और वह आज के दौर के पेंगुइन से पतला था। इसके पंख और चोंच बड़े थे। ‘लाइव साइंस’ के मुताबिक इस पेंगुइन को शोधकर्ताओं ने ‘कारिउकू’ नाम दिया है। उनका कहना है कि जीवाश्म मिलने से पेंगुइन के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि उस दौर में ज्यादातर न्यूजीलैंड जलमग्न था और आज के पर्वत उसी समुद्री क्षेत्र से निकले हैं। जलक्षेत्र में ही पेंगुइन पाए जाते हैं और उस वक्त का माहौल पूरी तरह से इनके अनुकूल था।
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29-02-2012, 12:53 AM | #399 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अमीर वर्ग के कहीं अधिक झूठ बोलने, फर्जीवाड़ा करने की आशंका : अध्ययन
वाशिंगटन। अमीर भले ही समाज के अधिक सम्मानित लोग हों, लेकिन निचले तबके की तुलना में उनके झूठ बोलने, फर्जीवाड़ा करने और अन्य अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने की संभावना कहीं अधिक होती है। ‘प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज’ जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि उंचे वर्ग के सभी लोग अनैतिक बर्ताव करते हैं और न ही निचले तबके का प्रत्येक व्यक्ति नैतिकता भरा बर्ताव करता है। ‘लाइव साइंस’ ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सामाजिक मनोविज्ञान विषय के अध्ययनकर्ता पॉल पीफ के हवाले से बताया है, ‘‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि यदि आप अमीर हैं तो आप अनैतिक ही होंगे और यदि आप गरीब हैं तो आप अवश्य ही नैतिक होंगे। ऐसे कई उदाहरण हैं जो उंचे वर्ग में बढते नैतिक व्यवहार को दर्शाते हैं।’’ हालांकि, अध्ययनकर्ताओं ने बताया है कि अमीर लोगों को रूपये खर्च करने में उन लोगों की तुलना में कम झिझक होती है, जिनके पास कम रूपये होते हैं। उन्होंने बताया कि कई तरह के प्रयोगों के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
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29-02-2012, 01:04 AM | #400 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
चपटे कृमि के पास हो सकती है अमरत्व की चाभी
लंदन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि तालाब में रहने वाले एक खास तरह के जीवों में नश्वर होने की असाधारण क्षमता है और शायद अमर होने की चाभी उनसे मिल सकती है। ब्रिटेन के नाटिंघम विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने सिर्फ एक चपटे कृमि को टुकड़ों में काटने के बाद 20 हज़ार से अधिक कृमि एकत्र कर लिए। इन्हें कई टुकड़ों में काट दिया, जिसके बाद पाया कि इसका हर हिस्सा विकसित होकर एक नया कृमि बन गया। उनका मानना है कि वैज्ञानिकों को इससे ऐसे तरीके खोजने में मदद मिल सकती है, जिससे मानव अधिक समय तक जीवित और युवा रह सकेगा। अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाले अजीज अबूबकर ने डेली टेलीग्राफ को बताया कि हमारा अगला लक्ष्य इस प्रक्रिया को अधिक विस्तार से समझने और यह जानने की है कि आप कोई अमर प्राणी कैसे विकसित कर सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि इस तरह के जीव अपने डीएनए के एक अहम हिस्से की लंबाई को लगातार कायम रखते हैं।
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