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Old 07-12-2010, 05:28 PM   #551
jalwa
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Originally Posted by abhay View Post
अगर आपकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो और आप मर गय हो तो उसके बाद आप अपनी इछा किस तरह पूरी करेंगे
अभय जी, मैं भूत प्रेत में विशवास नहीं करता. तथा मेरा यह मानना है की मरणोपरांत मनुष्य की कोई इच्छा शेष नहीं रह जाती. इंसान की जो भी इच्छाएँ या कामनाएं होती हैं वे इस शरीर के साथ ही होती हैं.
यदि हम जीते जी अपनी कोई इच्छा किसी प्रिय जन को बता जाएं की मेरे मरणोपरांत आप फलां कार्य पूरा कर देना . तो केवल इसी प्रकार मरने के बाद कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता है.
__________________

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Old 07-12-2010, 05:37 PM   #552
jalwa
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Originally Posted by kalyan View Post
मित्र, हमने तो पहली फोरम में अपने बारे में सब कुछ बता दिए थे !!
हमारे ज़िंदगी तो खुली किताब है !! कोई भी पढ़ सकता है, तो आप कैसे ना पढ़ पाए ???

जो किताब आँखों के ज्यादा नज़दीक होते हैं, उन्हें पढने में मुस्किल होती है !! शायद इसलिए !!
चांदनी चौक से गुडगाँव है ही कितना दूर ???
मित्र कल्याण जी, नमस्कार. आज आपसे रूबरू हो कर मुझे बहुत आत्मीय सुकून मिला है.
दरअसल पिछले फोरम में इतना अधिक मैटिरियल था की बहुत से प्रष्ट बिना पढ़े ही छूट गए थे (माफ़ करना). अधिकतर दोस्तों से मैंने वार्तालाप और आचार विचारों का आदान प्रदान किया है बस आप ही छूट गए थे. इसीलिए मैंने आपसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी. और वो तब तक रहेगी जब तक मैं आपसे रूबरू नहीं मिल लेता.
और मित्र, मुझे अब जा कर पता चला है की आप "गुडगाँव " से हो. क्योंकि पहले तो आपने अपनी लोकेशन में कोई 'शमशान में स्थित पीपल का पेड़' बता रखा था.
और ख़ुशी की बात तो यह है की प्रतिमाह हमारे परिवार में से कोई न कोई गुडगाँव में स्थित प्रसिद्द 'शीतला माता' मंदिर में दर्शन करने के लिए अनिवार्य रूप से जाते हैं. और हमारे यहाँ से एक घंटे की ड्राइविंग है. चांदनी चौक से करोल बाग़, वहां से धौला कुंवां और फिर एन एच 8 से होते हुए सीधे गुडगाँव,
अब बस आपसे मुलाकात का इन्तेजार है.
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Old 07-12-2010, 05:41 PM   #553
munneraja
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यदि बहुरानी (आपकी पत्नी) और माताजी में किसी बात को लेकर विवाद हो गया तो आप क्या करेंगे कि दोनों का मान सम्मान बना रहे और विवाद शांत हो जाये.
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Old 07-12-2010, 08:28 PM   #554
jalwa
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Originally Posted by munneraja View Post
यदि बहुरानी (आपकी पत्नी) और माताजी में किसी बात को लेकर विवाद हो गया तो आप क्या करेंगे कि दोनों का मान सम्मान बना रहे और विवाद शांत हो जाये.
दादा प्रणाम, मेरे विवाह को दस वर्ष हो चुके हैं आज तक ईश्वर की कृपा से ऐसा मौका नहीं आया है. और शायद आगे भी ना आए. फिर भी यदि कभी ऐसा होगा तो मैं अपनी पत्नी को समझा बुझा कर और माता जी का सम्मान करते हुए कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करूँगा जिससे की दोनों की बात रह जाए और विवाद का हल भी हो जाए.
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Old 07-12-2010, 08:36 PM   #555
aksh
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Originally Posted by jalwa View Post
दादा प्रणाम, मेरे विवाह को दस वर्ष हो चुके हैं आज तक ईश्वर की कृपा से ऐसा मौका नहीं आया है. और शायद आगे भी ना आए. फिर भी यदि कभी ऐसा होगा तो मैं अपनी पत्नी को समझा बुझा कर और माता जी का सम्मान करते हुए कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करूँगा जिससे की दोनों की बात रह जाए और विवाद का हल भी हो जाए.

और अगर बहु रानी इस बात को दिल से लगा ले कि आप हमेशा मुझे ही समझाते रहते हो और आपको शादी के समय दी गयी प्रतिज्ञा याद दिला कर कहे उस समय तो " हर हाल में तुम्हारे मान सम्मान का ख्याल रखने की कसम खाई थी" तब क्या करोगे अनुज ?????
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Old 07-12-2010, 09:04 PM   #556
ndhebar
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Originally Posted by aksh View Post
और अगर बहु रानी इस बात को दिल से लगा ले कि आप हमेशा मुझे ही समझाते रहते हो और आपको शादी के समय दी गयी प्रतिज्ञा याद दिला कर कहे उस समय तो " हर हाल में तुम्हारे मान सम्मान का ख्याल रखने की कसम खाई थी" तब क्या करोगे अनुज ?????
ही ही ही ही
फंस गए नीरज भाई
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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Old 08-12-2010, 12:32 AM   #557
Kumar Anil
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जलवा जी उर्फ नीरज जी
ऐसे स्वस्थ फोरम पर भी वास्तविक नाम से आई . डी न बनाकर छद्म नाम से सदस्य बनने के पीछे आखिर क्या सोच हो सकती है ?
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Old 08-12-2010, 12:50 AM   #558
jai_bhardwaj
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बीरबल जी, राम राम /
वह कौन सी बात है जो आप प्रथम दृष्टि में ही नकार देते है ? आपसी सद्भाव अत्यंत आवश्यक है किन्तु जब यही सद्भाव असामान्य सा लगने लगे तब आप क्या करेंगे ? यद्यपि आपके मन में किसी के लिए कोई दुर्भावना नहीं थी किन्तु जब आपने अपने किसी परम मित्र को उचित अनुचित का ज्ञान दे दिया तो वह आपका शत्रु बन जाए तब आप शत्रुता जारी रखना श्रेयस्कर समझेगे या फिर मित्रता को पुनः उभारना चाहेंगे ?
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
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Old 08-12-2010, 07:40 AM   #559
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आपको किन-किन चीजों को इकठ्ठा करने का शौक है?
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मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

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Old 08-12-2010, 07:46 AM   #560
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Question साक्षात्कार

क्या आपके जीवन में कभी कोई ऐसा मौका आया है जब आपको लगा कि मैं जिन्दा क्यों हूँ; मुझे ये जिन्दगी खत्म कर देनी चाहिए?
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