23-11-2012, 03:51 PM | #51 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
वास्तविकता का बोध मस्तिष्क के स्तर और व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है. कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं – 1 व्यास ने चार्वाक से पूछा – चार्वाक! क्या कभी तुमने यह अनुभव किया है कि तुम कहाँ से आए हो, कहाँ तुम्हें जाना है और इस जीवन का उद्देश्य क्या है? चार्वाक का उत्तर था – मैं अपने चाचा जी के घर से आया हूँ, और बाजार जा रहा हूँ. मेरा उद्देश्य है अच्छी सी ताजी मछली खरीदना. 2 यही प्रश्न नारायण ने सुरेश से पूछा. सुरेश का उत्तर था: मैं अपने अभिभावकों से इस जगत् में आया हूँ. भाग्य जहाँ ले जाएगा, वहाँ मुझे जाना है. जो मुझे मिला है उससे अधिक इस संसार को अर्पित करूं यह मेरे जीवन का उद्देश्य है. 3 और जब यही बात गोविंदप्पा ने शंकर से पूछा तो शंकर जा जवाब था – मैं संपूर्णता से आया हूँ और संपूर्णता में ही वापस लौटना है. और जीवन की इस यात्रा में पग-दर-पग संपूर्णता को महसूस करना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है. 4 बुद्ध के प्रश्न पर महाकश्शप का प्रत्युत्तर था – मैं शून्य से आया हूँ, शून्य में मुझे जाना है और मेरे जीवन का उद्देश्य भी शून्य ही है. अष्टावक्र ने जनक से जब यही प्रश्न पूछा तो जनक ने जवाब दिया – मैं न तो आया हूँ, न कहीं जाऊंगा. और न ही कोई उद्देश्य है. 6 कृष्ण मुस्कुराए, और कुछ नहीं पूछे. भीष्म मुस्कुराए और कोई जवाब नहीं दिए. सत्य के बोध के लिए हर एक का दृष्टकोण अलग होता है. |
23-11-2012, 03:51 PM | #52 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
जीवन को किसने समझा
“पथ क्या है?” “दैनंदिनी जीवन ही पथ है.” “क्या इसे समझा जा सकता है?” “यदि आप इसे समझने की जितनी कोशिश करेंगे, तो आप इससे उतना ही दूर जाते जाएंगे.” |
23-11-2012, 03:51 PM | #53 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
ऐसी कितनी चीजें हैं जिनके बिना मेरा जीवन आराम से कट रहा है
सुकरात का ऐसा मानना था कि बुद्धिमान लोग सहज रूप से मितव्ययी जीवन व्यतीत करते हैं। यद्यपि वे स्वयं जूते नहीं खरीदते थे पर प्रायः बाजार में जाकर दुकानों में सजाकर रखे गए जूते व अन्य चीजों को देखना पसंद करते थे। जब उनके एक मित्र ने इसका कारण पूछा तो वे बोले - "मैं वहां जाना इसलिये पसंद करता हूं ताकि मैं यह जान सकूं कि ऐसी कितनी चीजें हैं जिनके बिना मेरा जीवन आराम से कट रहा है। " |
23-11-2012, 03:52 PM | #54 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
शेर और डॉल्फिन
समुद्र के तट पर चहलकदमी करते हुए शेर ने एक डॉल्फिन को लहरों के साथ अठखेलियाँ करते हुए देखा। उसने डॉल्फिन से कहा कि वे दोनों अच्छे मित्र बन सकते हैं। "मैं जंगल का राजा हूँ और सागर पर तुम्हारा निर्विवाद राज है। यदि संभव हो तो हम दोनों एक अच्छा मित्रतापूर्ण गठजोड़ कर सकते हैं।" डॉल्फिन ने उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। उनकी मित्रता होने के कुछ ही दिनों बाद शेर की भिडंत जंगली भैंसे से हो गयी। उसने डॉल्फिन को मदद के लिए पुकारा। डॉल्फिन भी शेर की मदद करना चाहती थी परंतु वह चाहकर भी समुद्र के बाहर नहीं जा सकती थी। शेर ने डॉल्फिन को धोखेबाज करार दिया। डॉल्फिन ने कहा - "मुझे दोष मत दो। प्रकृति को दोष दो। भले ही मैं समुद्र में कितनी भी ताकतवर हूँ, पर मेरी प्रकृति मुझे समुद्र के बाहर जाने से रोकती है।" "ऐसे मित्र का चुनाव करना चाहिए जो न सिर्फ आपकी मदद करने का इच्छुक हो बल्कि ऐसा करने में सक्षम भी हो।" |
23-11-2012, 03:52 PM | #55 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
मैं कैसे बताऊँ...
नसरूद्दीन एक बार एक किचन गार्डन में दीवार फांद कर घुस गया और अपने साथ लाए बोरे में आराम से जी भर कर जो भी मिला सब फल सब्जी तोड़ कर भरने लगा. इतने में माली ने उसे देखा और दौड़ता हुआ आया और चिल्लाया – “ये तुम क्या कर रहे हो?” “मैं चक्रवात में फंसकर उड़ गया था और यहाँ टपक पड़ा” “और ये सब्जियाँ किसने तोड़ीं?” “तूफ़ान में उड़ने से बचने के लिए मैंने इन सब्जियों को पकड़ लिया था तो ये टूट गईं.” “अच्छा, तो वो बोरे में भरी सब्जियाँ क्या हैं?” “मैं भी तो यही सोच रहा था जब तुमने मेरा ध्यान अभी खींचा.” |
23-11-2012, 03:53 PM | #56 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
मित्र बनाओ और तबाह करो
सिविल वॉर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति लिंकन दक्षिणी इलाके में रहने वाले व्यक्तियों को शत्रु कहने के बजाए गुमराह व्यक्ति कहकर संबोधित किया करते थे। एक बुजुर्ग एवं उग्र देशभक्ति महिला ने लिंकन को यह कहते हुए फटकार लगायी कि वे अपने शत्रु को तबाह करने के बजाए उनके प्रति नरम रवैया अपना रहे हैं। लिंकन ने उस महिला को उत्तर दिया - "ऐसा आप कैसे कह सकती हैं मैंडम! क्या मैं अपने शत्रुओं को उस समय तबाह नहीं करता, जब मैं उन्हें अपना मित्र बना लेता हूँ।" |
23-11-2012, 03:53 PM | #57 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
मुझ पर भरोसा है या गधे पर?
एक बार एक किसान मुल्ला के पास आया और उसका गधा दोपहर के लिए उधार मांगा ताकि वो अपने खेत पर कुछ सामान ढो सके. मुल्ला ने जवाब दिया - “मेरे मित्र, मैं हमेशा तुम्हें खेतों में काम करते देखता हूँ, और खुश होता हूं. तुम फसलें पैदा करते हो और हम सब उसका उपयोग करते हैं, यह वास्तविक समाज सेवा है. मेरा दिल भी तुम्हारी सहायता करने को सदैव तत्पर रहता है. मैं हमेशा ख्वाब देखा करता था कि मेरा गधा तुम्हारे खेतों में उगाए गए फसलों को प्रेम पूर्वक ढो रहा है. आज तुम मुझसे गधा उधार मांग रहे हो यह मेरे लिए बेहद खुशी की बात है. मगर क्या करूं, मेरा गधा आज मेरे पास नहीं है. मैंने आज अपना गधा किसी और को उधार दे रखा है.” “ओ मुल्ला, कोई बात नहीं. मैं कोई अन्य व्यवस्था कर लूंगा. और मुझे तुम्हारे इन दयालु शब्दों और मेरे प्रति आपकी भावना से मुझे बेहद प्रसन्नता हुई. आपको बहुत बहुत धन्यवाद” किसान ने कहा और वापस जाने लगा. इस बीच घर के पिछवाड़े से मुल्ला के गधे के रेंकने की आवाज आई. किसान रुक गया. उसने मुल्ला की ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखा और कहा – “मुल्ला तुम तो कहते थे कि तुमने गधा किसी और को दे दिया है, पर वो तो पीछे बंधा हुआ है.” “अजीब आदमी हो तुम भी! तुम्हें मेरी बात पर यकीन होना चाहिए कि गधे के रेंकने पर?” मुल्ला ने किसान से पूछा! |
23-11-2012, 03:53 PM | #58 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
काना सांभर
एक काना सांभर समुद्र के किनारे घास चर रहा था। अपने आपको किसी संभावित हमले से बचाने के लिए वह अपनी नज़र हमेशा ज़मीन की ओर रखता था जबकि अपनी कानी आँख समुद्र की ओर रखता था क्योंकि उसे समुद्र की ओर से किसी हमले की आशंका नहीं थी। एक दिन कुछ नाविक उस ओर आए। जब उन्होंने सांभर को चरते हुए देखा तो आराम से उस पर निशाना साधकर अपना शिकार बना लिया। अंतिम आंहें भरते हुए सांभर बोला - "मैं भी कितना अभागा हूँ। मैंने अपना सारा ध्यान ज़मीन की ओर लगा रखा था जबकि समुद्र की ओर से मैं आश्वस्त था। पर अंत में शत्रु ने उसी ओर से हमला किया।" "खतरा प्रायः उसी ओर से दस्तक देता है जिस ओर से आपने अपेक्षा न की हो।" |
23-11-2012, 03:54 PM | #59 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
समर्पण और खुशहाली
एक बार एक राजा ज्ञान प्राप्ति के लिए एक प्रसिद्ध मठ पर गया. मठ में गुरु के अलावा बाकी सभी राजा को देख कर अति उत्साहित थे. राजा ने मठाधीश से अपने आने का मंतव्य बताया और कहा – गुरूदेव, मैं आपके ज्ञान व प्रसिद्ध मठ से बेहद प्रभावित हूँ, और मैं अपने राज्य में अपने शासन से खुशहाली लाना चाहता हूँ. कृपया कुछ दिशा दर्शन करें. गुरुदेव ने कहा –अच्छी बात है, मगर खुशहाली शासन व नियंत्रण से नहीं आती है, बल्कि सभी के अपने कार्यों के प्रति समर्पण से प्राप्त होती है. "अपने कार्य के प्रति समर्पण का भाव पैदा करें, खुशहाली, प्रगति स्वयमेव प्राप्त होगी" |
23-11-2012, 03:54 PM | #60 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
विजिटिंग कार्ड
चीनी के मैजी साम्राज्य काल में कैचू नामक चीनी ज़ैन विद्या के एक गुरू हुआ करते थे। वे क्योटो के एक किले में रहते थे। एक दिन क्योटो प्रांत के गर्वनर पहली बार उनसे मिलने आये। उन्होंने गुरूजी के शिष्य को अपना विज़िटंग कार्ड दिया जो शिष्य ने गुरूजी के समक्ष प्रस्तुत किया, जिस पर लिखा था “किटागाकी, गवर्नर ऑफ क्योटो” कार्ड को पढ़कर गुरूजी बोले - “मझे ऐसे किसी आदमी से नहीं मिलना। उससे कहो कि यहां से चला जाये।” इसके बाद शिष्य ने अफसोस जताते हुये वह विजिटिंग कार्ड गवर्नर को वापस कर दिया। गर्वनर ने बात समझते हुए कहा - “दरअसल मुझसे ही गलती हो गयी है।”यह कहकर उन्होंने “गवर्नर ऑफ क्योटो” शब्द काट दिये और पुनः वह कार्ड देते हुए कहा - “एक बार गुरूजी से फिर पूछ लो।” जब गुरूजी ने पुनः वह कार्ड देखा तो तत्परता से बोले - “अच्छा! किटागाकी आया है। उसे तुरंत बुलाओ, मैं उससे मिलना चाहता हूँ। |
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