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Old 19-04-2014, 11:36 PM   #41
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

(2)
कहानी शुरू करने से पहले में पाठकों से इस रहस्य भरी दुनिया के बारे में कुछ चर्चा करना चाहूँगा. जिस समय वैज्ञानिकों की टीम ने महामशीन से प्रयोग करने की कोशिश की थी, तब कुछ वैज्ञानिकों ने उस प्रयोग का विरोध किया था. विरोधी वैज्ञानिकों का कहना था कि ये प्रयोग सृष्टि के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. पृथ्वी नष्ट हो सकती है, या पृथ्वी पर ब्लैक होल बन सकते है, पूरी पृथ्वी ब्लैक होल में जा सकती है.

लेकिन इस सृष्टि को पृकृति ने बनाया है
, और पृकृति ने सृष्टि को सही तरीके से चलाने के लिए ही रहस्यों पर पर्दा डाला है. रहस्यों से पर्दा हट गया, तो खुरापाती मानव पृकृति के हर काम में दखल देगा. अगर ऐसा हुआ, तो पृकृति कि सारी व्यस्था ही गड़बड़ा जायेगी. शायद इसलिए उस महामशीन का प्रयोग होने से पहले ही महामशीन फेल हो गई.

पेश है रहस्य भरी कहानी का दूसरा भाग:

अरे बताइए तो सही हुआ क्या है?” फूलचंद कि माँ ने मनीराम से कहा.

ये नालायक दुश्मन के घर कि खुशखबरी ला कर मुझे सुना रहा है, किसलिए? मेरे जख्मों पर नमक रगड़ने के लिए. मलूका के बेटे ने ये किया, वो किया, ये कर रहा है, वो कर रहा है. अरे नालायक, कुछ खुद के बारे में भी सोच, कि तू क्या कर रहा है. दिन भर अपने अवारा दोस्तों के साथ अवारा गिरी?” मनीराम ने अपनी घर वाली को जवाब देते हुए कहा.

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Old 19-04-2014, 11:39 PM   #42
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

आखिर बेटा तो आपका ही है न. वही तो करेगा जो आपने किया है. आपके पिताजी ने इतना बड़ा कारोबार खड़ा करके दिया आपको. लेकिन आप इसे नहीं संभाल पाए. हमेशा नंबर बने रहने के चक्कर में कारोबार को आगे बढाने के बजाय, खुद से आगे निकलने वालों को गिराने का कम करते रहे.

वो तो में आज भी करता हूँ, और हमेशा करता रहूँगा. जो भी मेरा रास्ता काटने कि कोशिश करेगा उसे मैं मिटी में मिला दूंगा. लेकिन इस नालायक के लिए क्या नहीं किया मैंने? इसे पढाया लिखाया. सोचा बेटा पढ़ लिख कर कारोबार संभालेगा. लेकिन इसे तो अवारागर्दी से ही फुर्सत नहीं है.अवारागर्दी ही करनी थी तो फिर इस पढाई कि डिग्री का क्या करेगा, भोगली करेगा?.” मनीराम ने बेटे और बीवी पर गुस्सा हो कर कहा.

बस बस, बहुत हो गया अब. बढती उम्र के साथ साथ आपमें बोलने कि तमीज़ भी नहीं रही”. मनीराम कि अंट शंट भाषा पर उसकी घर वाली ने प्रतिक्रिया दी.

दो दिन बाद
, रविवार कि सुबह, शीतल पांच बजे ही उठ गई थी, लेकिन उसका पति अजय, और पांच साल कि बेटी कोमल सो रहे थे. शीतल नित्यकर्म से निवृत हो कर किचन गई. चाय बना कर सास ससुर को चाय दी. फिर अजय के लिए चाय ले कर अपने कमरे में गई. वह अजय को झिंझोड़ कर जगाने कि कोशिश करने लगी.

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Old 19-04-2014, 11:40 PM   #43
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

अजय, छः बज गए है,. जल्दी उठ जाइये में चाय ले अई हूँ, चाय ठंडी हो जाएगी.

अरे मैडम आज तो सन्डे है. कहीं जाना भी तो नहीं. फिर इतना जल्दी क्यों जगा रही हो?” अजय ने अपने सर पर कम्बल खिंची और करवट बदलते हुए कहा.

आपको कहीं नहीं जाना, लेकिन मुझे शोपिंग के लिए जाना है. और आपको साथ में चलना है.

अरे शोपिंग के लिए जाना है, लेकिन मार्केट तो खुलेगा तब न. सुबह इतना कौन मार्केट खोल कर बैठा है?” इस बार अजय कम्बल हटा कर उठा और शीतल से बात करने लगा.

लेकिन पहले मंदिर जाना है.मंदिर में बहुत भीड़ होती है, लाइन में लगना पड़ता है, मंदिर में जायेंगे तब तक मार्केट भी खुल जाएगा शीतल ने अपना प्लान अजय के सामने कह दिया.

आपने शायद कसम ले रखी है.सन्डे के दिन भी मुझे नहीं सोने देना है.अजय उठते हुए बोला.

अजय नित्यकर्म से निवृत हो कर शीतल के साथ मंदिर और मंदिर से मार्किट जाने के लिए तेयार हो गया.


बहु, जल्दी आ जाना, कोमल जाग गई तो तुम्हे यंहा न पा कर मुझे परेशां करेगी शीतल बाहर कि तरफ जा रही थी. तब उसकी सास शांति ने कहा.

हाल में बैठे मलूकदास, अखबार पढ़ते हुए चाय सुरक रहे थे. अजय को देखते ही अखबार एक तरफ रखा, और अजय से मुखातिब हो कर बोले.
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Old 19-04-2014, 11:43 PM   #44
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

बाहर जा रहे हो तो संभल कर जाना बेटे. हफ्ता वसूली गेंग का लीडर है शाकाल नाम है उसका. उसने मुझे फोन करके एक करोड़ रुपये कि मांग कि है. और नहीं देने पर अंजाम भुगतने कि धमकी दी है.

आप बेवजह परेशान हो रहे हाई पापा. जो थोड़ी भी आराम कि जिंदगी जीने लग गया, उनके बहुत सारे दुश्मन हो जाते है. लेकिन हमें इस तरह डरना नहीं चाहिए,” अजय ने प्रतिक्रिया दी और चल दिया.

अजय और शीतल मंदिर और उसके बाद शोपिंग के लिए निकल पड़े. मंदिर के रास्ते में एक फूलमाला वाले कि दूकान थी. उस दूकान पर फूलमाला के अलावा पूजा कि अन्य सामग्री भी मिलती थी. अजय ने उस दूकान के सामने कार रोकी
, शीतल कार से निकल कर दूकान पर गई. फूलमाला और पूजा का सामान खरीद कर लाई. वहां से रवाना हो कर दोनों मंदिर पहुंचे. मंदिर के पार्किंग एरिया में कार पार्क करके दोनों मंदिर में चले गए. मंदिर में भीड़ थी. दोनों श्रद्धालुओं की लाइन में लग गए. करीब एक घंटा बाद में दोनों पूजा करके बाहर आये. मदिर से फ्री होने के बाद शोपिंग और फिर घर जाना था. मंदिर से थोड़ी ही दूर गए होंगे कि अजय के फोन कि घंटी बजने लगी. स्क्रीन पर नंबर देखा तो उसके चेहरे पर गुस्सा उभर आया. नंबर कंपनी के मुनीम का था. और मुनीम को सन्डे के दिन फोन नहीं करने के लिए मना किया हुआ था फिर भी मुनीम ने फोन किया. अजय ने कॉल रिसीव करके फोन कान से लगाया और बरस पड़ा मुनीम पर.
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Old 21-04-2014, 11:22 AM   #45
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

मुनीमजी, कितनी बार बोला है आपको, कि सन्डे के दिन फोन मत किया करो लेकिन मुनीम का जवाब सुनते ही अजय के चेहरे पर गुस्से के भाव गायब हो गए और अफ़सोस के भाव पसर गए. अचानक अजय के चेहरे का बदला मिजाज देखा कर शीतल का दिल किसी अनहोनी की आशंका में धड़कने लगा वह अजय के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगी.

लेकिन ये हुआ कब, और केसे हुआ? उन लोगो से बोलो, कि में एक घंटे बाद आ रहा हूँ,मुनीम को सुझाव दे कर अजय ने फोन कट कर दिया.

क्या हुआ?” शीतल ने पूछा.

नहीं कुछ नहीं. अपनी कंपनी में काम करने वाला मजदूर था न अजय, जो परसों अपनी बीवी और बीमार बच्चे को ले कर हमारे पास आया था

क्या हुआ उसके बच्चे को? मर गया क्या?” शीतल अजय कि बात बीच में ही कटते हुए बोली.

नहीं, उसके बच्चे को तो कुछ नहीं हुआ है. लेकिन उसकी खुद क़ी मौत हो गईअजय ने शीतल के सवाल का जवाब दिया.

क्या! उसकी मौत हो गई? लेकिन वो तो चंगा भला था क्या हुआ उसे?” शीतल ने अगला सवाल किया.
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Old 21-04-2014, 11:24 AM   #46
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

उसे करंट लगा था. कल शाम को पांच बजे जब वो हमारी कंपनी में काम कर रहा था तब. उसे अस्पताल में भरती कराया गया. लेकिन आज तड़के पांच बजे उसकी मौत हो गई. इस वक्त हमारी कंपनी में पुलिस आयी हुई है. उसकी मौत क़ी जांच करने के लिए

ओह अजय. आपने तो मुझे डरा ही दिया था. आपको इस तरह बात करते देख कर किसी अनहोनी क़ी आशंका में मेरा तो कलेजा हलक में आ गया थाअजय का जवाब सुना कर शीतल ने राहत क़ी साँस ली.

ये क्या किसी अनहोनी से कम है शीतल? बेचारे गरीब मजदूर का बच्चा अनाथ हो गया अजय ने मजदूर क़ी मौत का दुःख व्यक्त करते हुए कहा, और कार को ब्रेक लगाया.

ओफ़्हो, अब क्या हो गया, कार क्यों रोक दी?” शीतल ने कहा.

आ गया शोपिंग मॉल. शोपिंग करनी है क़ी नहीं करनी आपको?” अजय ने शीतल से कहा.

ओह, में तो भूल ही गई थी. चलो चलते है

नहीं में नहीं चलूँगा. आपको जो कुछ लाना है ले कर आइये, में आपका इंतज़ार करता हूँ.

शीतल अकेली ही शोपिंग के लिए माल में चली गई. लगभग पंद्रह बीस मिनट बाद वह कपडे कोस्मेटिक और अन्य जरुरी सामान ले कर वापस आयी. उसने कार का पिछला दरवाजा खोल कर सामान पिछली सीट पर रखा. पिछला दरवाजा बंद करके वह आगे क़ी सीट पर बैठते हुए बोली.


अब चलो जल्दी घर पहुँचाना है. कोमल जाग गई तो मुझे वहां नहीं पा कर मम्मीजी और बाबूजी को परेशान करेगी
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Old 21-04-2014, 11:26 AM   #47
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लेकिन अजय पर मानो शीतल क़ी बात का कोई असर ही नहीं हुआ हो. वह नज़रे झुकाए ड्राइविंग सीट पर खामोश बैठा रहा.

कहाँ खो गए अजय? में आपसे कह रही हूँ. जल्दी कार स्टार्ट करो और चलोइस बार शीतल ने अजय को झिन्झोड़ते हुए कहा.तो अजय ने घूरती निगाहों से नजरें उठा कर शीतल क़ी तरफ देखा. अजय द्वारा इस तरह घूर कर देखना शीतल को अजीब सा लगा.

अरे ऐसे क्या देख रहे हो? जैसे पहली बार देख रहे हो.अजय द्वारा घूर कर देखने पर शीतल ने सवाल किया.

नहीं पहली बार नहीं में आपको दूसरी बार देख रहा हूँअजय ने शीतल के सवाल का जवाब दिया.

ओह! अजय मजाक छोडो. और चलो, जल्दी घर जाना है

मुझे कार चलाना नहीं आताअजय ने कहा.

कार चलना नहीं आता! फिर यहाँ तक कार को कौन ले कर आया है? क्यों बार बार मजाक कर रहे हो ?” शीतल अजय क़ी तरफ हैरानी से देख कर कहने लगी..

अगर आपको लगता है कि मैं मजाक कर रहा हूँ तो मजाक ही सही. पर कार में नहीं चलाऊंगा आपको ही चलानी पड़ेगीअजय ने जवाब दिया.
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Old 21-04-2014, 11:27 AM   #48
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ठीक है, आप इस तरफ आ जाइये में चला लूंगी शीतल कार से बाहर निकली, दूसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर जा कर बैठ गई. अजय सरक कर दूसरी तरफ बैठ गया. शीतल कार चलाती रही, अजय दूसरी तरफ नजरें झुकाए बैठा रहा. शीतल से बात करना तो दूर, उसने शीतल क़ी तरफ नजरें उठा कर देखा तक नहीं. जेसे इन दोनों के बीच कोई रिश्ता ही नहीं हो. अजय में अचानक आया बदलाव व उसकी खामोशी शीतल को अटपटी लग रही थी. लेकिन शीतल इस ख़ामोशी के रहस्य को समझ नहीं पा रही थी. विचारों के भंवरजाल में गोते लगाते हुए, शीतल घर पहुँच गई. उसने कार पार्किंग में लगाई. कार का पिछला दरवाजा खोल कर सामान लिया. एक नजर अजय पर डाली अजय अब भी नज़रें झुकाए कार के अन्दर ही बैठा था.

अब अन्दर भी चलेंगे या यही बैठे रहने का इरादा है. चलिए अंदर

अजय कार से बाहर निकल कर खड़ा हो गया
, लेकिन उसकी निगाहें अब भी जमीन की तरफ ही थी. वह न तो कुछ बोल रहा था. और न ही शीतल से नजरें मिला रहा था. शीतल रवाना हुई तो अजय भी शीतल के पीछे चलने लगा. लेकिन उसके चलने का तरीका भी बदल गया था. ऐसा लग रहा था जैसे वह इस जगह पहली बार आया हो. आगे कहाँ जाना है उसे कुछ पता ही न हो. शीतल ने फिर पीछे मुड़ कर देखा वह अजय के रूखे व्यवहार से आहत हो कर बोली.
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Old 21-04-2014, 11:29 AM   #49
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अजय! क्या हो गया है आपको? आप इस तरह उखड़े उखड़े क्यों है? अगर मुझसे कोई गलती हो गई है तो बताइए मुझे. में आपसे माफ़ी मांग लुंगी. लेकिन आपकी ये बेरुखी मुझसे बरदास्त नहीं होती.

नहीं तो, मैंने कब रुखा बर्ताव किया है आपके साथ. आपको ऐसे ही लग रहा है इस बार शीतल की बात पर अजय ने अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. अजय की बात सुन कर शीतल को कुछ तसल्ली हुई कि है तो सब ठीक. लेकिन अजय शीतल के पीछे चलते हुए घर के अन्दर तो चला गया, पर दरवाजे के अन्दर की तरफ जा कर फिर ठिठक गया. जैसे अन्दर जाने से डर लग रहा हो. कोई ये ना कह दे कि अरे अरे, अन्दर कहाँ चले आ रहे हो? वह इधर उधर देखने लगा. मानो सोच रहा हो अब किधर जाना है. उसके चहरे पर असहजता के भाव साफ़ नजर आ रहे थे. अजय को इस तरह खड़ा देख कर शीतल फिर हैरान हो कर उसक़ि तरफ देखने लगी. अजय की माँ शांति देवी भी उसे इस तरह खडा देख कर बोली.

अजय बेटा,. वहां दरवाजे पर क्यों खडा है?” माँ ने पूछा, लेकिन अजय ने उसकी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
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कोमल पापा आ गए पापा आ गए कहती हुई दौड़ कर अजय के पास आइ, और अजय से लिपटते हुए बोली,

पापा, कहाँ चले गए थे आप दोनों? मुझे बिना बताये ही. लेकिन मुझे मालूम है. आप दोनों मंदिर गए थे. मुझे साथ क्यों नहीं ले गए? में आप दोनों से कभी बात नहीं करुँगी. कोमल अजय से सवाल कर रही थी. लेकिन अजय कोमल की बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. बस खामोश खडा था. शांतिदेवी और शीतल अजय की खामोशी को हैरानी से देख रही थी. दोनों आश्चर्यचकित थी. क्योंकि हमेशा घर में घुसते ही अजय कोमल को पुकारता था. कोमल दौड़ कर आती थी. अजय कोमल को गोद में उठा लेता था. पूरा घर खुशियों से खिलखिलाने लगता था. लेकिन आज कोमल बार बार अजय से सवाल पूछ रही थी. और अजय खामोश खड़ा था. अजय की खामोशी से पूरा घर मरघट लग रहा था. कोमल अब भी सवाल पूछ रही थी.

बताइए न पापा, आप मुझे साथ क्यों नहीं ले गए?” पापा का जवाब नहीं मिलाने पर कोमल अपनी मम्मी शीतल के पास जा कर बोली.

मम्मी, पापा मुझसे बात क्यों नहीं करते मम्मी?” शीतल और शान्ति खामोश खड़े अजय को अब भी हैरानी से देख रही थी कि अचानक अजय के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. लेकिन अजय ने फोन जेब से निकाला तक नहीं. अजय को खामोश खड़ा देख कर शीतल उसके पास आइ और बोली.

अजय, आपके फोन की घंटी बज रही हैलेकिन शीतल की बात पर अजय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

कहाँ खो गए अजय? मैं आप से कह रही हूँ आपके फोन की घंटी बज रही है.शीतल ने उसे झिंझोड़ते हुए फिर कहा.
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