24-11-2010, 12:39 PM | #591 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
'मैं बिजनेस के काम से बाहर गया तो परसों सवेरे मैंने अपनी पत्नी को तार दिया कि मैं कल रात घर आ जाऊंगा और जब मैं लौटा तो देखा कि मेरी पत्नी के बिस्तर पर एक पड़ोसी का लड़का...। 'मैं समझ गया। मित्र उसकी बात काटकर बोला - फिर क्या हुआ? 'मैं इस बारे में सलाह करने अपनी मां के पास गया। मैंने उन्हें सारी बात बताई। सब सुनकर मां बड़ी देर तक चुप रही फिर बोली - 'हो सकता है उस बेचारी को तुम्हारा तार न मिला हो। |
24-11-2010, 12:40 PM | #592 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
टन्नू ने जंगल में शेर पर बंदूक तानी थी कि शेर ने फुर्ती से झपट्टा मारकर बंदूक दूर गिरा दी। एक झापड़ मारा टन्नू को और कहा-
'बोर्ड नहीं पढ़ा, कि यहाँ शिकार करना मना है। टन्नू ने बोर्ड पढ़कर सॉरी कहा, और जाने लगा। मगर शेर ने कहा ठहरो- 'अब मैं तुम्हारा शिकार करूँगा। टन्नू ने कहा- 'ऐसा कैसे? बोर्ड पर तो मनाही लिखी है। शेर लापरवाही से- 'लिखी होगी, बाश्शाओ। अपन तो अनपढ़ हैं। हा-हा-हा! और वह टन्नू पर टूट पड़ा। |
24-11-2010, 12:40 PM | #593 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
तुम घोडे के बराबर नहीं दौड सकते हो?
लेकिन घोडा दौड में मुझसे आगे नहीं जा सकता। ऐसा हो ही नहीं सकता। क्यों नहीं हो सकता, मैं घोडे पर बैठा जो रहूंगा। |
24-11-2010, 12:41 PM | #594 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
पापा बोले- 'बेटी, पिकनिक पर जरूर जाओ, पर अंधेरा होने से पहले घर जरूर लौट आना।
युवा बेटी ने कहा- 'ओह पापा! अब मैं कोई बच्ची थोडे ही हूं। पापा बोले- 'बेटी, इसलिए तो कह रहा हूं। |
24-11-2010, 12:41 PM | #595 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
जुगल ने अपनी प्रेमिका से कहा, 'मैं उस युवती से शादी करूंगा, जो मेहनती हो, सादगी से रहती हो, घर को संवारकर रखती हो, आज्ञाकारी हो।
प्रेमिका ने मुस्कुराते हुए बताया, 'मेरे घर आ जाना, ये सारे गुण मेरी नौकरानी में हैं। |
24-11-2010, 12:42 PM | #596 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक बार एक आदमी के घर में चोरी हो गई। वह थाने में रिपोर्ट लिखाने गया। तब दरोगा ने पूछा-जब तुम्हारे यहां चोरी हुई थी तो कितना बजा था।
उस आदमी ने कहा कि साहब चार लट्ठ हम पर तथा एक लट्ठ हमारे भाई पर बजा था। दरोगाजी ने कहा- मैं पूछता हूं कि घडी में कितना बजा था? साहब घडी में तो केवल एक ही लट्ठ बजा था, तभी टूट गई थी। |
24-11-2010, 12:42 PM | #597 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
सुंदर युवती बनी-ठनी अपने पुरुष मित्र की बाट देख रही थी। जब वह आया तो उसका मुख दमक रहा था। वह बोला - आज हमारी रात्रि बड़ी मधुर बीतेगी। मैं खलनायक के तीन टिकट ले आया हूं।
निराश स्वर में युवती ने पूछा - तीन क्यों? 'तुम्हारे पिता, मां और भाई के लिए। |
24-11-2010, 02:31 PM | #598 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक बार एक शहरी आदमी दरभंगा जाने के लिए दिल्ली से चलकर पटना पहुंचा और वहां उसने
एक व्यक्ति से पूछा- भाईसाहब, दरभंगा यही रास्ता जाता है? उस व्यक्ति ने जवाब दिया- तो? फिर आगे मुजफ्फरपुर पहुंचकर उसने दूसरे व्यक्ति से यही प्रश्न किया। तो उसने भी वही जवाब दिया- तो? दरभंगा पहुंचकर भी उसने यही प्रश्न तीसरे व्यक्ति से किया, तो वहां मिले व्यक्ति ने जवाब दिया -भाई मेरे, यही दरभंगा है। इस पर शहरी आदमी ने राहत की सांस ली और उससे पूछा- भाईसाहब, आप एक बात बताएंगे कि बिहार में सबको तो-तो की बीमारी है क्या? तीसरा व्यक्ति- वो सब अनपढ़-गंवार होंगे। शहरी- तो आप पढे-लिखे हैं। तीसरा व्यक्ति- तो? |
24-11-2010, 02:32 PM | #599 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक दिन उन्नीस सरदार वयस्क फिल्म देखने गए । टिकट लेकर वे सिनेमा हाल में घुसने के लिए लाइन में लग गए। टिकट जांचने वाला गिनते हुए एक-एक कर उन्हें प्रवेश देने लगा- 'एक.... दो.... तीन.... दस.... अठारह !
उन्नीसवें सरदारजी से उसने आश्चर्य से पूछा- 'क्यों सरदारजी, आज उन्नीस के उन्नीस सरदारों को एकाएक पिक्चर देखने की क्या सूझी ? सरदारजी ने बडे ही भोलेपन से जवाब दिया- ' ओ जी बात ये है कि आपने ही तो पोस्टर पर लिखा हुआ है कि '18 से नीचे को प्रवेश नहीं मिलेगा! इसलिए हम पूरे उन्नीस आए हैं। |
24-11-2010, 02:32 PM | #600 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक जनरल स्टोर पर एक खरीददार ताश खरीदने के लिए गया।
उसने दुकानदार से पूछा- भाईसाहब, आपके पास ताश की गड्डी है क्या? दुकानदार- हां है न, भैया। खरीददार- ठीक है, एक गड्डी दे दो। दुकानदार : क्यों, क्या खेलने लिए चाहिए? खरीददार(खीझकर) : नहीं, दरअसल मैं घर बनवा रहा हूं और उसमें ईंट कम पड़ गई हैं इसलिए ताश की गड्डी खरीद रहा हूं। |
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