23-11-2012, 04:47 PM | #41 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
एक पत्रकार ने एक छोटे शहर के कई व्यक्तियों से शहर के मेयर के बारे में पूछा। "वह झूठा और धोखेबाज है" - एक व्यापारी ने कहा। "वह घमंडी गधा है" - एक व्यापारी ने कहा। "मैंने अपने जीवन में उसे कभी वोट नहीं दिया" - डॉक्टर ने कहा। "उससे ज्यादा भ्रष्ट नेता मैंने आज तक नहीं देखा" - एक नाई ने कहा। अंततः जब वह पत्रकार उस मेयर से मिला तो उसने उससे पूछा कि वह कितना वेतन प्राप्त करता है? "अजी मैं वेतन के लिए कार्य नहीं करता"- मेयर ने कहा। "तब आप यह कार्य क्यों करते हैं?" "महज सम्मान के लिए।" मेयर ने उत्तर दिया। |
23-11-2012, 04:47 PM | #42 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
तो समस्या क्या है?
नसरूद्दीन एक दुकान पर गया जहाँ तमाम तरह के औजार और स्पेयरपार्ट्स मिलते थे. “क्या आपके पास कीलें हैं?” “हाँ” “और चमड़ा, बढ़िया क्वालिटी का चमड़ा” “हाँ है” “और जूते बांधने का फीता” “हाँ” “और रंग” “वह भी है” “तो फिर तुम जूते क्यों नहीं बनाते?” |
23-11-2012, 04:47 PM | #43 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
मृगतृष्णा
जब महात्मा बुद्ध ने राजा प्रसेनजित की राजधानी में प्रवेश किया तो वे स्वयं उनकी आगवानी के लिए आये। वे महात्मा बुद्ध के पिता के मित्र थे एवं उन्होंने बुद्ध के संन्यास लेने के बारे में सुना था। अतः उन्होंने बुद्ध को अपना भिक्षुक जीवन त्यागकर महल के ऐशोआराम के जीवन में लौटने के लिए मनाने का प्रयास किया। वे ऐसा अपनी मित्रता की खातिर कर रहे थे। बुद्ध ने प्रसेनजित की आँखों में देखा और कहा, "सच बताओ। क्या समस्त आमोद-प्रमोद के बावजूद आपके साम्राज्य ने आपको एक भी दिन का सुख प्रदान किया है?" प्रसेनजित चुप हो गए और उन्होंने अपनी नजरें झुका लीं। "दुःख के किसी कारण के न होने से बड़ा सुख और कोई नहीं है; और अपने में संतुष्ट रहने से बड़ी कोई संपत्ति नहीं है।" |
23-11-2012, 04:48 PM | #44 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
ईश दर्शन का सबसे सरल तरीका
एक विद्यार्थी ने पूछा – “सर, क्या हम भगवान को देख सकते हैं? हमें इसके लिए (भगवान के दर्शन) क्या करना होगा?” ईश्वर के दर्शन व्यक्ति के अपने कार्यों से संभव होता है. प्राचीन काल में इसे तपस्या कहा जाता था. बालक ध्रुव ने यह अपनी पूरी विनयता और विनम्रता से हासिल किया. जब ईश्वर उनकी प्रार्थना से प्रकट नहीं हुए तब भी उन्होंने विश्वास और विनम्रता नहीं छोड़ी और अंततः ईश्वर को उन्हें दर्शन देना ही पड़ा. विद्वान परंतु अहंकारी राजा रावण ने भी भगवान शिव के दर्शन हेतु तपस्या की. वे सफल नहीं हुए. उनकी तपस्या में विनम्रता नहीं थी, बल्कि घमंड भरा था. क्रोध से उन्होंने भगवान से पूछा कि उनकी तपस्या में क्या कमी थी. और, जब भगवान शिव ने रावण को दर्शन नहीं दिए तो अंततः उसने अपने सिर को एक-एक कर काट कर बलिदान देना प्रारंभ कर दिया. इसे देख भगवान शिव भी पिघल गए और प्रकट हो गए. कर्नाटक में मैंगलोर और मणिपाल के पास एक छोटा सा शहर है उडिपि (जहाँ कुछ समय के लिए आदि शंकराचार्य ने निवास किया था और जहाँ से दुनिया को डोसा बनाने की कला मिली). वहाँ पर कनकदास नामक एक प्रसिद्ध मंदिर है. कहानी यह है कि प्राचीन काल में कनकदास नामक एक शूद्र वहाँ रहता था जिसे कृष्ण मंदिर में जाने की अनुमति नहीं थी. वह नित्य ही मंदिर के पीछे जाकर जाली से कृष्ण भगवान की मूर्ति का दर्शन पीछे से करता था. एक दिन भगवान की मूर्ति 180 अंश के कोण में घूम गई और अपने भक्त को उसने दर्शन दे दिया! आज भी वह मूर्ति मंदिर में इसी रूप में विद्यमान है! कनकदास की भक्ति और समर्पण से उसे ईश्वर दर्शन हुआ. सवाल यह है कि इस घोर कलियुग में आखिर क्या किया जाए कि ईश्वर का आशीर्वाद मिले? क्या कोई तरीका है जिससे भगवान के दर्शन हों? इन प्रश्नों के अपने हिसाब से हर एक के कई उत्तर हो सकते हैं परंतु एक बेहद आसान, मितव्ययी, सुनिश्चित तरीका यह है (क्या इसे आधुनिक कलियुग में फैशनेबुल विधियों में से एक नहीं माना जाना चाहिए?) कि आप अपने माता-पिता व बुजुर्गों का खयाल रखें. आपके अभिभावक ईश्वर के जीवित स्वरूप हैं और उनका ध्यान रखना ही ईश्वर दर्शन का आसान और सुनिश्चित तरीका है. |
23-11-2012, 04:48 PM | #45 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
नदी का पानी बिकाऊ
गुरू जी के प्रवचन में एक गूढ़ वाक्य शामिल था। कटु मुस्कराहट के साथ वे बोले, "नदी के तट पर बैठकर नदी का पानी बेचना ही मेरा कार्य है"। और मैं पानी खरीदने में इतना व्यस्त था कि मैं नदी को देख ही नहीं पाया। "हम जीवन की समस्याओं और आपाधापी के कारण प्रायः सत्य को नहीं पहचान पाते।" |
23-11-2012, 04:48 PM | #46 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
छुट्टन के तीन किलो
छुट्टन पटसन तौल-2 कर ढेरी बना रहा था. उधर से एक बौद्ध गुजरा. उसने छुट्टन से पूछा “तुम जिंदगी भर पटसन तौलते रहोगे – तुम्हें मालूम है, बुद्ध कौन था?” छुट्टन ने बताया – “नहीं, पर यह खूब पता है कि पटसन का यह गुच्छा तीन किलो का है.” |
23-11-2012, 04:49 PM | #47 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
सीमित शब्द
एक बार एक गुरुकुल के कुछ छात्र लाओ त्जू की इस सूक्ति पर विचार-विमर्श कर रहे थे - "जिन्हें मालूम है, वे कहते नहीं, जो कहते हैं उन्हें मालूम नहीं." इस सूक्ति का सटीक अर्थ जब उनमें से कोई नहीं बता पाया तो वे इसका अर्थ जानने अपने गुरू के पास पहुँचे. गुरु ने पूछा - "तुममें से कितने लोग गुलाब की खुशबू के बारे में जानते हो" सभी शिष्यों ने सहमति में सर हिलाया. यदि तुम सबको यह मालूम है तो मुझे इसे शब्दों में समझाओ. सबके सब चुप थे क्योंकि वे इसे शब्दों में कह नहीं सकते थे...!! |
23-11-2012, 04:49 PM | #48 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
नकल ही करनी है तो बाघ की करो, लोमड़ी की नहीं।
अरब के शेख सादी की एक दंतकथा इस प्रकार है - जंगल से गुजरते हुए एक आदमी ने ऐसी लोमड़ी को देखा जिसके पैर टूट चुके थे और वह अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी। उसने सोचा कि आखिर वह अपना गुजारा कैसे करेगी। तभी उसने देखा कि एक बाघ अपने मुँह में शिकार को दबाये हुए वहाँ आया। पेटभर खाने के बाद वह बचाखुचा शिकार लोमड़ी के लिए छोड़कर चला गया। अगले दिन भी ईश्वर ने बाघ को लोमड़ी के लिए भोजन के साथ वहाँ भेज दिया। वह आदमी ईश्वर की महानता के बारे में सोचकर आश्चर्यचकित हो गया और उसने यह निर्णय लिया कि वह बिना कुछ एक कोने में पड़ा रहेगा और ईश्वर उसका भरण-पोषण करेंगे। अगले एक माह तक वह ऐसा ही करता रहा और जब वह मृत्युशय्या पर पहुंच गया तब उसे एक आवाज़ सुनायी दी - "मेरे बच्चे! तुम गलत राह पर हो। सत्य को पहचानो। नकल ही करनी है तो बाघ की करो, लोमड़ी की नहीं।" |
23-11-2012, 04:50 PM | #49 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
"हिम्मत मत हारो"
एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया। ध्यान रखे, आपके जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी आप पर गिरेगी। जैसे कि ,आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा ,कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा । कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में आपको हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है। |
23-11-2012, 04:50 PM | #50 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
चिड़िया ने दिया क़ीमती सबक़
किसान ने एक दिन छोटी-सी चिड़िया पकड़ ली। वह इतनी छोटी थी कि किसान की एक मुट्ठी में दो चिड़ियां समा सकती थीं। किसान कहने लगा कि वह उसे पकाकर खा जाएगा। चिड़िया बोली, ‘कृपा करके मुझे छोड़ दो। वैसे भी मैं इतनी छोटी हूं कि तुम्हारे एक कौर के बराबर भी नहीं होऊंगी।’ किसान ने जवाब दिया, ‘लेकिन तुम्हारा मांस बहुत स्वादिष्ट होता है। और हां, मैंने कहावत सुनी है कि कुछ नहीं से कुछ भी होना बेहतर है।’ उसकी बात सुनकर चिड़िया बोली, ‘अगर मैं तुम्हें ऐसा मोती देने का वादा करूं, जो शुतुरमुर्ग के अंडे से भी बड़ा हो, तो क्या तुम मुझे आज़ाद कर दोगे?’ उसकी बात सुनकर किसान बहुत ख़ुश हो गया और तत्काल उसने मुट्ठी खोलकर उसे उड़ा दिया। चिड़िया आज़ाद होते ही कुछ दूर पर एक पेड़ की थोड़ी ऊंची डाल पर जा बैठी, जहां तक किसान का हाथ नहीं पहुंच पाता था। किसान ने उसे बैठा देखकर बड़ी बेसब्री से कहा, ‘जाओ, जल्दी जाओ, मेरे लिए वह मोती लेकर आओ।’ चिड़िया हंसकर बोली, ‘वह मोती तो मुझसे भी बड़ा है, मैं उसे कैसे ला सकती हूं?’ किसान ने ग़ुस्से और खीझ से कहा, ‘तुम्हें लाना ही पड़ेगा, तुमने वादा किया है।’ चिड़िया वहीं बैठी रही। उसने जवाब दिया, ‘मैंने तुमसे कोई वादा नहीं किया था। मैंने सिर्फ़ यही कहा था कि अगर मैं ऐसा वादा करूं, तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे। और इतना सुनते ही तुम लालच में अंधे हो गए थे। ’ उसकी बात सुनकर किसान हाथ मलने लगा। चिड़िया बोली, ‘लेकिन दुखी मत हो, मैंने आज तुम्हें वह पाठ पढ़ाया है, जो ऐसे हर मोतियों से ज्यादा क़ीमती है। हमेशा कुछ भी करने से पहले सोच-विचार करो।’ |
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