04-12-2014, 10:49 PM | #41 |
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भारतीय नौसेना दिवस आधुनिकतम विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य ^
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
04-12-2014, 10:54 PM | #42 |
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4 दिसम्बर: भारतीय नौसेना दिवस पर विशेष
आधुनिकतम विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य आईएनएस विक्रमादित्य आधुनिक सेंसरों और हथियारों से सुसज्जित है, इस पर एक साथ मिग-29के नौसेना लड़ाकू विमान के साथ ही कामोव 31 और कामोव 28 पनडुब्बी रोधी और समुद्री निगरानी 10 हेलीकॉप्टर रहेंगे। यह आईएनएस विराट से दोगुना बड़ा है। इसकी एक दिन में 600 नॉटिकल माइल्स के सफर की क्षमता जल्द से जल्द दुश्मन के तट तक पहुंचने योग्य बनाती है। आईएनएस विक्रमादित्य एक तरह से तैरता हुआ शहर की तरह है, जिसका वजन 45,500 टन है। इस युद्धपोत की लंबाई 284 मीटर है, जो तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर है। यह युद्धपोत 60 मीटर ऊंचा है जो लगभग 20 मंजिला इमारत के बराबर है। इसमें 22 छतें हैं। इस पर 1600 नौसैनिक तैनात होंगे। इन नौसैनिकों के लिए हर महीने 16 टन चावल, एक लाख अंडे, 20 हजार लीटर दूध आवश्यक होगा। आईएनएस विक्रमादित्य लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसकी क्षमता आठ हजार टन ईंधन की है। इसके हवाई अड्डे से सात हजार समुद्री मील या 13,000 किमी तक अभियान चलाया जा सकता है। यानी इसकी छत से उड़े लड़ाकू विमान अमेरिका तक तबाही मचा सकते हैं। **
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25-01-2015, 01:38 PM | #43 |
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Perumal Murugan पेरुमाल मुरुगन It is a travesty of a democratic society in which religious bigots run amok to gag the voice of a renowned author to such an extent that he gave up writing altogether. It is a pity that he has forbidden his publishers from selling his books, asked the booksellers and his readers to consign his books to flames. Further, he has assured the publishers that he would compensate them with the production cost and the cost of unsold books. He was also willing to compensate the booksellers and readers too. Is it the progressive society which claims to thrive on the ideals of- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय , मॄत्योर्माअमॄतं गमय । हे प्रभु! असत्य से सत्य, अन्धकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरता की ओर मेरी गति हो । O Lord! Lead me from the untruth to truth, darkness to light and death to immortality. तमिल लेखक को डर है कि कहीं उनका हश्र भी सलमान रूश्दी तथा तसलीमा नसरीन वाला न हो. In my opinion, what is happening is atrocious, to say the least. Sometimes people force a publisher to disown a published work of a renowned indologist (ref. Wendy Doniger's book) and at others, they want to stop the exhibition of a cinematic masterpiece (recently the target was PK) and now they have coerced a scholar and a writer to commit literary harakiri.
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25-01-2015, 01:43 PM | #44 |
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Perumal Murugan
पेरुमाल मुरुगन तमिल साहित्य के नामचीन लेखक 48 वर्षीय पेरुमल मुरुगन ने अपनी फेसबुक वॉल पर एक सुसाईड नोट लिखा। नोट में लिखा है कि लेखक पी. मुरुगन की मौत हो चुकी है। वह भगवान नहीं है। वह फिर नहीं आएगा। इसलिए अब सिर्फ पी. मुरुगन, एक शिक्षक जिंदा है। दरअसल 4 पुस्तकों के चर्चित तमिल लेखक पेरुमल मुरूगन के एक उपन्यास से उपजे बवाल के बाद उन्होंने ऐसा लिख डाला। क्यों इस उपन्यास का घोर विरोध हो रहा है। इसे समाज-विरोधी माना गया और विरोधियों ने उनसे उपन्यास वापस लेने के लिए उन्हें विवश कर दिया। जिससे आहत होकर उन्होंने फेसबुक पर अपनी मौत के बारे में लिख दिया। पेरुमल मुरूगन ने तंग आकर अपनी फेसबुक वॉल पर एक सुसाइड नोट लिखा है कि लेखक पेरुमल मुरूगन मर गया है। उन्होंने अपनी सारी पुस्तकें वापस ले ली हैं और पाठकों से अपील की है कि वे उनकी समस्त पुस्तकें जला दें तथा प्रकाशक उनकी पुस्तकें न बेचें। नोट में उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया गया है जिन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी और उनके उपन्यास का समर्थन किया है। मुरुगन का नाम तमिल साहित्य के महान लेखकों में गिना जाता है। अपनी किताबों में उन्होंने कई सामाजिक कुरीतियों जैसे जात-पांत, छुआछूत और सामाजिक भेदभाव पर गहरी चोट की है।
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25-01-2015, 01:47 PM | #45 |
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पेरुमाल मुरुगन
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25-01-2015, 01:50 PM | #46 |
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25-01-2015, 01:51 PM | #47 |
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25-01-2015, 01:54 PM | #48 |
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पेरुमाल मुरुगन एक सांकेतिक चित्र
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25-01-2015, 02:06 PM | #49 |
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पेरुमाल मुरुगन ^ तमिल लेखक पेरुमाल मुरुगन तथा उनकी पुस्तक 'माधोरुभागन' (Madhorubhagan) which is published as "One Part Woman" in English
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25-01-2015, 05:12 PM | #50 |
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पेरुमाल मुरुगन मुरुगन अपनी इस किताब के माध्यम से जाति और समाज की उस हठधर्मिता के बारे में ज़ोरदार टिप्पणी करते हैं जिसकी वजह से पति-पत्नी के संबंधों में विवाद उठ खड़ा होता है और उनकी शादी संकट में आ जाती है. लेखक यह मान कर चलते हैं कि इस तरह की परंपराओं का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है, लेकिन ये कहानियां मौखिक रूप से ही कही जाती रही हैं. अपनी किताब में मुरुगन कहते हैं कि उन्हें अपने अध्ययन के दौरान ऐसे लोग मिले, जिन्हें लोग 'भगवान का दिया हुआ बच्चा' पुकारते हैं.इस बारे में वे लिखते हैं कि मैंने अनुमान लगाया था कि उन्हें ऐसा इसलिए पुकारा जाता है क्योंकि वे ईश्वर की पूजा के बाद जन्मे थे.
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