07-12-2010, 05:28 PM | #551 | |
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Re: साक्षात्कार
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यदि हम जीते जी अपनी कोई इच्छा किसी प्रिय जन को बता जाएं की मेरे मरणोपरांत आप फलां कार्य पूरा कर देना . तो केवल इसी प्रकार मरने के बाद कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता है.
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07-12-2010, 05:37 PM | #552 | |
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Re: साक्षात्कार
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दरअसल पिछले फोरम में इतना अधिक मैटिरियल था की बहुत से प्रष्ट बिना पढ़े ही छूट गए थे (माफ़ करना). अधिकतर दोस्तों से मैंने वार्तालाप और आचार विचारों का आदान प्रदान किया है बस आप ही छूट गए थे. इसीलिए मैंने आपसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी. और वो तब तक रहेगी जब तक मैं आपसे रूबरू नहीं मिल लेता. और मित्र, मुझे अब जा कर पता चला है की आप "गुडगाँव " से हो. क्योंकि पहले तो आपने अपनी लोकेशन में कोई 'शमशान में स्थित पीपल का पेड़' बता रखा था. और ख़ुशी की बात तो यह है की प्रतिमाह हमारे परिवार में से कोई न कोई गुडगाँव में स्थित प्रसिद्द 'शीतला माता' मंदिर में दर्शन करने के लिए अनिवार्य रूप से जाते हैं. और हमारे यहाँ से एक घंटे की ड्राइविंग है. चांदनी चौक से करोल बाग़, वहां से धौला कुंवां और फिर एन एच 8 से होते हुए सीधे गुडगाँव, अब बस आपसे मुलाकात का इन्तेजार है.
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07-12-2010, 05:41 PM | #553 |
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Re: साक्षात्कार
यदि बहुरानी (आपकी पत्नी) और माताजी में किसी बात को लेकर विवाद हो गया तो आप क्या करेंगे कि दोनों का मान सम्मान बना रहे और विवाद शांत हो जाये.
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07-12-2010, 08:28 PM | #554 |
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Re: साक्षात्कार
दादा प्रणाम, मेरे विवाह को दस वर्ष हो चुके हैं आज तक ईश्वर की कृपा से ऐसा मौका नहीं आया है. और शायद आगे भी ना आए. फिर भी यदि कभी ऐसा होगा तो मैं अपनी पत्नी को समझा बुझा कर और माता जी का सम्मान करते हुए कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करूँगा जिससे की दोनों की बात रह जाए और विवाद का हल भी हो जाए.
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07-12-2010, 08:36 PM | #555 | |
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Re: साक्षात्कार
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और अगर बहु रानी इस बात को दिल से लगा ले कि आप हमेशा मुझे ही समझाते रहते हो और आपको शादी के समय दी गयी प्रतिज्ञा याद दिला कर कहे उस समय तो " हर हाल में तुम्हारे मान सम्मान का ख्याल रखने की कसम खाई थी" तब क्या करोगे अनुज ?????
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07-12-2010, 09:04 PM | #556 | |
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Re: साक्षात्कार
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फंस गए नीरज भाई
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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08-12-2010, 12:32 AM | #557 |
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Re: साक्षात्कार
जलवा जी उर्फ नीरज जी
ऐसे स्वस्थ फोरम पर भी वास्तविक नाम से आई . डी न बनाकर छद्म नाम से सदस्य बनने के पीछे आखिर क्या सोच हो सकती है ? |
08-12-2010, 12:50 AM | #558 |
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Re: साक्षात्कार
बीरबल जी, राम राम /
वह कौन सी बात है जो आप प्रथम दृष्टि में ही नकार देते है ? आपसी सद्भाव अत्यंत आवश्यक है किन्तु जब यही सद्भाव असामान्य सा लगने लगे तब आप क्या करेंगे ? यद्यपि आपके मन में किसी के लिए कोई दुर्भावना नहीं थी किन्तु जब आपने अपने किसी परम मित्र को उचित अनुचित का ज्ञान दे दिया तो वह आपका शत्रु बन जाए तब आप शत्रुता जारी रखना श्रेयस्कर समझेगे या फिर मित्रता को पुनः उभारना चाहेंगे ?
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
08-12-2010, 07:40 AM | #559 |
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साक्षात्कार
आपको किन-किन चीजों को इकठ्ठा करने का शौक है?
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08-12-2010, 07:46 AM | #560 |
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साक्षात्कार
क्या आपके जीवन में कभी कोई ऐसा मौका आया है जब आपको लगा कि मैं जिन्दा क्यों हूँ; मुझे ये जिन्दगी खत्म कर देनी चाहिए?
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