02-03-2014, 10:46 AM | #41 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
कुछ ही दूर वह उन्मत्त हाथी तोड़फोड़ मचाकर व पेट भरकर कोंपलों वाली शाखाएं खाकर मस्ती में खडा झूम रहा था। पहला काम भंवरे का था। वह हाथी के कानों के पास जाकर मधुर राग गुंजाने लगा। राग सुनकर हाथी मस्त होकर आंखें बंद करके झूमने लगा। तभी कठफोडवी ने अपना काम कर दिखाया। वह आई और अपनी सुई जैसी नुकीली चोंच से उसने तेजी से हाथी की दोनों आंखें बींध डाली। हाथी की आंखे फूट गईं। वह तडपता हुआ अंधा होकर इधर-उधर भागने लगा। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, हाथी का क्रोध बढता जा रहा था। आंखों से नजर न आने के कारण ठोकरों और टक्करों से शरीर जख्मी होता जा रहा था। जख्म उसे और चिल्लाने पर मजबूर कर रहे थे। चिड़िया कॄतज्ञ स्वर में मेंढक से बोली 'बहिया, मैं आजीवन तुम्हारी आभारी रहूंगी। तुमने मेरी इतनी सहायता कर दी।' मेंढक ने कहा 'आभार मानने की ज़रुरत नहीं। मित्र ही मित्रों के काम आते हैं।' एक तो आंखों में जलन और ऊपर से चिल्लाते-चिंघाड़ते हाथी का गला सूख गया। उसे तेज प्यास लगने लगी। अब उसे एक ही चीज़ की तलाश थी, पानी। मेंढक ने अपने बहुत से बंधु-बांधवों को इकट्ठा किया और उन्हें ले जाकर दूर बहुत बडे गड्ढे के किनारे बैठकर टर्राने के लिए कहा। सारे मेंढक टर्राने लगे। मेंढक की टर्राहट सुनकर हाथी के कान खडे हो गए। वह यह जानता था कि मेंढक जल स्त्रोत के निकट ही वास करते हैं। वह उसी दिशा में चल पड़ा। टर्राहट और तेज होती जा रही थी। प्यासा हाथी और तेज भागने लगा। जैसे ही हाथी गड्ढे के निकट पहुंचा, मेंढकों ने पूरा ज़ोर लगाकर टर्राना शुरू किया। हाथी आगे बढा और विशाल पत्थर की तरह गड्ढे में गिर पडा, जहां उसके प्राण पखेरु उडते देर न लगे इस प्रकार उस अहंकार में डूबे हाथी का अंत हुआ। **
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
11-03-2014, 12:35 AM | #42 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
एक चुप सौ सुख
एक जमीदार था, एक उसकी घर वाली थी| घर मे दो जने ही थे | जमीदार खेत मे काम करता था और उसकी पत्नी घर का काम करती थी | पति-पत्नी दोनों ही गरम स्वभाव के थे| थोड़ी थोड़ी बात पर दोनों मे ठन जाती थी| कभी कभी तो घरवाली का बना बनाया खाना भी बेकार हो जाता था| एक दिन घरवाली अपनी रिश्तेदारी मे गई| वहां उसे एक बुजुर्ग औरत मिली | बातों बातों मे जमींदार की घरवाली ने बुजुर्ग औरत को बताया कि मेरे घरवाले का मिजाज बहुत चिड़चिड़ा है वे जब तब मेरे से लड़ते ही रहते हैं| कभी कभी इससे हमारी बनी बनाई रसोई बेकार चली जाती है| बुजुर्ग महिला ने कहा यह कोई बड़ी बात नहीं है |ऐसा तो हर घर मे होता रहता है| मेरे पास इस की एक अचूक दवा है| जब भी कभी तेरा घरवाला तेरे साथ लड़े, तब तुम उस दवाको अपने मुंह मे रख लेना, इस से तुम्हारा घरवाला अपने आप चुप हो जाएगा| बुजुर्ग महिला अपने अन्दर गई, एक शीशी भर कर ले आई और उसे दे दी| जमीदार की घरवाली ने घर आ कर दवा की परीक्षा करनी शुरू कर दी जब भी जमीदार उस से लड़ता था वह दवा मुंह मे रख लेती थी| इस से काफी असर दिखाई दिया | जमीदार का लड़ना काफी कम हो गया था| यह देख कर वह काफी खुश हुई| वह ख़ुशी-ख़ुशी बुजुर्ग महिला के पास गई और कहा आप की दवाई तो कारगर सिद्ध हुई है, आप ने इस मे क्या क्या डाला है जरा बता देना, मे इसे घर मे ही बना लूँगी | बार बार आना जाना मुश्किल हो जाता है| इसपर बुजुर्ग महिला ने जवाब दिया की जो शीशी मैंने तुम्हे दी थी उस मे शुद्ध जल के सिवाय कुछ भी नहीं था| तुम्हारी समस्या का हल तो तुम्हारे चुप रहने से हुई है | जब तुम दवा यानि की पानी को मुंह मे भर लेती थी तो तुम बोल नहीं सकती थी और तुम्हारी चुप्पी को देख कर तुम्हारे घरवाले का भी क्रोध शांत हो जाता था|इसी को "एक चुप सौ सुख" कहते हैं| बुजुर्ग महिला ने जमीदार की घरवाली को सीख दी की इस दवाको कभी भूलना मत औरअगर किसी को जरूरत पड़े तो आगे भी लेते रहना| जमीदार की घरवाली ने बुजुर्ग महिला की बात कोगांठ बांध लिया और ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापिस आ गई| (आलेख: के. आर. जोशी)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 11-03-2014 at 12:39 AM. |
11-03-2014, 01:38 PM | #43 | |
Exclusive Member
Join Date: Jul 2013
Location: Pune (Maharashtra)
Posts: 9,467
Rep Power: 117 |
Re: मुहावरों की कहानी
Quote:
एक से बढकर एक सुंदर मुहावरों की यथार्थवादी कहानियों को प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.........
__________________
*** Dr.Shri Vijay Ji *** ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे: .........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :......... Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread. |
|
13-03-2014, 01:04 AM | #44 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
लेना एक न देना दो एक पोखर के पास एक मोर और कछुआ साथ साथ रहते थे. मोर पेड़ पर रहता और दाना चुग्गा खा कर प्रसन्न रहता. उसका मित्र कछुआ पोखर में रहता और बीच बीच में पोखर से बाहर निकल कर मोर के साथ देर तक बातें करता. एक बार उस स्थान पर एक बहेलिया आया और उसने मोर को अपने जाल में फंसा लिया. वह मोर को बेचने के लिये हाट की ओर ले जाने लगा. इस पर मोर ने बहेलिये से बड़े कातर स्वर में कहा, “तुम मुझे जहां चाहे मर्जी ले जाओ. लेकिन, जाने से पहले मैं पोखर में रहने वाले अपने मित्र कछुए से मिलना चाहता हूँ. फिर तो उससे कभी मुलाक़ात होने से रही. बहेलिया राजी हो गया. मोर को बंदी हालत में देख कर कछुआ बहुत दुखी हुआ. उसने बहेलिये से कहा, “यदि तुम मेरे मित्र मोर को छोड़ दो तो मैं तुम्हें एक कीमती उपहार दूंगा. बहेलिया मान गया. कछुए ने तालाब में एक डुबकी लगाई और मुंह में एक कीमती हीरा ले कर बाहर आ गया. बहेलिये ने हीरे को देखा तो उसके एवज में उसने मोर को छोड़ दिया. >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
13-03-2014, 01:06 AM | #45 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
उधर हीरा ले कर बहेलिया चल गया तो कछुए ने मोर को कहीं दूर जा कर छुप जाने की सलाह दी. मित्र की बात मान कर मोर दूर चला गया. रास्ते में बहेलिये को लालच आ गया. उसके मन में विचार आया कि उसे कछुए से मोर की रिहाई के बदले में एक नहीं दो हीरे लेने चाहिये थे. यह ख़याल आते ही वह कछुए से मिलने पोखर पर आया. उसने कछुए से कहा कि मुझे मोर की रिहाई के बदले एक की जगह दो हीरे चाहिये थे.
उसकी बात सुन कर कछुआ समझ गया कि उसके मन में लालच आ गया है. सो, कछुए ने बहेलिये से कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें इसके साथ का दूसरा हीरा ला देता हूँ, जरा मुझे पहला वाला हीरा दे दो. बहेलिये ने कछुए को हीरा दे दिया. कछुए ने हीरा लिया और पोखर में चला गया और बहुत देर तक वापिस नहीं आया. यह प्रसंग सभी को मालूम हो गया और सब कहने लगे कि बहेलिये को एक हीरा वापिस नहीं देना चाहिये था और न ही कछुए को दो हीरे देने थे. तभी से यह कहावत मशहूर हो गई: लेना एक न देना दो.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
16-03-2014, 01:34 AM | #46 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
अद्धी के वास्ते पैसे का तेल जलाना
(कम फायदे के पीछे अधिक नुक्सान सहना) यह कहावत पैसे-पाई का हिसाब रखने वाले बनियों को ध्यान में रखते हुये बनी है. बनिए हिसाब के पक्के होते है. एक पैसे का हिसाब मिलाने के लिये घंटों मेहनत कर सकते हैं उससे कहीं अधिक खर्च कर सकते हैं. रात में काम करते समय चाहे रूपए का तेल जला दें. इस बारे में एक और कथा भी सुनने में आती है. लखनऊ में एक अफीमची हलवाई के यहाँ से रेवड़ी खरीद कर लिये जा रहा था. उसके दोने में से दो रेवड़ियां जमीन पर गिर गयीं. उन्हें वह चिराग़ ले कर ढूंढने लगा. राहगीरों में से एक ने पूछा, “मियाँ जी, आप इतनी देर से यहाँ क्या ढूंढ रहे है?” अफीमची बोला, “दो रेवड़ियां गिर गयीं हैं दोस्त.” राहगीर ने कहा, “आपने तो एक अद्धी की रेवड़ियों के लिये एक रूपए का तेल फूंक दिया होगा. इसी पैसे से और रेवड़ियां ले लेते.” अफीमची ने जवाब दिया, “भाई जान, मुझे पैसे की फ़िक्र बिलकुल नहीं है. डर सिर्फ इस बात का है कि किसी बेदर्द के हाथ अगर रेवड़ी लग जायेगी तो वह उन्हें खट से चबा कर ख़त्म कर देगा.” **
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
16-03-2014, 01:35 AM | #47 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
आब आब कर मर गये, सिरहाने था पानी
एक समय की बात है कि एक बनिया व्यापार के सिलसिले में काबुल गया. वहां रहते रहते वह अफ़गान भाषा बोलना सीख गया. अब वह पानी को ‘आब’ कहने लगा. कुछ समय पश्चात जब वह स्वदेश वापिस आया तो भी उसने अफ़गान भाषा के शब्द बोलने नहीं छोड़े. इत्तफ़ाक से वह घर आते ही बीमार पड़ गया. बीमारी की नीम बेहोशी की हालत में वह ‘आब’ ‘आब’ चिल्लाता रहा. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह क्या बोल रहा है. वह पानी न मिलने के कारण प्यासा ही मर गया. इसी को लेकर एक शे’र बड़ा मशहूर ही: काबुल गये बानिया, सीखी मुग़लिया बानी i आब आब कर मर गये, सिरहाने रखा पानीii **
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
16-03-2014, 01:37 AM | #48 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
आम खाने से मतलब है या पेड़ गिनने से
दो मित्र आमों के मौसम में आम के एक बगीचे में पहुंचे. वहां रखवाले को देख कर एक ने उससे पूछा, “भाई, यह बाग़ किसका है? इसमें कितनी तरह के आम हैं? कितने पेड़ हैं?” आदि आदि. दूसरे मित्र ने बाग़ में पहुँचते ही आमों का भाव पूछा, रखवाले को पैसे दिए और आम ले कर खाने शुरू कर दिए. पहला मित्र आम के पेड़ों का घूम घूम कर मुआयना करता रहा और उनकी किस्म की जानकारी लेता रहा. इस बीच दूसरे मित्र ने आम खा कर अपना पेट भर लिया. दूसरे मित्र ने जो पेड़ों की जानकारी ले रहा था, रखवाले से खाने के लिये कुछ आम खरीदने चाहे. इस पर रखवाले ने कहा कि आज तो मैं बुरी तरह थक गया हूँ. अभी एक आवश्यक काम से भी मुझे शहर जाना है. अब तो कल ही आपको आम मिल पायेंगे.” यह मित्र बिना आम खाए अपना सा मुंह ले कर लौट आया. यहीं से यह कहावत चल निकली कि “आम खाने से मतलब है कि पेड़ गिनने से.” इसका आशय यह है कि आदमी को अपने काम से काम रखना चाहिये. व्यर्थ की बातों में उलझने से हानि की सम्भावना अधिक रहती है. **
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
16-03-2014, 07:49 PM | #49 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
इक्के दुक्के का अल्ला बेली (मित्र)
दिल्ली से कोई दस मील दूर फरीदाबाद शहर के रास्ते में एक नाला था. बहुत पहले वहां घना जंगल था. एक बुढ़िया वहां बैठ कर मुसाफिरों से भीख माँगा करती. उसके बेटे पास के नाले के किनारे छुपे रहते. वे लूट पाट का काम करते. जब कोई इक्का दुक्का मुसाफिर उधर से निकलता, तो बुढ़िया उन्हें यह कह कर आगाह कर देती कि “इक्के दुक्के का अल्ला बेली.”यह सुन कर उसके बेटे नाले से लगे छुपने वाले स्थान से बाहर आते और यात्रियों को लूट लेते. जब वहां से निकलने वाले यात्री समूह में होते तो बुढ़िया चिल्ला कर बोलती, “जमात में करामात है”. यह सुनते ही बुढ़िया के बच्चे समझ जाते कि इतने आदमियों के सामने जाना खतरे से खाली नहीं है. अतः वे वहीँ बैठे रहते. कई दिनों तक उन लोगों का यह काम चलता रहा और गुजारा होता रहा. आखिर कब तक ऐसा चलता. एक दिन उनका भांडा फूट गया और वे लोग गिरफ्तार कर लिये गये. लेकिन सारे इलाके में उनकी लूट-पाट के किस्से लोगों में मशहूर हो चुके थे. बुढ़िया द्वारा बेटों को दिया जाने वाला संदेश “इक्के-दुक्के का अल्ला बेली” तो कहावत के रूप में सारे अंचल में प्रचलित हो गया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
16-03-2014, 07:52 PM | #50 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: मुहावरों की कहानी
ऊंट के गले में बिल्ली
किसी गाँव में एक आदमी का ऊंट खो गया. बहुत खोजा लेकिन ऊंट नहीं मिला. वह परेशान हो गया. हताश हो कर उसने कसम खायी कि अगर ऊंट अब मिल भी गया तो उसे अपने पास नहीं रखूँगा बल्कि उसे सो पैसे में बेच दूंगा. यह कसम उसने अपने कई जानने वालों के सामने खाई थी. करनी करतार की यह हुयी कि ऊंट दो दिन बाद उसे मिल गया. वह बहुत शशोपंज में पड़ गया. अब कसम को कैसे पूरा करे. ऊंट भी उसके लिये बहुत जरुरी था. उसने अपने एक मित्र से सलाह-मशविरा किया. मित्र ने उसे एक तरकीब सुझाई कि तुम ऊंट के गले में बिल्ली बाँध दो और ढिंढोरा पिटवा दो कि “ऊंट की कीमत दो टके होगी और बिल्ली की कीमत दो सौ रूपए. दोनों को एक साथ बेचूंगा अलग अलग नहीं. कोई भी इतनी रकम चुका कर पशुओं को ले जा सकता है. मित्र ने कहा कि इस तरह से ‘सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी’ यानि तुम्हारी कसम भी पूरी हो जायेगी और तुम्हें घाटा भी नहीं पड़ेगा.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
कहावतें, मुहावरे, मुहावरे कहानी, लोकोक्तियाँ, हिंदी मुहावरे, हिन्दी कहावतें, hindi kahavaten, hindi muhavare, idioms & phrases, muhavare kahavaten, muhavaron ki kahani |
|
|