02-04-2014, 08:58 PM | #41 |
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Re: शायरी में मुहावरे
भावार्थ: किसी चीज की तलाश में भटकना उदाहरण: क्यों खाक़ छानता है दिला कू-ब-कू अबस मिस्ले-सबा है उसकी तुझे जुस्तजू अबस कू-ब-कू = हर दिशा में / अबस = व्यर्थ / मिस्ले-सबा = हवा की भांति (शायर: कोशकार स्वयं)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
02-04-2014, 09:00 PM | #42 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > खाला का घर नहीं
भावार्थ: आराम और शांति का ठिकाना उदाहरण: दिल देने पर है जी तो करो खानमाँ ख़राब ये आशिक़ी है शैख़ जी खाला का घर नहीं (शायर: मो. हसन ‘मोहसिन’)
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02-04-2014, 09:03 PM | #43 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > ख़बर-अतर
भावार्थ: किसी के बारे में (शुभ या अशुभ) सूचना उदाहरण: बादे-सबा से ज़ुल्फे-मुअत्तर की हम तलक मुद्दत हुई कि पहुंची नहीं कुछ खबर अतर (शायर: मीर सज्जाद)
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02-04-2014, 09:09 PM | #44 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > दांत निकालने
(इससे मिलता जुलता मुहावरा है- खीसे निपोरने) भावार्थ: 1. दीनता व नम्रता दिखाना 2. हँसना उदाहरण: 1. जुल्फों के जब उलझते हैं उस पास आके बाल देता है शाना आजिज़ी से दांत तब निकाल (शायर: मीर सज्जाद) 2. सुन ‘सोज़’ अबस देख के हैरां होगा, खूबां का जमाल दिल ज़ुल्फ़ में उलझेगा परेशां होगा, मत दांत निकाल (शायर: मीर सोज़)
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04-04-2014, 11:55 PM | #45 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > दोनों वक़्त का मिलना
भावार्थ: आम धारणा के अनुसार तीसरे पहर और संध्या के बीच का समय उदाहरण: न लेट इस तर्ह मुंह पर ज़ुल्फ़ को बिखरा के ऐ ज़ालिम ज़रा उठ बैठ तू इस दम कि दोनों वक़्त मिलते हैं (शायर: मीर हसन)
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04-04-2014, 11:57 PM | #46 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > दिन को दिन, रात को रात न जानना
भावार्थ: गहरी तल्लीनता / सारे संसार से बेख़बर होना उदाहरण: क्या कहिये कटी हिज्र में क्योंकर औक़ात नै ख्वाबो-ख़ुरिश ध्यान में, नै मौतों-हयात दिन रात ख़याले-ज़ुल्फो- रूखे- पेशे- नज़र जाना नहीं, आह, दिन को दिन रात को रात (शायर: मिर्ज़ा अली नकी ‘महशर’)
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04-04-2014, 11:58 PM | #47 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > दौड़ धूप करना
भावार्थ: किसी ख़ास काम के लिये कठिन प्रयास करना उदाहरण: तन्हा न एक चाँद है गर्दिश में तुझ हुज़ूर करता है आफ़ताब भी तुझ आगे दौड़ धूप (गर्दिश में तुझ हुज़ूर = तेरे आगे पीछे चक्कर लगना / आफ़ताब = सूरज) (शायर: मीर सज्जाद)
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05-04-2014, 12:00 AM | #48 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > दिल-गुर्दा
भावार्थ: शूरवीरों की तरह साहस दिखाना उदाहरण: नज़र आता था बकरी सा, किया पर ज़िब्ह शेरों को न जाना मैं कि ये कस्साब का रखता है दिल गुर्दा (शायर: मो. क़ायम)
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06-04-2014, 12:13 AM | #49 |
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Re: शायरी में मुहावरे
एक से बढकर एक सुंदर मुहावरे.........
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08-04-2014, 01:22 AM | #50 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > धक रह जाना या धक हो जाना
भावार्थ: घबराहट से या कोई चिंताजनक समाचार सुन कर दिल पर अचानक आघात लगना अथवा डर जाना उदाहरण: एक बारी धक से होकर जी से फिर निकली न सांस किस शिकार अंदाज़ का ये तीर बेआवाज़ है (शायर: मीर सोज़)
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