04-12-2010, 12:01 PM | #511 |
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Re: साक्षात्कार
यानी के अपने छोटोँ को आगे जिन्दगी के लिए
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
04-12-2010, 12:05 PM | #512 |
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Re: साक्षात्कार
सर, प्रश्नों के भीड़ में से अलग तरह के सवाल पूछना मेरी आदत है !! और एक बात, प्रश्न पूछने के समय, ये हम बखूबी ध्यान रखते हैं की किसे ये प्रश्न पूछा जा रहा है !! आपके लिए और एक प्रश्न........
आपको अचानक कहीं से पडा हुआ, १ करोड़ रुपया मिल जाता है !! और आपको २४ घंटे के अन्दर ये रुपया खर्च करना है !! तो आप इसे कैसे खर्च करेंगे ?? नोट: १. ये पैसा आप किसी को दान या तोहफा के तरह नहीं दे सकते !! २. उत्तर देने के समय टेक्निकल और कानूनी पहलुओं को भी ध्यान में रखिये !! और एक गुजारिश है !! प्रश्नोत्तर समाप्त हो जाने के बाद आपसे पुछेगये किसी एक प्रश्न को श्रेष्ठ प्रश्न के रूप में चयन करें !!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
04-12-2010, 12:47 PM | #513 |
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Re: साक्षात्कार
सुन रहे हो या खिंचाई कर रहे हो अनुज !
अब तो आपने घोषणा कर ही दी है कि कल मेरा साक्षात्कार समाप्त हो जाएगा तो अब मुझे आपसे कहने में कोई झिझक नहीं है कि इसको आज ही समेट लिया जाए. तब तक कुछ और प्रश्नों के बाण फेंकिये आप मेरी तरफ. अगले कुछ नाम मैंने सोच लिए हैं उनके ऊपर आपसे चर्चा करूंगा पी एम् के द्वारा. प्रश्नों कि लिए कुछ रिसर्च और किया जाए अनुज .....
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Last edited by aksh; 04-12-2010 at 01:18 PM. |
04-12-2010, 01:30 PM | #514 | |
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Re: साक्षात्कार
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अनुज में कोई संत महात्मा तो हूँ नहीं. फिर भी कोशिश करता हूँ. 1. जहाँ तक संभव हो अपने आप को सच्चा रखो. 2. सभी के लिए सकारात्मक सोचो. नकारात्मक विचार कभी अपने पास फटकने भी ना दो. 3. भौतिक सुखों का कोई अंत नहीं है इसलिए उनको पाने वालों की दौड़ में ना पड़ो. जो मिल जाए ऊपर वाले का आशीर्वाद समझ कर रखो. 4. अपनी ख़ुशी और गम दूसरों के साथ बांटो. ऐसा करने से ख़ुशी बढती है, गम कम हो जाते है. 5. अगर किसी काम को करने की ठान लो तो उस काम में आने वाली मुश्किलों की चिंता ना करके उनसे निपटने की पूरी तैयारी होनी चाहिए. 6. दूसरों को इज्जत देने से ही आपकी इज्जत बढती है इस सिद्धांत का जीवन में पालन करो. सबको यथोचित सम्मान मिलना चाहिए. 7. किसी को भी कम मत आंको. अपने अपने स्थान पर सभी महत्वपूर्ण होते हैं. 8. अपने लिए ना सोच कर देश के लिए और समाज के लिए सोचो. अगर देश का कल्याण होगा तो आप और आपके परिवार का भी कल्याण होगा.
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04-12-2010, 01:55 PM | #515 | |
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Re: साक्षात्कार
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उस बिल्डिंग में सिर्फ उन बच्चों को कोचिंग दूंगा जो अपने लिए अच्छी कोचिंग की सुविधा नहीं जुटा सकते हैं और सिर्फ इसी वजह से जिंदगी में आगे बढ़ने में कुछ कमी का अनुभव करते हैं. ( सुविधा देने का आधार सिर्फ आर्थिक कमजोरी ही होगा ). इस तरह में अपने उस सपने को भी पूरा कर पाऊंगा जिसका जिक्र मैं इस साक्षात्कार में कभी किया था और उसका पूरा होना अभी बाकी बताया था. कोचिंग इंस्टिट्यूट को चलने का खर्च या तो मैं स्वयं ही वहां करूंगा या फिर कुछ ऐसे छात्रों से वसूल करूंगा जो कुछ आर्थिक मदद करने की स्थिति में होंगे. ( यानी कि वो छात्र जो महंगी कोचिंग को अफोर्ड नहीं कर सकते पर मुफ्त में भी नहीं पढना चाहते.)
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04-12-2010, 01:59 PM | #516 |
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Re: साक्षात्कार
आपकी पसन्दगी की फेहरिस्त मेँ मेरा नाम भी शुमार करने का शुक्रिया । अनिल जी एक प्रश्न मैँ भी करूँगा कि क्या सामीप्य और सानिध्य से ही रिश्ते प्रगाढ़ किये जा सकते हैँ ? यदि हाँ तो क्या प्रेम भी किसी और पर आश्रित नहीँ है क्योँकि प्रेम भी सतत् सानिध्य से ही पुष्पित पल्लवित होता है ।
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04-12-2010, 02:22 PM | #517 | |
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Re: साक्षात्कार
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मित्र अनिल जी, आपके विचारों को पसंद करता हूँ इसलिए ही आपको पसंद करता हूँ. मित्र प्रेम सानिध्य का मोहताज नहीं होता. इसका जीता जागता उदाहरण है ये फोरम यहाँ पर हम सभी आपस में कितने दूर होते हुए भी कितने प्रेम के साथ वार्तालाप में मग्न हैं. ???? और वैसे भी किसी विद्वान ने कहा है कि दूरियां आपको नजदीक ले आती हैं. पर इसका मतलब ये भी नहीं है कि आप अपनी पत्नी से प्रेम बढ़ाने के लिए उसे सदा के लिए ही मायके भेज दें. समय समय पर कुछ देर के लिए उत्पन्न हुयी दूरी रिश्तों में प्रगाड़ता का एक बहुत बड़ा कारण बन जाती है ऐसा मेरा मानना है
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04-12-2010, 07:29 PM | #518 |
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Re: साक्षात्कार
आपके पिताजी और पत्नी के अलावा
आपके अपने जिन्दगी मेँ आइडीयल किसको मानेगेँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
05-12-2010, 01:18 PM | #519 |
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Re: साक्षात्कार
अनिल भैया आप के लिए कुछ प्रश्न हैँ कृप्या जल्दी जवाब दे दिजीए
अगले मेहमान को आमंत्रित कर सकुँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
05-12-2010, 01:24 PM | #520 | |
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Re: साक्षात्कार
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
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