21-10-2012, 08:28 AM | #41 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
बकरे के अंड कोष को घी में भून कर पीपल और सेंधा नमक मिला कर सेवन करें ! इसे निरंतर खाने से व्यक्ति मदमती स्त्रियों के मद का भी भंजन (अत्यधिक कामातुर स्त्रियों को भी संतुष्ट) करने योग्य हो जाता है !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
21-10-2012, 08:43 AM | #42 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
द्राक्षासवं
चार सेर मुनक्का को 16 सेर पानी में पकाएं ! जब 4 सेर बाक़ी रह जाए, तो उतार लें और फिर इसमें 4 सेर गुड़ और 1 सेर धावे के फूल मिला कर मिट्टी के बर्तन में भर कर करडी में दबा दें ! जब वह सड़ कर उफनने लगे, तो वारुणी यंत्र द्वारा अर्क खींच लें ! फिर उस अर्क को दोबारा वारुणी यंत्र से खींचें ! इस प्रकार इस अर्क को दस बार वारुणी यंत्र से खींचें और फिर चतुर्जात, जावित्री, लौंग, भीमसेनी कपूर, केशर यह सब अनुमान से मिला कर अपनी जठराग्नि का विचार कर सेवन करें, तो यह क्षय, यक्ष्मा (टीबी) को दूर करता है ! इसे चिकने भोजन के साथ सेवन करने से 90 वर्ष का बूढा भी पौरुष पर अभिमान करने योग्य हो जाता है !
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23-10-2012, 09:40 AM | #43 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
बाजीकरण पूपालिका
तिल, उड़द, विदारीकन्द, शाली चावल - इन चारों का बारीक चूर्ण कर पौंडा नामक गन्ने के रस में गूंथ लें ! इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिलाएं और मेद्का मोन डालें ! अब इसकी शुद्ध घी में पूड़ी बना लें ! यह पूड़ी परम बाजीकरण है ! इसको खाने वाला पुरुष इच्छा के अनुसार कितना ही सहवास लगातार करने में सक्षम हो जाता है !
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23-10-2012, 09:45 AM | #44 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
म्लेच्छ योग
बकरे के अंडकोष को दूध में डाल कर पकाएं ! इस दूध की भावना तिल को दें ! इस प्रकार कई बार तिलों को इस दूध की भावना दें, फिर सुखा लें ! फिर दो तोला तिल खाकर ऊपर से मिश्री मिला धारोष्ण दूध पी लें ! इस योग को नित्य करने वाला पुरुष चिड़े के सामान सहवास में सक्षम हो जाता है !
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24-10-2012, 11:44 PM | #45 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
पुरुषार्थ दायक वस्ति कर्म
जीवंती, अतिबला, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीरकाकोली, दोनों तरह का जीरा, हरड, पीपड, काकनासा, वायविडंग, कौंच के बीज, पुनर्नवा अथवा कचूर, काकड़ासिंगी, जीवक, ऋषभक, दोनों तरह के सारिवा, सहचर, वीयावांसा, त्रिफला, सोंठ, पिप्पली मूल - इन सभी को समान भाग लेकर चूर्ण करके पहले थोड़े घी में भून लें ! इसके बाद घी अथवा तेल या तेल और घी दोनों के मिश्रण में इस कल्क को मिलाएं और तेल-घी से आठ गुना दूध डाल कर पकाएं ! इसके द्वारा अनुवासनवस्ति देने से वीर्य की, जठराग्नि की और बल की वृद्धि होती है ! सिद्ध किया हुआ यह तेल पुष्टिकारक तो है ही, साथ ही वात, पित्त का नाश करता है तथा गुल्म और अफारा को पूरी तरह नष्ट कर देता है ! इसको यदि नासिका से अथवा पीकर सेवन किया जाए, तो यह सर्दी तथा कफ से जनित सभी रोगों को समूल नष्ट कर देता है !
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25-10-2012, 12:05 AM | #46 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
अब इस सूत्र में कुछ ऐसे चूर्ण बनाने की विधियां प्रस्तुत की जाएंगी, जो वीर्य को शुद्ध करने, बढ़ाने, शुक्र की क्षीणता को नष्ट करने के साथ प्रमेह (महिलाओं का श्वेत प्रदर) आदि घोर व्याधियों को नष्ट करके आयु तथा आरोग्यता को बढ़ाने वाली औषधियां हैं ! इन्हें तैयार करते समय दो बातें विशेषकर याद रखें - जहां-जहां कपड़छन का प्रयोग हो, वहां यह ध्यान रखें कि दवा को छानने वाला वस्त्र रंगहीन और एकदम शुद्ध हो (या तो धुला हुआ अथवा कोरा सूती) ! दूसरी बात- सभी औषधियों को खरल अथवा सिल-बट्टे पर ही बारीक करें, मिक्सी का प्रयोग करने की भूल कदापि न करें, यदि आप ऐसा करेंगे, तो औषधि का सम्पूर्ण तेज़ नष्ट हो जाएगा यानी वह शक्ति रहित हो जाएगी ! तीसरी बात, इस पिसे हुए पदार्थ अथवा चूर्ण का संबोधन कई जगह आपको रज अथवा क्षोद भी मिल सकता है, अनुवाद करते समय अक्सर यह स्मरण नहीं रहता कि अब तक हम किस शब्द का उपयोग करते आए हैं, अतः ये दोनों शब्द कहीं आने पर उन्हें चूर्ण ही मानें ! यह भी ध्यान रखें कि चूर्ण की सेवन मात्रा सामान्यतया एक तोला बताई गई है, किन्तु इससे अधिक किसी कुशल वैद्य के निर्देशन में ही सेवन करें, अन्यथा आप दस्त, उल्टी अथवा अन्य विकारों का शिकार हो सकते हैं ! धन्यवाद !
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25-10-2012, 12:52 AM | #47 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
गोक्षुरादि चूर्णम
गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच के बीज, गंगेरण और खरैटी - इन सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण कर रख लें, अब प्रतिदिन रात्रि के समय इसमें समान मात्रा की मिश्री मिलाकर दो तोला चूर्ण खाएं और ऊपर से मिश्री मिला गर्म अथवा धारोष्ण (गाय के थनों से तत्काल निकाला गया) दूध पिएं ! परम बाजीकर्ता यह योग बूढ़े को भी जवान बना देने में सक्षम है !
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28-10-2012, 03:01 AM | #48 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
गोक्षुरादि चूर्णम : एक अन्य प्रयोग
गोखरू और कौंच के बीज को समान मात्रा में लेकर मिला लें ! इस चूर्ण को मिश्री मिले गर्म दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने वाला पुरुष स्त्री से नित्य दस बार सम्भोग करने योग्य शक्तिवान हो जाता है !
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28-10-2012, 03:21 AM | #49 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
नारसिंह चूर्णम
शतावर का चूर्ण एक सेर, दक्षिणी गोखरू का चूर्ण एक सेर, बराही कंद का चूर्ण एक सेर, गिलोय सत्व सवा सेर, शुद्ध भिलावे दो सेर, चित्रक की छाल ढाई पाव, शुद्ध तिल एक सेर, त्रिकुटा आधा सेर, मिश्री साढ़े चार सेर, शहद सवा दो सेर, गाय का घी एक सेर- दो छटांक लें ! इन सभी को कूट छान कर मिला लें और चिकने शुद्ध पात्र में रख दें ! इसमें से दो तोला प्रतिदिन प्रातःकाल खाएं और उचित मात्रा में पौष्टिक भोजन करें ! इसके एक माह तक लगातार सेवन से बुढापे के कारण होने वाले सभी रोग दूर हो जाते हैं ! देह में गुठलियां बनना, बाल सफ़ेद होना अथवा गंजापन होना, प्रमेह, पांडु (पीलिया अथवा रक्त की कमी), पीनस, कोढ़ सहित अठारह प्रकार के चर्म (त्वचा) रोग, आठ तरह के उदार रोग, भगंदर, मूत्रकृच्छ, हलीमक, क्षयरोग, महाश्वास, पांच प्रकार की खांसी, 80 प्रकार के वायु रोग, 40 प्रकार के पित्त रोग, काफ के 20 तरह के रोग, मिश्रित और सन्निपात के रोग, सभी तरह के बबासीर जैसे रोगों को यह चूर्ण ठीक उसी प्रकार नष्ट कर देता है जिस तरह इंद्र का वज्र वृक्षों को नष्ट करता है ! इसके सेवन से वीर्य अत्यंत बढ़ जाता है, जिससे मनुष्य स्त्री से नित्य दस बार गमन करने योग्य हो जाता है ! इसके प्रभाव से मनुष्य शेर के समान शूरवीर पुत्र उत्पन्न करने में सक्षम हो जाता है ! अनेक गुणों वाला यह नारसिंह चूर्ण मनुष्य के समस्त रोगों को दूर करने की सामर्थ्य वाली दिव्य औषधि है !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 30-10-2012 at 04:34 PM. |
28-10-2012, 03:21 AM | #50 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
मूसली चूर्णम
मूसली स्याह और सफ़ेद, विदारी कंद, गिलोय का सत्व, कौंच के बीज, गोखरू, शेंवला की मूसली इन सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और फिर चूर्ण के बराबर मिश्री मिला कर रख लें ! प्रतिदिन डेढ़ या दो तोला खाकर ऊपर से मिश्री और घी मिला कर दूध पिएं ! इससे वीर्य शुद्ध, पुष्ट होता है और मनुष्य की काम शक्ति बढ़ जाती है !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 28-10-2012 at 03:27 AM. |
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