26-01-2014, 11:23 PM | #561 |
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Re: Misc SMS
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई आज फिर नींद को आँखों से बिछडते देखा आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई मुद्दतों बाद चला उन पर हमारा जादू मुदत्तो बाद हमें बात बनानी आई मुद्दतो बाद पशेमा हुआ दरिया हमसे मुद्दतों बाद हमें प्यास छुपानी आई मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ माँ का आँचल मुद्दतों बाद हमें नींद सुहानी आई इतनी आसानी से मिलती नहीं फन की दौलत ढल गयी उम्र तो गजलो पे जवानी आई --इकबाल अशर |
26-01-2014, 11:23 PM | #562 |
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Re: Misc SMS
उसे बचाए कोई कैसे टूट जाने से
वो दिल जो बाज़ न आये फरेब खाने से वो शखस एक ही लम्हे में टूट-फुट गया जिसे तराश रहा था में एक ज़माने से रुकी रुकी से नज़र आ रही है नब्ज़-इ-हयात ये कौन उठ के गया है मरे सरहाने से न जाने कितने चरागों को मिल गयी शोहरत एक आफ़ताब के बे-वक़्त डूब जाने से उदास छोड़ गया वो हर एक मौसम को गुलाब खिलते थे जिसके यूँ मुस्कुराने से --इकबाल अशर |
28-01-2014, 12:38 PM | #563 |
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Re: Misc SMS
इक़बाल अशर का कलाम प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
04-02-2014, 11:02 PM | #564 |
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Re: Misc SMS
तुम्हें किसने कहा था तुम , मुझे चाहो, बताओ तो
जो दम भरते हो चाहत का, तो चाहत को निभाओ तो दिए जाते हो ये धमकी , गया तो फिर न आऊँगा कहाँ से आओगे पहले , मेरी दुनिया से जाओ तो मेरी चाहत भी है तुमको, और अपना घर भी प्यारा है निपट लूँग! मैं हर ग़म से, तुम अपना घर बचाओ तो तुम्हारे सच की सच्चाई , पे मैं क़ुर्बान हो जाऊँ पर अपना सच बयाँ करने की , तुम हिम्मत जुटाओ तो फ़क़त इन बद्दुआओं से, बुरा मेरा कहाँ होगा मुझे बर्बाद करने का , ज़रा बीड़ा उठाओ तो |
06-02-2014, 06:05 PM | #565 |
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Re: Misc SMS
अकबर_इलाहाबादी
वो हवा न रही वो चमन न रहा वो गली न रही वो हसीं न रहे वो फ़लक न रहा वो समाँ न रहा वो मकाँ न रहे वो मकीं न रहे वो गुलों में गुलों की सी बू न रही वो अज़ीज़ों में लुत्फ़ की ख़ू न रही वो हसीनों में रंग-ए-वफ़ा न रहा कहें और की क्या वो हमीं न रहे न वो आन रही न उमंग रही न वो रिंदी ओ ज़ोह्द की जंग रही सू-ए-क़िबला निगाहों के रुख़ न रहे और दैर पे नक़्श-ए-जबीं न रहे न वो जाम रहे न वो मस्त रहे न फ़िदाई-ए-अहद-ए-अलस्त रहे वो तरीक़ा-ए-कार-ए-जहाँ न रहा वो मशाग़िल-ए-रौनक़-ए-दीं न रहे हमें लाख ज़माना लुभाए तो क्या नए रंग जो चर्ख़ दिखाए तो क्या ये मुहाल है अहल-ए-वफ़ा कि लिए ग़म-ए-मिल्लत ओ उल्फ़त-ए-दीं न रहे तेरे कूचा-ए-ज़ुल्फ़ में दिल है मेरा अब उसे मैं समझता हूँ दाम-ए-बला ये अजीब सितम है अजीब जफ़ा कि यहाँ न रहे तो कहीं न रहे ये तुम्हारे ही दम से है बज़्म-ए-तरब अभी जाओ न तुम न करो ये ग़ज़ब कोई बैठ के लुत्फ़ उठाएगा क्या कि जो रौनक़-ए-बज़्म तुम्हीं न रहे जो थीं चश्म-ए-फ़लक की भी नूर-ए-नज़र वही जिन पे निसार थे शम्स ओ क़मर सो अब ऐसी मिटी हैं वो अंजुमनें कि निशान भी उन के कहीं न रहे वही सूरतें रह गईं पेश-ए-नज़र जो ज़माने को फेरें इधर से उधर मगर ऐसे जमाल-ए-जहाँ-आरा जो थे रौनक़-ए-रू-ए-ज़मीं न रहे ग़म ओ रंज में ‘अकबर’ अगर है घिरा तो समझ ले कि रंज को भी है फ़ना किसी शय को नहीं है जहाँ में बक़ा वो ज़्यादा मलूल ओ हज़ीं न रहे |
10-02-2014, 09:50 PM | #566 |
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Re: Misc SMS
तेरा हर लफ्ज़ मेरी रूह को छूकर निकलता है.
तू पत्थर को भी छू ले तो बाँसुरी का स्वर निकलता है. कमाई उम्र भर कि और क्या है, बस यही तो है में जिस दिल में भी देखूं वो ही मेरा घर निकलता है. मैं मंदिर नहीं जाता मैं मस्जिद भी नही जाता मगर जिस दर पर झुक जाऊं वो तेरा दर निकलता है ज़माना कोशिशें तो लाख करता है डराने की तुझे जब याद करता हूँ तो सारा दर निकलता है. |
10-02-2014, 09:53 PM | #567 |
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Re: Misc SMS
खलल, ख्यालात .. हालात से निकलती है
यूं तो हर ग़ज़ल तेरी बात से निकलती है वही तो है जो ढल जाती है अश’आरों में आवाज़ जो दिल-ओ-जज़्बात से निकलती है बड़ी दिलकश है वो जो ख़्वाबों की कहानियां वो दास्ताँ इन्हीं शाम-ओ-रात से निकलती है बन के दरिया समन्दर में तब्दील हो गई नदी वो सकरे जल-प्रपात से निकलती हैं आप तलाश रहे है .. अंजाम के मुहाने पे वजह हर वजह की शुरुआत से निकलती है सुनो, समझो, संभालो रखो मर्ज़ी तुम्हारी बात अब ‘अमित’ के हाथ से निकलती है --अमित हर्ष |
16-02-2014, 09:22 PM | #568 |
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Re: Misc SMS
अभी सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम होने दो"
मैं खुद लौट जाउंगा मुझे नाकाम होने दो" मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों" मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो. |
17-02-2014, 06:40 PM | #569 |
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Re: Misc SMS
चूम लेना उसकी हथेलियाँ
किसी आग़ाज़ से पहले, सुना है माँ हथेली में दुआऐं रखती है... तेरे हर सफ़र में सरगोशी होगी रहमतों की, सुना है माँ लबों पे सदायें रखती है... उसे बताते ही ज़ख्मों का दर्द काफ़ूर हो जायेगा, सुना है अपनी फूंक में वो ठण्डी हवायें रखती है... गौर कर तू गुनहगार होकर भी मासूम है, सुना है अपनी नेकी देकर वो खतायें रखती है... कभी सोचा क्यूँ तेरे रास्ते कोई आफ़त नहीं आती? सुना है अपनी नज़र में वो चारो दिशायें रखती है... डर मत तुझे बुरी नज़र नहीं लगेगी, सुना है तुझसे दूर वो सारी बलायें रखती है.... तू अकेला है सफ़र पे कैसे मान लिया तूने? सुना है ख़ुदा की जगह वो तुझपे निगाहें रखती है... सुना है माँ हथेली में दुआऐं रखती है...!!! |
23-02-2014, 10:39 PM | #570 |
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Re: Misc SMS
चेहरों पर मुस्कान दिलों में लेकर खाई बैठे हैं ..
करके सारे लोग हिसाब-ए- पाई-पाई बैठे हैं.. आज वसीयत करने वाले हैं बाबूजी दौलत की... घर में पहली बार इकट्ठे सारे भाई बैठे हैं... |
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