29-08-2013, 06:26 PM | #41 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
उसने इधर उधर देखा
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
29-08-2013, 06:27 PM | #42 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
ऊपर चढ़ कर दूर देखा कि उसके बहुत से साथी दूर आबादी में पहुँच चुके है ..
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29-08-2013, 06:27 PM | #43 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
वह भी उड़कर कर आबादी पहुंचा ...
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29-08-2013, 06:27 PM | #44 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
एक मकान के ऊपर देखा .. ..
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29-08-2013, 06:29 PM | #45 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
एक मकान के अन्दर देखा ..
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29-08-2013, 06:30 PM | #46 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
किन्तु उसे कोई साथी नहीं दिखाई दिया ....
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29-08-2013, 06:30 PM | #47 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
दूसरे घर के दरवाजे पर पुकार लगाई .. किन्तु प्रतिउत्तर नहीं मिला ..
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29-08-2013, 06:31 PM | #48 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
उसने जोर से पुकारा ...
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29-08-2013, 06:31 PM | #49 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
फिर वह खेतों की तरफ पहुँचा ... उसके साथी वहां भी नहीं थे ..
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29-08-2013, 06:33 PM | #50 |
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Re: वाराणसी (बनारस) दर्शन
आशा के साथ थोड़ा और आगे बढ़ा ... किन्तु निराशा उसके हाथ लगी
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