01-11-2012, 10:16 AM | #51 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
वाराहीकन्द (विदारीकन्द) और भांगरे के चूर्ण को 16-16 पल लेकर घी में थोड़ा भून लें ! फिर इसमें बराबर मात्रा मिश्री मिला कर रख लें ! प्रतिदिन एक तोला चूर्ण खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से काम-शक्ति बढ़ जाती है ! एक अन्य प्रयोग - दालचीनी, तेजपात, नागकेशर, मुलहठी-इन सभी को चार-चार तोला लेकर बराबर मात्रा की चीनी मिलाकर रख लें ! इस चूर्ण को मिश्री मिले चूर्ण के साथ खाएं अथवा ऊपर दिए गए वाराहीकन्द के चूर्ण के साथ मिला कर खाएं और ऊपर से दूध पिएं ! यह काम-शक्ति को बढाने का श्रेष्ठ उपाय है !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
07-11-2012, 11:22 AM | #52 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
अन्यच्चूर्णम
कौंच के बीज और तालमखाना को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इसमें समान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें ! इसे एक से दो तोला प्रतिदिन धारोष्ण (ताज़ा निकाला गया बिना गर्म किए) दूध के साथ सेवन करें ! यह प्रयोग नित्य करने वाले मनुष्य का वीर्य कभी क्षीण नहीं होता !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 07-11-2012 at 11:33 AM. |
07-11-2012, 11:27 AM | #53 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
मधुयष्टीचूर्णम
मुलहठी के एक तोला चूर्ण में छः मासा शुद्ध देशी घी और एक तोला शहद मिला कर चाट लें ! इसके बाद इच्छा के अनुसार मिश्री मिला गर्म दूध पिएं ! यह प्रयोग नित्य करने वाला मनुष्य सदैव वीर्य के वेग से युक्त रहता है अर्थात उसकी कामेच्छा कभी क्षीण नहीं होती !
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16-11-2012, 11:01 AM | #54 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
आमलकी चूर्णम
नई फसल के आंवलों को सुखा कर चूर्ण बना लें । इसे आंवलों के रस की इक्कीस भावना देकर रख लें और इसमें से डेढ़ से दो तोला मिश्री, शहद और घी मिला कर खाएं। फिर ऊपर से गर्म दूध पी लें। यह प्रयोग नित्य करने वाला अस्सी वर्ष का बूढ़ा भी सम्भोग में जवान की तरह सक्षम हो जाता है ।
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16-11-2012, 11:07 AM | #55 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
विदारीकन्द चूर्णम
विदारीकन्द के चूर्ण को विदारीकन्द के रस की इक्कीस बार भावना देकर सुखा लें और साफ़ बर्तन में भर कर रख लें। इसमें से एक तोला चूर्ण लेकर एक तोला घी और दो तोला शहद मिलाकर खाएं और ऊपर से मिश्री मिला गर्म दूध पीयें। यह प्रयोग प्रतिदिन करने वाला अनेक स्त्रियों से इच्छा के अनुसार सहवास के योग्य हो जाता है।
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16-11-2012, 11:15 AM | #56 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
शतावर्यादि चूर्णम
शतावर, खरैटी, विदारीकन्द, गोखरू, आंवला समान मात्रा में लेकर इन सबका एक साथ अथवा अलग-अलग चूर्ण बना कर रख लें। इनमें घी, शहद और मिश्री मिला कर खाएं ! यह अनुपम बाजीकरण प्रयोग है ! आचार्यों ने इन सब चूर्णों के मिश्रण और सभी के अलग-अलग कुल छह प्रयोग बताए हैं। यह छहों प्रयोग कामदेव से मदांध और अति सम्भोग के आदी मनुष्य के वीर्य को असीमित रूप से बढाने वाले हैं ! अब आगे इन सबके अलग-अलग रूप प्रस्तुत किए जाएंगे।
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24-11-2012, 04:59 AM | #57 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
गोखरू चूर्णम
गोखरू का पांच टंक चूर्ण सात टंक शहद में मिला कर चाट लें और इसके बाद बकरी का गर्म किया दूध मिश्री मिला कर पी लें। यह प्रयोग करने से हस्त मैथुन आदि से उत्पन्न हुई नपुंसकता कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।
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24-11-2012, 05:06 AM | #58 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
मूसल्यादि चूर्णम
काली मूसली, तालमखाना और गोखरू क्रम से एक, दो और तीन भाग (यथा काली मूसली तीन तोला, तालमखाना छः तोला और गोखरू नौ तोला) लेकर इनका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह मिश्री मिले गर्म दूध के साथ छह माशा खाएं। यह प्रयोग इक्कीस दिन करने वाला सौ वर्ष का बूढा व्यक्ति भी स्त्री से नौजवान की तरह संसर्ग में सक्षम हो जाता है।
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05-12-2012, 04:15 AM | #59 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
अन्य शतावर्यादि चूर्णम
शतावर, गोखरू, असगंध, पुनर्नवा, खरैटी, मूसली - सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह दो तोला चूर्ण प्रतिदिन घी और मिश्री मिलाकर गर्म दूध के साथ सेवन करने वाला क्षीण मनुष्य भी मतवाले हाथी के समान बलशाली और पुरुषार्थवान हो जाता है।
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05-12-2012, 04:22 AM | #60 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
अश्वगंधादि चूर्णम
असगंध नागौरी और विधारा 40-40 तोला लेकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा की मिश्री मिला कर रख लें। इसमें से प्रतिदिन दो तोला चूर्ण गर्म अथवा धारोष्ण दूध के साथ सेवन करें, तो धातु पुष्ट होकर मनुष्य स्त्री से रमण में कभी न थकने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।
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