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Old 26-09-2014, 08:52 PM   #41
emptymind
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by Pavitra View Post
जिज्ञासा - दोस्ती क्या है ?
इस सवाल का जवाब ......
अरे "राजश्री पिक्चर्स" की फिल्म "दोस्ती" देख लीजिये ना।
----------------------------------------
दोस्ती नाम है
शरारत का, मुस्कुराहट का,
उम्रभर की चाहत का।
दोस्ती एक अहसास है,
न भूल सको वो ख्वाब है।
कभी यादों में, कभी ख्वाबों में,
वो हर कहीं *मिल जाता है।
कोई आए या ना आए,
दोस्त हर मुसीबत में
दौड़ा चला आता है।
दोस्ती जुनून है,
जिसे पाकर मिलता है
असीम सुख।
दोस्ती सुकून है,
जो हमें हर तकलीफ से
निज़ात दिलाता है।
दु:ख की तपन में दोस्त
शीतल बयार बन आता है।
कभी छेड़छाड़, कभी इकरार,
हर दिन की तकरार,
मगर दिलों में है प्यार।
दोस्ती इसी का नाम है सरकार।

(लेखक का नाम - मुझे पता नहीं है)

Last edited by emptymind; 26-09-2014 at 09:17 PM.
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Old 26-09-2014, 09:27 PM   #42
emptymind
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by Pavitra View Post
किन लोगों को दोस्त की श्रेणी में रखना चाहिए। आपके हिसाब से कौन सी खूबियां एक व्यक्ति में होनी चाहिए एक दोस्त बनने के लिए ?
एक समान प्रकृति (nature) वाले लोग ही दोस्ती खूब चलती है।
जैसे:-
शराबी लोग की दोस्ती शराबी से,
नशेड़ियों की दोस्ती नशेड़ियों से,
साहित्य प्रेमी लोगो को साहित्य प्रेमी से,
.....
और मेरे जैसे लोगो की दोस्ती खाली दिमाग वालों से।

अपवाद वश असमान प्रकृति वालों मे भी दोस्ती हो जाती है - and its very rare example.
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Old 26-09-2014, 10:43 PM   #43
rajnish manga
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by emptymind View Post
इस सवाल का जवाब ......
दोस्ती नाम है
शरारत का, मुस्कुराहट का,
उम्रभर की चाहत का।

....कोई आए या ना आए,
दोस्त हर मुसीबत में
दौड़ा चला आता है।

....दु:ख की तपन में दोस्त
शीतल बयार बन आता है।
कभी छेड़छाड़, कभी इकरार,
हर दिन की तकरार,
मगर दिलों में है प्यार।
दोस्ती इसी का नाम है सरकार।
इस छोटी सी कविता के माध्यम से आपने अच्छे दोस्त की सभी विशेषतायें बता दी हैं. आपका धन्यवाद, मित्र.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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Old 26-09-2014, 11:07 PM   #44
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by deep_ View Post
बाप रे! ईतना सोच के कोई अगर दोस्ती करता तो हो चुका बंटाधार!
पवित्राजी, जैसे शादी का जोड़ा बनना उपर से तय है, मेरे विचार से दोस्त भी 'उपर वाला' ही बनाता है। एसा नही हो सकताकी एक बौध्धिक विचारशील व्यक्ति का मित्र कोई पगला सा व्यक्ति हो? आप ही देख ही लो उदाहरण....ईस फोरम पर लेखकों के साथ मेरी और मेरे ही जैसे 'एम्प्टी माईन्ड' की दोस्ती आपके सामने मौजुद है

वैसे आपका प्रश्न बहुत अच्छा लगा...काश एक दोस्त एसा हो जिसकी सारी खुबी-खामी हमें अच्छी लगे।

सच कहा आपने कि जैसे शादी का जोड़ा ऊपर से बनके आता है वैसे ही दोस्त भी भगवन ही हमारी किस्मत में लिख देते हैं।

पर दुःख तब होता है जब वो साथ सिर्फ कुछ पलों का होता है।
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Old 26-09-2014, 11:13 PM   #45
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by emptymind View Post
इस सवाल का जवाब ......
अरे "राजश्री पिक्चर्स" की फिल्म "दोस्ती" देख लीजिये ना।
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दोस्ती नाम है
शरारत का, मुस्कुराहट का,
उम्रभर की चाहत का।
दोस्ती एक अहसास है,
न भूल सको वो ख्वाब है।
कभी यादों में, कभी ख्वाबों में,
वो हर कहीं *मिल जाता है।
कोई आए या ना आए,
दोस्त हर मुसीबत में
दौड़ा चला आता है।
दोस्ती जुनून है,
जिसे पाकर मिलता है
असीम सुख।
दोस्ती सुकून है,
जो हमें हर तकलीफ से
निज़ात दिलाता है।
दु:ख की तपन में दोस्त
शीतल बयार बन आता है।
कभी छेड़छाड़, कभी इकरार,
हर दिन की तकरार,
मगर दिलों में है प्यार।
दोस्ती इसी का नाम है सरकार।

(लेखक का नाम - मुझे पता नहीं है)
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Originally Posted by emptymind View Post
एक समान प्रकृति (nature) वाले लोग ही दोस्ती खूब चलती है।
जैसे:-
शराबी लोग की दोस्ती शराबी से,
नशेड़ियों की दोस्ती नशेड़ियों से,
साहित्य प्रेमी लोगो को साहित्य प्रेमी से,
.....
और मेरे जैसे लोगो की दोस्ती खाली दिमाग वालों से।

अपवाद वश असमान प्रकृति वालों मे भी दोस्ती हो जाती है - and its very rare example.

बहुत बहुत शुक्रिया इतनी अच्छी पंक्तियों के लिए।

सही कहा आपने कि दोस्ती सामान प्रकृति वाले लोगों की ही लम्बे समय तक चलती है , असमान प्रकृति वाले लोगों की दोस्ती सिर्फ तभी चल सकती है जब आपसी समझ और रिश्ते में प्यार हो , क्यूंकि दो लोग जो एक दूसरे से अलग हों उनमें कुछ भी common नहीं होता , तो उन्हें ज़्यादा careful रहना पड़ता है रिश्ता बचाये रखने के लिए।


पर हाँ प्यार तो किसी भी रिश्ते में हो उस रिश्ते को बचा ही लेता है। तो रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या कोई और हर रिश्ते में प्यार का होना बहुत ज़रूरी है।

Last edited by Pavitra; 26-09-2014 at 11:16 PM.
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Old 26-09-2014, 11:17 PM   #46
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Originally Posted by rajnish manga View Post
इस छोटी सी कविता के माध्यम से आपने अच्छे दोस्त की सभी विशेषतायें बता दी हैं. आपका धन्यवाद, मित्र.

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Old 28-09-2014, 10:23 PM   #47
Rajat Vynar
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Talking Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by Pavitra View Post

सच कहा आपने कि जैसे शादी का जोड़ा ऊपर से बनके आता है वैसे ही दोस्त भी भगवन ही हमारी किस्मत में लिख देते हैं।

Denied.
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Old 29-09-2014, 12:37 AM   #48
Pavitra
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Originally Posted by Rajat Vynar View Post
Denied.

I strongly believe ......

मेरा अनुभव कहता है कि दोस्त हम बनाते नहीं हैं , दोस्त हमें मिलते हैं। भगवान खुद तय करते हैं कि किससे कब हमारी दोस्ती होगी और कब तक वो रहेगी।
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Old 29-09-2014, 02:41 PM   #49
rafik
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Thumbs up Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

रोहित आठवीं कक्षा का छात्र था। वह बहुत आज्ञाकारी था, और हमेशा औरों की मदद के लिए तैयार रहता था। वह शहर के एक साधारण मोहल्ले में रहता था , जहाँ बिजली के खम्भे तो लगे थे पर उनपे लगी लाइट सालों से खराब थी और बार-बार कंप्लेंट करने पर भी कोई उन्हें ठीक नहीं करता था। रोहित अक्सर सड़क पर आने-जाने वाले लोगों को अँधेरे के कारण परेशान होते देखता , उसके दिल में आता कि वो कैसे इस समस्या को दूर करे। इसके लिए वो जब अपने माता-पिता या पड़ोसियों से कहता तो सब इसे सरकार और प्रशाशन की लापरवाही कह कर टाल देते।
ऐसे ही कुछ महीने और बीत गए फिर एक दिन रोहित कहीं से एक लम्बा सा बांस और बिजली का तार लेकर और अपने कुछ दोस्तों की मदद से उसे अपने घर के सामने गाड़कर उसपे एक बल्ब लगाने लगा। आस-पड़ोस के लोगों ने देखा तो पुछा , ” अरे तुम ये क्या कर रहे हो ?”
“मैं अपने घर के सामने एक बल्ब जलाने का प्रयास कर रहा हूँ ?” , रोहित बोला।
“अरे इससे क्या होगा , अगर तुम एक बल्ब लगा भी लोगे तो पुरे मोहल्ले में प्रकाश थोड़े ही फ़ैल जाएगा, आने जाने वालों को तब भी तो परेशानी उठानी ही पड़ेगी !” , पड़ोसियों ने सवाल उठाया।
रोहित बोला , ” आपकी बात सही है , पर ऐसा कर के मैं कम से कम अपने घर के सामने से जाने वाले लोगों को परेशानी से तो बचा ही पाउँगा। ” और ऐसा कहते हुए उसने एक बल्ब वहां टांग दिया।
रात को जब बल्ब जला तो बात पूरे मोहल्ले में फ़ैल गयी। किसी ने रोहित के इस कदम की खिल्ली उड़ाई तो किसी ने उसकी प्रशंशा की। एक-दो दिन बीते तो लोगों ने देखा की कुछ और घरों के सामने लोगों ने बल्ब टांग दिए हैं। फिर क्या था महीना बीतते-बीतते पूरा मोहल्ला प्रकाश से जगमग हो उठा। एक छोटे से लड़के के एक कदम ने इतना बड़ा बदलाव ला दिया था कि धीरे-धीरे पूरे शहर में ये बात फ़ैल गयी , अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा और अंततः प्रशाशन को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और मोहल्ले में स्ट्रीट-लाइट्स को ठीक करा दिया गया।




जैसा की गाँधी जी ने कहा है , हमें खुद वो बदलाव बनना चाहिए जो हम दुनिया में देखना चाहते हैं, तभी हम अँधेरे में रौशनी की किरण फैला सकते हैं।
__________________


Disclaimer......!
"The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..."
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Old 29-09-2014, 11:35 PM   #50
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

हर दिन एक जैसा सा नहीं हो सकता , हर व्यक्ति एक जैसा नहीं हो सकता। हम हर रोज़ ये उम्मीद करें कि हमारा दिन सर्वश्रेष्ठ होगा तो ये संभव नहीं है। ठीक उसी तरह अगर हम हर व्यक्ति से उम्मीद करें कि वो हमसे बहुत अच्छा व्यवहार करेगा या हमारे लिए कुछ भी करने को तैयार होगा तो भी ये संभव बात नहीं है। क्यूंकि ऐसा होना असंभव ही है।

ज़िन्दगी है तो उतार-चढ़ाव भी आएंगे ही , अच्छे दिन हैं तो बुरे भी मिलेंगे ही...... अच्छे लोगों का साथ मिला है तो बुरे लोगों से सामना भी होगा ही।

जब हमें ये बात पता है कि अच्छा और बुरा हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा है तो फिर हम क्यों निराश होते हैं जब हमें सफलता नहीं मिलती , क्यों गुस्सा होते हैं जब काम हमारे मनमाफिक नहीं होता , क्यों दुखी होते हैं जब जिससे हम प्यार करते हैं वो ही हमें छोड़ देता है।

सवाल तो बहुत हैं पर जवाब सिर्फ एक - अपेक्षा या उम्मीद (Expectations) …वो कहते हैं न Expectations always hurt

इसलिए उम्मीद करना छोड़िये , जो जैसे आये उसे वैसे ही स्वीकार कीजिये , क्यूंकि जो होना है या हो रहा है वो तो बदलने वाला है नहीं परन्तु हम अपना नजरिया और परिस्थितियों और व्यक्तियों के प्रति अपना व्यवहार बदल कर खुद को परेशान या दुखी करने से बचा सकते हैं।
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