16-07-2014, 10:54 PM | #551 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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लो मैं हूँ मँझधार में आज बिना पतवार, लेकिन कितनों को किया मैंने सागर पार..... (नीरज)
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17-07-2014, 12:08 AM | #552 | |||
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ये अलग बात किसी बज़्म में चर्चा न हुआ वक़्त की डोर को थामे रहे मजबूती से और जब छूटी तो अफ़सोस भी उसका न हुआ. (शहरयार)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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17-07-2014, 08:39 PM | #553 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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अकसर साजिश करते भी हैं खुले तो थोड़ा डरते भी हैं
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! Last edited by bindujain; 18-07-2014 at 08:03 PM. |
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18-07-2014, 10:50 PM | #554 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
हम समझते हैं मुहब्बत के तकाजे लेकिन, कैसे उस दर पे कोई बन के सवाली जाये.....
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20-07-2014, 01:09 PM | #555 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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यूँ तो मैंने महफ़िल महफ़िल आधी उम्र बिताई है पर जो पल भरपूर जिए हैं वो मेरी तन्हाई है
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20-07-2014, 11:22 PM | #556 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हंस के मिलते हैं, भले दिल में चुभन रखते हैं, हम से कुछ लोग, मोहब्बत का चलन रखते हैं.....
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21-07-2014, 12:23 AM | #557 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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सुलगती रेत पे.....बुनियाद-ए-बाग़ रख आये (फ़ारुक अंजुम)
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21-07-2014, 09:00 AM | #558 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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कब और कहाँ से पीठ पे खंज़र उछल पड़े
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21-07-2014, 01:31 PM | #559 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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डूबी जाती है ज़ब्त की कश्ती,दिल में तूफ़ान-ए-इजि़्तराब उठा; मरने वाले फ़ना भी पर्दा है,उठ सके गर तो ये हिजाब उठा; (एहसान दानिश)
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21-07-2014, 05:23 PM | #560 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय । धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ॥
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