04-10-2012, 03:19 PM | #41 | |
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Re: यादें फोरम की.
धन्यवाद। Quote:
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04-10-2012, 03:22 PM | #42 | |
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Re: यादें फोरम की.
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फोरम के संचालक मंडल ने अपनी पूर्व में की गयी भूल को स्वीकार किया है ये एक साहसिक कदम है और मैं इस कदम का स्वागत करता हूँ....और उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में इस फोरम रुपी समुद्र के सूखे तल से कुछ जल के स्रोत फिर से फूटेंगे....और ये समुद्र फिर से इस लायक हो जाएगा कि यहाँ पर विचार मंथन करके अमृत वर्षा कराई जा सके. धन्यवाद.
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04-10-2012, 03:29 PM | #43 | |
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Re: यादें फोरम की.
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हमें इस प्रविष्टि को सकारात्मक दृष्टि से ये सोचकर लेना चाहिए कि ये एक अच्छे हिंदी मंच को बचाने की एक खूबसूरत पहल है....अधिक गहराई में जाता तो शायद मैं भी वो प्रविष्टि ना कर पाता जो मैं ऊपर की है... मैं उपरोक्त प्रविष्टि कर सका क्योंकि मैंने कुछ दिन पहले आपके द्वारा इस खूबसूरत हिंदी मंच को पुनर्जीवित करने की एक अपील पढी थी. धन्यवाद.
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04-10-2012, 03:37 PM | #44 | |
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Re: यादें फोरम की.
प्रणाम अनिल भैया,
बहुत ही हल्के में हूँ और आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। अभिषेक जी के द्वारा की उस प्रविष्टि को क्वेट ही नहीं किया जिसे आपने क्वेट किया है, क्योंकि जिन नकारात्मक सदस्यों का जिक्र किया गया है वो आज भी फोरम के प्रबंधन से जुडे है। शायद हौसले की कमी है इस लिए उन नामों का जिक्र नहीं किया गया है। सकारात्मक दृष्टि के साथ ही सभी के सकारात्मक दृष्टिकोण की भी जरूरत है। धन्यवाद। Quote:
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04-10-2012, 03:51 PM | #45 | |
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Re: यादें फोरम की.
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अगर हिंदी के किसी साफ़ सुथरे मंच को आगे बढना है तो उन नकारात्मक सदस्यों को जिनका नाम आपके अनुसार संचालक जी की प्रविष्टि में नहीं था, अपने आपको बदलना पडेगा या फिर संचालक जी को उनको रिप्लेस करना होगा क्योंकि उस सोच को बदले बिना इस खूबसूरत मंच को आगे नहीं बढाया जा सकता. आप और हम जैसे कुछ लोग साफ़ सुथरे हिंदी मंच को ही आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं...ये बात हमने हिंदी क्लब और हरियाणा इन्फो को आगे बढ़ाकर साबित कर दी है.... हमें जहाँ भी मौक़ा मिलेगा अपनी खुशबू बिखेरेंगे क्योंकि हम हिंदी से बड़े नहीं हैं...और हिंदी हमारी रग रग में बसी है और वही हमारी जीवन दायी प्राण वायु है.
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04-10-2012, 04:00 PM | #46 | |
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Re: यादें फोरम की.
आज पुनः वन लाइनर…
सफलताओं के राज़ लाचारी या ताकत की जरूरत नहीं होती, रणनीति की कामयाबी में हर पहलू मायने रखता है। Quote:
Last edited by YUVRAJ; 04-10-2012 at 04:05 PM. Reason: संपादन। |
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04-10-2012, 04:09 PM | #47 | |
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Re: यादें फोरम की.
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मैंने बहुत से लाचार लोगों को सफलता की सीढियां चढ़ते देखा है...बल्कि मैंने अपने जीवन में ये महसूस किया है कि जो लोग लाचार नहीं हैं वो अपनी अपनी जिन्दगी में इतने व्यस्त हैं कि वो कभी लीक से हटकर और आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकिंग नहीं कर पाते हैं. उदाहरण के लिए बड़ी सफलता अक्सर उन लोगों को मिलती हैं जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं था और वो उस समय खाली थे जब मौके उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे. मेरे कई सहपाठी मित्र ऐसे थे जिनके बारे में मैं सोचता था कि ये क्या करेंगे जिंदगी में...क्योंकि घर में पूँजी नहीं थी...और जेब में डिग्री तो आयी पर सिर्फ काम चलाऊ...पर आज हमारे सहपाठियों में जो दो तीन सबसे सफल हैं वो वही हैं जिनके सफल होने की संभावना बिलकुल नगण्य नजर आती थी. वैसे मैं स्वामी विवेकानंद जी के एक वाक्य से बहुत प्रेरित होता हूँ..." ताकत ही जीवन है...कमजोरी मौत है..."
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04-10-2012, 04:17 PM | #48 | |
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Re: यादें फोरम की.
बहुत ही सही बात है और यदि हमने ताकत का जिक्र किया है तो बेजा इस्तेमाल के संदर्भ में।
लाचारी के लिए वर्तमान में इस उदाहरण से काफी सीख मिलती है। कृपया यहाँ चटका लगाये। Quote:
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04-10-2012, 04:25 PM | #49 | |
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Re: यादें फोरम की.
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04-10-2012, 04:29 PM | #50 | |
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Re: यादें फोरम की.
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युवराज जी, सवाल यह नहीं है की ऐसा क्यों करना पड़ा, सवाल यह है की इसमें इतनी देर क्यों हो गयी? इसी मुद्दे के कारण फोरम को सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ था.
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