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![]() खुशवंत सिंह के पिता ने दिलवाई थी भगत सिंह को फांसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया ‘सम्मान’ !...... "शादी लाल" यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू ने भी अपनी आत्मकथा में यह वर्णन किया है– “भगत सिंह एक प्रतीक बन गया। सैण्डर्स के कत्ल का कार्य तो भुला दिया गया लेकिन चिह्न शेष बना रहा और कुछ ही माह में पंजाब का प्रत्येक गांव और नगर तथा बहुत कुछ उत्तरी भारत उसके नाम से गूंज उठा। उसके बारे में बहुत से गीतों की रचना हुई और इस प्रकार उसे जो लोकप्रियता प्राप्त हुई वह आश्चर्यचकित कर देने वाली थी।” लेकिन कम ही लोगों को याद होगा कि भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने वालों में अंग्रेजों का साथ दिया था उनका तन-मन-धन से साथ देने वाले कौम के गद्दारों ने। अंग्रेजों ने तो उन्हें वफ़ादारी का इनाम दिया ही, आजाद भारत की कांग्रेसी सरकार भी उन गद्दारों को महिमामंडित करने से नहीं चूक रही। कुछ गद्दारों को तो समाज के बहिष्कार का दंश भी सहना पड़ा, लेकिन कुछ ने अपनी पहचान बदल कर सम्मान और पद भी हासिल किया। आइए डालें एक नज़र ऐसे ही कुछ गद्दारों पर" :......... मीडिया दरबार के सौजन्य से :.........
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![]() खुशवंत सिंह के पिता ने दिलवाई थी भगत सिंह को फांसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया ‘सम्मान’ !...... "शोभा सिंह" जब दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में असेंबली में बम फेंकने का मुकद्दमा चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ गवाही देने को कोई तैयार नहीं हो रहा था। बड़ी मुश्किल से अंग्रेजों ने कुछ लोगों को गवाह बनने पर राजी कर लिया। इनमें से एक था शोभा सिंह। मुकद्दमे में भगत सिंह को पहले देश निकाला मिला फिर लाहौर में चले मुकद्दमें में उन्हें उनके दो साथियों समेत फांसी की सजा मिली जिसमें अहम गवाह था शादी लाल। दोनों को वतन से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला। दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले। शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले जबकि शादी लाल को बागपत के नजदीक अपार संपत्ति मिली। आज भी श्यामली में शादी लाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब कारखाना है" :......... मीडिया दरबार के सौजन्य से :.........
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![]() खुशवंत सिंह के पिता ने दिलवाई थी भगत सिंह को फांसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया ‘सम्मान’ !...... "खुशवंत सिंह की हवेली" लेकिन शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से कफन का कपड़ा तक नहीं दिया। शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर लाए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था। इस नाते शोभा सिंह खुशनसीब रहा। उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी। उसके बेटे खुशवंत सिंह ने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु कर दी और बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया" :......... मीडिया दरबार के सौजन्य से :.........
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![]() खुशवंत सिंह के पिता ने दिलवाई थी भगत सिंह को फांसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया ‘सम्मान’ !...... "मॉडर्न स्कूल, बाराखंबा रोड" सर सोभा सिंह के नाम से एक चैरिटबल ट्रस्ट भी बन गया जो अस्पतालों और दूसरी जगहों पर धर्मशालाएं आदि बनवाता तथा मैनेज करता है। आज दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहते हैं वह शोभा सिंह की जमीन पर ही है और उसे सर शोभा सिंह स्कूल के नाम से जाना जाता था। खुशवंत सिंह ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अपने पिता को एक देश भक्त और दूरद्रष्टा निर्माता साबित करने का भरसक कोशिश की। खुशवंत सिंह ने खुद को इतिहासकार भी साबित करने की भी कोशिश की और कई घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या भी की। खुशवंत सिंह ने भी माना है कि उसका पिता शोभा सिंह 8 अप्रैल 1929 को उस वक्त सेंट्रल असेंबली मे मौजूद था जहां भगत सिंह और उनके साथियों ने धुएं वाला बम फेका था। बकौल खुशवंत सिह, बाद में शोभा सिंह ने यह गवाही तो दी, लेकिन इसके कारण भगत सिंह को फांसी नहीं हुई हैं" :......... मीडिया दरबार के सौजन्य से :.........
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![]() खुशवंत सिंह के पिता ने दिलवाई थी भगत सिंह को फांसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया ‘सम्मान’ !...... "मेल टुडे में छपा कार्टून" शोभा सिंह 1978 तक जिंदा रहा और दिल्ली की हर छोटे बड़े आयोजन में बाकायदा आमंत्रित अतिथि की हैसियत से जाता था। हालांकि उसे कई जगह अपमानित भी होना पड़ा लेकिन उसने या उसके परिवार ने कभी इसकी फिक्र नहीं की। खुशवंत सिंह का ट्रस्ट हर साल सर शोभा सिंह मेमोरियल लेक्चर भी आयोजित करवाता है जिसमे बड़े-बड़े नेता और लेखक अपने विचार रखने आते हैं, बिना शोभा सिंह की असलियत जाने (य़ा फिर जानबूझ कर अनजान बने) उसकी तस्वीर पर फूल माला चढ़ा आते हैं । अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और खुशवंत सिंह की नज़दीकियों का ही असर कहा जाए कि दोनों एक दूसरे की तारीफ में जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने बाकायदा पत्र लिख कर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से अनुरोध किया है कि कनॉट प्लेस के पास जनपथ पर बने विंडसर प्लेस नाम के चौराहे (जहां ली मेरीडियन, जनपथ और कनिष्क से शांग्रीला बने तीन पांच सितारा होटल हैं) का नाम सर शोभा सिंह के नाम पर कर दिया जाए। अब देखना है कि एक गद्दार का यह महिमामंडन कब और कैसे होता है" ? :......... मीडिया दरबार के सौजन्य से :.........
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![]() देशद्रोहीयों की पोल खोलने के लिये आपका धन्यवाद. |
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अमर शहीद, चंद्रशेखर आजाद, बार-बार देखें, भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव, हजार बार देखें, funny videos |
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