13-12-2010, 12:07 PM | #41 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
मचल जाता है यह अक्सर , संवरता है हुस्न जब जब , बहक जाता है यह अक्सर । |
13-12-2010, 03:17 PM | #42 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
बहुत बहुत मजा आया गजब के सुत्र
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15-12-2010, 12:40 AM | #43 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
हमारे आंसु पोछ कर आप मुस्कराते है आप इसी अदा से दिल चुराते है हाथ हमारा छु जाए चेहरे को इस लिए हम आप को बार बार रुलाते है
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31-03-2011, 10:38 AM | #44 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
मुफ्त हुवे बदनाम किसी से हाय दिल को लगा के
जीना हुवा हराम किसी से हाय दिल को लगा के और खो गया उनका नाम किसी से हाय दिल लगा के मुफ्त हुवे बदनाम
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Gaurav kumar Gaurav |
01-04-2011, 12:42 PM | #45 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे, तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
ऐ मेरे नए दोस्त मैं मानूंगा तुझे भी अपना, पहले खाए हुए ज़ख्म तो भर जाने दे आग दुनिया की लगी हुई बुझ जाएगी, कोई लट तो मेरे सीने पे गिर जाने दे ज़ख्म कितने चाहत से मिले हैं मुझको, सोचता हूँ के कहूँ तुझसे मगर जाने दे ! |
01-04-2011, 12:46 PM | #46 | |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
Quote:
बडे गरम शायर बन रहे हो
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Gaurav kumar Gaurav |
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01-04-2011, 12:54 PM | #47 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
इन झील सी गहरी आँखों में इक शाम कहीं आबाद तो हो
इस झील किनारे पल दो पल इक ख्वाब का नीला फूल खिले वो फूल बहा दें लहरों में इक रोज़ कभी हम शाम ढले इस फूल के बहते रंगों में जिस वक़्त लरजता चाँद चले उस वक्त कहीं उन आँखों में इस बीते पल की याद तो हो इन झील सी गहरी आँखों में इक शाम कहीं आबाद तो हो! |
01-04-2011, 12:55 PM | #48 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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01-04-2011, 12:58 PM | #49 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
जो पत्थर तुमने मारा था मुझे नादान की तरह
उसी पत्थर को पूजा है किसी भगवान की तरह तुम्हारी इन उँगलियों की छुअन मौजूद है उस पर उसे महसूस करता हूँ किसी अहसान की तरह उसी पत्थर में मिलती है तुम्हारी हर झलक मुझको उसी से बात करता हूँ किसी इनसान की तरह कभी जब डूबता हूँ मैं उदासी के समंदर में तुम्हारी याद आती है किसी तूफ़ान की तरह |
01-04-2011, 12:59 PM | #50 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
अरे अरे अपने अन्दर ते पागल शायर को मत सोने दो
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Gaurav kumar Gaurav |
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