19-04-2012, 04:02 AM | #501 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। एक नए अध्ययन से पता चला है कि आनंद और लत को प्रभावित करने वाले मस्तिष्क के एक विशेष भाग की गहन जांच (स्कैन) से यह पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि क्या व्यक्ति का अगले छह महीनों में वजन बढ़ेगा या वह कितना यौन सम्बंध बनाएगा। अमेरिका के ‘डार्टमाउथ यूनीवर्सिटी’ में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन युवा लड़कियों के मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण भाग ‘न्यूक्लियस अक्युमबेंस’ भोजन से जुड़ी तस्वीरों को देखकर त्वरित प्रतिक्रिया देता है, उनका अगले छह महीनों में वजन बढ़ने की संभावना होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसी तरह, जब यह भाग कामुक तस्वीरों को देखकर त्वरित प्रतिक्रिया देता है तो इन युवा महिलाओं के अगले छह महीनों में कामुक सम्बंध अधिक बनाने की संभावना होती है। प्रमुख शोधकर्ता बिल कैली ने ‘लाइवसाइंस’ से कहा कि यह अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें संभवत: पहली बार है जिसमें आपके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया लंबे समय बाद आपके व्यवहार से जुड़ती है।
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19-04-2012, 04:02 AM | #502 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आशावादी बनने से कम हो जाता है दिल की बीमारी का जोखिम
लंदन। आशावादी बनें, यह आपके दिल के लिए अच्छा है। अनुसंधानकर्ताओं ने पता लगाया है कि खुश रहने वाले लोगों में दिल की बीमारी का जोखिम कम होता है। हार्वर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने 200 से अधिक अध्ययनों की विवेचना कर यह निष्कर्ष निकाला है। रिपोर्ट में कहा गया कि आशावादी लोग स्वस्थ्य तो रहते ही हैं, साथ ही उनमें उच्च रक्तचाप और कोलेस्टरोल जैसी समस्या का जोखिम कम रहता है। बीबीसी के अनुसार इससे लगता है कि आशावादिता, जीवन संतुष्टि और खुशी का आपसी सम्बंध है और इससे दिल की बीमारी का जोखिम कम रहता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि उस व्यक्ति की उम्र कितनी है और उसका सामाजिक,आर्थिक स्तर कैसा है। अध्ययन के अनुसार सर्वाधिक आशावादी लोगों में बीमारी का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम रहता है। अध्ययन में शामिल आशावादी लोगों में अधिक व्यायाम और संतुलित आहार के प्रति रूझान पाया गया।
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28-04-2012, 02:01 AM | #503 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आपको धोखा दे सकती हैं आपकी आंखें
वाशिंगटन। यूं तो लोग ज्यादातर चीजों के लिए अपनी आंखों पर ही यकीन करते हैं। लेकिन, शोध करने वालों का कहना है कि आंखें भी आपको धोखा दे सकती हैं। आॅस्ट्रेलिया में विजन सेंटर की अगुवाई वाली एक अंतर्राष्ट्रीय टीम का कहना है कि लोगों की दृश्य संवेदन प्रणाली की ओर से दी गई सूचना अक्सर विकृत, अविश्वसनीय और भ्रम पैदा करने वाली होती है। टीम के नेता डॉ. इसाबेल मारेश्चल ने कहा कि हम जो देखते हैं उसे ही असल दुनिया समझ लेते हैं। जबकि हकीकत यह है कि इनमें से कई चीजें तोड़ी और मरोड़ी गई होती हैं और यह दिमाग के शुरूआती प्रसंस्करण में उस वक्त होती हैं जब हम अचेतन होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ताजा काम दिखाता है कि प्राथमिक दृश्य कोर्टेक्स की कोशिकाएं थोड़ी विकृति पैदा करती हैं और फिर यह दिमाग तक पहुंचती हैं ताकि सही तरीके से इनकी व्याख्या हो सके।
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28-04-2012, 02:02 AM | #504 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मूडी बच्चों के बड़े हो कर जुआरी बनने की आशंका
वाशिंगटन। खबर अभिभावकों की नींद उड़ाने वाली है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मनमौजी और अस्थिर प्रवृत्ति वाले बच्चों के बड़े होकर जुआरी बनने की आशंका अधिक होती है। मिसोरी विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक दल ने न्यूजीलैंड के 900 से अधिक बच्चों पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि तीन साल की उम्र के सामान्य बच्चों की तुलना में अस्थिर प्रवृत्ति वाले बच्चों के तीन दशक बाद जुआरी बनने की आशंका अधिक होती है। लाइवसाइंस की खबर के अनुसार साइकोलॉजिकल साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि बचपन के ये लक्षण बड़े होने पर समस्या पैदा कर सकते हैं लेकिन समय रहते ध्यान दे कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले वेंडी स्लटस्के ने बताया इससे पता चलता है कि बचपन का व्यक्तित्व वयस्क होने पर जीवन में कितना गहरा प्रभाव डाल सकता है।
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28-04-2012, 02:03 AM | #505 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कोकीन के इस्तेमाल से जल्दी बूढ़ा हो जाता है दिमाग
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने अपने नए अनुसंधान में दावा किया है कि कोकीन का उपयोग करने वालों का दिमाग जल्दी बूढ़ा हो जाता है। अनुसंधान के परिणाम के अनुसार जो लोग कोकीन का उपयोग करते हैं उनका दिमाग प्रतिवर्ष सामान्य लोगों के मुकाबले दो गुना ज्यादा बूढ़ा होता है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के न्यूरोसार्इंटिस्ट और इस अनुसंधान के लेखक कारेन एर्ससे का कहना है कि जैसे-जैसे दिमाग बूþढ़ा होता है उसमें न्यूरॉन कोशिकाओं से बने ‘ग्रे मैटर’ की कमी होने लगती है। बुढ़ापे के ज्यादातर लक्षण जैसे यादाश्त की समस्या होना और अन्य चीजों को समझने में आने वाली समस्याएं ‘गे्र मैटर’ के कम होने से ही जुड़े हैं। एर्ससे ने ‘लाइव साइंस’ को बताया कि हमारे शोध से इस बारे में जानकारी मिली है कि कोकीन का सेवन करने वाले लोगों में बूढ़ापे के लक्षण जल्दी क्यों नजर आने लगते हैं ।
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28-04-2012, 02:03 AM | #506 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बच्चों को शराब पीने को ललचाते हैं टीवी के विज्ञापन
वाशिंगटन। एक नए अध्ययन के नतीजों पर यकीन करें तो बच्चों को टीवी से दूर रखना ही बेहतर है। जी हां, अध्ययन के मुताबिक टीवी पर प्रसारित होने वाले शराब के विज्ञापन बच्चों को इसे पीने को ललचाते हैं। करीब दो महीने तक किए गए इस अध्ययन में यूनिवर्सिटी आफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि पांच राजधानियों में दिखाए गए 2810 शराब के विज्ञापनों में से आधे ऐसे समय में दिखाए गए थे जब ऐसी संभावना थी कि 25 फीसदी बच्चे टीवी देख रहे होंगे। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि टीवी विज्ञापनों से बच्चे शराब को ऐसी सस्ती चीज मानने को प्रेरित होते हैं जिसका नाता मौज-मस्ती, दोस्ती और शारीरिक गतिविधियों से होता है और यह तब और बेहतर होता है जब थोक में खरीदा जाए। शोध के अगुवा प्रो. सिमोन पेट्टीग्रयु ने कहा कि इस अध्ययन से उन नीति निर्माताओं और डॉक्टरों के लिए गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं जो शराब के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलने की चाह रखते हैं और चाहते हैं कि लोग इसे जीवन के सामान्य एवं सुरक्षित पहलू की तरह मानें ।
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28-04-2012, 02:04 AM | #507 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अजवायन वाला पीजा हो सकता है लाभकारी
लंदन। पीजा में भले ही कैलोरी अधिक हो, लेकिन इसे अगर अजवायन मिला कर खाया जाए तो यह लाभकारी हो सकता है। भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि अजवायन वाला पीजा प्रॉस्टेट कैंसर से बचाव का एक कारगर हथियार साबित हो सकता है। लॉंग आईलैंड यूनिवर्सिटी की सुप्रिया बावडेकर और उनके सहयोगियों ने पाया कि आम तौर पर पीजा में और अन्य इतालवी आहार में अजवायन का उपयोग किया जाता है। अजवायन में प्रॉस्टेट कैंसर से बचाव की क्षमता होती है। डेली मेल की खबर में कहा गया है कि सुप्रिया और उनके सहयोगियों ने अजवायन में पाए जाने वाले रसायन कार्वाक्रॉल का अध्ययन किया। प्रयोगशाला में जब कार्वाक्रॉल में कैंसर कोशिकाएं मिलाईं गईं तो चार दिन के बाद करीब-करीब सभी कैंसर कोशिकाएं मृत पाई गईं। परीक्षण में पाया गया कि कार्वाक्रॉल ने कोशिकाओं को स्वयं ही खत्म होने के लिए बाध्य किया। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि यह रसायन कैंसर के इलाज में मददगार हो सकता है।
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28-04-2012, 02:57 AM | #508 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सुई से मिल सकता है छुटकारा, आईआईएससी ने विकसित की प्रणाली
नई दिल्ली। भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूर के वैज्ञानिकों ने शरीर में दवा पहुंचाने के लिए एक सुईरहित प्रणाली विकसित की है, जो विकास के शुरूआती चरणों में है और जरूरी मंजूरी एवं अध्ययन के बाद बाजार में आएगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री अश्वनी कुमार ने बताया कि भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलूरू के वैज्ञानिकों ने शरीर में दवा पहुंचाने के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जो सुईरहित होगी। उन्होंने लोकसभा में विक्रमभाई अर्जनभाई मादम के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रयोगशाला में चूहों को टायफाइड की दवा इस प्रणाली से सफलतापूर्वक दी गई। इस नई पद्धति को हाइपरसोनिक और शॉक वेव्स प्रयोगशाला, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग, सूक्ष्म जीव विज्ञान एवं कोशिका जीवविज्ञान विभाग और भारतीय विज्ञान संस्थान के बीच सहयोग से विकसित किया गया है। मंत्री ने बताया कि दवा देने की यह नई पद्धति अभी अपने विकास के शुरूआती चरणों में है तथा इस युक्ति के मनुष्य पर उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध होने से पहले कुछ मंजूरियों और वैज्ञानिक अध्ययन जरूरी होंगे।
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28-04-2012, 02:57 AM | #509 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
विकसित की मक्के की नई किस्म
कानपुर। चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के वैज्ञानिकों ने पहली बार मक्का की एक संकर प्रजाति विकसित की है जो न केवल ज्यादा पैदावार देगी बल्कि 90 दिन में पक जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि आजाद संकर मक्का 1 (हाईब्रिड आजाद मेज 1) नाम की यह नई प्रजाति से एक हेक्टेयर में 55 से 60 कुंतल की उपज ली जा सकती है। इस मक्के का इस्तेमाल बेबी कार्न से बनने वाले उत्पादों में बखूबी किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी नौशाद खान ने गुरुवार को बताया कि संस्थान के प्लांट एंड ब्रीडिंग जेनेटिक्स विभाग के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. हरिशचन्द्र ने अखिल भारतीय समन्वय मक्का शोध परियोजना (आल इंडिया मेज कोआर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट) के तहत मक्का की इस हाईब्रिड (संकर) प्रजाति को विकसित किया है। इसे हाल ही में हरियाणा के हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में प्रदर्शित किया गया। वहां के कृषि वैज्ञानिकों ने इसको सराहा और अच्छी प्रजाति बताते हुए इसे खेती में प्रोत्साहित करने का अनुमोदन किया। आजाद संकर मक्का 1 की फसल 85 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। इस मक्के की बाल तोड़ने के बाद भी इसकी पत्तियां और तना हरा बना रहता है। इस तरह यह जानवरों के चारे के लिए भी अच्छा होता है। डा. खान ने बताया कि इस मक्के में 10 से 12 प्रतिशत प्रोटीन मिलता है तथा इस मक्के को बेबी कार्न की तरह इस्तेमाल कर इससे रायता, चिप्स पकौड़े और मिठाई आदि भी बनाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों के अनुमोदन के बाद उत्तर प्रदेश के किसान मक्के की इस नई संकर प्रजाति का लाभ उठा सकेंगे।
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28-04-2012, 03:04 AM | #510 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
स्वस्थ रहना है तो लाइफ स्टाइल बदलिए
बरेली। हृदय रोग से बचना है तो लग्जरी लाइफ और तेल मसालायुक्त भोजन छोड़ना ही होगा तथा नियमित व्यायाम और श्रम करना होगा। भारतीय रेलवे चिकित्सा एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य चिकित्सा निदेशक डा. एस.के . अग्रवाल ने कहा है कि हृदय रोगी यदि अपनी जीवन शैली में नियमित व्यायाम, कम वसायुक्त भोजन, मादक पदार्थों का कम से कम प्रयोग, धूम्रपान तथा तम्बाकू के सेवन को त्यागते हैं तो वे आसानी से स्वस्थ जीवन एवं दीर्घ आयु प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में मधुमेह रोगियों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हो रही है। मधुमेह रोगियों में हृदय रोग की चार गुणा संभावना बढ़ जाती है। अत: लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन से ही हृदय रोग एवं मधुमेह से बचा जा सकता है। डा. अग्रवाल ने बुधवार को भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा एसोसिएशन द्वारा पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मण्डल मुख्यालय बरेली के तत्वावधान में चिकित्सा शिक्षण कार्यक्रम लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन इन कोरोनरी आर्टरी डिजीज एंड हाइपरटेंशन विषय पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि शिक्षा एक सतत प्रक्रि या और ज्ञान एक शक्ति है। इसलिए चिकित्सीय क्षेत्र में हो रही नई तकनीक के विकास की जानकारी के आदान-प्रदान में यह कार्यक्रम एक मंच प्रदान करेगा। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एम.पी. रावल ने कहा कि विभिन्न रोगों के इलाज के तकनीकों में नित नए बदलाव हो रहे हैं तथा नई-नई दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। ऐसे में रेलवे चिकित्सकों को निरंतर अपने आपको अपडेट करना अत्यंत आवश्यक है। बरेली के उपजिला अधिकारी डा. के .के . मिश्रा ने मैनेजमेंट आफ टयूबर क्लोसिस बाइ डाट्स विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि क्षय रोग की जानकारी बलगम जांच से की जाती है जिन्हें दो सप्ताह से ज्यादा खांसी की शिकायत होती है उनकी दो जांचें की जाती हैं। क्षय रोग की पुष्टि होने पर डाट्स की दवा दी जाती है। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में नौ हृदय रोग यूनिट, 49 माइक्रोस्कोपी सेंटर तथा 607 डाट्स सेंटर कार्यरत हैं। रेलवे चिकित्सालय में वर्ष 2006 से डाट्स सेंटर चलाए जा रहे है जहां नि:शुल्क दवाओं का वितरण होता है। कैंंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट वाराणसी के निदेशक डा. पी.के . मिश्रा ने कहा कि जिस टोक्सिन जहर के कारण पथरी होती है उसी के कारण कैंसर होता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए पित्ताशय में पथरी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। न्यूरो सर्जन डा. ओ.पी. प्रसाद ने मैनेजमेंट हैड इंजरी विषय पर कहा कि देश में हर दस मिनट पर तीन लोगों की मृत्यु हैड इंजरी के कारण हो रही है। उन्होंने कहा कि तत्काल चिकित्सा सुविधा ही हैड इंजरी से ग्रस्त लोगों की जान बचा सकती है। डा. प्रसाद ने बताया कि जिन रोगियों में उल्टी आना, बेहोशी आना, श्वास लेने में दिक्कत होती है उनका सीटी स्कैन करके तथा दिमाग में खून जम जाने पर वेंटीलेटरी सपोर्ट तथा सर्जरी से उपचार किया जाता है। इस मौके पर मंडल रेल प्रबन्धक उमेश सिंह ने कहा कि चिकित्सा जगत में नितदिन तरक्की हो रही है तथा चिकित्सा क्षेत्र में विभिन्न रोगों के प्रबंधन में नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि चिकित्सक अपना ज्ञानवर्द्धन करते रहें। डा. अग्रवाल ने बुधवार को भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा एसोसिएशन द्वारा पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मण्डल मुख्यालय बरेली के तत्वावधान में चिकित्सा शिक्षण कार्यक्रम लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन इन कोरोनरी आर्टरी डिजीज एंड हाइपरटेंशन विषय पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया और ज्ञान एक शक्ति है। इसलिए चिकित्सीय क्षेत्र में हो रही नई तकनीक का विकास की जानकारी के आदान-प्रदान में यह कार्यक्रम एक मंच प्रदान करेगा। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एम.पी. रावल ने कहा कि विभिन्न रोगों के इलाज के तकनीकों में नित नए बदलाव हो रहे हैं तथा नई-नई दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। ऐसे में रेलवे चिकित्सकों को निरंतर अपने आपको अपडेट करना अत्यंत आवश्यक है।
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