24-09-2011, 04:48 PM | #501 |
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Re: हिन्दी शायरी
ना जाने किस उम्मीद पे दिल ठहरा है तेरी चाहत की कसम ऐ दोस्त अपनी दोस्ती का रिश्ता प्यास से भी गहरा है
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जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -------------------------------------------------------------------------- जिनके घर शीशो के होते हे वो दूसरों के घर पर पत्थर फेकने से पहले क्यू नहीं सोचते की उनके घर पर भी कोई फेक सकता हे -------------------------------------------- Gaurav Soni
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25-09-2011, 06:45 PM | #502 | |
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Re: हिन्*दी शायरी
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इस जगती के मदिरालय में तरह-तरह की है हाला, अपनी-अपनी इच्छा के अनुसार सभी पी मदमाते, एक सभी का मादक साकी, एक सभी की मधुशाला।। |
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