01-04-2011, 01:00 PM | #51 | |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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Gaurav kumar Gaurav |
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01-04-2011, 01:01 PM | #52 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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01-04-2011, 01:02 PM | #53 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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01-04-2011, 01:03 PM | #54 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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Gaurav kumar Gaurav |
01-04-2011, 01:04 PM | #55 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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01-04-2011, 01:09 PM | #56 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
तब एक ठो और झेलो
मोहब्बत क्या है ये अब तक मै जान ना पाया
कही दीवानगी कभी पागलपन है बतलाया कोई कहता मोहब्बत नाम हर दम साँथ रहने का जो बाँटे हर खुशी मिलके हर गम साँथ सहने का चले हर राह तेरे साथ जैसे हो तेरा साया मोहब्बत क्या लैला और मजनू की कहानी मे या मुमताज की यादों भरी इस निशानी मे के है जो हीर और रांझे के किस्सों मे पाया मोहब्बत नाम अपने प्यार पर सब कुछ लुटाने का ना हो अफ़सोस खातिर यार के सब कुछ गवाने का रहे वो दूर जितना और मन के पास ही आया ये वो अहसास जो रिश्तों मे बंध कर रह नही सकता करे महसूस ना कोई ख़ुद है क्या कह नही सकता समझ आया न बिन जाने ज़माने भर ने समझाया |
01-04-2011, 01:09 PM | #57 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
दूसरे अडल्ट फोरम की जिन्दगी जुआ बन कर रह गई
और जिससे उसकी शादी होना थी उसकी बच्चो की बुआ बन कर रह गई
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Gaurav kumar Gaurav |
01-04-2011, 01:10 PM | #58 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
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01-04-2011, 01:14 PM | #59 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
राम राभ सत्य है
भोलू आशिक नही मस्त है
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Gaurav kumar Gaurav |
02-04-2011, 01:51 PM | #60 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
पलकें ज़रा उठा कर एक बार देखिये, थोडा सा मुस्कुरा कर एक बार देखिये
ऐ माहताब-ए-हुस्न अँधेरा है चारों ओर, रुख से नकाब उठा कर एक बार देखिये छुपने लगा है चाँद घटाओं की ओट में, जुल्फें ज़रा हटा कर एक बार देखिये दे देंगे जान आपके क़दमों में हम हुज़ूर, शम्मा-ए-वफ़ा जला कर एक बार देखिये तरसेंगे आप भी नीद को मेरी तरह, ये दिल हमसे लगा कर एक बार देखिये इस पुर फरेब दौर का शिकवा बजा बगर, इस नाचीज़ को एक बार आजमा कर देखिये क्यूँ बैठी हो उदास मेरी हाँ के इंतज़ार में, अपना हमें बना कर एक बार देखिये !!! |
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