22-12-2014, 09:44 PM | #51 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
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22-12-2014, 11:27 PM | #52 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
कुछ मुलभुत, बेझिक सच्चाई (जो सब जातने ही है) यह है कि.... ► पैसे कागज़ के वो टुकडे है जिनकी किंमत आप तय नही करते। उनकी वेल्यु, पावर ओफ पर्चेझ कम ही होता जाएगा। ► मानव के सपने, सोच, प्रेम, भावना ही सर्वोपरी है। मानवता ही सबसे बडा मुल्य है। ► देश के प्रति वफादारी, कर्तव्यनिष्ठा ही श्रेष्ठ कार्य है।
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22-12-2014, 11:38 PM | #53 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
फिल्म लक्ष्य में एक संवाद बहुत अच्छा था, जिसका अर्थ कुछ ईस प्रकार था... चाहे आप बडे ईन्सान न बन पाओ, चाहे आप घास ही काटो लेकिन वह काम भी अच्छा और ईमान दारी से करो। हमारे यहां जो ईमानदारी, कार्यशीलता, कार्यदक्षता में जो कमी है, वह हम नही देख सकते। मुझे परसों एसा ही उदाहरण आईटी फिल्ड के एक ब्लोग पर मिला। जिनमें भारतीयों की कुछ मुल कमीयों को जानने का मौका मिला। यह रही उसकी लिंक ईस आर्टिकल की टिप्पणींयों मे भी बहोत कुछ एसा है जो सोचने पर मजबुर करता है। यह आर्टिकल अपने ईस सुत्र के विषय से अलग है, लेकिन मुलरुप से जो समस्या है वह आप दुस्ररों के नजरीये से जान पाओगे।
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22-12-2014, 11:49 PM | #54 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
हमें दो-तीन प्रकार के दिखावे करनें होंगे जो अत्यंत जरूरी है। यह दिखावे धीरे धीरे, शनै शनै आदत बन जाएंगे।
१. पैसों से अधिक गुणो को प्राधान्य देना मानवता, भावना, प्रेम, दया, करुणा को प्राधान्य देना। बच्चों को यही सीख देना, समकक्ष लोगों के सामने यही उदाहरण रखना। २. स्वदेशी चीजों का ईस्तमाल करना ईलेक्टोनिक्स वस्तुएं सिर्फ प्लास्टीक, सिलिकोन, सोने की बारीक तारों से बनती है। एक बार लाख रुपये कि मशीनरी लगादेने के बाद, उत्पादन केवल २००-३०० रुपयों मे हो जाता है। विदेशी कंपनी ईस तरह मोबाईल, कोम्प्युटर, गेझेट्स को हजारों रुपयों मे हमें बेचती है। ► हमे विज्ञापनों मे यह दिखाया जाता था की मोबाईल अत्यंत जरूरी है। ► फिर यह दिखाया गया की वह भरपुर मनोरंजन एवं जानकारी देता है। ► अब उसे स्टाईल स्टेटमेंन्ट के रुप में दिखा रहे है। जब की नए से नया गेजेट केवल ४-५ महिनों मे आउट डेटेड हो जाता है। ईस तरह हम ५००-७०० की चीज ८,०००-१०,००० में खरीद कर देश की अर्थव्यवस्था को अत्यंत निर्बल कर रहे है।
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Last edited by Deep_; 22-12-2014 at 11:52 PM. |
23-12-2014, 12:00 AM | #56 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
लेकिन गेजेट के बिना कैसे चलेगा?
► भारतीय बनावट की चीजें खरीदे। ► ईनका महत्तम उपयोंग करें। रीपैरींग करके भी चलाए! आपके हजारो रुपये बच जाएंगे जो आप जमा कर सकते हो, बेंको में यह पैसा जमा भी होगा और सरकार ईसका सही उपयोग भी करेगी।
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23-12-2014, 12:03 AM | #57 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
ईलेक्ट्रोनिक उपकरणों का तो एक उदाहरण मात्र था।
यही सोच फेशन, रहन सहन, खाना पीना, ट्रांसपोर्ट वगेरह में भी आनी चाहीए।
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Last edited by Deep_; 23-12-2014 at 12:07 AM. |
23-12-2014, 12:05 AM | #58 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
हमें हंमेशा डर रहता है की यदि हमने नई टेक्नोलोजी का उपयोग नही किया तो हम पिछड जाएंगे...
लेकिन यकीन मानीए एसा नही होगा! पहेले से हमारी सोच सही एवं उत्कृष्ठ थी, सही दिशा मै थी...और हम आगे ही बढ रहे है। बने रहीए ईस सुत्र पर यह जानने के लिए की.....ईन सब मुद्दों का 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान' से क्या लेना देना है।
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Last edited by Deep_; 23-12-2014 at 09:40 PM. |
23-12-2014, 10:13 PM | #59 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
मेरी बाते आपको शायद झुठ लगे...लेकिन मै आज और कल के दो एसे किस्से सुनाउंगा जो जान कर आपको भी मज़ा आ जाएगा!
कल फेसबुक पर एक लेखक का अनुभव (सत्यघटना) पढने को मिला... उसे स्टेशन पर एक समोसे बेचने वाला मिला। उस के सारे समोसे बीक चूके थे और वह खाली टोकरा/पतीला ले कर वापस ट्रेन में लोट रहा था। लेखक के पूछे जाने पर उसने बडी विनम्रता से बताया .... उसे एक समौसे पर 75 पैसे कमिशन मिलता है। वह दिन के 2500 से 3000 समौसे बेचता है। ईस हिसाब से एक दिन की औसत 2000 कमाई का मतलब महिने के 60000 कमाता है। कोई अच्छे कपडे पहन कर ट्रेन में अपडाउन करने वाले से भी अधिक शायद! उसने दस लाख की जो जमीन पांच साल पहेले खरीदी थी, वह साठ लाख में बेच कर सारे पैसे फिक्स डिपोझीट में जमा कर चूका है।
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23-12-2014, 10:18 PM | #60 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
मेरे एक दोस्त ने आज ही अपने एक प्यून की बात बताई।
वह प्यून के पुरखों की जमीन की आज की किंमत एक करोड रुपये है। वह प्यून बस खर्चा निकालने के लिए नौकरी कर रहा है, ताकि अपने शोख पुरे कर सके और परिवार सुखी रख सके। ईस प्रकार वह अपनी एफडी भी सुरक्षित रखना चाहता है।
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