28-04-2012, 03:05 AM | #511 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के साथ शिशु को ज्यादा दिनों तक स्तनपान कराने से मां से शिशु में होने वाले एचआईवी के प्रसार को कम किया जा सकता है और बच्चे के बचने की उम्मीद को बेहतर बनाया जा सकता है। एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है। हालांकि छह महीने से पहले स्तनपान बंद करने से इन बच्चों को एचआईवी संक्रमण से नहीं बचाया जा सकता। इससे उनके बीमार पड़ने,उन्हें विकास सम्बंधी समस्याएं होने और उनकी मौत होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। वर्ष 2004 से 2010 के बीच मलावी में 2,369 एचआईवी संक्रमित मांओं और उनके बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात उभरकर सामने आई। शुरूआती परिणामों में पाया गया कि छह महीने तक एआरटी दवाईयां का सेवन करने वाले मां और उनके बच्चों के मामलों में एचआईवी का प्रसार बच्चों तक कम हो गया। वहीं हर तीन में से एक बच्चा जिन्हें 28 हफ्तों के बाद स्तनपान कराना बंद कर दिया था, वह एचआईवी से संक्रमित हो गए। इससे पता लगता है कि एचआईवी से संक्रमित मांओं द्वारा अपने बच्चों को जल्द ही स्तनपान बंद करने से उनमें एचआईवी के संंंक्रमण की संभावना बढ़जाती है।
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28-04-2012, 03:06 AM | #512 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मोबाइल फोन से कैंसर होने के सबूत नहीं
लंदन। मोबाइल फोन के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से कैंसर हो सकता है। हालांकि इसे साबित करने के लिए कोई ‘ठोस सबूत’ नहीं हैं। ब्रिटिश हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी एडवाइसरी ग्रुप आन नन आयोनाइसिंग रेडिएशन (एजीएनआईआर) ने अपनी समीक्षा में पाया कि कैंसर की आशंका वाले कई अध्ययन प्रकाशित हुए हैं लेकिन किसी से भी यह साबित नहीं हो पाया कि मोबाइल फोन से दिमागी ट्यूमर या किसी भी अन्य तरह का कैंसर हो सकता है। कुछ व्यक्तिगत अध्ययनों में दावा किया गया है कि उनके पास मोबाइल फोन के बेहद इस्तेमाल और दिमागी ट्यूमर के आशंका में बढ़ोत्तरी के बीच सीधे रिश्ते को लेकर सबूत हैं। दो साल पहले इंटरफोन अध्ययन में कहा गया कि मोबाइल फोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों में दिमागी कैंसर की आशंका 40 फीसदी तक बढ़ जाती है लेकिन अन्य अध्ययनों में ऐसा कोई रिश्ता नहीं जुड़ पाया। 333 पन्नों की समीक्षा का विमोचन करते हुए एजीएनआईआर के अध्यक्ष प्रो. एंथनी स्वेरडलो ने कहा कि मेरा मानना है कि इस सिलसिले में कैंसर के रूख पर नजर रखने की जरूरत है, खासतौर से दिमागी ट्यूमर पर।
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28-04-2012, 05:10 AM | #513 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
ढूंढ निकाला मल्टीपल स्केलेरॉसिस पर रोक का तरीका
मेलबर्न। आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने मल्टीपल स्केलेरॉसिस (एमएस) को बढ़ने से रोकने का तरीका खोज निकाला है। आरएमआईटी और मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि तंत्रिका के लिए नुकसानदायक प्रोटीन को रोककर इस बीमारी के बढ़ने पर रोक लगाई जा सकती है। आस्ट्रेलियाई समाचार एजेंसी एएपी के अनुसार, शोधकर्ताओं के इस शोध के नतीजों को अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ब्रेन में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में टोरंटो विश्वविद्यालय और अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी शामिल थे। एमएस मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं के चारों ओर की संरक्षणात्मक परत, जो कि मायलिन कहलाती है, उसे नुकसान पहुंचाकर घाव बना देता है। इससे मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं के रीढ़ से संपर्क में बाधा पैदा होती है। मुख्य शोधकर्ता स्टीवन पेट्राटोस के मुताबिक, एमएस घावों के अंदर पाए जाने वाले विशेष प्रोटीन दूसरे प्रोटीनों से क्रिया करके तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में जब दो प्रोटीनों के बीच संपर्क या फिर विशेष प्रोटीन को फैलने से रोक दिया जाता है, तो बीमारी फैल नहीं पाती। मोनाश प्रतिरक्षा विज्ञान विभाग और स्टेम सेल प्रयोगशाला से जुड़े पेट्राटोस के अनुसार, इस प्रोटीन को फैलने से रोकना जरूरी था, क्योंकि इसके अलावा फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज है ही नहीं। एक बार मरीज में एमएस फैलना शुरू हो जाता है, तो वह रोका नहीं जा पाता। इसका मरीज अंतत: व्हीलचेयर पर आ जाता है। यहां तक कि इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। वे कहते हैं कि एक बार इस बीमारी को बढ़ने से रोक दिया जाए, तो फिर शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र खुद ही तंत्रिका तंत्र को हुए नुकसान की भरपाई करने लगता है। पेट्राटोस के अनुसार, प्रोटीनों को रोकने की विधि को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन और आस्ट्रेलियाई उपचारात्मक वस्तु प्रशासन ने स्वीकृत कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि एक बार चिकित्सीय प्रयोग शुरू हो गए तो उनमें काफी तेजी आएगी।
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28-04-2012, 05:11 AM | #514 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बॉडी बनाने के लिए कम वजन उठाना बेहतर
लंदन। क्या आप भी बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान या हॉलीवुड अभिनेता सिल्वेस्टर स्टेलॉन की तरह बॉडी बनाना चाहते हैं। अगर आप बॉडी बनाने की खातिर जिम जाने के लिए योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए एक सलाह है। आप भारी-भरकम वजन उठाने के बजाय कम वजन उठाएंगे, तो बेहतर लाभ पाएंगे। कनाडा में मैक मास्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब आप बॉडी बनाने के लिए जिम जाते हैं, तो भारी वजन उठाने के मुकाबले कम वजन उठाना अधिक प्रभावी होता है। ‘द डेली टेलीग्राफ’ ने खबर दी है कि अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि कम वजन उठाने से अधिक बार अभ्यास किया जा सकता है। अध्ययन की अगुवाई करने वाले लेखक निकोलस बुर्ड ने बताया कि बाकी प्रोटोकॉल बॉडी बिल्डिंग की कवायद में प्रभावी हो सकते हैं और प्रतिरोधकर्ता संबंधी प्रशिक्षण के बाद आप ज्यादा मजबूत मांसपेशियां पा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि बॉडी बिल्डिंग करने वाले प्रशिक्षक को तब तक लोहे के पंप को उठाते रहना चाहिए, जब तक उसे यह नहीं लगे कि वह अब और नहीं कर सकता है और थक गया है। एक ही परिणाम की लालसा रखने वाले कम वजन उठाने उठाने वाले व्यक्ति अधिक वजन उठाने वाले लोगों के मुकाबले ज्यादा देर तक जिम में अभ्यास कर पाते हैं। यह अध्ययन ‘अप्लाइड फिजियोलॉजी, न्यूट्रिशन और मेटाबोलिसम’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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28-04-2012, 05:11 AM | #515 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
छोटा सा क्रिस्टल लाएगा कंप्यूटरों में क्रांति
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसा छोटा क्रिस्टल बनाया है, जो कि क्वांटम कंप्यूटिंग को अगले स्तर तक ले जाएगा। इससे विश्व के अब तक के सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर विकसित किए जा सकेंगे। अंतर्राष्ट्रीय समूह की अध्यक्षता करने वाले माइकल बेर्कुक ने सिडनी विश्वविद्यालय में कहा कि मात्र 300 परमाणुओं से बने क्रिस्टल के कंप्यूटर तकनीक में इस्तेमाल से इस तकनीक में एक बड़ा अंतर आया है। जो सिस्टम हमने विकसित किया है, उसमें उन बड़ी-बड़ी गणनाओं को भी करने की क्षमता है, जिसके लिए पहले सुपर कंप्यूटर की जरूरत होती थी। इन गणनाओं को वह एक मिलीमीटर से भी कम व्यास की जगह में कर देता है। क्वांटम तकनीक के इस नए प्रोजेक्ट की प्रदर्शन क्षमता फिलहाल किसी सुपर कंप्यूटर की अधिकतम क्षमता से भी कई गुना अधिक है। इस आविष्कार ने क्वांटम सिम्यूलेटरों में काम करने वाले तत्वों की अधिकतम संख्या का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसलिए इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा जटिल समस्याओं को भी हल किया जा सकता है। इस टीम में अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्टैण्डर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी, वाशिंगटन स्थित जार्जटाउन विश्वविद्यालय, उत्तरी कैरोलिना राज्य विश्वविद्यालय और दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध के लिए बनी परिषद के वैज्ञानिक शामिल थे। इन्होने मिलकर ‘क्वांटम सिम्यूलेटर’ नामक क्वांटम कंप्यूटर बनाया है। शोधकर्ता बेर्कुक कहते हैं कि प्राकृतिक पदार्थों की ऐसी विशेषताएं जो कि क्वांटम यांत्रिकी के नियमों से संचालित होती हैं, उन्हें पारंपरिक कंप्यूटर के माध्यम से मापना काफी मुश्किल है। क्वांटम सिम्यूलेशन का मूल यह है कि एक क्वांटम सिस्टम बनाया जाए, जिससे कि दूसरे प्राकृतिक भौतिक तंत्रों को समझा जा सके। इस शोध के नतीजों को ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
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30-04-2012, 03:51 AM | #516 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सर्न ने खोजा नया कण
लंदन। स्विटजरलैंड में लार्ज हैडरॉन कोलाइडर में एक ऐसा कण खोज निकाला गया है जो तीन क्वार्कों से मिलकर बना है। इस खोज से क्वार्कों के आपसी बंधन की मूलभूत कल्पनाएं सच साबित हो गईं। ज्यूरिक विश्वविद्यालय में एक समूह के मुताबिक, बेरयॉन नामक यह संयुक्त उपपरमाणविक कण तीन क्वार्कों से मिलकर बना है। सभी बेरयॉन तीन हल्के क्वार्कों से मिलकर बने होते हैं। सिर्फ कुछ ही हल्के बेरयॉन अब तक पता चल पाए हैं जो कि भारी क्वार्कों से मिलकर बने हों। क्योंकि ये काफी भारी और अस्थाई होते हैं इसलिए इन्हें कणों के उत्प्रेरक के माध्यम से कृत्रिम रूप से बनाया जा सकता है। सर्न (यूरोपीय नाभिकीय शोध संगठन) में ज्यूरिक विश्वविद्यालय के भौतिकी संस्थान के भौतिकविदों क्लौड एम्सलर, विंसेंजो शिओशिआ और अर्न्स्ट अग्यूइलो ने एलएचसी में प्रोटॉनों की आपसी टक्करों की प्रक्रिया में बेरयॉन की पहचान की जो कि एक हल्के और दो भारी क्वार्कों से बना था। इसका द्रव्यमान लीथियम के एक परमाणु के बराबर था। यह खोज सीएमएस संसूचक में रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों पर आधारित थी। यह नया कण किसी संसूचक के माध्यम से सीधे नहीं पहचाना जा सकता क्योंकि यह बहुत अस्थाई होता है। यह कण विघटन के फलस्वरूप पहले से ज्ञात कई कणों में टूट जाता है। इन विघटित कणों के अवशेषों का अध्ययन अर्न्स्ट एग्यूइलो ने आंकड़े जुटाने के दौरान किया था।
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30-04-2012, 03:54 AM | #517 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दिल को ‘सिकोड़ कर’ मिलेगी बीमारियों से मुक्ति
लंदन। दिल का दौरा और हृदय सम्बंधी अन्य जटिलताओं पर फतह पाने के लिए अगले सप्ताह दिल को सिकोड़ने वाला विश्व का पहला प्रयोग होगा। लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल और द रॉयल लिवरपूल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल की एक टीम का कहना है कि इस तकनीक में बिजली से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे उम्मीद है कि दिल को सिकोड़ने में मदद मिलेगी और मानव का जीवन काल बढ़ाने में सफलता मिलेगी। ‘बीबीसी’ के मुताबिक, चूहों और कुत्तों पर इस तकनीक के सफल प्रयोग के बाद अगले सप्ताह किसी मानव पर यह पहला प्रयोग होगा। जिन जंतुओं पर इसका प्रयोग हुआ वे लंबे समय तक जीवित रहे। दिल में रक्त को प्रवाहित करने की क्षमता में कमी आती है और इसमें खून भरता जाता है और कुछ समय तक वह खिंच सा जाता है। दिल का आकार जितना बड़ा होता है मुश्किलें भी उतनी ही बढ़ती जाती है। सर्जन पेसमेकर की तरह का ही एक यंत्र वेगास नस लगाने वाले हैं। यह हृदय से जुड़ी होती है। उनका कहना है कि बिजली से मिलने वाली ऊर्जा से दिल को एड्रेनैलिन से होने वाले प्रभाव के प्रति सुरक्षा मिलेगी। एड्रेनैलिन हार्मोन से हृदय तेजी से और जोर से धड़कने (पंप करने) लगता है। जब दिल ठीक से काम नहीं करता है तो वह इसी तरह की प्रतिक्रिया देता है। लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसा होना नुकसानदेह हो सकता है। नए प्रयोग से हृदय को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी और यह सिकुड़ने लगेगा। लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल में सलाहकार कार्डियालॉजिस्ट डॉ जे राइट कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि इससे हृदय सिकुड़ेगा लेकिन हो सकता है कि यह सामान्य आकार का न हो। दिल का आकार जितना बड़ा होगा, दुष्प्रभाव भी उतना ही होगा। दुनिया भर में होने वाली इस सर्जरी में करीब 100 मरीज हिस्सा लेंगे। दिल के मरीज कार्ल जोर्डन ऐसे पहले शख्स होंगे जिनका यह उपचार होगा। उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है जिससे उनके दिल को नुकसान पहुंचा है। जोर्डन का कहना है कि लिवरपूल में इस यंत्र को लगवाने के लिए पहला व्यक्ति बनना यह एक बड़ा फैसला था। दिल की बीमारी के कारण मुझे काफी ऐहतियात बरतनी पड़ती है। सांस लेने में मुश्किलें होती हैं। मुझे काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
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01-05-2012, 02:19 PM | #518 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
स्तनपान कैंसर से लड़ने में मददगार होता है
लंदन। स्तनपान के अनेक फायदों में एक कारण और जुड़ गया है कि इससे बच्चे अनेक प्रकार से होने वाले कैंसर से भी सुरक्षित रहते हैं। एक नये अनुसंधान में पाया गया है कि मां के दूध में कैंसर से लड़ने वाले शक्तिशाली टीएनएफ संबंधी एपोपटोसिस इंडयूसिंग लिगांड (टीआरएआईएल) पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मानव के दूध में कैंसर से लड़ने की जबर्दस्त प्रतिरोधी क्षमता होती है। एसएजीई पत्रिका में प्रकाशित ‘जर्नल आफ ह्यूमन लैक्टेशन’ नाम के अध्ययन में कहा गया है कि प्रसुति के बाद का पहला दूध और नई माताओं के परिपक्व दूध के नमूनों का परीक्षण किया गया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने स्वस्थ महिला के रक्त के नमूने लिए और शिशुओं के सेवन के लिए बाजार के उत्पादों, प्रसुति के बाद का पहला दूध और परिपक्व स्तन के दूध को लेकर इनमें टीआरएआईएल के स्तर का परीक्षण किया। शोध में पाया गया कि प्रसुति के बाद के पहले दूध और मानव दूध में रक्त से क्रमश: करीब 400 और 100 गुना टीआरएआईएल का स्तर पाया गया। शिशुओं के सेवन के बाजार के फार्मुला उत्पादों में कोई भी टीआरएआईएल नहीं पाया गया। उन्होंने बताया कि नवजात को मां का दूध पिलाने से बच्चों में होने वाले असमय कैंसर को रोका जा सकता है।
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02-05-2012, 02:59 PM | #519 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
तेल के ऊपर तैर सकता है पानी !
वाशिंगटन। क्या पानी तेल में तैर सकता है? एक नए अध्ययन में परंपरागत धारणा को दरकिनार करते हुए दावा किया गया है कि पानी तेल के ऊपर तैर सकता है। ऐसा दावा करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र में तेल फैलने के मामले में इससे फायदा हो सकता है। सामान्य तौर पर किसी पदार्थ का तैरना या नहीं तैरना उसके घनत्व पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए ‘हाट एयर बैलून’ तैरता है क्योंकि गर्म हवा का घनत्व ठंडी हवा की तुलना में कम है। इसी प्रकार कच्चे तेल का घनत्व समुद्री जल की तुलना में कम होता है जिसके कारण वह जल के ऊपर रह जाता है। लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार आस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय की एक टीम ने पता लगाया है कि पारंपरिक धारणा गलत साबित हो सकती है। नए नतीजे के पीछे अणु जिम्मेदार हैं। अध्ययन के अनुसार किसी द्रव में मौजूद अणुओं के एक दूसरे से जुड़े होने की स्थिति पर काफी कुछ निर्भर करता है। अणुओं के बीच के बल की शक्ति से द्रव का पृष्ठ तनाव निर्धारित होता है। इसी पृष्ठ तनाव के सहारे यह बाहरी बल का प्रतिरोध करता है।
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02-05-2012, 02:59 PM | #520 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कैफीन से बढ़ता है शारीरिक व्यायाम का प्रदर्शन
मेलबर्न। शारीरिक अभ्यास से एक घंटे पहले कैफीन के सेवन से किसी व्यक्ति का शारीरिक प्रदर्शन बेहतर होता है। क्वींसलैंड विश्वविद्यालय की एक शोधकर्ता टीना स्कीनर ने अपने अध्ययन में यह बात कही है। स्कीनर ने कहा कि व्यायाम या किसी तरह के खेल से पहले कैफीन के शरीर में संपर्क के साथ ही व्यक्ति का शारीरिक प्रदर्शन बेहतर हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह ज्यादा मतलब नहीं रखता कि कितना कैफीन आपके खून में प्रवेश करता है, बल्कि यह बात मायने रखती है कि व्यायाम शुरू करने से एक घंटा पहले कैफीन के सेवन से प्रदर्शन बेहतर होता है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्तर के नाविकों, प्रतियोगी साइकिलिस्टों, ट्राइएथलीट और स्वस्थ एवं फुर्तीले पुरुषों पर शोध किया। स्कीनर ने कहा कि हमने पाया कि व्यायाम शुरू करने से पहले कैफीन के सेवन का समय मायने रखता है ना कि खून में कैफीन का ऊंचा स्तर, इस से कैफीन द्वारा प्रदर्शन को प्रभावित का महत्व पता चलता है। स्कीनर ने उम्मीद जताई कि इस अध्ययन के परिणामों से खेलों में कैफीन के प्रयोग की सूचना और कैफीन के सेवन से सम्बंधित भविष्य के अध्ययनों को तैयार करने में मदद मिलेगी।
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