10-05-2012, 03:45 PM | #541 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। जे.के. रॉलिंग की मशहूर किताब हैरी पॉटर की एक जादुई तरकीब से प्रभावित होकर वैज्ञानिकोें ने खून की जांच की नई तकनीक विकसित की है। इस तकनीक की मदद से खून की जांच होने के बाद एक विशेष तरह के कागज पर जांच के परिणाम अपने आप उभर आएंगे। मोनाश विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस तकनीक में रक्त समूह की जांच की जाती है, जिसका परिणाम ‘बायोएक्टिव’ कागज पर उभर आता है। शोध दल का नेतृत्व करने वाले प्रो-वी शेन ने ‘एंगेवरंदते केमी’ जर्नल में कहा कि उपकरण की मदद के बिना किए जाने वाली यह जांच अपने आप में पहली तरह की है। प्रो-शेन ने कहा कि यह शोध फिल्म हैरी पॉटर के एक दृश्य से प्रभावित है जिसमें हैरी पॉटर चैंबर आफ सीक्रेट्स के रहस्य के बारे में एक डायरी से सवाल करता है। डायरी के कागज पर खुद ही इसका जवाब उभर कर आ जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस परीक्षण में रक्त समूह की जांच करने के लिए पारंपरिक सिद्धांत का ही इस्तेमाल किया जाता है। प्रो. शेन ने बताया कि इस तकनीक का और भी तरह की चिकित्सीय जांच के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने खून के नमूने की मदद से प्रयोग किया और इसके वांछित परिणाम निकले। प्रो. शेन का कहना है कि ऐसे सस्ते और साधारण सेंसरों का इस्तेमाल किसी रोग की पहचान और चिकित्सीय आपातकालीन स्थितियों में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस जांच से कई बाधाओं को पार करने में सफलता मिलेगी साथ ही यह एक बेहतरीन विकल्प है।
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10-05-2012, 03:53 PM | #542 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जलवायु परिवर्तन के लिए डायनासोर जिम्मेदार
लंदन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि डायनासोर जलवायु परिवर्तन के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार हैं क्योंकि वे ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने वाली गैस मीथेन छोड़ते थे जो खुद उनके विनाश का एक कारण हो सकता है। प्रोफेसर ग्रेइमे रूक्टोन के नेतृत्व में सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा कि इन विशालकाय पशुओं ने 150 साल बिताए और भारी मात्रा में मीथेन का उत्सर्जन किया। उन्होंने कहा कि सौरोपोड्स डायनासोर इसके पीछे मुख्य रूप से जिम्मेदार हो सकते हैं जो बड़े पेड़ खा जाते थे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन विशाल जीवों ने सामूहिक रूप से एक साल के अंदर 52 करोड़ टन मीथेन का उत्सर्जन किया जो आज के पूरे उत्सर्जन से ज्यादा है।
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10-05-2012, 03:53 PM | #543 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अल्जाइमर के इलाज के लिए इंजेक्शन
लंदन। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा इंजेक्शन विकसित किया है जिसके बारे में उनका दावा है कि मस्तिष्क कोशिकाओं की प्रोटीन की आपूर्ति रोककर यह इंजेक्शन इन कोशिकाओं को मरने से रोक सकता है। यह ऐसी खोज है जो अल्जाइमर बीमारी से पीड़ितों को नए इलाज का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। लिसेस्टर विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि प्रियॉन बीमारी से पीड़ित प्रयोगशाला में विकसित चूहे के मस्तिष्क में प्रोटीन डालकर उसकी तंत्रिका कोशिकाओं को बचाया जा सकता है। प्रियॉन बीमारी ऐसी स्थिति होती है जिसमें सामान्य तौर पर मस्तिष्क धीरे-धीरे मरने लगता है। जिस प्रक्रिया से प्रियॉन बीमारी चूहे के मस्तिष्क को प्रभावित करता है वह मनुष्यों की अपकर्षक स्थिति जैसी है। यह आशा जताई जा रहा है कि इस नई खोज से लोगों में स्मृतिलोप जैसे मस्तिष्क विकारों का इलाज हो सकता है।
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12-05-2012, 05:19 AM | #544 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आक्टोपस से सुलझेगा अंटार्कटिक में बर्फ की चादर पिघलने का रहस्य
वाशिंगटन। अंटार्कटिक में दो अलग-अलग समुद्रों में एक ही तरह के जीन्स वाला आॅक्टोपस मिलने पर वैज्ञानिकों ने इसे बर्फ की चादरों के पिघलने से जोड़कर देखा है। उनका कहना है कि अगर वैश्विक गर्मी बढ़ती रही तो पश्चिमी अंटार्कटिक की बर्फ की चादरें पिघल जाएंगी। मोलेक्यूलर इकॉलाजी पत्रिका के अनुसार वैज्ञानिकों का यह अनुमान इस धारणा पर है कि उन्हें इस अंटार्कटिक क्षेत्र में पाए जाने वाले आक्टोपस की प्रजाति एक दूसरे से दस हजार किलोमीटर दूरी पर स्थित सागरों रोस और वेडेल में मिली है। जबकि इसका अध्ययन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय समूह की प्रमुख डॉक्टर जेन स्टुग्नेल का मानना है कि ये व्यस्क आक्टोपस ज्यादा गतिशील होते ही नहीं हैं। ये ज्यादा से ज्यादा अपने शिकारियों से बचने के लिए थोड़ा बहुत इधर-उधर जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर दो सागर एक दूसरे से इतने दूर हैं तो उनमें रहने वाले जीवों की जीन्स की संरचना एकदम समान तो होनी ही नहीं चाहिए। लगता है कि बीते समय में पश्चिमी अंटार्कटिक की बर्फ की चादरें टूटकर पिघल जाने पर ये दोनों सागर अलग-अलग हुए होंगे। तभी अंटार्कटिक के दो अलग-अलग छोरों पर बहने वाले सागरों में आॅक्टोपस की एक जैसी प्रजातियां हैं। ब्रिटिश वेबसाइट ‘प्लेनेट अर्थ’ के मुताबिक, बर्फ की चादरों का टूटना आज से लगभग दो लाख साल पहले हुआ होगा। इस आधार पर आने वाले समय में बर्फ की चादरों के पिघलने के बारे में वैज्ञानिकों के विचारों को न्यायसंगत कहा जा सकता है। डॉ स्टुग्नेल का कहना है, कि जब जलवायु ज्यादा गर्म थी तो समुद्र का जल स्तर काफी बढ़ गया होगा क्योंकि बहुत कम पानी ही बर्फ के रूप में जमा होगा। ऐसी स्थिति में रोस और वेडेल नामक दोनों समुद्र एकदूसरे से जुड़े रहे होंगे। उनके अनुसार समुद्रों की धाराएं जीन्स के प्रवाह में सहायक हो सकती हैं और उसमें रोक भी लगा सकती हैं, लेकिन आर्कटिक की धाराओं ने इन जीन्स के प्रवाह को बर्फ की चादर के होते हुए इतनी तो सहायता नहीं ही की होगी कि आक्टोपस की दो प्रजातियों की जैविक संरचना एकदम समान हो।
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12-05-2012, 05:19 AM | #545 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
घरेलू सामानों, कॉस्मेटिक में मौजूद रसायन से हो रहा कैंसर
लंदन। घरेलू सामनों, कॉस्मेटिक और यहां तक की दवाइयों में मौजूद रसायनों से कैंसर और मधुमेह, मोटापा सहित अन्य बीमारियां हो रही हैं। यूरोपीयन इंवायरनमेंट एजेंसी (ईईए) ने अपने अध्ययन में दावा किया कि घरेलू सामग्रियों में मौजूद ईडीसी रसायन इंसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। एजेंसी ने पिछले 15 सालों में इस विषय पर किए गए सारे वैज्ञानिक अध्ययनों को अपने निष्कर्ष का आधार बनाया। डेली टेलीग्राफ ने ईईए के कार्यकारी निदेशक के हवाले से कहा कि पिछले कुछ दशकों में किए गए वैज्ञानिक अनुसंधान हमें बताते हैं कि इंडोक्राइन में बाधा एक वास्तविक समस्या है और इसका वन्यजीव और संभवत: इंसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
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12-05-2012, 05:20 AM | #546 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वजन घटाने में सहायक हो सकता है एक प्रोटीन
लंदन। कैंब्रिज विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने एक ऐसे प्रोटीन की पहचान की है जो दिमाग और शरीर के उत्तकों में भूरे रंग की वसा की सक्रियता को नियंत्रित करता है। इन वैज्ञानिकों का मानना है कि बीएमपी 8बी नाम के ये प्रोटीन भूरे रंग की वसा को सक्रिय करती है जिससे वजन घटाने की चिकित्सा में मदद मिल सकती है। चूहों पर पूरा किया गया अनुसंधान ‘सेल’ जर्नल में आज प्रकाशित हुआ है। विश्वविद्यालय से जारी बयान के अनुसार भूरे रंग की वसा थर्मोजेनेसिस प्रक्रिया के जरिए गर्मी पैदा करने के लिए वसा का इस्तेमाल करती है।
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12-05-2012, 05:50 AM | #547 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दिन में आठ बार खुद को आइने में निहारती हैं महिलाएं
लंदन। दुकान में लगा शीशा हो या कार की खिड़की में लगा शीशा, यहां तक कि लोगों के धूप का चश्मा हो, ये सब अपने काम के अलावा एक और काम में उपयोग में आते हैं ... जनाब , अक्ल के घोड़े दौड़ाइए जरा और आप जान जाएंगे कि वह कौन सा काम है। चलिए हम ही बता देते हैं आपको। दरअसल एक अध्ययन में दावा किया गया है कि महिलाएं दिन में खुद को आठ बार आइने में निहारती हैं और यह आइना कुछ भी हो सकता है। ब्रिटेन में हुए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, दस में से एक महिला ने स्वीकार किया कि कार के पीछे चलते हुए उसके शीशे में अपने मेकअप और बालों को देखे बिना वह नहीं रह सकतीं। ‘सिंपल’ स्किनकेयर के इस सर्वेक्षण में 2,000 महिलाओं ने हिस्सा लिया। तीन में से एक महिला ने कहा कि वह अपने बाथरूम के आइने में खुद को सर्वश्रेष्ठ पाती हैं जबकि 20 में से एक का मानना था कि कार्यालय स्थित शौचालय के आइने में वह सबसे बदसूरत दिखती हैं। डेली एक्सप्रेस की खबर में बताया गया कि सर्वेक्षण की सबसे रोचक बात यह रही कि 10 में से चार महिलाओं का मानना था कि वे अपने पसंदीदा आइने में अन्य के मुकाबले बेहतर दिखती हैं।
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12-05-2012, 05:50 AM | #548 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आवरण जो करेगा बैक्टीरिया का काम तमाम
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी आवरण विकसित करने का दावा किया है। यह आवरण बैक्टीरिया को पहले पास बुलाएगा और फिर मार गिराएगा। सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी की अगुवाई में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम का कहना है कि इस आवरण में चुंबकीय गुण हैं और यह अपने संपर्क में आने वाले 99 फीसदी बैक्टीरिया और फफुंद को नष्ट कर देता है। नेचर मैटेरियल्स में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बैक्टीरिया से निपटने के वर्तमान समाधान एंटीबायोटिक की जगह ले सकता है। एंटीबायोटिक सुपरबग के मामलों में निष्प्रभावी साबित होते हैं। स्पंज जैसे ये पॉलीमर सकारात्मक आवेशित होते हैं और चुंबक जैसे कार्य करते हैं। वे बैक्टीरिया को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जिनकी कोशिकाओं के दीवारों पर नकारात्मक आवेश होता है ।
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14-05-2012, 08:51 AM | #549 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
रीढ़ सम्बंधी बीमारी के कारणों का पता चला
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे अनुवांशिक परिवर्तन की पहचान कर ली है जो रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित कुछ बीमारियों की वजह है। इस वंशानुगत बीमारी से रीढ़ की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। केडर्स सिनई मेडिकल सेंटर में अध्ययन की अगुवाई करने वाले राबर्ट एच बालोह ने कहा कि यह घातक नहीं है और रोग का निदान किया जा सकता है लेकिन आम तौर पर मरीज कमजोर हो जाते हैं और उन्हें चलने फिरने के लिए जिंदगी भर व्हीलचेयर आदि का सहारा लेना पड़ता है। रीढ़ सम्बंधी गड़बड़ियों की शुरुआत आम तौर पर बचपन से ही हो जाती है। इसमें सभी मोटर न्यूरान्स शामिल होते हैं। कोशिकाओं के भीतर एक कण कोशिकाई अवयवों के परिवहन को आगे बढ़ाता है और अनुवांशिक परिवर्तन इस कार्य में बाधा पैदा करते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि अनुवांशिक तब्दीली के साथ कमजोरी आदि भी जुड़ जाती है और इसमें मस्तिष्क की भूमिका भी अहम है। बालोह ने कहा कि अध्ययन से पता चला कि मानवों में डीवाईएनसी1एच1 से सम्बंधित बीमारियां केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में हुई गड़बड़ियों के कारण होती है।
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14-05-2012, 11:27 AM | #550 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जैवविविधता की हानि का विश्व की भाषाओं में गिरावट से संबंध: अध्ययन
लंदन। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जैवविविधता की हानि दुनिया में भाषाओं और संस्कृतियों के नष्ट होने के लिए असल में जिम्मेदार है। अमेरिका की पेन स्टेट यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि पृथ्वी के जैवविविधताओं वाले उच्च क्षेत्रों में उच्च भाषाई विविधता भी होती है और यहां तक कि विश्व की 70 प्रतिशत भाषाएं इन्हीं स्थलों पर पाई जाती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि इन प्रमुख पर्यायवरणीय क्षेत्रों में समय के साथ संस्कृति और भाषाओं के स्तर में गिरावट आई। शोध प्रमुख लैरी गोरेंफ्लो के हवाले से ‘बीबीसी’ ने कहा कि हमने ताजा भाषाई आंकड़ों के उपयोग से इस बारे में गहराई से जानने का प्रयास किया कि भाषाओं और जैवविविधता का आपसी सम्बंध क्या है और यह समझने की कोशिश की कि भाषा का भौगोलिक रूप से विस्तार कैसा है।
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