12-02-2011, 12:44 PM | #501 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये, जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की, वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये|
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
12-02-2011, 12:45 PM | #502 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
गुनाह करके सज़ा से डरते हैं,
जहर पी के दवा से डरते हैं, दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं, हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं |
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
12-02-2011, 12:46 PM | #503 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको, तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको |
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
12-02-2011, 08:39 PM | #504 |
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हमारी शेर "ओ" शायरी
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
12-02-2011, 08:42 PM | #505 | |
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हमारी शेर "ओ" शायरी
Quote:
बीडी वाला सोंग गुलज़ार साहब ने लिखा है|
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
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13-02-2011, 04:58 PM | #506 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं |
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13-02-2011, 08:39 PM | #507 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
कोई रात पूनम तो कोई रात अमावस
चांदनी उसकी जो चाँद पाना सीख ले. यूँ तो सभी आये हैं रोते हुए जहाँ में सारा जहाँ उसका जो मुस्कुराना सीख ले. कुछ भी नजर न आये अंधेरों में रहकर रौशनी है उसकी जो शमा जलना सीख ले. हर गली में मंदिर है हर राह में मस्जिद ईश्वर है उसका जो सर झुकाना सीख ले. हर सीने में दिल हर दिल में प्यार है प्यार मिले उसको जो दिल लगाना सीख ले.
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13-02-2011, 09:15 PM | #508 | |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
Quote:
आप तो वाकई में शायर हैं माशा आल्लाह
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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13-02-2011, 09:28 PM | #509 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
शुक्रिया- शुक्रिया.....................
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14-02-2011, 08:10 AM | #510 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको!
किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको! पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा! अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
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