24-09-2011, 07:35 PM | #41 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
नातेदारों और प्*यार-मुलाहजे वालों के यहॉं से कुर्त्*ता, टोपी, हँसली, कडूले आने लगे। धी-ध्*यानों के यहॉं से जो आये थे उनमें से किसी को फेर दिया और किसी का रख लिया और दो-दो चार-चार रुपये जैसा नाता देखा उन पर रख दिये। तहसीलदार के यहॉं से भी छूछक अच्*छा आया। सारी बिरादरी में वहा-वाह हो गई। जिनके स्*वभाव खोटे पड़ जा हैं फिर सुधरने कठिन पड़ जा हैं। यह कुछ तो खुशी हुई पर जेठानी एक दिन को भी आ के न खड़ी हुई। छठी और दसूठन के दिन चर्खा ले के बैठी और जिस दिन देवरानी चालीस दिन का न्*हान न्*हा के उठी तो उस बिरियॉं नाक में बत्*ती दे के छींका और सास और देवरानी को सुना-सुना यह कहती कि जिनके नसीब खोटे हैं उनके बेटी हो हैं और जिनके नसीब अच्*छे हैं उनके बेटे हो हैं। एक दिन सास तो लड़ने को उठी भी पर बहु ने समझा लिया कि जो किसी के कहने सुनने से क्*या हो है? हमारा भगवान भला चाहिए। जिस दिन हीजड़े नाचने आये लुगाइयों को दिखलाने को पैसा बेल का दे गई।
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जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -------------------------------------------------------------------------- जिनके घर शीशो के होते हे वो दूसरों के घर पर पत्थर फेकने से पहले क्यू नहीं सोचते की उनके घर पर भी कोई फेक सकता हे -------------------------------------------- Gaurav Soni
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24-09-2011, 07:35 PM | #42 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
छोटे लाल ने लौंडे को खिलाने को एक टहलवी रख दी और उससे यह कह दिया कि बच्*चे को राजी राखियो।
लाला ने चार रुपये का घी और एक रुपये की खॉंड़ दूकान से भेज दी। और जब रात को घर आए घरवाली से कह दिया कि घी को ता के रख छोड़यो और बहु की खिछड़ी वा दाल में डाल दिया करियो। खॉंड़ के लड्डू बना लीजो। बहु का शरीर निर्बल हो गया है, इसमें ताकत आ जायगी और बच्*चा दूध से भूखा नहीं रहेगा और बहु से कह दीजों कि ऐसी-वैसी चीज न खाये जिससे बच्*चे को दु:ख हो। वह आप चतुर थी। दोनों वक्*त बँधा खाना खाती। लाल मिर्च, गुड़, शक्*कर, सीताफल की तरकारी, तेल का अचार, खीरे और अमरूद आदि से परहेज करती। पर होनी क्*या करे? जब लड़का छह महीने का था, एक दिन सिर से न्*हाई थी। भीगे बालों बच्*चे को दूध पिला दिया। सर्दी से उसे खॉंसी का ठसका हो गया। अगले दिन करवा चौथ थी। बर्ती रही और पूरी कचौरी खाने में आई। लौंडे को सॉंस होई आया। बड़ा फिकर हुआ। सास उठावने उठाने लगी और बोल कबूल करने लगी। धन्*ना की मॉं पनिहारी को ननवा चमार को बुलाने भेजा। उसने आते ही झाड़ दिया और अपने पास से लौंडे को गोली खिला दी।
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24-09-2011, 07:36 PM | #43 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
गोली के खाते ही बीमारी और बढ़ गई और लौंडे का हाल बेहाल हो गया। इतने में लाला दुकान से भागे आए। छोटेलाल घर ही था। दोनों की सलाह हुई कि हकीम को दिखलाओ और सारा हाल कह दो। हकीम जी ने कहा कि घबराओ मत, उस पाजी ने जमाल गोटे की गोली दे दी है और वह पच गई है। मैं यह दवा देता हूँ बच्*चे की मॉं के दूध में देना। इससे चार पॉंच दस्*त हो जायेंगे, आराम पड़ जायगा और वैसा ही हुआ।
लाला घर में बड़े गुस्*सा हुए कि अब तो भगवान ने दया की, कोई स्*याना-वाना घर में नहीं बड़ने पावे। यह निर्दयी इसी तरह से बच्*चों को मार डालते है और कुछ नहीं जानते। और बहु से कह दीजो कि फिर भीगे बालों दूध न पिलावे। और भला वह तो बालक है, उसने देखा ही क्*या है? तू तो बड़ी-बूढ़ी थी। पहिले से क्*यों नहीं समझा दिया था? वह चुप हो रही। दौलत राम की बहु सब कुछ खाती-पीती रहे थी। जब सास वा ससुर उसके भले की बात कहते, उसका उलटा करती। लौंडिया भी उसकी सूख के कॉंटा हो रही थी और आप भी नित मॉंदी रहे थी।
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24-09-2011, 07:36 PM | #44 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
एक समय गर्मी के दिन थे। दो-तीन धुऍं में रोटी की। दोनों मॉं बेटियों की ऑंखें दुखने आ गयीं। परहेज किया नहीं और बीमारी बढ़ गई। किसी ने बहका दिया कि तुम्*हारी ऑंखें घर के देवता ने पकड़ी हैं। उस दिन से दवाई भी डालनी छोड़ दी। बेचारे दौलत राम को आप चूला फूँकना पड़ा।
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24-09-2011, 07:37 PM | #45 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
इसी के साथ भाग 1 समाप्त हुआ
आगे भाग के लिए इंतजार करे
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24-09-2011, 09:36 PM | #46 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
आपको शायद सब पृष्ठों को टाईप करना पड़ रहा है, अगर आपके पास स्कैन की गई पेज भी हैं तो उसे हीं पोस्ट कर दीजिए।
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24-09-2011, 10:05 PM | #47 |
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Re: हिंदी का पहला उपन्यास
नहीं मित्र मेरे पास कोई भी इमेज नहीं हे मे टाइप कर रहा हु आप जब तक ये भाग पढे तब तक मे दूसरा भाग लिखता हु
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