27-11-2010, 07:34 PM | #4031 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
थोड़ी थोड़ी प्रोब्लम तो रहती है मगर मैं ठीक हो जवोंगा और सब से पहले आप से मिलूँगा
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तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है |
27-11-2010, 07:39 PM | #4032 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
खालिद भेइया आज कल मेने अपनी यादों को भी कंट्रोल करना सिख लिया है
अब मैं बहोत क्म रोता हूँ( कभी कभी बाथरूम को छोड़ के ) आप लोगो ने मुझे बहोत सपोर्ट किया है
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27-11-2010, 07:45 PM | #4033 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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वैसे बता दिया कर नेट मे प्राब्लम हैँ जवाब कम दुगाँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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27-11-2010, 07:46 PM | #4034 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
अजनबी सहर में अजनबी रास्ते
मेरी तन्हाई पे मुस्कराते रहे मैं बहोत देर तक यू ही चलता रहा मैं बहोत देर तक यू ही चलता रहा तुम बहोत देर तक याड आते रहे अजनबी सहर में अजनबी रास्ते मेरी तन्हाई पे मुस्कराते रहे
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27-11-2010, 08:07 PM | #4035 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
नमस्कार कामेश जी, आप कैसे हो ?
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27-11-2010, 09:43 PM | #4036 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
एक समय था जब चौपाल पर बात होती थी मुद्दों पर
फिर वक़्त आया हवा में लाठियां चलाने का फिर ये धीरे धीरे लोगों के आपसी बातचीत का जरिया बन गया आज मैं चौपाल पर एक प्रश्न रखता हूँ, सब इस पर अपनी अपनी राय रखें, बस एक ही गुजारिश है की कोई भी सदस्य किसी दुसरे सदस्य की राय पर टिपण्णी ना करे सबकी अपनी अपनी व्यक्तिगत राय "क्या चौपाल की गरिमा कम हुई है"
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
28-11-2010, 07:58 AM | #4037 | |||
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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पहले आप से छमा चाहूँगा मेरी समझ से चोपाल की गरिमा कम नहीं हुयी है चोपाल एक अयसी जगह होती है जहाँ सभी मिल बैठ के बातें करतें हैं जहा सुख दुःख बेबाक tipadiyan और मुदो की भी चर्चा होती है जहाँ अश्लीलता नहीं है कभी जब मुद्दे नहीं होती तो व्यक्तिगत और हंसी ठिठोली भी होती है एक यही जगह तो एसी है जहाँ सभी एक दूसरों के दुःख दर्द और परेसनियों से वाकिफ होतें है अभी कुछ दिन पहले ही मेने आदरणीय मुन्ना दादा से एशियाड में अछी जीत हासिल नहीं होने का मुद्दा उठाया था (upar देखें ) फिरभी मुद्दों की बात हो तो अछा है मगर सुख दुःख की बातों के लिए भी फोरम में एक कोना बनादें जहाँ सदस्य एक दूसरों की नाते कह और समझ सकें धन्यवाद् गलती को छमा कर दें
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28-11-2010, 08:01 AM | #4038 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
अछा सभी को बाय बाय
मिलतें है चोपाल के बाहर
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28-11-2010, 09:18 AM | #4039 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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आपको याद होगा की चौपाल एकदम से सोची समझी रणनीति के साथ अस्तित्व में नहीं आई थी, पहले निकिता जी ने एक सूत्र बनाया जहां लोगों ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से बांटने शुरू किये, मेरे आने के समय माहि के कल्पित विवाह को लेकर हंसी मजाक होता था और फिर धीरे धीरे वो सभी के एकसाथ मिलने का स्थान हो गया, लगभग सभी एक वचनबद्धता के साथ समय देते थे | भला कुरम जी के वो पंच किसे भूले होंगे जिन्हें पढ़ते पढ़ते पेट दुखने लगता था, एक परंपरा सी थी कि यदि एक दो दिन कोई मुद्दे कि बात ना हो तो कोई मुद्दा सहमती से उठा लिया जाता था | तब मुद्दों, पक्षों और चूकों को स्वीकारने में हिचक नहीं थी, शायद सबमें सीखने का लोभ था | कोई कुछ ना कुछ सार्थक लिखना चाहता था | अब के लिए तो मेरा अभिषेक जी से निवेदन है कि वे एक विस्तृत ट्युटोरियल बनाये कि किस प्रकार एक ग्रुप बनाया जा सकता है और वहाँ ग्रुप डिस्कशन में दुःख सुख बांटे जा सकते हैं | मुझे अच्छे से पता है कि अभी इसपे हाय तौबा मचेगी | शायद इसी चिकाही के कारण पहले वालों ने किनारा कर लिया, या शायद शब्द ही शायद है | |
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28-11-2010, 10:45 AM | #4040 |
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
वन्दे मातरम् प्यारे दोस्तों …
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