08-12-2010, 12:14 PM | #51 |
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Re: लघु कथाएँ..........
किसान ने एक दिन छोटी-सी चिड़िया पकड़ ली। वह इतनी छोटी थी कि किसान की एक मुट्ठी में दो चिड़ियां समा सकती थीं। किसान कहने लगा कि वह उसे पकाकर खा जाएगा। चिड़िया बोली, ‘कृपा करके मुझे छोड़ दो। वैसे भी मैं इतनी छोटी हूं कि तुम्हारे एक कौर के बराबर भी नहीं होऊंगी।’ किसान ने जवाब दिया, ‘लेकिन तुम्हारा मांस बहुत स्वादिष्ट होता है। और हां, मैंने कहावत सुनी है कि कुछ नहीं से कुछ भी होना बेहतर है।’ उसकी बात सुनकर चिड़िया बोली, ‘अगर मैं तुम्हें ऐसा मोती देने का वादा करूं, जो शुतुरमुर्ग के अंडे से भी बड़ा हो, तो क्या तुम मुझे आêाद कर दोगे?’ उसकी बात सुनकर किसान बहुत ख़ुश हो गया और तत्काल उसने मुट्ठी खोलकर उसे उड़ा दिया। चिड़िया आêाद होते ही कुछ दूर पर एक पेड़ की थोड़ी ऊंची डाल पर जा बैठी, जहां तक किसान का हाथ नहीं पहुंच पाता था। किसान ने उसे बैठा देखकर बड़ी बेसब्री से कहा, ‘जाओ, जल्दी जाओ, मेरे लिए वह मोती लेकर आओ।’ चिड़िया हंसकर बोली, ‘वह मोती तो मुझसे भी बड़ा है, मैं उसे कैसे ला सकती हूं?’ किसान ने ग़ुस्से और खीझ से कहा, ‘तुम्हें लाना ही पड़ेगा, तुमने वादा किया है।’ चिड़िया वहीं बैठी रही। उसने जवाब दिया, ‘मैंने तुमसे कोई वादा नहीं किया था। मैंने सिर्फ़ यही कहा था कि अगर मैं ऐसा वादा करूं, तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे। और इतना सुनते ही तुम लालच में अंधे हो गए थे। ’ उसकी बात सुनकर किसान हाथ मलने लगा। चिड़िया बोली, ‘लेकिन दुखी मत हो, मैंने आज तुम्हें वह पाठ पढ़ाया है, जो ऐसे हêार मोतियों से êयादा क़ीमती है। हमेशा कुछ भी करने से पहले सोच-विचार करो।’ |
08-12-2010, 12:15 PM | #52 |
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Re: लघु कथाएँ..........
गधे को मिला शेर का बुलावा
एक बार की बात है, गधे को जंगल के राजा शेर की तरफ़ से आमंत्रण मिला। उसे देखते ही गधा ख़ुशी से नाचने लगा। उसमें शेर ने लिखा था कि मैं अपने और आपके परिवार में मेलजोल करना चाहता हूं, इसलिए आप चर्चा के लिए मेरी गुफा में सादर आमंत्रित हैं। गधे को लगा कि उसका जन्म सफल हो गया। जंगल का राजा ख़ुद उसके परिवार से मेलजोल बढ़ाना चाहता है, इससे बड़ी प्रसन्नता की बात भला क्या हो सकती थी। सो, उसने रगड़-रगड़ कर नहाया और ढेर सारा पाउडर व इत्र लगाकर शेर के पास पहुंच गया। अब शेर ने वही किया, जो उसे करना था। उसने गधे को मार डाला। दरअसल, एक लोमड़ी शेर की सलाहकार थी। उसी ने यह सारी योजना बनाई थी कि किस तरह गधे को फंसाकर उसका शिकार करना है। और गधा भी आसानी से फंस गया। शेर ने मरे हुए गधे को देखा और लोमड़ी से बोला, ‘इस मूर्ख को तो मैं आराम से खाऊंगा, पहले स्नान कर आऊं। तब तक तुम इसकी रखवाली करना। और ख़बरदार! अगर तुमने इस पर हाथ भी लगाया तो! यह जान लो कि मैं तुम्हारी भी यही गत करूंगा।’ यह कहकर वह नहाने चला गया और लोमड़ी मरे हुए गधे के पास बैठकर मक्खियां हटाने लगी। जब काफ़ी देर हो गई, तो भूख से उसकी आंतें कुलबुलाने लगीं। उसने चुपके से गधे का मस्तिष्क निकाला और खा गई। उसने होंठों पर जीभ फेरी ही थी कि शेर आ गया। जब उसने देखा कि गधे की खोपड़ी ख़ाली है, तो मारे ग़ुस्से के दहाड़ने लगा। लोमड़ी बोली, ‘महाराज, इस गधे में तो दिमाग़ था ही नहीं।’ शेर ने पूछा, ‘वह कैसे?’ लोमड़ी ने जवाब दिया, ‘महाराज, अगर इसके पास दिमाग़ होता, तो क्या यह आपके पास आता?’ |
08-12-2010, 12:16 PM | #53 |
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Re: लघु कथाएँ..........
50 रु. में बोलने वाला कुत्ता लेंगे?
एक आदमी ने नया-नया कुत्ता ख़रीदा था, लेकिन चार-छह दिनों बाद ही वह कुत्ता लेकर अपने पड़ोसी के पास पहुंच गया और उससे उसे ख़रीदने के लिए चिरौरी करने लगा। उसने कहा, ‘यह बोलने वाला कुत्ता है।’ पड़ोसी को बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ। वह आदमी बोला, ‘और आप इसे सिर्फ़ पचास रुपए में ख़रीद सकते हैं।’ अब तो पड़ोसी को पक्का यक़ीन हो गया कि वह उससे मêाक़ कर रहा है। उसने कहा, ‘मêाक़ करने के लिए क्या मैं ही मिला था? दुनिया में कोई भी कुत्ता भौंकने के अलावा और कुछ नहीं बोल सकता।’ पड़ोसी का इतना कहना था कि कुत्ते ने आंखों में आंसू भरकर गिड़गिड़ाते हुए बोलना शुरू कर दिया, ‘प्लीêा, मुझे ख़रीद लीजिए सर! मेरा मालिक तो पूरा कसाई है। यह न तो मुझे ढंग से खाने को देता है, न ही बाहर निकलने देता है। यह मुझे नहलाता-धुलाता तक नहीं है।’ अपने कुत्ते की ये बातें सुनकर उसके मालिक का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसने कहा, ‘देखा आपने, इसीलिए मैं इसे बेचना चाहता हूं।’ मालिक की प्रतिक्रिया से बेपरवाह, कुत्ते ने बोलना जारी रखा, ‘और सर, मेरी यह दुर्गति तब है, जबकि मैं दुनिया का सबसे शानदार कुत्ता हूं। इससे पहले मैं बिल गेट्स और मुकेश अंबानी जैसे मालिकों के साथ उनके बेडरूम में सोता था। मेरी सेवा-चाकरी के लिए दसियों नौकर-चाकर लगे रहते थे। और आज..आज इस आदमी ने मेरी यह दुर्गति कर दी है।’ बोलते कुत्ते की कहानी से हैरान पड़ोसी उसके मालिक को लताड़ने के अंदाêा में बोला, ‘सचमुच! यह तो बोलने वाला कुत्ता है। बेचारा। आपने इतने शानदार कुत्ते की यह गत बना दी है!’ पड़ोसी की बात पर मालिक ने अपने पालतू को खा जाने वाली निगाहों से देखा और दांत पीसते हुए बोला, ‘इसी कारण..इसी कारण मैं इस स्साले कुत्ते को पचास रुपए में बेच रहा हूं। मैं इस झुठल्ले की ऐसी ही मनगढ़ंत बातों से तंग आ चुका हूं।’ सबक़ : झूठ बोलने वाले, लंबी-लंबी फेंकने वाले की क़ीमत दो कौड़ी की भी नहीं रह जाती, चाहे कुत्ता हो या इंसान। व्यक्ति के झूठ के कारण उसकी अच्छे से अच्छी प्रतिभा पर भी पानी फिर जाता है। |
08-12-2010, 12:17 PM | #54 |
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Re: लघु कथाएँ..........
छोटी सी कहानीः शब्द और सच
जनवरी का महीना चल रहा था और ठंड अपने चरम पर थी। ऐसे में एक जर्जर झोपड़ा दम साधे खड़ा था और उसके अंद र मंगल अपने घुटनों पर सर रखे जलते हुए लालटेन को अनवरत देख रहा था। जैसे जैसे उस लालटेन का किरासन कम हो रहा था वैसे-वैसे मंगल के ललाट पर रेखाएं ज़्यादा हो रही थीं। मंगल की बीवी कंबल, चादर और न जाने किन-किन चीज़ों के अवशेषों से अपने छोटे बेटे को बार-बार ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मंगल का बारह वर्षीय बेटा अपना सबक याद कर रहा था। अचानक उसके बेटे ने उससे पूछा " बाबूजी, ये आज़ादी क्या होती है?" इस अप्रत्याशित सवाल से मंगल चौंक गया। "बाबूजी, ये आज़ादी क्या होती है?" बेटे ने दोहराया। मंगल को कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। "बताओ ना, ये आज़ादी क्या होती है?" बेटे ने फ़िर सवाल दागा। "चुपचाप पढ़ता क्यो नहीं?" कोई चारा ना देख मंगल ने डांट दिया। बेटा किताब की ओर देखकर जोर-जोर से पढ़ने लगा, "भारत आज़ाद और संपन्न देश है। यहां के लोग खुशहाल हैं...." मंगल ने देखा किरासन लगभग ख़त्म हो गई है। उसने आंखें बंद कर ली। |
08-12-2010, 12:19 PM | #55 |
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Re: लघु कथाएँ..........
जिंदगी
एक पिता अपने बेटे के साथ पहाड़ों की सैर पर निकला। अचानक बेटा गिर गया। चोट लगने पर उसके मुंह से निकला , ' आह !!!' तुरंत पहाड़ों में से कहीं - से आवाज आई - ' आह !!!' बेटा अचरज में रह गया। उसने फौरन पूछा - तुम कौन हो ? सामने से वही सवाल आया , ' तुम कौन हो ?' बेटा चिल्लाया , ' मैं तुम्हारी तारीफ करता हूं !' पहाड़ों से जवाब आया , ' मैं तुम्हारी तारीफ करता हूं !' अपनी बात की नकल करते देखकर बेटा गुस्से में चिल्लाया , ' डरपोक !' जवाब मिला , ' डरपोक !' उसने पिता की ओर देखा और पूछा , ' यह क्या हो रहा है ?' पिता ने मुस्कुराते हुए कहा , ' बेटा , जरा ध्यान दो। ' इसके बाद पिता चिल्लाया , ' तुम चैंपियन हो !' जवाब मिला , ' तुम चैंपियन हो !' बेटे को हैरानी हुई लेकिन वह कुछ समझ नहीं सका। इस पर पिता ने उसे समझाया , ' लोग इसे गूंज ( इको ) कहते हैं , लेकिन वास्तव में यह जिंदगी है। ' यह आपको हर चीज़ वापस लौटाती है , जो आप कहते हैं या करते हैं। हमारी जिंदगी हमारे कामों का ही प्रतिबिंब है। अगर आप दुनिया में ज्यादा प्यार पाना चाहते हैं तो अपने दिल में ज्यादा प्यार पैदा करें। अगर अपनी टीम में ज्यादा काबिलियत चाहते हैं तो अपनी काबिलियत को बढ़ाएं। यह संबंध जिंदगी के हर पहलू , हर चीज में नजर आता है। |
08-12-2010, 12:20 PM | #56 |
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Re: लघु कथाएँ..........
कुत्ते ने किया शेर का शिकार
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता भटक गया। तभी उसन े देखा कि एक शेर उसकी ओर आ रहा है। कुत्ते की सांसें सूख गई। सोचा, आज तो काम तमाम मेरा। फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियां पड़ी देखी। वह आते हुए शेर की तरफ पीठ करके बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, 'वाह, शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है। एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जाएगी' और उसने ज़ोर से डकार मारा। इस बार शेर सकते में आ गया। उसने सोचा, 'यह कुत्ता तो शेर का शिकार करता है। जान बचा कर भागो' ...और शेर वहां से चंपत हो गया। पेड़ पर बैठा एक बंदर यह सब तमाशा देख रहा था। उसने सोचा यह मौका अच्छा है, शेर को सारी कहानी बता देता हूं। इसी बहाने शेर से दोस्ती भी हो जाएगी और उससे ज़िंदगी भर के लिए जान का ख़तरा भी दूर हो जाएगा। वह फटाफट शेर के पीछे भागा। कुत्ते ने बंदर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है। उधर बंदर ने शेर को सब बता दिया कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ़ बनाया है। शेर ज़ोर से दाहड़ा, 'चल मेरे साथ, अभी उसकी लीला ख़त्म करता हूं।' बंदर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ लपका। कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, 'इस बंदर को भेजे एक घंटा हो गया अभी तक एक शेर फांस कर नहीं ला सका है।' फिर तो बंदर यह ,सुनते ही वहां से नौ दो ग्यारह हो गया और फिर वह शेर से दोस्ती की बात हमेशा के लिए भूल गया। |
08-12-2010, 12:21 PM | #57 |
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Re: लघु कथाएँ..........
इज्जतदार चोर
हुत पुरानी बात है। एक राजा के राज्य में तीन लोगों ने मिलकर चोरी की और बदकिस्मती से पकड़े गए। दूसरे दिन सजा के लिए उन ती नों चोरों को राजा के दरबार में ले जाया गया। राजा ने तीनों को ध्यान से देखा और पहले चोर से कहा - अरे आपने चोरी की ! इतना कहकर राजा ने उसे जाने दिया। दूसरे चोर को ध्यान से देखा और कहा , आप चोरी करेंगे , ऐसा मैंने सोचा भी नहीं था। यह कहकर उसने दूसरे चोर को भी जाने दिया। तीसरे को ध्यान से देखा और कहा - इस चोर को गंजा करके इसका मुंह काला करके सारे नगर में घुमाओ। राजा के दरबार में बैठे लोगों ने आपत्ति की कि तीनों का अपराध एक सा है , फिर सजा एक ही को क्यों। राजा ने हा आप लोगों को मेरे फैसले का जवाब एक हफ्ते में मिल जाएगा। पहले चोर ने उसी रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दूसरा चोर नगर छोड़कर चला गया। तीसरे चोर को जब नगर में घुमाया जा रहा था , तो उसकी पत्नी उसे देखकर रोने लगी। इस पर चोर ने कहा - रोती क्यों है , जा घर जाकर पानी गर्म कर , मैं अभी नगर का चक्कर लगाकर आता हूं। मुंह धो लूंगा , फिर वैसा ही हो जाऊंगा। पहले दो चोर इज्जतदार चोर थे। |
08-12-2010, 12:23 PM | #58 |
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Re: लघु कथाएँ..........
जहां से चले, वहीं रह गए
दो अमेरिकी मित्र एक होटेल की 42वीं मंजिल के कमरे में रह रहे थे। एक रात जब वे काफी देर से वापस आए तो उन्हें लिफ्ट बंद मिली। उन दोनों ने अपने-अपने ओवरकोट उतार कर स्वागत कक्ष की मेज पर रख दिए और हल्के होकर सीढ़ियां चढ़ने लगे। एक ने देखा कि मंजिल बहुत देर में आएगी तो उसने एक कहानी सुनानी शुरू कर दी। कहानी जब पूरी हो गई तब तक 37वीं मंजिल तक ही पहुंचे थे। उसने दूसरे को कहा कि अब तुम कोई छोटी सी कहानी सुनाओ। अभी पांच मंजिलें और बाकी हैं। दूसरा बोला, अब क्या कहानी सुनाऊं। अपने कमरे की चाबी तो स्वागत कक्ष की मेज पर छोड़े गए ओवरकोट की जेब में ही रह गई है। |
08-12-2010, 12:24 PM | #59 |
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Re: लघु कथाएँ..........
सत्य और सुंदर साथ-साथ
एक बार की बात है एक राजा था। वह एक आंख से काना था। राजा का मन किया कि वह अपना सुंदर सा चित्र बनवाए। उसने अपनी यह इच्छा अपने मंत्री से व्यक्तकी। राजा की इच्छा सुन मंत्री ने राज्य में यह घोषणा करवा दी कि राजा का चित्रा बनाने के लिए सभी उच्च कोटि के चित्राकार महल में आमंत्रित हैं। घोषणा सुन राज्य के एक से बढ़कर एक कलाकार महल में एकत्रित हो गए। चित्राकारों ने बहुत लगन से चित्र बनाए। राजा के अंतिम निर्णय के लिए तीन चित्र चुन लिए गए। पहला चित्र बहुत सुंदर था, पर उसमें राजा की दोनों आंखें बनी हुई थीं। चित्र देख राजा ने चित्रकार से कहा कि यह चित्र सुंदर तो है लेकिन सत्य नहीं, क्योंकि हम तो एक ही आंख से देख सकते हैं। इस चित्र में सुंदरता के साथ-साथ सत्य नहीं है। दूसरे चित्र में राजा को एक आंख से हूबहू काना दिखाया गया था। उसे देख राजा ने कहा चित्र सत्य तो है, पर सुंदर नहीं है। एक आंख में हम बहुत बुरे दिख रहे हैं। अब राजा को तीसरा चित्र दिखाया गया। इस चित्र में राजा जंगल में शिकार कर रहा था। सामने शेर था और राजा तीर लिए, कमान खींचे, शेर पर वार करने की मुद्रा में था, जिसमें राजा की एक आँख स्वतः बंद नज़र आ रही थी । इस चित्र को देख राजा ने चित्रकार की प्रशंसा की और कहा कि चित्रकार चतुर है। इस चित्र में सत्य और सुंदर को साथ-साथ प्रस्तुत कर दिया गया है। राजा ने इसी चित्र को पुरस्कृत करते हुए कहा कि जीवन को सिर्पफ यथार्थ रूप में या कल्पना रूप में देखना गलत है। वह दोनों का मिला-जुला रूप है। तीसरे चित्रकार ने जीवन को इसी रूप में देखा है, इसीलिए उसे पुरस्कृत किया जा रहा है। |
08-12-2010, 12:28 PM | #60 |
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Re: लघु कथाएँ..........
जो डरता है वह डरता ही रहता है
एक चूहा था। उसे बिल्ली से बड़ा डर लगता था। हालांकि यह स्वाभाविक है कि चूहे को बिल्ली से डर लगे, पर इस चूहे को कुछ ज्यादा ही डर लगता था। अपने सुरक्षित बिल में सोते हुए भी सपने में उसे बिल्ली नजर आती। हल्की-सी आहट से उसे बिल्ली के आने का अंदेशा होने लगता। सीधी-सी बात यह कि बिल्ली से भयभीत चूहा चौबीसों घंटे घुट-घुटकर जीता था। ऐसे में एक दिन एक बड़े जादूगर से उसकी मुलाक़ात हो गई। फिर तो चूहे के भाग ही खुल गए। जादूगर को उस पर दया आ गई, तो उसने उसे चूहे से बिल्ली बना दिया। बिल्ली बना चूहा उस समय तो बड़ा ख़ुश हुआ, पर कुछ दिनों बाद फिर जादूगर के पास पहुंच गया, यह शिकायत लेकर कि कुत्ता उसे बहुत परेशान करता है। जादूगर ने उसे कुत्ता बना दिया। कुछ दिन तो ठीक रहा, फिर कुत्ते के रूप में भी उसे परेशानी शुरू हो गई। अब उसे शेर-चीतों का बड़ा डर रहता। इस दफ़ा जादूगर ने सोचा कि पूरा इलाज कर दिया जाए, सो उसने कुत्ते का रूप पा चुके चूहे को शेर ही बना दिया। जादूगर ने साचा कि शेर जंगल का राजा है, सबसे शक्तिशाली प्राणी है, इसलिए उसे किसी से डर नहीं लगेगा। लेकिन नहीं। शेर बनकर भी चूहा कांपता ही रहा। अब उसे किसी और जंगली जीव से डरने की जरूरत नहीं थी, पर बेचारे को शिकारियों से बड़ा डर लगता। आख़िर वह एक बार फिर जादूगर के पास पहुंच गया। लेकिन इस बार जादूगर ने उसे शिकारी नहीं बनाया। उसने उसे चूहा ही बना दिया। जादूगर ने कहा- ‘चूंकि तेरा दिल ही चूहे का है, इसलिए तू हमेशा डरेगा ही।’ सबक : डर कहीं बाहर नहीं होता, वह हमारे भीतर ही होता है। स्वार्थ की अधिकता और आत्म-विश्वास की कमी से हम डरते हैं। इसलिए अपने डर को जीतना है, तो पहले ख़ुद को जीतना पड़ेगा। |
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