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Old 08-12-2010, 02:42 PM   #41
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Old 08-12-2010, 02:43 PM   #42
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Old 08-12-2010, 02:46 PM   #43
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अध्याय 10
क्रिया
क्रिया- जिस शब्द अथवा शब्द-समूह के द्वारा किसी कार्य के होने अथवा करने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-
(1) गीता नाच रही है।
(2) बच्चा दूध पी रहा है।
(3) राकेश कॉलेज जा रहा है।
(4) गौरव बुद्धिमान है।
(5) शिवाजी बहुत वीर थे।
इनमें ‘नाच रही है’, ‘पी रहा है’, ‘जा रहा है’ शब्द कार्य-व्यापार का बोध करा रहे हैं। जबकि ‘है’, ‘थे’ शब्द होने का। इन सभी से किसी कार्य के करने अथवा होने का बोध हो रहा है। अतः ये क्रियाएँ हैं।
धातु
क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। जैसे-लिख, पढ़, जा, खा, गा, रो, पा आदि। इन्हीं धातुओं से लिखता, पढ़ता, आदि क्रियाएँ बनती हैं।
क्रिया के भेद- क्रिया के दो भेद हैं-
(1) अकर्मक क्रिया।
(2) सकर्मक क्रिया।
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Old 08-12-2010, 02:47 PM   #44
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1. अकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती। अकर्मक क्रियाओं के अन्य उदाहरण हैं-
(1) गौरव रोता है।
(2) साँप रेंगता है।
(3) रेलगाड़ी चलती है।
कुछ अकर्मक क्रियाएँ- लजाना, होना, बढ़ना, सोना, खेलना, अकड़ना, डरना, बैठना, हँसना, उगना, जीना, दौड़ना, रोना, ठहरना, चमकना, डोलना, मरना, घटना, फाँदना, जागना, बरसना, उछलना, कूदना आदि।
2. सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं, सकर्मक क्रियाओं के अन्य उदाहरण हैं-
(1) मैं लेख लिखता हूँ।
(2) रमेश मिठाई खाता है।
(3) सविता फल लाती है।
(4) भँवरा फूलों का रस पीता है।
3.द्विकर्मक क्रिया- जिन क्रियाओं के दो कर्म होते हैं, वे द्विकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं। द्विकर्मक क्रियाओं के उदाहरण हैं-
(1) मैंने श्याम को पुस्तक दी।
(2) सीता ने राधा को रुपये दिए।
ऊपर के वाक्यों में ‘देना’ क्रिया के दो कर्म हैं। अतः देना द्विकर्मक क्रिया हैं।
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Old 08-12-2010, 02:50 PM   #45
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प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के भेद
प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित पाँच भेद हैं-
1.सामान्य क्रिया- जहाँ केवल एक क्रिया का प्रयोग होता है वह सामान्य क्रिया कहलाती है। जैसे-
1. आप आए।
2.वह नहाया आदि।
2.संयुक्त क्रिया- जहाँ दो अथवा अधिक क्रियाओं का साथ-साथ प्रयोग हो वे संयुक्त क्रिया कहलाती हैं। जैसे-
1.सविता महाभारत पढ़ने लगी।
2.वह खा चुका।
3.नामधातु क्रिया- संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों से बने क्रियापद नामधातु क्रिया कहलाते हैं। जैसे-हथियाना, शरमाना, अपनाना, लजाना, चिकनाना, झुठलाना आदि।
4.प्रेरणार्थक क्रिया- जिस क्रिया से पता चले कि कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को उस कार्य को करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है। ऐसी क्रियाओं के दो कर्ता होते हैं- (1) प्रेरक कर्ता- प्रेरणा प्रदान करने वाला। (2) प्रेरित कर्ता-प्रेरणा लेने वाला। जैसे-श्यामा राधा से पत्र लिखवाती है। इसमें वास्तव में पत्र तो राधा लिखती है, किन्तु उसको लिखने की प्रेरणा देती है श्यामा। अतः ‘लिखवाना’ क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया है। इस वाक्य में श्यामा प्रेरक कर्ता है और राधा प्रेरित कर्ता।
5.पूर्वकालिक क्रिया- किसी क्रिया से पूर्व यदि कोई दूसरी क्रिया प्रयुक्त हो तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। जैसे- मैं अभी सोकर उठा हूँ। इसमें ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्व ‘सोकर’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ‘सोकर’ पूर्वकालिक क्रिया है।
विशेष- पूर्वकालिक क्रिया या तो क्रिया के सामान्य रूप में प्रयुक्त होती है अथवा धातु के अंत में ‘कर’ अथवा ‘करके’ लगा देने से पूर्वकालिक क्रिया बन जाती है। जैसे-
(1) बच्चा दूध पीते ही सो गया।
(2) लड़कियाँ पुस्तकें पढ़कर जाएँगी।
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Old 08-12-2010, 02:51 PM   #46
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अपूर्ण क्रिया
कई बार वाक्य में क्रिया के होते हुए भी उसका अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता। ऐसी क्रियाएँ अपूर्ण क्रिया कहलाती हैं। जैसे-गाँधीजी थे। तुम हो। ये क्रियाएँ अपूर्ण क्रियाएँ है। अब इन्हीं वाक्यों को फिर से पढ़िए-
गांधीजी राष्ट्रपिता थे। तुम बुद्धिमान हो।
इन वाक्यों में क्रमशः ‘राष्ट्रपिता’ और ‘बुद्धिमान’ शब्दों के प्रयोग से स्पष्टता आ गई। ये सभी शब्द ‘पूरक’ हैं।
अपूर्ण क्रिया के अर्थ को पूरा करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन्हें पूरक कहते हैं।
मुख्र्य पृष्ठ
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Old 08-12-2010, 02:53 PM   #47
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अध्याय 11
काल
काल
क्रिया के जिस रूप से कार्य संपन्न होने का समय (काल) ज्ञात हो वह काल कहलाता है। काल के निम्नलिखित तीन भेद हैं-
1. भूतकाल।
2. वर्तमानकाल।
3. भविष्यकाल।
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Old 08-12-2010, 02:54 PM   #48
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1. भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय (अतीत) में कार्य संपन्न होने का बोध हो वह भूतकाल कहलाता है। जैसे-
(1) बच्चा गया।
(2) बच्चा गया है।
(3) बच्चा जा चुका था।
ये सब भूतकाल की क्रियाएँ हैं, क्योंकि ‘गया’, ‘गया है’, ‘जा चुका था’, क्रियाएँ भूतकाल का बोध कराती है।
भूतकाल के निम्नलिखित छह भेद हैं-
1. सामान्य भूत।
2. आसन्न भूत।
3. अपूर्ण भूत।
4. पूर्ण भूत।
5. संदिग्ध भूत।
6. हेतुहेतुमद भूत।
1.सामान्य भूत- क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय में कार्य के होने का बोध हो किन्तु ठीक समय का ज्ञान न हो, वहाँ सामान्य भूत होता है। जैसे-
(1) बच्चा गया।
(2) श्याम ने पत्र लिखा।
(3) कमल आया।
2.आसन्न भूत- क्रिया के जिस रूप से अभी-अभी निकट भूतकाल में क्रिया का होना प्रकट हो, वहाँ आसन्न भूत होता है। जैसे-
(1) बच्चा आया है।
(2) श्यान ने पत्र लिखा है।
(3) कमल गया है।
3.अपूर्ण भूत- क्रिया के जिस रूप से कार्य का होना बीते समय में प्रकट हो, पर पूरा होना प्रकट न हो वहाँ अपूर्ण भूत होता है। जैसे-
(1) बच्चा आ रहा था।
(2) श्याम पत्र लिख रहा था।
(3) कमल जा रहा था।
4.पूर्ण भूत- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य समाप्त हुए बहुत समय बीत चुका है उसे पूर्ण भूत कहते हैं। जैसे-
(1) श्याम ने पत्र लिखा था।
(2) बच्चा आया था।
(3) कमल गया था।
5.संदिग्ध भूत- क्रिया के जिस रूप से भूतकाल का बोध तो हो किन्तु कार्य के होने में संदेह हो वहाँ संदिग्ध भूत होता है। जैसे-
(1) बच्चा आया होगा।
(2) श्याम ने पत्र लिखा होगा।
(3) कमल गया होगा।
6.हेतुहेतुमद भूत- क्रिया के जिस रूप से बीते समय में एक क्रिया के होने पर दूसरी क्रिया का होना आश्रित हो अथवा एक क्रिया के न होने पर दूसरी क्रिया का न होना आश्रित हो वहाँ हेतुहेतुमद भूत होता है। जैसे-
(1) यदि श्याम ने पत्र लिखा होता तो मैं अवश्य आता।
(2) यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।
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Old 08-12-2010, 02:55 PM   #49
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2. वर्तमान काल
क्रिया के जिस रूप से कार्य का वर्तमान काल में होना पाया जाए उसे वर्तमान काल कहते हैं। जैसे-
(1) मुनि माला फेरता है।
(2) श्याम पत्र लिखता होगा।
इन सब में वर्तमान काल की क्रियाएँ हैं, क्योंकि ‘फेरता है’, ‘लिखता होगा’, क्रियाएँ वर्तमान काल का बोध कराती हैं।
इसके निम्नलिखित तीन भेद हैं-
(1) सामान्य वर्तमान।
(2) अपूर्ण वर्तमान।
(3) संदिग्ध वर्तमान।
1.सामान्य वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में सामान्य रूप से होता है वहाँ सामान्य वर्तमान होता है। जैसे-
(1) बच्चा रोता है।
(2) श्याम पत्र लिखता है।
(3) कमल आता है।
2.अपूर्ण वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य अभी चल ही रहा है, समाप्त नहीं हुआ है वहाँ अपूर्ण वर्तमान होता है। जैसे-
(1) बच्चा रो रहा है।
(2) श्याम पत्र लिख रहा है।
(3) कमल आ रहा है।
3.संदिग्ध वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में कार्य के होने में संदेह का बोध हो वहाँ संदिग्ध वर्तमान होता है। जैसे-
(1) अब बच्चा रोता होगा।
(2) श्याम इस समय पत्र लिखता होगा।
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Old 08-12-2010, 02:56 PM   #50
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3. भविष्यत काल
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य भविष्य में होगा वह भविष्यत काल कहलाता है। जैसे- (1) श्याम पत्र लिखेगा। (2) शायद आज संध्या को वह आए।
इन दोनों में भविष्यत काल की क्रियाएँ हैं, क्योंकि लिखेगा और आए क्रियाएँ भविष्यत काल का बोध कराती हैं।
इसके निम्नलिखित दो भेद हैं-
1. सामान्य भविष्यत।
2. संभाव्य भविष्यत।
1.सामान्य भविष्यत- क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने का बोध हो उसे सामान्य भविष्यत कहते हैं। जैसे-
(1) श्याम पत्र लिखेगा।
(2) हम घूमने जाएँगे।
2.संभाव्य भविष्यत- क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने की संभावना का बोध हो वहाँ संभाव्य भविष्यत होता है जैसे-
(1) शायद आज वह आए।
(2) संभव है श्याम पत्र लिखे।
(3) कदाचित संध्या तक पानी पड़े।
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