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Old 01-12-2011, 09:19 PM   #41
bhavna singh
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जय लक्ष्मी रमणा, जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा॥ जय ..
रत्**न जडि़त सिंहासन अद्भुत छवि राजै।
नारद करत निराजन घण्टा ध्वनि बाजै॥ जय ..
प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर कांचन महल कियो॥ जय ..
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी॥ जय ..
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीन्हों।
सो फल भोग्यो प्रभु जी फिर-स्तुति कीन्हीं॥ जय ..
भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो॥ जय ..
ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी॥ जय ..
चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा॥ जय ..
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
भगतदास तन-मन सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावै॥ जय ..
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Old 01-12-2011, 09:21 PM   #42
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जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगा*ऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटा*ओ, संतन सुखकारी ॥
जो को*ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
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Old 29-12-2011, 07:16 PM   #43
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Default Re: आरतियाँ

जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।
द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सबकुछ पा जाता॥ जय ..
तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ जय ..
मौत-जिंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ जय ..
पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
मैया तू है जोता वाली, भवसागर से तारण हारी॥ जय ..
तू ने नाता जोड़ा सबसे, जिस-जिस ने जब तुझे पुकारा।
शुद्ध हृदय से जिसने ध्याया, दिया तुमने सबको सहारा॥ जय ..
मैं मूरख अज्ञान अनारी, तू जगदम्बे सबको प्यारी।
मन इच्छा सिद्ध करने वाली, अब है ब्रज मोहन की बारी॥ जय ..
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया॥ सुन मेरी ..
सुआ चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया।
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया।
नंगे पांव पास तेरे अकबर सोने का छत्र चढ़ाया।
ऊंचे पर्वत बन्या शिवाली नीचे महल बनाया॥ सुन मेरी ..
सतयुग, द्वापर, त्रेता, मध्ये कलयुग राज बसाया।
धूप दीप नैवेद्य, आरती, मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥ सुन मेरी ..
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Old 29-12-2011, 07:18 PM   #44
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जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अद्र्धागी धारा॥

हर हर हर महादेव॥

एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै।

हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजै॥ हर हर ..

दो भुज चारु चतुर्भुज, दशभुज ते सोहे।

तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन-जन मोहे॥ हर हर ..

अक्षमाला, वनमाला, रुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी, कंसारी, करमाला धारी। हर हर ..

श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।

सनकादिक, गरुड़ादिक, भूतादिक संगे॥ हर हर ..

कर मध्ये सुकमण्डलु, चक्र शूलधारी।

सुखकारी, दुखहारी, जग पालनकारी॥ हर हर ..

ब्रह्माविष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। हर हर ..

त्रिगुणस्वामिकी आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावै॥ हर हर ..



हर हर हर महादेव।

सत्य, सनातन, सुन्दर शिव! सबके स्वामी।

अविकारी, अविनाशी, अज, अन्तर्यामी॥ हर हर .

आदि, अनन्त, अनामय, अकल कलाधारी।

अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥ हर हर..

ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी।

कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी॥ हरहर ..

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औघरदानी।

साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता, अभिमानी॥ हरहर ..

मणिमय भवन निवासी, अति भोगी, रागी।

सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥ हरहर ..

छाल कपाल, गरल गल, मुण्डमाल, व्याली।

चिताभस्मतन, त्रिनयन, अयनमहाकाली॥ हरहर ..

प्रेत पिशाच सुसेवित, पीत जटाधारी।

विवसन विकट रूपधर रुद्र प्रलयकारी॥ हरहर ..

शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।

अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मनहारी॥ हरहर ..

निर्गुण, सगुण, निरजन, जगमय, नित्य प्रभो।

कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥ हरहर ..

सत्, चित्, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।

प्रेम सुधा निधि, प्रियतम, अखिल विश्व त्राता। हरहर ..

हम अतिदीन, दयामय! चरण शरण दीजै।

सब विधि निर्मल मति कर अपना कर लीजै। हरहर ..
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Old 15-10-2012, 03:34 AM   #45
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ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ॥
जय शिव ॐकारा ॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे
स्वामी पंचानन राजे ।
हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे ॥
जय शिव ॐकारा ॥

दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे
स्वामी दस भुज से सोहे ।
तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय शिव ॐकारा ॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामि मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी ॥
जय शिव ॐकारा ॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे ।
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥
जय शिव ॐकारा ॥

कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता
स्वामी चक्र त्रिशूल धरता ।
जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता ॥
जय शिव ॐकारा ॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
स्वामि जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका ।
जय शिव ॐकारा ॥

निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे
स्वामि जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मन वाँछित फल पावे ।
जय शिव ॐकारा ॥
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Old 15-10-2012, 03:36 AM   #46
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ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ॥

घूम घुमारो घामर सोहे जय श्री राधा
पट पीताम्बर मुनि मन मोहे जय श्री कृष्ण ।
जुगल प्रेम रस झम झम झमकै
श्री राधा कृष्णाय नमः ॥

राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण ।
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ॥
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Old 30-10-2012, 10:40 PM   #47
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जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।
मैया जय सन्तोषी माता ।

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो, मैया माँ धारण कींहो
हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो, मैया जय सन्तोषी माता ।

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे, मैया बदन कमल सोहे
मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे, मैया जय सन्तोषी माता ।

स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे, मैया चँवर डुले प्यारे
धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे, मैया जय सन्तोषी माता ।

गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो, मैया ता में सन्तोष कियो
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो, मैया जय सन्तोषी माता ।

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही, मैया आज दिवस सो ही
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही, मैया जय सन्तोषी माता ।

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई, मैया मंगल ध्वनि छाई
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई, मैया जय सन्तोषी माता ।

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै, मैया अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै, मैया जय सन्तोषी माता ।

दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये, मैया संकट मुक्त किये
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये, मैया जय सन्तोषी माता ।

ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो, मनवाँछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो, मैया जय सन्तोषी माता ।

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे, मैया रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे, मैया जय सन्तोषी माता ।

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे, मैया जो कोई जन गावे
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे, मैया जय सन्तोषी माता ।
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Old 19-11-2012, 08:26 AM   #48
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जय हनुमत बीरा, बाबा जय हनुमत बीरा।
संकट मोचन स्वामी आप हो रणधीरा॥ जय..
पवन पुत्र अंजनि सुत महिमा अति भारी।
दु:ख दारिद्र मिटावो संकट सब हारी॥ जय..
बाल समय में तुमने रवि को भक्ष लियो।
देवन अस्तुति कीन्ही तब प्रभु छाडि़ दियो॥ जय..
कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई।
बालि मराय कपीसहिं गद्दी दिलवाई॥ जय..
लंक जारि, लाये सिय की सुधि, बानर हर्षाये।
कारज कठिन सुधारे रघुबर मन भाये॥ जय..
शक्ति लगी लक्ष्मण के भारी सोच भयो।
लाय संजीवन बूटी दु:ख सब दूर कियो॥ जय..
ले पाताल अहिरावन जबहीं पैठि गयो।
ताहि मारि प्रभु लाये जय जयकार भयो॥ जय..
घाटा, सालसर में शोभित दर्शन छवि न्यारी।
मंगल और शनीचर मेला लगता है भारी॥ जय..
श्रीबालाशाहजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत इन्द्र हर्षित मनवांछित फल पावे॥ जय..
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Old 26-11-2012, 04:39 PM   #49
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जै जै भैरव बाबा, स्वामी जै भैरव बाबा।
नमो विश्व भूतेश भुजंगी, मंजुल कहलावा॥

उमानन्द अमरेश, विमोचन, जन पद सिर नावा।
काशी के कुतवाल, आपको सकल जगत ध्यावा॥
स्वान सवारी बटुकनाथ प्रभु पी मद हर्षावा॥

रवि के दिन जग भोग लगावें, मोदक तन भावा।
भीष्म भीम, कृपालु त्रिलोचन, खप्पर भर खावा॥

शेखर चन्द्र कृपाल शशि प्रभु, मस्तक चमकावा।
गलमुण्डन की माला सुशोभित, सुन्दर दरसावा॥

नमो नमो आनन्द कन्द प्रभु, लटकत मठ झावा।
कर्ष तुण्ड शिव कपिल द्दयम्बक यश जग में छावा॥
जो जन तुमसे ध्यान लगावत, संकट नहिं पावा॥

छीतरमल जन शरण तुम्हारी, आरती प्रभु गावा।
जय भैरव बाबा, स्वामी जय भैरव बाब॥
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Old 01-12-2012, 09:12 AM   #50
idskrishna
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Gale Mein Baijanti Mala, Bajave Murali Madhur Bala
Shravan Mein Kundal Jhalakala, Nand Ke Anand Nandlala

Gagan Sam Ang Kanti Kali, Radhika Chamak Rahi Aali
Latan Mein Thadhe Banamali
Bhramar Si Alak, Kasturi Tilak, Chandra Si Jhalak
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki

Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ( 2)

Kanakmay Mor Mukut Bilse, Devata Darsan Ko Tarse
Gagan So Suman Raasi Barse
Baje Murchang, Madhur Mridang, Gwaalin Sang
Atual Rati Gop Kumaari Ki
Shri Giradhar Krishna Murari Ki

Aarti Kunj Bihari Ki
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Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga, Kalush Kali Haarini Shri Ganga,
Smaran Te Hot Moh Bhanga
Basi Shiv Shish, Jataa Ke Biich, Harei Agh Kiich;
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki.
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki…

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Chamakati Ujjawal Tat Renu, Baj Rahi Vrindavan Benu
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu
Hansat Mridu Mand, Chandani Chandra, Katat Bhav Phand
Ter Sun Diin Bhikhaarii Kii
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