30-10-2012, 05:10 PM | #501 |
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मणिरत्नम ने किताब में किया खुलासा कोलकाता। रोजा, बांबे और दिल से जैसी कालजयी फिल्में बनाने वाले नामचीन फिल्मकार मणिरत्नम ने कहा है कि करीब 35 साल पहले एक शीर्ष बिजनेस स्कूल से एमबीए करने के बाद वह प्रबंधन सहालकार के रूप में अच्छा धन अर्जित कर रहे थे और बेहतर जीवन गुजार रहे थे और यह संयोग ही था कि वे अचानक फिल्म उद्योग से जुड़ गए। रत्नम ने अपनी नई किताब में कहा कि फिल्मों में आना एक संयोग था। फिल्मों में मेरी रुचि थी, लेकिन सिर्फ दर्शक की हैसियत से और मैंने कभी नहीं सोचा था, कि मैं फिल्मों में अपना कॅरियर बनाउंगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं बैठ कर लिखूंगा और वास्तव में फिल्में निर्देशित करूंगा, लेकिन फिल्मों के निम्न स्तर ने मुझे इस राह पर मोड़ दिया। यह किताब फिल्म समीक्षक भारद्वाज रंगन और फिल्म निर्माता मणि रत्नम के विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित है। किताब का प्रकाशन पेंगुइन ने किया है। इस किताब में इस बात का विस्तार से वर्णन है कि कैसे एक अल्पभाषी और संकोची व्यक्ति हिन्दी और तमिल फिल्मों के निर्माण की ओर मुड़ गया। सत्तर के दशक में रत्नम तमिल सिनेमा के निम्न स्तर को देखकर आजिज आ गए थे और तब उन्होंने स्वयं फिल्म बनाने का निर्णय किया। फिल्म समीक्षकों और बॉक्स आफिस के चहेते निर्माता ने कहा कि अब मुझे अहसास होता है कि यदि उस समय तमिल में अच्छी फिल्में बनती होतीं तो मैं खुद फिल्म निर्माण की ओर नहीं आता।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 30-10-2012 at 05:18 PM. |
31-10-2012, 02:35 AM | #502 |
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‘पई’ के प्रचार के लिए पूरी दुनिया की यात्रा करूंगा : आंग ली
मुंबई। यान मार्टेल की किताब ‘लाइफ आफ पई’ पर फिल्म बनाने वाले आंग ली खुद को पई की यात्रा से जुड़ा महसूस करते हैं और फिल्म का प्रचार करने के लिए पूरी दुनिया की यात्रा करने को तैयार हैं। एक साक्षात्कार में इस निर्देशक ने कहा कि मेरे लिए इस फिल्म से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। मुझे उम्मीद है कि यह चलेगी। पई के प्रचार के लिए मैं दुनियाभर की यात्रा करूंगा। मुझे उम्मीद है कि लोग इसे पसंद करेंगे। आॅस्कर विजेता फिल्म निर्माता का मानना है कि फिल्म का निर्देशन करने में उनके भाग्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ली के हाथ में फिल्म आने से पहले कई निर्देशकों के पास से यह गुजरी। उन्होंने ‘सेंस एंड सेंसिबिलीटी’, ‘क्राउचिंग टाइगर हिडन ड्रैगन’, ‘हल्क’ और ‘ब्रोकबैक माउंटेन’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है। इस प्रोजेक्ट पर लगभग एक दशक से काम चल रहा था और एम. नाइट श्यामलन, अलफांसो कुयारन एवं ज्यां पियरे जौनेट जैसे निर्देशक कुछ समय तक जुड़े रहे। अंतत: फॉक्स ने फरवरी, 2009 में ली से संपर्क साधा। ली ने बताया कि पुस्तक जब पहली बार छपी तो मैंने उसे पढ़ा। चार वर्ष पहले फॉक्स स्टार स्टूडियोज ने इसे निर्देशित करने के लिए मुझसे संपर्क किया। मैं इससे जुड़ा और लगा कि मैं बड़ी जिम्मेदारी संभालने जा रहा हूं। अपने पूर्ववर्ती निर्देशकों के बारे में ली ने कहा कि अलग-अलग कारणों से वे पीछे हट गए और कुछ इससे फिर नहीं जुड़े। मुझे नहीं मालूम कि कहानी क्या थी। एक निर्देशक करीब दो वर्षों तक जुड़ा रहा और फिर अलग हो गया। अंतत: यह मेरे पास आई। मेरा मानना है कि हर फिल्म की अपनी तकदीर होती है। ली ने कहा कि जब मैंने फिल्म शुरू की तो लगा कि इससे जुड़ा हुआ हूं। मैं इसका हिस्सा बनता गया और फिल्म मुझसे जुड़ती गई। मैं पिछला इतिहास या भविष्य नहीं देखता। फिल्म के ट्रेलर में भारत की कुछ जगहों की शानदार तस्वीरें हैं और पुड्डुचेरी का सांस्कृतिक पहलू इसमें शामिल है। सांस्कृतिक पहलू को ठीक से प्रस्तुत करने के लिए ली ने कड़ी मेहनत की। उन्होंने कहा कि मैं यहां आया और शोध किया। फिर कहानी को जोड़ने के बारे में सोचने लगा। मैं फिल्म में भारतीय हिस्सा डालने के लिए मस्तिष्क में चित्रण करने लगा। हमने पुड्डुचेरी, मन्नार में दृश्य फिल्माए और दृश्यों को बेहतरीन बनाने के लिए करीब एक वर्ष यहां गुजारा। ली के लिए सबसे कठिन निर्णय फिल्म को थ्री डी में फिल्माना था। यह जोखिम भरा था, क्योंकि फिल्म का अधिकतर हिस्सा समुद्र का है। इससे खर्च बढ़ता गया। ली ने कहा कि मैंने सोचा कि पानी में थ्री डी को शूट करना असंभव है, यह असंभव दिखता था और खर्चीला था। फिल्म निर्माण नया क्षेत्र है, इसलिए मैंने इस बारे में सोचना शुरू किया। बाद में मुझे महसूस हुआ कि थ्री डी पानी में अद्भुत है। आप महसूस करेंगे कि समुद्र में आप पई के साथ हैं।
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31-10-2012, 02:38 AM | #503 |
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Re: Bollywood Reporter (बॉलीवुड रिपोर्टर)
स्विटजरलैंड में शेष गीत की शूटिंग नहीं कर पाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण : कैटरीना
मुंबई ! अभिनेत्री कैटरीना कैफ अपनी आने वाली फिल्म ‘जब तक है जान’ को लेकर बहुत उत्साहित हैं। लेकिन यश चोपड़ा के निधन और इस गीत की स्विटजरलैंड में शूटिंग नहीं कर पाने के कारण वह उदास भी हैं। इस रोमांटिक गीत के लिए उन्हें अपने सह-कलाकार शाहरुख खान के साथ स्विटजरलैंड में शूटिंग करना था, लेकिन यश चोपड़ा के निधन के कारण इसकी शूटिंग नहीं हो सकी। इससे कैटरीना कैफ बहुत उदास हो गयी हैं। इस फिल्म के एक गाने के कुछ भाग को स्विटजरलैंड में शूट किया जाना है। यश चोपड़ा ने इस देश के प्राकृतिक सौन्दर्य को अपनी कई फिल्मों में दिखाया है। चोपड़ा का इस माह स्विटजरलैंड जाने का कार्यक्रम था, लेकिन डेंगू के कारण उन्हें 13 अक्तूबर को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इसके बाद 21 अक्तूबर को उनका निधन हो गया। इस गाने के लिए कैटरीना को मनीष मल्होत्रा की डिजाइन की हुयी सफेद रंग की शिफान साड़ी पहननी थी। कैटरीना ने ‘जब तक है जान’ के प्रचार के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, ‘हमें दुख है कि हम इस गाने का फिल्मांकन नहीं कर सके। उन्होंने यश चोपड़ा को याद करते हुये कहा कि उन्होंने कहा था कि इस गाने की शूटिंग का अनुभव बहुत मजेदार रहेगा ।’ उन्होंने बताया, ‘हमने इस गाने के अगले भाग को शूट करने की पूरी दृश्य योजना तैयार कर ली थी। कैसे ठंडे पानी में शूटिंग की जाएगी और इसके अलावा भी बहुत कुछ , लेकिन अफसोस हम यह सब नहीं कर सके।’ यश चोपड़ा के साथ ‘डर’ ‘दिल तो पागल है’ और ‘वीर जारा’ जैसी अनेक फिल्म करने वाले शाहरुख खान ने बताया कि इस फिल्म के गीत के एक भाग को शूट नहीं किया गया है और लगता है कि हम अब इसे कभी भी वैसा नहीं फिल्मा पाएंगे जैसा चोपड़ा चाहते थे क्योंकि हम उनकी नजर से चीजों को नहीं देख पाएंगे । उन्होंने बताया कि स्विटजरलैंड में केवल एक डेढ मिनट का गाना ही फिल्माया जाना शेष था। अब हम ऐसा नहीं कर पाएंगे । अगर हम करेंगे तो उसमें वह बात नहीं आ पाएगी जो उनके रहते आती । यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म के मुख्य कलाकार शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा है। यह फिल्म 13 नवंबर को रिलीज होगी।
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31-10-2012, 02:55 AM | #504 |
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Re: Bollywood Reporter (बॉलीवुड रिपोर्टर)
सत्यजीत राय की लघु कथा पर बनाएंगे फिल्म
नयी दिल्ली। अभिनेता निर्देशक अनंत महादेवन महान फिल्मकार सत्यजीत राय की एक लघुकथा पर फिल्म का निर्माण कर उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहते हैं और इस फिल्म में मुख्य भूमिका के लिए उनकी पहली पसंद मेगास्टार अमिताभ बच्चन हैं । ‘गल्प बोलियो तारिनी खुरो’ एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो सेवानिवृत्ति के बाद खुद को व्यस्त रखने के लिए काम तलाश रहा है और उसे एक अमीर व्यवसायी को किस्से कहानियां सुनाने के लिए बुलाया जाता है । महादेवन ने कहा कि इस काम के दौरान वह खुद को विचित्र स्थिति में पाता है और इस स्थिति का वर्णन करने में राय ने बड़ा ही विलक्षण जाल बुना है । महादेवन ने बताया कि फिल्म की पटकथा तपोब्रती दास समद्दार ने लिखी है, जिन्होंने पटकथा लिखने के बाद उनसे संपर्क किया । यह पटकथा सुनने के बाद महादेवन इसपर फिल्म बनाने के लिए बहुत उत्सुक हुए और उन्होंने इजाजत लेने के लिए संदीप राय (सत्यजीत राय के पुत्र) को लिखा । महादेवन ने कहा कि उन्हें लगा कि इतने बड़े लेखक की रचना पर खराब फिल्म बनाने से बेहतर है कि उसे कहानी के रूप में ही रहने दिया जाए लेकिन संभवत: महादेवन को मिल चुके चार चार राष्ट्रीय पुरस्कारों ने लहर को उनके पक्ष में मोड़ दिया और संदीप ने उन्हें फिल्म बनाने की अनुमति दे दी । उन्होंने कहा कि इस फिल्म के मुख्य किरदार के लिए उनकी पहली पसंद अमिताभ बच्चन हैं। उन्हें प्रस्ताव भेजा जा चुका है लेकिन अभी जवाब की प्रतीक्षा है ।
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31-10-2012, 03:57 AM | #505 |
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‘जाने भी दो यारों’ की शूटिंग के दौरान निर्देशक कुंदन शाह को किया था परेशान : ओम पुरी
नई दिल्ली। सीमित बजट में ‘जाने भी दो यारो’ की शूटिंग टीम का प्रत्येक दिन एक संघर्ष की तरह रहा लेकिन अभिनेता ओमपुरी के दिल दिमाग में 1983 में बनी व्यंग्यात्मक क्लासिक की कुछ मधुर स्मृतियां अभी भी शेष हैं। इस फिल्म का नया संस्करण दो नवंबर को रिलीज हो रहा है। पुरी ने इस फिल्म में भ्रष्ट बिल्डर आहूजा की भूमिका निभायी है। उन्होंने अपने संस्मरण में बताया कि किस प्रकार से सीमित बजट के दौरान टीम ने प्रतिदिन लौकी की सब्जी और दाल खाकर और जमीन पर सोकर बजट संबंधी समस्याओं को सुलझाया। पुरी ने कहा, ‘फिल्म को बहुत सीमित बजट में बनाया गया था। हमारा खाना निर्देशक के घर से आता था। उन्होंने एक खानसामा रखा हुआ था, जो रोज लौकी और दाल खिलाता था। मुझे शूटिंग का अपना पहला दिन याद है कि किसी ने एक कप चाय के लिए कहा ... तो मुझे प्रोडक्शन मैनेजर की चिल्लाती हुयी आवाज सुनायी दी ... अरे यार... तुमने अभी एक घंटे पहले ही तो चाय पी थी। ऐसी स्थिति थी ... लेकिन हम सभी दोस्त थे और सभी परेशानियों को मिलजुलकर सुलझा लेते थे।’ करीब 29 साल के अंतराल के बाद एनएफडीसी और पीवीआर द्वारा रिलीज होने वाली फिल्म में नशीरूद्दीन शाह, रवि बासवानी, सतीश कौशिक, पंकज कपूर, सतीश शाह और नीना गुप्ता जैसे फिल्म और थिएटर के अनेक मंझे हुये कलाकार हैं।
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31-10-2012, 03:58 AM | #506 |
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हंसल मेहता के ‘शाहिद’ से होगी धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की शुरूआत
धर्मशाला। फिल्म निर्माता हंसल मेहता की फिल्म ‘शाहिद’ से पहले धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की शुरूआत होगी । महोत्सव एक नवंबर से शुरू हो रहा है । महोत्सव का अंत अशिम अहलूवालिया की पुरस्कार विजेता फिल्म ‘मिस लवली’ के साथ होगा । इसमें 26 फिल्में, वृतचित्र और लघु फिल्में दिखायी जाएंगी । महोत्सव में दिखायी जाने वाली अन्य महत्वपूर्ण फिल्में हैं- राजन खोसा की ‘गट्टू’ और उमेश कुलकर्णी की ‘देओल’ । इस चार दिवसीय महोत्सव के आयोजकों रितु सरीन और तेंजिन सोनम ने महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ तत्कालीन भारतीय और विश्व सिनेमा दिखाने का वादा किया है । रितु ने कहा, ‘फिल्म निर्माता हंसल मेहता, अशिम अहलूवालिया, आसिफ कपाड़िया, उमेश कुलकर्णी, करीम अल हकीम, जेनिफर फॉक्स, मार्क इलियट, दियान सेड और गुय दविदि इस महोत्सव में हिस्सा लेंगे ।’
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31-10-2012, 03:58 AM | #507 |
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सिकुड़ रहा है भारत का फिल्म बाजार : शेखर कपूर
नई दिल्ली। मासूम, मिस्टर इंडिया, बैंडिट क्वीन और एलिजाबेथ जैसी चर्चित फिल्में बना चुके फिल्म निर्माता शेखर कपूर का कहना है कि भारत का फिल्म बाजार सिकुड़ रहा है । सीआईआई मीडिया एवं मनोरंजन सम्मेलन 2012 में ‘भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष’ विषय पर कपूर ने कहा, ‘हमारा फिल्म उद्योग एक संकुचित होता बाजार है जबकि ज्यादातर लोग इसे उभरता बाजार मानते हैं । कभी जनमानस के लिए बनने वालो सिनेमा और सिर्फ उच्चवर्ग तक सिमट कर रह गया है । फिल्मों में दिखाए जा रहे डिजाइनर कपड़ों और अन्य दिखावों के कारण जनमानस सिनेमा से नहीं जुड़ पा रहा है ।’ उन्होंने यह भी कहा कि फिल्मों में आ रही गिरावट का एक मुख्य कारण टेलीविजन और न्यूमीडिया जैसे इंटरनेट भी है । कपूर ने कहा, ‘जब हम आंकड़ों को देखते हैं तो, पाते हैं कि सिनेमा देखने वालों की संख्या घट रही है और टिकटों के दाम बढ रहे हैं । जनसंख्या का 80 प्रतिशत भाग टीवी देखता है क्योंकि वह सस्ता है ।’
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31-10-2012, 08:13 AM | #508 |
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Re: Bollywood Reporter (बॉलीवुड रिपोर्टर)
भारतीयों के फिल्मों के प्रति लगाव से चकित हैं फिलीपीनी निर्देशक
मुंबई। फिलीपीन के निर्देशक ब्रिलियांते मेंडोजा भारतीय दर्शकों के फिल्मों के प्रति लगाव को देखकर चकित हैं। मेंडोजा की फिल्म ‘कैप्टिव’ को इस बार 14वें मुंबई फिल्म समारोह (एमएफएफ) में दिखाया गया था। मेंडोजा ने कहा कि मैं भारत कई बार आ चुका हूं। जब मैं पहली बार भारत आया था तब मैं दिल्ली में था, तीन साल पहले मैं मुंबई में था और अब एक बार फिर मैं यहां हूं। अगले महीने मैं गोवा में रहूंगा। मुझे भारतीयों में फिल्म संस्कृति काफी पसंद है। उन्होंने कहा कि जब मैं दिल्ली में था तब मैं सिनेमाघरों में लोगों की भीड़ देखकर चकित था, लोग फिल्म देखने के लिए सीढ़ियों पर बैठकर इंतजार कर रहे थे। मेंडोजा ने कहा कि मैंने बहुत अधिक भारतीय फिल्म नहीं देखी हैं। मैंने जो फिल्में देखीं हैं उनमें से एक का नाम मुझे याद है जो ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ है। मेरी रुचि फिल्में देखने से कहीं ज्यादा उन्हें बनाने में है। फिल्म ‘कैप्टिव’ फिलिपीन में वर्ष 2001 में घटित हुई एक वास्तविक घटना पर आधारित है, जिसमें 20 पर्यटकों को अगवा कर बंधक बना लिया गया था।
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31-10-2012, 08:13 AM | #509 |
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Re: Bollywood Reporter (बॉलीवुड रिपोर्टर)
अमृता ने अपने बेटे का नाम रखा रेयान
मुंबई। अभिनेत्री अमृता अरोड़ा पिछले सप्ताह ही एक बेटे की मां बनी हैं। अमृता और उनके पति शकील लड़ाक ने अपने बेटे का नाम रेयान रखा है। 31 वर्षीय अभिनेत्री को पहले से ही एक बेटा अजान है, जो दो साल का है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मैं अपने बेटे रेयान को दशहरे के शुभ अवसर पर घर लेकर आई हूं। आप सभी का दिन शुभ हो। मेरे लिए भी यह दोहरी खुशी का मौका है। इस अभिनेत्री की पिछली फिल्म वर्ष 2009 में आई ‘कमबख्त इश्क’ थी जिसमें वे सहायक अभिनेत्री की भूमिका में दिखी थीं और उसी साल वे लड़ाक के साथ शादी के बंधन में बंध गईं।
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31-10-2012, 08:14 AM | #510 |
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फिल्मों का प्रदर्शन हुआ कठिन : सूरी
मुंबई। अभिनेता-निर्माता संजय सूरी का मानना है कि आज के दौर में कोई फिल्म प्रदर्शित करना कठिन काम है क्योंकि हर लघु फिल्म के प्रदर्शन के लिए जगह नहीं होती। सूरी ने कहा, फिल्म प्रदर्शित (रिलीज) करना बड़ा कठिन है। आप कम बजट की फिल्म बना सकते हैं लेकिन इसे कम बजट में प्रदर्शित नहीं कर सकते। मुख्य धारा की बड़ी फिल्मों के साथ मार्केटिंग का बड़ा बजट होता है लेकिन इन छोटी फिल्मों में तो विषय वस्तु ही मुख्य आधार होती है और उनके लिए प्रदर्शन की जगह नहीं निकलती। सूरी ने माई ब्रदर निखिल, सॉरी भाई तथा आई एम जैसी फिल्में बनाई हैं और ये सभी आफ बीट फिल्में हैं। उन्होंने मुंबई फिल्म फेस्टिवल की सराहना करते हुए कहा कि यह फिल्मों की खोज का अच्छा मंच बना हैं । उन्होंने कहा कि फिल्मों को कई तरह से प्रचार प्रोत्साहन होता है और यह नियम बन गया है।
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