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Old 04-10-2012, 03:19 PM   #41
YUVRAJ
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Question Re: यादें फोरम की.

एक सामान्य सी बात है कि कौन क्या है और कौन कहां जाता है ये मुद्दा हमेशा निर्जीव ही रहा है। सूपर माडरेटर जी के शब्दों में… किसी प्रयोक्ता नाम पर किसी का पैटेंट नहीं होता। मुद्दे वैसे उठाइए जिनमें दम हो। क्या आप अपनी इस प्रविष्टि के बारे में जानकारी दे सकते हैं कि इसे आपको क्यूँ करना पडा???
धन्यवाद।
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Originally Posted by abhisays View Post
आज जबकि फोरम फिर से अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है ऐसे में मैं एक नया नियम फोरम के नियमो में जोड़ रहा हूँ की.

इस फोरम के अलावा को कोई भी व्यक्ति किसी और वेबसाइट या फोरम पर कुछ भी करता हो, उससे इस फोरम के किसी भी सदस्य को कोई बहस नहीं होनी चाहिए. हमें सदस्य के इस फोरम पर आचरण से मतलब है और कही से भी नहीं. बार बार फोरम पर दूसरी वेबसाइट का जिक्र करके कुछ लोगो ने सक्रिय और मेहनती सदस्यों को परेशान किया है, वैसे अब दुबारा नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा करने पर प्रबंधन की तरफ से उचित कार्यवाई होगी.

http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1
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Old 04-10-2012, 03:22 PM   #42
aksh
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Default Re: यादें फोरम की.

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Originally Posted by abhisays View Post
आज मैं फिर से कुछ पुरानी यादें ताज़ा करने हाज़िर हुआ हूँ. इस महीने अनिल जी और जलवा जी को फोरम पर आये हुए २ साल होने वाले हैं. यह दोनों नील आर्मस्ट्रोंग की तरह इस वीरान से फोरम पर आज से करीब २ साल पहले प्रकट हुए थे और यहाँ की वीरानी दूर हो गयी थी. फिर तो उसके बाद देखते ही देखते फोरम की काया पलट गयी. फोरम पर नए नए सदस्य जुड़ गए. एक शानदार प्रबंधन का निर्माण हुआ. लेकिन यह केवल ३ महीने रह सका. अन्तर्वासना फोरम उस वक़्त दुबारा खुल गया था. फिर फोरम पर कुछ लोग सक्रिय सदस्यों को परेशान करने लगे और हल्ला मचाने लगे की यहाँ के कुछ लोग अन्तर्वासना पर क्यों जाते हैं. मैं भी उन अफवाहों में आ गया. और फिर प्रबंधन में भंग हो गया. इनमे सबसे बड़ी गलती मेरी थी जो मैंने उन अफवाह फैलाने वाले सदस्यों पर भरोसा किया और पुराने प्रबंधन के वरिष्ठ और आदरणीय सदस्यों पर अविश्वास किया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. फिर अप्रैल फूल और फोरम का इतिहास जैसे सूत्र चालू हो गए और इनसे फोरम को और भी नुकसान हुआ. फिर से यह बात लोग उछालने लगे की यहाँ के लोग यहाँ आने के अलावा और क्या क्या करते हैं. उसके बात तो यकीन मानिए हम लोग कभी अपने पैरो पर खड़े ही नहीं हो पाए. फोरम के कुछ बहुत ही अच्छे सदस्य हमें छोड़ कर चले गए. और जो लोग यह हल्ला मचाते थे और मोरल science का lesson लोगो को पढ़ाते थे वो भी फोरम से कट लिए.
जैसे समुन्द्र मंथन के बाद अमृत निकला था वैसे अमृत की प्राप्ति यहाँ फोरम पर संभव नहीं हो सकी...इस बात का दुःख मुझे हमेशा रहेगा...पर वक्त ने जब समुन्द्र को सुखा दिया तब अमृत के अवशेष का पता चलना भी कम उपलब्धि नहीं है. अगर फोरम के करता धर्ता दिल से इस बात को महसूस कर रहे हैं की उन्होंने उस समय जो भी किया था और जिस तरह के सूत्र बाद में बने वो सिर्फ किसी ख़ास सदस्य के बहकावे भर में आकर किया और वो वास्तव में गलत था तो इस बात को गाँठ बाँधने की जरूरत भी महसूस की जानी चाहिए कि ऐसा दोबारा ना हो. क्योंकि फोरम लगभग निर्जीव हो चुका है इस बात का सबसे ज्यादा दुःख उन लोगों को ही हो सकता है जिन्होंने उसे खडा किया था और जिन्होंने इसे एक नया जीवन दिया था. उन लोगों को इस बात का दुःख नहीं हो सकता जिन्होंने इसकी जड़ों में मट्ठा डालने का कार्य किया.

फोरम के संचालक मंडल ने अपनी पूर्व में की गयी भूल को स्वीकार किया है ये एक साहसिक कदम है और मैं इस कदम का स्वागत करता हूँ....और उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में इस फोरम रुपी समुद्र के सूखे तल से कुछ जल के स्रोत फिर से फूटेंगे....और ये समुद्र फिर से इस लायक हो जाएगा कि यहाँ पर विचार मंथन करके अमृत वर्षा कराई जा सके.

धन्यवाद.
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Old 04-10-2012, 03:29 PM   #43
aksh
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Default Re: यादें फोरम की.

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Originally Posted by yuvraj View Post
एक सामान्य सी बात है कि कौन क्या है और कौन कहां जाता है ये मुद्दा हमेशा निर्जीव ही रहा है। सूपर माडरेटर जी के शब्दों में… किसी प्रयोक्ता नाम पर किसी का पैटेंट नहीं होता। मुद्दे वैसे उठाइए जिनमें दम हो। क्या आप अपनी इस प्रविष्टि के बारे में जानकारी दे सकते हैं कि इसे आपको क्यूँ करना पडा???
धन्यवाद।
प्रिय अनुज युवी,
हमें इस प्रविष्टि को सकारात्मक दृष्टि से ये सोचकर लेना चाहिए कि ये एक अच्छे हिंदी मंच को बचाने की एक खूबसूरत पहल है....अधिक गहराई में जाता तो शायद मैं भी वो प्रविष्टि ना कर पाता जो मैं ऊपर की है...
मैं उपरोक्त प्रविष्टि कर सका क्योंकि मैंने कुछ दिन पहले आपके द्वारा इस खूबसूरत हिंदी मंच को पुनर्जीवित करने की एक अपील पढी थी.
धन्यवाद.
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Old 04-10-2012, 03:37 PM   #44
YUVRAJ
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Smile Re: यादें फोरम की.

प्रणाम अनिल भैया,
बहुत ही हल्के में हूँ और आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। अभिषेक जी के द्वारा की उस प्रविष्टि को क्वेट ही नहीं किया जिसे आपने क्वेट किया है, क्योंकि जिन नकारात्मक सदस्यों का जिक्र किया गया है वो आज भी फोरम के प्रबंधन से जुडे है। शायद हौसले की कमी है इस लिए उन नामों का जिक्र नहीं किया गया है। सकारात्मक दृष्टि के साथ ही सभी के सकारात्मक दृष्टिकोण की भी जरूरत है।
धन्यवाद।
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Originally Posted by aksh View Post
प्रिय अनुज युवी,
हमें इस प्रविष्टि को सकारात्मक दृष्टि से ये सोचकर लेना चाहिए कि ये एक अच्छे हिंदी मंच को बचाने की एक खूबसूरत पहल है....अधिक गहराई में जाता तो शायद मैं भी वो प्रविष्टि ना कर पाता जो मैं ऊपर की है...
मैं उपरोक्त प्रविष्टि कर सका क्योंकि मैंने कुछ दिन पहले आपके द्वारा इस खूबसूरत हिंदी मंच को पुनर्जीवित करने की एक अपील पढी थी.
धन्यवाद.
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Old 04-10-2012, 03:51 PM   #45
aksh
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Default Re: यादें फोरम की.

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Originally Posted by yuvraj View Post
प्रणाम अनिल भैया,
बहुत ही हल्के में हूँ और आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। अभिषेक जी के द्वारा की उस प्रविष्टि को क्वेट ही नहीं किया जिसे आपने क्वेट किया है, क्योंकि जिन नकारात्मक सदस्यों का जिक्र किया गया है वो आज भी फोरम के प्रबंधन से जुडे है। शायद हौसले की कमी है इस लिए उन नामों का जिक्र नहीं किया गया है। सकारात्मक दृष्टि के साथ ही सभी के सकारात्मक दृष्टिकोण की भी जरूरत है।
धन्यवाद।
खुश रहो अनुज.

अगर हिंदी के किसी साफ़ सुथरे मंच को आगे बढना है तो उन नकारात्मक सदस्यों को जिनका नाम आपके अनुसार संचालक जी की प्रविष्टि में नहीं था, अपने आपको बदलना पडेगा या फिर संचालक जी को उनको रिप्लेस करना होगा क्योंकि उस सोच को बदले बिना इस खूबसूरत मंच को आगे नहीं बढाया जा सकता.

आप और हम जैसे कुछ लोग साफ़ सुथरे हिंदी मंच को ही आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं...ये बात हमने हिंदी क्लब और हरियाणा इन्फो को आगे बढ़ाकर साबित कर दी है....

हमें जहाँ भी मौक़ा मिलेगा अपनी खुशबू बिखेरेंगे क्योंकि हम हिंदी से बड़े नहीं हैं...और हिंदी हमारी रग रग में बसी है और वही हमारी जीवन दायी प्राण वायु है.
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Old 04-10-2012, 04:00 PM   #46
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Default Re: यादें फोरम की.

आज पुनः वन लाइनर…
सफलताओं के राज़ लाचारी या ताकत की जरूरत नहीं होती, रणनीति की कामयाबी में हर पहलू मायने रखता है।
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Originally Posted by aksh View Post
खुश रहो अनुज.

अगर हिंदी के किसी साफ़ सुथरे मंच को आगे बढना है तो उन नकारात्मक सदस्यों को जिनका नाम आपके अनुसार संचालक जी की प्रविष्टि में नहीं था, अपने आपको बदलना पडेगा या फिर संचालक जी को उनको रिप्लेस करना होगा क्योंकि उस सोच को बदले बिना इस खूबसूरत मंच को आगे नहीं बढाया जा सकता.

आप और हम जैसे कुछ लोग साफ़ सुथरे हिंदी मंच को ही आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं...ये बात हमने हिंदी क्लब और हरियाणा इन्फो को आगे बढ़ाकर साबित कर दी है....

हमें जहाँ भी मौक़ा मिलेगा अपनी खुशबू बिखेरेंगे क्योंकि हम हिंदी से बड़े नहीं हैं...और हिंदी हमारी रग रग में बसी है और वही हमारी जीवन दायी प्राण वायु है.

Last edited by YUVRAJ; 04-10-2012 at 04:05 PM. Reason: संपादन।
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Old 04-10-2012, 04:09 PM   #47
aksh
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Default Re: यादें फोरम की.

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Originally Posted by yuvraj View Post
आज पुनः वन लाइनर…
सफलताओं का राज़ लाचारी या ताकत की जरूरत नहीं होती।
पूर्ण रूप से सहमत होते हुए भी ये बात रख रहा हूँ.

मैंने बहुत से लाचार लोगों को सफलता की सीढियां चढ़ते देखा है...बल्कि मैंने अपने जीवन में ये महसूस किया है कि जो लोग लाचार नहीं हैं वो अपनी अपनी जिन्दगी में इतने व्यस्त हैं कि वो कभी लीक से हटकर और आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकिंग नहीं कर पाते हैं.

उदाहरण के लिए बड़ी सफलता अक्सर उन लोगों को मिलती हैं जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं था और वो उस समय खाली थे जब मौके उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे. मेरे कई सहपाठी मित्र ऐसे थे जिनके बारे में मैं सोचता था कि ये क्या करेंगे जिंदगी में...क्योंकि घर में पूँजी नहीं थी...और जेब में डिग्री तो आयी पर सिर्फ काम चलाऊ...पर आज हमारे सहपाठियों में जो दो तीन सबसे सफल हैं वो वही हैं जिनके सफल होने की संभावना बिलकुल नगण्य नजर आती थी.

वैसे मैं स्वामी विवेकानंद जी के एक वाक्य से बहुत प्रेरित होता हूँ..." ताकत ही जीवन है...कमजोरी मौत है..."
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Old 04-10-2012, 04:17 PM   #48
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Thumbs up Re: यादें फोरम की.

बहुत ही सही बात है और यदि हमने ताकत का जिक्र किया है तो बेजा इस्तेमाल के संदर्भ में।
लाचारी के लिए वर्तमान में इस उदाहरण से काफी सीख मिलती है।
कृपया यहाँ चटका लगाये।
Quote:
Originally Posted by aksh View Post
पूर्ण रूप से सहमत होते हुए भी ये बात रख रहा हूँ.

मैंने बहुत से लाचार लोगों को सफलता की सीढियां चढ़ते देखा है...बल्कि मैंने अपने जीवन में ये महसूस किया है कि जो लोग लाचार नहीं हैं वो अपनी अपनी जिन्दगी में इतने व्यस्त हैं कि वो कभी लीक से हटकर और आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकिंग नहीं कर पाते हैं.

उदाहरण के लिए बड़ी सफलता अक्सर उन लोगों को मिलती हैं जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं था और वो उस समय खाली थे जब मौके उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे. मेरे कई सहपाठी मित्र ऐसे थे जिनके बारे में मैं सोचता था कि ये क्या करेंगे जिंदगी में...क्योंकि घर में पूँजी नहीं थी...और जेब में डिग्री तो आयी पर सिर्फ काम चलाऊ...पर आज हमारे सहपाठियों में जो दो तीन सबसे सफल हैं वो वही हैं जिनके सफल होने की संभावना बिलकुल नगण्य नजर आती थी.

वैसे मैं स्वामी विवेकानंद जी के एक वाक्य से बहुत प्रेरित होता हूँ..." ताकत ही जीवन है...कमजोरी मौत है..."
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Old 04-10-2012, 04:25 PM   #49
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Originally Posted by YUVRAJ View Post
बहुत ही सही बात है और यदि हमने ताकत का जिक्र किया है तो बेजा इस्तेमाल के संदर्भ में।
लाचारी के लिए वर्तमान में इस उदाहरण से काफी सीख मिलती है।
कृपया यहाँ चटका लगाये।
मैंने जो बात कही उसका सबसे जोरदार उदाहरण आपने पेश किया...!!
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Old 04-10-2012, 04:29 PM   #50
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धन्यवाद।

युवराज जी, सवाल यह नहीं है की ऐसा क्यों करना पड़ा, सवाल यह है की इसमें इतनी देर क्यों हो गयी? इसी मुद्दे के कारण फोरम को सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ था.
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