17-05-2012, 11:14 PM | #561 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में हुए एक नए अध्ययन ने इस वैज्ञानिक धारणा को मिथक करार दिया है कि अच्छे कोलेस्ट्राल के तौर पर मशहूर उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) के बढ़ने से दिल के दौरे की आशंका घटती है। इस नए अध्ययन में अतीत के 20 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया है, जिससे दिल के दौरे के करीब 21 हजार मामले जुड़े हैं। लासेंट में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या एलडीएल की मात्रा कम रखना दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन एचडीएल के स्तर के बढ़ने से किसी को हृदयाघात होने की आशंका में कोई फर्क नहीं पड़ता। अध्ययन के नेतृत्वकर्ता एवं मैसाचूसेट्स जनरल अस्पताल के सेकर कथिरेसन ने कहा, ‘ये नतीजे दिखाते हैं कि एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने के कुछ तरीके संभवत: माइकोकार्डियल इनफार्कशन (दिल का दौरा) के खतरों को नहीं घटा सके।’ कथिरेसन ने कहा, ‘इसलिए अगर दवा जैसा कोई हस्तक्षेप एचडीएल कोलेस्ट्रोल बढाता है तो हम अपने आप यह मान नहीं सकते कि माइकोकार्डियल इन्फार्कशन का खतरा घट जाएगा।’ एचडीएल कोलेस्ट्रोल ‘अच्छे’ कोलेस्ट्रोल के रूप में जाना जाता है, क्योंकि अवलोकनात्मक अध्ययन में इसकी उच्च सांद्रता दिल के दौरे के निम्न खतरे से जुड़ी है, लेकिन यह अनिश्चित है कि यह जुड़ाव कारणात्मक है या नहीं। जहां, निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या एलडीएल या ‘खराब’ कोलेस्ट्रोल की मात्रा गिराने से दिल के दौरे का खतरा घटता है, एचडीएल के स्तर के बढ़ने से किसी को रोग होने की आशंका में गिरावट नहीं आती। नए अध्ययन में, अनुसंधानकर्ताओं ने विरासत में मिले एचडीएल कोलेस्ट्रोल में वृद्धि (एलआईपीजी 396 सर अलेले के वाहक) वाले लोगों में दिल के दौरे के खतरों की तुलना की है, जिनके बारे यह अपेक्षा थी कि उनमें दिल के दौरे की आशंका कम होगी। इस बीच लैंसेट की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने दिल के दौरे की आशंका घटाने के लिए 50 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों को नियमित रूप से स्टैटिन्स के सेवन की सलाह दी है। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन के अनुसार स्वस्थ लोगों में भी यह दिल के दौरे की आशंका घटती है। यह निष्कर्ष 1,75,000 लोगों पर किये गए अध्ययन से आया है। अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से स्टैटिन्स का सेवन करने वालों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा 20 प्रतिशत घट जाता है। उल्लेखनीय है कि अभी स्टैटिन्स का सेवन वही लोग करते हैं, जिन्हें दिल के दौरे के मामले में उच्च जोखिम वाला माना जाता है।
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17-05-2012, 11:41 PM | #562 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लकवाग्रत महिला ने अर्से बाद पी कॉफी
अमेरिकी वैज्ञानिकों को मिली अहम सफलता शिकागो। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने लकवे के शिकार लोगों को रोबोटिक अंग देने की दिशा में एक अहम सफलता हासिल करते हुए उनके दिमाग में एक अनोखी चिप प्रत्यारोपित की है, जिसका इस्तेमाल करके एक लकवाग्रस्त महिला ने 15 वर्षों के बाद एक रोबोटिक बांह के जरिए खुद ही कॉफी पी। अमेरिका के मस्तिष्क विज्ञान संस्थान के निदेशक जान डांग ने प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका नेचर के ताजा अंक में प्रकाशित शोधपत्र में बताया है कि अंगों के लकवे से जूझ रहे लोगों को उनका सामान्य जीवन लौटाने की दिशा में हम प्रयासरत हैं। हमारे मरीजों ने अपने मस्तिष्क में मौजूद सेंसर का इस्तेमाल करके एक रोबोटिक बांह को नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल की है। वैज्ञानिक लकवे से पीड़ित एक महिला और एक पुरुष मरीज पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने इनके मस्तिष्क के मोटर कोर्टेक्स कहलाने वाले हिस्से में एक छोटे कैप्सूल के आकार की चिप प्रत्यारोपित की है जिसमें 96 सेंसर लगे हुए हैं। जब भी ये लोग किसी भी चीज को उठाने के बारे में सोचते हैं तो यह सेंसर पास में मौजूद कंप्यूटर को सम्बंधित रोबोटिक अंग में हरकत करने का संकेत भेजता है। इस शोध में हिस्सा ले रहे दोनों मरीजों ने अभी तक इस तकनीक के इस्तेमाल से कंप्यूटर कर्सर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और सरल रोबोटिक अंगों के संचालन में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल इस शोध के दोनों मरीजों के सिर पर भारी भरकम उपकरण लगे हुए हैं जो एक कंप्यूटर और एक रोबोटिक बांह से जुडे हैं। भविष्य में वायरलैस तकनीक के माध्यम से इनका आकार घटाने की योजना है ताकि अधिक से अधिक लकवाग्रस्त मरीज अपने रोजमर्रा के जीवन में इनका इस्तेमाल कर सकें। इस शोध में इस्तेमाल की गई रोबोटिक बांहों का निर्माण जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की रोबोटिक इकाई और डेका रिसर्च एंड डिवेलपमेंट कार्प ने किया है। डेका को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की डारपा परियोजना से सहायता मिलती है।
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21-05-2012, 02:45 AM | #563 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आसानी से होगी शिशुओं में आटिज्म की पहचान
वाशिंगटन। आमतौर पर आटिज्म की पहचान तब तक अच्छे से नहीं हो पाती जब तक कि बच्चा तीन साल का ना हो जाए, लेकिन शोधकर्ताओं ने अब दावा किया है कि आटिज्म की स्थिति छह महीने की उम्र के बच्चे में जांची जा सकती हैं। इस टेस्ट के लिए शिशु के आसनीय नियंत्रण (बांहें खींचने से लेकर बैठने की क्रिया) को शामिल किया गया। इससे शिशुओं में चार महीने की उम्र में आमतौर पर पाए जाने वाले आसनीय नियंत्रण में कमी का पता चल सकता है। बाल्टीमोर स्थित कैनेडी क्रेगर संस्थान में आटिज्म और सम्बंधित विकार केंद्र की निदेशक डॉक्टर रेबेका लांडा ने कहा कि आटिज्म की शुरुआती पहचान के लिए किया गया यह शोध सामाजिक और संचार विकास पर आधारित है। इस अध्ययन के लिए 40 बच्चों को शामिल किया गया था।
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21-05-2012, 02:47 AM | #564 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अधिक क्षमता वाली मेमोरी चिप विकसित
लंदन। वैज्ञानिकों ने एक बिल्कुल अलग कंप्यूटर मेमोरी चिप ‘मेमरीस्टोर’ विकसित करने का दावा किया है, जो पहले की अपेक्षा ज्यादा तेज है और अधिक क्षमता वाली है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह उपकरण तेज काम करने में मदद करता है और दावा किया कि मौजूदा सेमिकंडक्टर तकनीक के उपयोग के जरिए ज्यादा सस्ता बनाया जा सकता है। वैज्ञानिक इस उपकरण को बाजार में पेश करने की दिशा में काम कर रहे हैं। ह्यूलेट-पैकार्ड के इंजीनियरों ने मेमरीस्टोर को पहली बार काम करते दिखाया और उन्होंने जल्दी ही बाजार में मेमरीस्टोर के डिजाइन पेश करने की योजना बनाई है।
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21-05-2012, 02:49 AM | #565 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सियार के आकार का डायनोसोर मिला
साल्टलेक सिटी। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सियार के आकार के डायनोसोर की एक नई प्रजाति के जीवाश्म को खोजने का दावा किया है जिसके 12 से 13 करोड़ वर्ष पुराने होने की बात कही जा रही है। उताह प्रांत के भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग से जुडेþ जीवाश्मविद जिम किर्कलैंड ने बताया कि साल्टलेक सिटी से 230 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में मिला यह डायनोसोर वेलिसोरेप्टर कहलाने वाले डायनोसोरों के परिवार का हिस्सा है। इसे युर्गोवुचिया डोएलिंगी का नाम दिया गया है। किर्कलैंड ने बताया कि इस डायनोसोर का नाम ‘युर्गोवुच’ इसलिए रखा गया क्योंकि रेडइंडियन भाषा में सियार का यही नाम होता है। उसके नाम का दूसरा हिस्सा उताह के जीवाश्मविद हेल्मट डोएलिंग के उपनाम पर रखा गया है। इस डायनोसोर में और विशालकाय उताहरेप्टर में काफी समानताएं पाई गई हैं जिससे पता लगता है कि ये दोनों एक ही परिवार का हिस्सा रहे होंगे। उल्लेखनीय है कि वेलिसोरेप्टर परिवार के डायनोसोर एक चिड़िया से लेकर एक भालू के आकार तक में पाए जाते थे। कुछ के शरीर पर पंख भी होते थे लेकिन वैज्ञानिकों को उनके उड़ने की क्षमता पर संदेह है।
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21-05-2012, 02:50 AM | #566 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बच्चे की संवेदनशीलता बताएगी गर्भनाल रक्त की जांच
लंदन। वैज्ञानिकों ने जांच की ऐसी तकनीकी विकसित की है जिसके जरिए गंर्भनाल रक्त से पता लगाया जा सकेगा कि बच्चे का प्रतिरक्षा तंत्र कितना मजबूत है और सर्दी को लेकर वह कितना संवेदनशील है। ‘वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसीन’ के शोधकर्ताओं ने जांच की नई तकनीकी विकसित की है। उनका कहना है कि इसके जरिए बच्चे की प्रतिरक्षा तंत्र और उसकी संवेदनशीलता के बारे में अच्छी तरह से पता लगाया जा सकेगा। समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के मुतबिक इस शोध से जुड़े डॉक्टर काहरू सुमिनो ने बताया, हम यह पता लगाना चाहते थे कि विषाणुओं को लेकर प्रतिरक्षा तंत्र की क्या स्थिति होती है। यह देखने की भी कोशिश की गई कि बच्चे के जन्म के बाद पहले एक साल में उसे सांस लेने में तकलीफ तो नहीं हुई। उनका कहना है कि जांच से इन बातों का जवाब मिल गया। इस शोध को ‘जर्नल आॅफ एनर्जी एंड क्लीनिकल इम्युनोलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है।
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23-05-2012, 01:33 AM | #567 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कांस्य युग में भी लोग करते थे सोशल नेटवर्किंग का उपयोग
लंदन। वैज्ञानिकों ने कांस्य युगीन सभ्यता के लोगों द्वारा आपस में बातचीत करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ‘फेसबुक के प्रागऐतिहासिक संस्करण’ खोजने का दावा किया है। रूस और स्वीडन में दो ग्रेनाइट चट्टानी स्थलों पर बनी तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की टीम ने दावा किया है कि यह स्थल सोशल नेटवर्किंग साइट का ‘प्राचीन संस्करण’ है जहां उपयोगकर्ता अपने विचारों और भावनाओं को सांझा करते थे और एकदूसरे के सहयोग पर स्वीकृति की मुहर लगाते थे। बिल्कुल वैसे ही जैसे आजकल फेसबुक पर ‘लाइक’ किया जाता है। शोधकर्ता मार्क सापवेल ने एक बयान में कहा कि इन जगहों के बारे में कुछ वाकई बहुत विशेष है। मुझे लगता है कि लोग वहां इसलिए गए क्योंकि उन्हें मालूम था कि उनसे पहले भी वहां कुछ लोग गए थे । उन्होंने कहा कि आज की तरह ही लोग हमेशा एकदूसरे से जुड़े रहना चाहते थे। बहुत प्रारंभिक समाज में लिखित भाषा के आने से पहले यह पहचान का तरीका था। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐतिहासिक काल के लोग हजारों वर्षों तक उसी स्थान पर लगातार जाते रहे क्योंकि वह उन्हें ‘आराम’ और ‘मानव सम्बंधों’ का एहसास कराता था। सापवेल के अनुसार रूस के जालावरूगा और उत्तरी स्वीडन के नामफोरसेन में वह जिन स्थलों का अध्ययन कर रहे हैं वहां करीब 2,500 तस्वीरें हैं। उनमें जानवरों, मनुष्यों, नौकाओं और शिकारी दलों की तस्वीरें शामिल हैं।
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23-05-2012, 02:41 AM | #568 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
एक अध्ययन : अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है उच्च सामाजिक स्थिति
वाशिंगटन। यदि आप अच्छे खासे सामाजिक रूतबेदार व्यक्ति हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। दरअसल, लंगूरों पर किए गए अध्ययन से इस बात का पता चला है कि आपके सामाजिक रूतबे का बढ़ना आपको वास्तविक और शारीरिक रूप से लाभ पहुंचाता है। अध्ययन के मुताबिक उच्च पदधारी कोई व्यक्ति अपने से कम पदधारी व्यक्ति की तुलना में चोट से जल्दी उबर जाता है। केन्या के इंडियाना क्षेत्र में स्थित नॉट्रे डैम यूनिवर्सिटी की एक टीम ने लंगूरों पर 27 साल तक किए अध्ययनों और आंकड़ों से पाया कि अल्फा पुरुष जल्दी बीमार नहीं पड़ते और समाज के निचले पायदान पर स्थित पुरुषों की अपेक्षा चोटों से जल्दी उबर जाते हैं। अध्ययन से प्राप्त नतीजों का प्रकाशन नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज (राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी) की कार्यवाही में हुआ। यह नतीजा काफी चौंकाने वाला है, चूंकि पहले के अध्ययन में यह पता चला था कि उच्च पद वाले पुरुषों में चिंता का स्तर ज्यादा होता है, जो रोग प्रतिरोधी क्षमता को कम करता है। नॉत्रेदाम के जीवविज्ञानी और अध्ययन का प्रतिनिधित्व करने वाले बेथ आर्ची कहते हैं, यह हमेशा ही विवाद का विषय रहा है कि मनुष्यों और पशुओं में निचले स्तर पर रहने वालों की तुलना में शीर्ष पर रहने वालों में तनाव का स्तर कम होता है या अधिक। हमारे नतीजे यह दर्शाते हैं कि पशु दोनों ही स्थिति में तनाव महसूस करते हैं, जबकि शीर्ष पर स्थापित पुरुषों में कई कारक उन्हें शायद ही चिंता के नकारात्मक प्रभावों से बचाते हैं। अध्ययन के लिए जंगली पुरुष लंगूरों पर किए गए शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 27 साल तक आंकड़े एकत्र किए जिसमें उन्होंने पाया कि स्वाभाविक रूप से होने वाली बीमारियों और चोटों से पुरुष जल्दी उबर जाते हैं।
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23-05-2012, 03:15 AM | #569 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
तनाव होने पर ज्यादा सामाजिक हो जाते हैं पुरूष
वाशिंगटन। अक्सर ऐसा कहा जाता है कि तनाव की स्थिति में महिलाएं अपने सामाजिक जीवन पर ज्यादा ध्यान देती हैं और पुरुषों का व्यवहार आक्रामक हो जाता है, लेकिन एक नए शोध के अनुसार पुरूषों का व्यवहार हमेशा ऐसा नहीं होता। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि तनाव की स्थिति में पुरूष दूसरों पर ज्यादा यकीन करता है, विश्वस्त तरीके से पेश आते हैं और संसाधनों को साझा करते हैं। लाइव साइंस की खबर के अनुसार जर्मनी के फ्रेइबर्ग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता बेर्नादेते वोन दवान्स का कहना है कि तनाव की स्थिति में पुरूष अधिक सामाजिक व्यवहार करते हैं। ‘साइकोलॉजिकल साइंस’ में प्रकाशित इस अनुसंधान के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने ज्यूरिख विश्वविद्यालय के 67 पुरुष छात्रों को चुना और तनाव के दौरान उनकी प्रतिक्रिया देखी। अनुसंधानकर्ताओं ने इनमें से आधे छात्रों को सार्वजनिक स्थलों पर बोलने और कठिन गणितीय परीक्षा के जरिए तनाव में डाला। बाकि छात्रों को आसान और तनावरहित कार्य करने को दिया गया। अनुसंधान के परिणामस्वरूप उन्होंने पाया कि तनाव के दौरान पारंपरिक आक्रामकता दिखाने के बजाय पुरूषों का व्यवहार काफी सौम्य हो गया।
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23-05-2012, 03:16 AM | #570 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
खून के बारे में जानकारी देने वाले उपकरण का आविष्कार
वाशिंगटन। क्या खून की जांच के लिए सुई देखकर आप परेशान हो जाते हैं? अगर हां, तो चिंता मत कीजिए, क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया उपकरण विकसित किया है, जिससे तुरंत खून के बारे में जरूरी सूचनाएं हासिल की जा सकती हैं। इसके लिए बस, त्वचा से होते हुए प्रकाश की किरणें इस उपकरण पर डालने की जरूरत है, जिससे खून की जांच हो जाएगी। ‘इस्राइल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी’ के दल द्वारा विकसित यह प्रकाशीय उपकरण हमारे नसों के जरिये जाने वाले खून की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। ‘साइंस डेली’ ने अध्ययन के शोधकर्ता लियोर गोलन के हवाले से कहा कि नये प्रकाशीय (आप्टीकल) माइक्रोस्कोप का आविष्कार किया गया है, जिससे शरीर के अंदर रक्त कणिकाओं को देखा जा सकता है। गोलन ने कहा कि इस नये आविष्कार से खून की जांच के नतीजों में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है और इससे कई अन्य समस्याओं से भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस उपकरण को कहीं भी ले जाने की सुविधा से ग्रामीण क्षेत्रों के डाक्टर बिना किसी दिक्कत के इससे बड़ी संख्या में लोगों की चिकित्सा प्रयोगशालाओं तक आसान पहुंच उपलब्ध करा सकते हैं।
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