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Old 22-12-2014, 08:12 PM   #41
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

कभी तो खुल के बरस अब के मेहरबान की तरह,
मेरा वजूद है जलते हुए मकां की तरह,

मैं इक ख्वाब सही आपकी अमानत हूँ,
मुझे संभाल के रखियेगा जिस्म-ओ-जान की तरह,

कभी तो सोच के वो साक्ष किस कदर था बुलंद,
जो बिछ गया तेरे क़दमों में आसमान की तरह,

बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत,
गुज़र न जाए ये रूठ भी कहीं खिज़ां की तरह..
__________________

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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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Old 22-12-2014, 08:12 PM   #42
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

तेरे खुशबु में बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा,

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह ,
याद थे मुझको जो पैगाम-इ-जुबानी की तरह,
मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह,

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे ,
सालाहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तोह कभी रात में उठकर लिखे,

तेरे खुशबु में बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
प्यार में दूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे,
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे,

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहेती हुए पानी में लगा आया हूँ…
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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Old 22-12-2014, 08:12 PM   #43
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

इन्तिहा आज इश्क की कर दी,
आप के नाम ज़िन्दगी कर दी,

था अँधेरा गरीब खाने में,
आप ने आ के रोशनी कर दी,

देने वाले ने उन को हुस्न दिया,
और अता मुझ को आशिकी कर दी,

तुम ने जुल्फों को रुख पे बिखरा कर,
शाम रंगीन और भी कर दी
__________________

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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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Old 22-12-2014, 08:13 PM   #44
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो

पत्थरों में भी ज़ुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो

फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
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तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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Old 22-12-2014, 08:16 PM   #45
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

इन्तिहा आज इश्क की कर दी,
आप के नाम ज़िन्दगी कर दी,

था अँधेरा गरीब खाने में,
आप ने आ के रोशनी कर दी,

देने वाले ने उन को हुस्न दिया,
और अता मुझ को आशिकी कर दी,

तुम ने जुल्फों को रुख पे बिखरा कर,
शाम रंगीन और भी कर दी
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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Old 22-12-2014, 08:17 PM   #46
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो

पत्थरों में भी ज़ुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो

फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो

Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

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Old 22-12-2014, 08:17 PM   #47
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा

इतना मानूस न हो ख़िलवतेग़म से अपनी
तू कभी खुद को भी देखेगा तो ड़र जायेगा

{मानूस == intimate /familiar, ख़िलवत-ए-ग़म == sorrow of loneliness}

तुम सरेराहेवफ़ा देखते रह जाओगे
और वो बामेरफ़ाक़त से उतर जायेगा

{सर-ए-राह-ए-वफ़ा == path of love, बाम-ए-रफ़ाक़त == responsibility towards love (literal meaning is Terrace (Baam) or Company or Closeness (Rafaaqat)}

ज़िंदगी तेरी अता है तो ये जानेवाला
तेरी बख़्शिश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा

{अता == grant/gift, बख़्शिश == donation, दहलीज़ ==doorstep}

ड़ूबते ड़ूबते कश्ती को उछाला दे दूँ
मै नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा

{उछाला ==upward push}

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा

{लाज़िम == necessary / compulsory}

Singer: Lata Mangeshkar
Lyrics: Ahmed Faraz
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

रिंद जो मुझको समझते हैं उन्हे होश नहीं
मैक़दासाज़ हूं मै मैक़दाबरदोश नहीं

पांव उठ सकते नहीं मंज़िल-ए-जाना के ख़िलाफ़
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं

अब तो तासीर-ए-ग़म-ए-इश्क़ यहां तक पहुंची
के इधर होश अगर है तो उधर होश नहीं

मेहंद-ए-तस्बीह तो सब हैं मगर इदराक कहां
ज़िंदगी ख़ुद ही इबादत है मगर होश नहीं

मिल के इक बार गया है कोई जिस दिन से ‘जिगर’
मुझको ये वहम है शायद मेरा था दोष (?) नहीं

ये अलग बात है साक़ी के मुझे होश नहीं
वर्ना मै कुछ भी हूं एहसानफ़रामोश नहीं

जो मुझे देखता है नाम तेरा लेता है
मै तो ख़ामोश हूं हालत मेरी ख़ामोश नहीं

कभी उन मदभरी आँखों से पिया था इक जाम
आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं

Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Jigar Moradabadi, Abdul Hameed ‘Adam’
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

वस्ल की रात तो राहत से बसर होने दो
शाम से ही है ये धमकी के सहर होने दो

जिसने ये दर्द दिया है वो दवा भी देगा
लादवा है जो मेरा दर्द-ए-जिगर होने दो

ज़िक्र रुख़सत का अभी से न करो बैठो भी
जान-ए-मन रात गुज़रने दो सहर होने दो

वस्ल-ए-दुश्मन की ख़बर मुझ से अभी कुछ ना कहो
ठहरो ठहरो मुझे अपनी तो ख़बर होने दो
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Default Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ

हर गोशा गुलिस्तां था कल रात जहां मै था
एक जश्न-ए-बहारां था कल रात जहां मै था

नग़्मे थे हवाओं में जादू था फ़िज़ाओं में
हर साँस ग़ज़लफ़ां था कल रात जहां मै था

दरिया-ए-मोहब्बत में कश्ती थी जवानी की
जज़्बात का तूफ़ां था कल रात जहां मै था

मेहताब था बाहों में जलवे थे निगाहों में
हर सिम्त चराग़ां था कल रात जहां मै था

‘ख़ालिद’ ये हक़ीक़त है नाकर्दा गुनाहों की
मै ख़ूब पशेमां था कल रात जहां मै था

Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Khalid Kuwaiti
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