My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Healthy Body
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 27-05-2012, 12:09 AM   #591
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

वैज्ञानिकों ने कागज से स्याही निकालने की तकनीक खोजी

लंदन। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नयी तकनीक खोजने का दावा किया है जिससे प्रिंट किये गए कागज से स्याही निकाली जा सकेगी जिससे उसे फिर से प्रिंटर या फोटो कापी मशीन में इस्तेमाल किया जा सकेगा। कैंब्रिज यूनीवर्सिटी की एक टीम की ओर से विकसित इस तकनीक के तहत प्रिंट किये गए कागज से शब्द और तस्वीरें मिटाने के लिए लेजर लाइट की शाट पलसेस का इस्तेमाल किया जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया कि लेजर कागज को नुकसान पहुंचाये बिना टोनर स्याही को वाष्पित कर देता है। इससे भविष्य के कम्प्युटर प्रिंटर या फोटो कापी मशीन में कागज से स्याही मिटाकर उसे दोबार इस्तेमाल लायक बनाने की सुविधा मुहैया होने की संभावना बन सकती है। अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले डा जूलियन एलवुड ने कहा कि इससे कागज बनाने के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या में कमी आएगी।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु

Last edited by Dark Saint Alaick; 27-05-2012 at 12:44 AM.
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:16 AM   #592
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

उम्र के निशान मिटाएगा नासा का ‘अंतरिक्ष पेय’

लंदन। अंतरिक्ष यात्रियों को रेडिएशन से बचाने के लिए नासा द्वारा तैयार एक ‘अंतरिक्ष पेय’ चेहरे पर झुर्रियों और उम्र बढ़ने के संकेतों को केवल चार महीने में कम कर सकता है। ऐसा दावा अनुसंधानकर्ताओं ने एक परीक्षण के बाद किया है। उताह विश्वविद्यालय के एक दल ने अपने अनुसंधान में पता लगाया है कि ‘एएस10’ नाम का यह मिश्रण नाटकीय तरीके से चार महीने में चेहरे पर झुर्रियों, दाग और धूप से झुलसने के निशानों को कम करता है। अनुसंधानकर्ताओं ने अपने प्रयोग की शुरूआत में 180 प्रतिभागियों की तस्वीरें लीं, जिनसे अलग-अलग तरह की रोशनी में चेहरे की स्थिति का आकलन किया गया। उसके बाद वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों को प्रतिदिन दो बार एएस10 पिलाकर चार महीने बाद तस्वीरें लीं। ‘डेली मेल’ की खबर के अनुसार चार महीने बाद पराबैंगनी (यूवी) किरणों के कारण हुए दागों में 30 प्रतिशत की और झुर्रियों में 17 प्रतिशत की कमी देखी गई। अंतरिक्षयात्रियों के लिए पोषक पूरक तत्व के तौर पर विकसित किया गया है ताकि पृथ्वी के बाहर के वातावरण में मौजूद विकिरण के उच्च स्तर के नुकसानदायक प्रभावों से उनकी सुरक्षा हो सके। इस पेय में ब्राजीली फल कुपुआसू के अलावा अकाई, एसिरोला, प्रिकली पीयर तथा यमबरी जैसे फलों का मिश्रण है जो सभी विटामिन तथा फाइटोकेमिकल प्रदान करते हैं। फाइटोकेमिकल को विकिरण के हानिकारक प्रभावों को रोकने के लिए जाना जाता है। इस मिश्रण में शामिल अन्य पदार्थों में अंगूर, ग्रीन टी, अनार और सब्जियां हैं। विकिरण के तत्व शरीर में मौजूद आक्सीजन के तत्वों को रियेक्टिव आक्सीजन स्पेसीज (आरओएस) में बदल देते हैं जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। इस प्रक्रिया को कैंसर तथा अल्झाइमर जैसी बीमारियों से भी जोड़कर देखा गया है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:18 AM   #593
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

बॉस अगर पुरुष हो तो पड़ती है तगड़ी मार

वाशिंगटन। कार्यालयों में काम करने वाले पुरुषों को तो पहले ही इसका अनुभव हो चुका होगा, लेकिन अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि यदि पुरुष बॉस हो तो प्रबंधन तंत्र महिला बॉसों के मुकाबले उसकी गलतियों को माफ नहीं करता। पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अमेरिका में पाया कि पुरुषों के प्रभुत्व वाले समाज में निर्माण कार्य जैसे क्षेत्रों में गलतियों की कड़ी समीक्षा की जाती है और झाड़ भी महिला बॉसों के मुकाबले पुरूष बॉस को अधिक पड़ती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि महिला बॉसों की गलतियों के प्रति प्रबंधन या उनके अधीनस्थ इसलिए हल्के में लेते हैं, क्योंकि पुरुषों के समाज में महिलाओं के हमेशा ही पीछे रहने की उम्मीद की जाती है। जर्नल आॅफ बिजनेस एंड साइकोलोजी में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:18 AM   #594
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

मस्तिष्क में तेज पीएच की पहचान

लंदन। वैज्ञानिकों ने पहली बार मस्तिष्क में तेज गति वाले पीएच का पता लगाया है, जिससे सीखने और याददाश्त को लेकर नई जानकारी मिल सकती है। यूनिवर्सिटी आॅफ लोवा के एक दल ने मस्तिष्क के उस क्षेत्र में पीएच के लिहाज से संवेदी ग्राहियों (रिसेप्टर) का पता लगाया है, जो भावनाओं और स्मृति से जुड़ा है, लेकिन जिसके कामकाज को लेकर रहस्य था। टीम का नेतृत्व करने वाले विन्सेंट मैगनोट्टा के हवाले से ‘न्यू साइंटिस्ट’ पत्रिका ने कहा कि यदि ये रिसेप्टर पीएच में बदलाव से सक्रिय होते हैं, तो संभव है कि इस प्रणाली के असामान्य होने से सीखने, याददाश्त और अंदाज में बदलाव हों। रसायन विज्ञान में पीएच से किसी विलयन की अम्लता या क्षारकता मापी जाती है। मस्तिष्क के अध्ययन का सामान्य तरीका एमआरआई जांच होती है। इसी के एक प्रकार एमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिये मस्तिष्क में पीएच को मापा जा सकता है, लेकिन यह केवल कुछ मिनटों के बदलाव की पहचान कर पाता है तथा मस्तिष्क की तेज गति के साथ गतिशील नहीं रह पाता, लेकिन मैगनोट्टा और उनके सहयोगियों ने पता लगाया कि टी 1 एमआरआई तकनीक से विलयन में घूम रहे प्रोटोन और अन्य आयनों के बीच संबंधों का विश्लेषण किया जाता है और यह तकनीक कुछ सेकंड के समय में भी मस्तिष्क की अम्लता में हो रहे बदलावों को पहचान सकती है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:19 AM   #595
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

अध्ययन में पता चला, पौधे को कैसे होता है पुष्पित होने का एहसास

वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने अंतत: 80 साल पुरानी एक पहेली को हल करने का दावा किया है कि पौधों को यह बात कैसे पता चलती है कि उन्हें कब पुष्पित होना है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह उनके जीन्स में होता है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक दल के अनुसार फूल खिलने की प्रक्रिया किसी पौधे के पुष्पित-पल्लवित होने के लिए महत्वपूर्ण होती है और इसके उचित समय का पता लगाने में आणविक घटनाक्रम का सिलसिला होता है, जिसमें पौधे की जैविक घड़ी और धूप शामिल है। दल का नेतृत्व करने वाले प्रो. ताकातो इमाइजुमी ने कहा कि ‘अरबीडोप्सिस’ नामक अध्ययन में यह समझने का प्रयास किया गया कि किसी सामान्य पौधे में फूलों के खिलने का काम कैसे होता है। इससे यह समझने में बेहतरी होगी कि धान, गेहूं और जौ जैसी फसलों के तौर पर उगे और जटिल पौधों में ये ही जीन्स किस तरह काम करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम फूल उगने के समय को नियमित कर सकते हैं, तो इसे बढ़ाकर या इसमें देरी कर उपज बढ़ाने में सक्षम हो सकते हैं। प्रणाली को समझने से हमें इसमें बदलाव की सहजता होती है। साल में विशेष समयों पर पौधों के पुष्पित होते समय उनकी पत्तियों में ‘फ्लोवरिंग लोकस टी’ नामक प्रोटीन बनता है जो इस प्रक्रिया को प्रेरित करता है। यह प्रोटीन पत्तियों से शूट एपेक्स में पहुंचता है, जो पौधे का वह हिस्सा है, जहां कोशिकाएं एक जैसी होती हैं। इसका मतलब है कि ये कोशिकाएं पत्तियां या फूल बन सकती हैं। इस शूट एपेक्स में प्रोटीन में आणविक बदलाव होते हैं, जो कोशिकाओं को फूल बनने की दिशा में बढ़ाते हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:20 AM   #596
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

समय पर पहचान होने पर हो सकता है थायराइड कैंसर का इलाज

नई दिल्ली। थायराइड कैंसर से पीड़ित लोगों को इस रोग के बारे में जागरूकता की कमी और पहचान में देरी महंगी साबित हो सकती है और समय पर बीमारी का पता चलने पर इसका इलाज संभव है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार भारत में अब तक करीब 4.2 करोड़ लोग थायराइड कैंसर का असर झेल चुके हैं। डॉक्टरों के अनुसार थायराइड कैंसर सबसे घातक बीमारियों में से एक है, लेकिन कैंसर के अन्य प्रकारों में सबसे साध्य है। एम्स के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. सी.एस. बल ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों के भारत में थायराइड कैंसर के रोगियों की संख्या अमेरिका में इस बीमारी के 48 हजार रोगियोंं के दसवें हिस्से के बराबर है। अत: हम आधिकारिक तौर पर भारत में थायराइड कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या 5 से 6 हजार रख सकते हैं। बल ने इस ओर भी इशारा किया कि यह डाटा सामान्य रूप से सरकारी अस्पतालों द्वारा उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में उपचार करा रहे रोगियों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है, जिससे प्रति 10 हजार भारतीयों में एक या दो मामले होने का संकेत मिलता है। थायराइड कैंसर की शुरूआत शरीर में मौजूद थायराइड ग्रंथि से होती है जो थायराइड हार्मोन्स बनाती है। ये हार्मोन्स शरीर के चयापचय (मेटाबालिज्म) को सामान्य रूप से नियंत्रित रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। थायराइड कैंसर के सही-सही कारण अभी ज्ञात नहीं हैं, लेकिन इसके सामान्य लक्षणों में गर्दन में गांठ, गले या गर्दन में दर्द, गर्दन की नसों में सूजन, लगातार कफ आना तथा आवाज में बदलाव हैं। 40 वर्षीय कुलदीप कौर की गर्दन में एक बाइक दुर्घटना के बाद हुई सर्जरी के बाद छोटे-छोटे नोड्यूल दिखाई दिए और बाद में उन्हें थायराइड कैंसर का पता चला। उन्होंने कहा कि शुरुआत में गर्दन में कुछ छोटे नोड्यूल दिखाई दिए, तब मैं गर्भवती थी। मैं अमृतसर के कैंसर अस्पताल में इसकी जांच कराने गई और डॉक्टरों ने कहा कि मुझे थायराइड कैंसर है। जांच प्रक्रिया में देरी कौर के लिए नुकसानदेह साबित हुई, क्योंकि वह कैंसर के दूसरे स्टेज में पहुंच चुकी थीं। एक बच्चे की मां कौर ने कहा कि यह मेरे लिए सदमा देने वाली बात थी। मैं आपरेशन नहीं कराना चाहती थी, क्योंकि मैं अपने बच्चे के बारे में सोच रही थी। एक साल तक मैंने आयुर्वेदिक उपचार कराया, जिससे मुझे मदद नहीं मिली और हालत ज्यादा बिगड़ गई। तब मैं इलाज के लिए दिल्ली आई। थायराइड कैंसर के उपचार के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन थैरेपी लाभकारी साबित हुई है। डॉ. बल के मुताबिक, थायराइड कैंसर की पहचान के लिए ‘एफएनएसी’ जांच होती है, जो कैंसर की सबसे आसान जांच है। एम्स में यह जांच केवल 10 रुपए में होती है और एक घंटे में रिपोर्ट मिल जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि थायराइड कैंसर में रोगी के जीवित बचने की संभावनाएं अन्य किसी तरह के कैंसर से काफी बेहतर होती हैं। डॉ. बल ने कहा कि जिस दर से देश में थायराइड कैंसर बढ़ रहा है, हमें लोगों को आगे आने तथा जांच कराने में मदद करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जरूरत है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:21 AM   #597
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

जनजागरण ही थैलेसेमिया से बचाव का एकमात्र रास्ता

देहरादून। देश में प्रति वर्ष हजारों बच्चों और बड़ों को मौत की नींद सुलाने वाली घातक बीमारी थैलेसेमिया पर जनजागरण के माध्यम से ही काबू पाया जा सकता है। इसके लिए अभी तक चिकित्सा जगत में बोन मैरो प्रत्यार्पण ही सबसे अधिक कारगर साबित हुआ है, लेकिन यह इलाज अत्यधिक खर्चीला होने के साथ-साथ जटिल भी है। देश के विभिन्न भागों में थैलेसेमिया के प्रति लोगों में जनजागरण का कार्य करने वाले थैलेसेमिया सेवाश्रम तथा भारत वेल्फेयर सोसाइटी के सचिव शिव प्रसाद दत्त ने विशेष बातचीत में बताया कि थैलेसेमिया एक आनुवंशिक बीमारी है जो माता और पिता को हो तो संतान को भी हो जाती है। बीमारी होने पर संतान को दूसरों के द्वारा दिए गए खून पर ही जीवित रहना पड़ता है क्योंकि इन लोगों के शरीर में लाल रक्त कण बनाने की क्षमता नहीं होती जिसकी वजह से हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। मरीज के ग्रुप का रक्त नहीं चढ़ाने पर मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि विभिन्न चिकित्सकीय परीक्षणों से यह सिद्ध हो चुका है कि थैलेसेमिया से ग्रसित दंपति के लिए संतानोत्पत्ति के लिए किसी अन्य साधन का चुनाव करना ज्यादा बेहतर है। यदि विवाह से पहले लड़के और लड़की के रक्त का परीक्षण कराया जाए तो इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में एक आंकड़े के अनुसार करीब 20 हजार व्यक्ति प्रति वर्ष थैलेसेमिया से ग्रसित होते हैं जिसमें अधिकांश में यह बीमारी आनुवंशिक रूप से ही होती है। हालांकि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति स्वाभाविक रूप से अपने सभी कार्य कर सकने में सक्षम होता है। दत्त ने बताया कि उन्होंने इस बीमारी के प्रति जनजागरण के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, बिहार के राज्यपाल देवानंद, राजस्थान की राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल एस के नारायणन सहित कई लोगों से मुलाकात की। इन लोगों ने थैलेसेमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अपील भी जारी की है। उन्होंने बताया कि थैलेसेमिया सेवाश्रम की मातृ संस्था भारत सेवाश्रम संघ द्वारा पूरे देश में 75 वर्ष से भी अधिक समय से जनजागरण का कार्य किया जा रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने इस कार्य में लोगों से आगे आने की अपील करते हुए कहा है कि थैलेसेमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पश्चिम बंगाल के गंगा सागर क्षेत्र में विशेष रूप से एक केन्द्र खोला गया है। उन्होंने बताया कि थैलेसेमिया रोगी में लगातार रक्त की कमी होने लगती है, जिसके इलाज के लिए लोगों को स्वेच्छा से रक्तदान करने की अपील की जाती है। उन्होंने बताया कि जनजागरण के दौरान लोगों को बताया जाता है कि थैलेसेमिया वाहक रोगी अन्य स्वस्थ लोगों की तरह अपने जीवन में सभी उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सकता है। उसे उपेक्षा की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। महंत ज्ञानदास ने कहा कि खासतौर पर कपिल मुनि मंंदिर के तत्वावधान में थैलेसेमिया के प्रति जन प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। इसमें अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिये ताकि बड़ों द्वारा की गई किसी प्रकार की गलती की सजा शिशुओं को न भुगतनी पड़े। उन्होंने कहा कि गंगा सागर मेले में करोड़ों की संख्या में लोग आते हैं और इस अवसर पर लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक करने से हजारों की संख्या में शिशुओं की जान बचाई जा सकती है। इसी उद्देश्य के तहत कपिल मुनि मंदिर द्वारा इस कार्यक्रम को थैलेसेमिया सेवाश्रम के सहयोग से चलाया जा रहा है। दत्त ने कहा कि इस रोग के बचाव के उपायों के तहत विवाह के पूर्व रक्त की जांच कर देख लेना चाहिए क्योंकि पुरूष और स्त्री दोनों थैलेसेमिया वाहक हों तो उनको आपस में विवाह नहीं करने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सर्वेक्षणों से यह तथ्य सामने आया है कि यदि माता और पिता दोनों थैलेसेमिया के रोगी हैं तो 50 प्रतिशत मामलों में उनके बच्चे भी इस रोग के शिकार होते हैं। 25 प्रतिशत मामलों में यह देखा गया है कि किसी संयोग से बच्चे इस रोग की चपेट में आने से बच गए। माता और पिता में यदि कोई एक थैलेसेमिया का रोगी हो तो बच्चों में इस रोग होने की आशंका पचास प्रतिशत तक कम हो जाती है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:22 AM   #598
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

शहरी युवाओं के बीच टीवी नहीं, बल्कि मोबाइल है मनोरंजन का प्रमुख साधन

नई दिल्ली। भारतीय शहरी युवाओं के बीच मोबाइल फोन मनोरंजन और इंटरनेट मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बनता जा रहा है और इस मामले में टीवी उनके लिए सबसे कम पसंदीदा साधन है। सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर निर्यात के मामले में देश की प्रमुख कंपनी टीसीएस द्वारा देश के युवा वर्ग के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण में एक प्रतिशत से भी कम युवाओं ने टीवी के पक्ष में मत दिया, जबकि मोबाइल के पक्ष में 28 प्रतिशत युवाओं ने मत दिया। आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 12 प्रमुख शहरों में कराए गए इस सर्वेक्षण में आठवीं से बारहवीं स्तर के 12 हजार 300 छात्र-छात्राओं को शामिल किया जिसके मुताबिक, 84 प्रतिशत युवा घर पर इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जबकि 79 प्रतिशत मोबाइल फोन रखते हैं। मोबाइल रखने वालों में 40 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्राएं मोबाइल का इस्तेमाल इंटरनेट संपर्क के लिए करने लगे हैं जबकि वर्ष 2009 में यह अनुपात 9 प्रतिशत था। सर्वेक्षण के नतीजे जारी करते हुए टाटा समूह की कंपनी टीसीएस के सीईओ व प्रबंध निदेशक एन. चन्द्रशेखरन ने कहा कि इस सर्वेक्षण से हमें भारत के प्रतिभाशाली युवाओं की रु चि में हो रहे बदलाव और आने वाले कल के पेशेवरों का किस तरह से उपयोग किया जाए, यह समझने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण के मुताबिक, हर चार में से तीन विद्यार्थी इंटरनेट का उपयोग ‘स्कूल के लिए रिसर्च’ के लिए करते हैं। आॅनलाइन एक्सेस प्वाइंट के तौर पर साइबर कैफे के उपयोग में उल्लेखनीय गिरावट आई है। जहां 2009 में 46 प्रतिशत विद्यार्थी साइबर कैफे जाया करते थे, 2011 में ऐसे विद्यार्थी घटकर सिर्फ 20 प्रतिशत रह गए। सर्वे के अनुसार 85 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने कहा कि वे फेसबुक का उपयोग करते हैं। 68 प्रतिशत अपना पीसी रखते हैं और उससे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। सर्वे रपट के अनुसार देश की ऐसी 34 प्रतिशत युवा आबादी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं। टीसीएस वेब 3.0 नाम से यह सर्वे जुलाई-दिसंबर, 2011 की अवधि में किया गया। इसका उद्देश्य चिह्नित वर्ग के रु झानों का पता लगाने के लिए था। इसमें चारों महानगरों के अलावा, अहमदाबाद, बैंगलूरु, भुवनेश्वर, कोच्चि, लखनऊ, पुणे, हैदराबाद और कोयम्बटूर शामिल हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 12:23 AM   #599
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

जोड़ों के दर्द से निपटने में मदद कर सकता है खर पतवार

लंदन। वैज्ञानिकों ने अपने एक नए शोध में दावा किया है कि खर पतवार जोड़ों के दर्द से निपटने में काफी मददगार हो सकता है। यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया में स्क्रीप्स इंस्टीट्यूट आफ ओशनोग्राफी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे खर पतवार का पता लगाने का दावा किया है कि जो हवाई में मूंगे की चट्टानों को एक विशेष प्रकार का रसायन छोड़कर उन्हें नष्ट कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खर पतवार के साथ ही इस रसायन में भी ज्वलनरोधी तत्व पाए गए हैं। इस खर पतवार में छोटे-छोटे फोटोसिनथेसिस आर्गेनिजम हैं, जो ऐसे तत्वों को छोड़ते हैं, जो बैक्टीरिया के संक्रमण से निपटने में सक्षम है। डेली मेल में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि जल्द ही इस खर पतवार से एक ऐसी गोली बनाई जा सकेगी, जो एक दिन जोड़ों के दर्द के उपचार में मददगार होगी।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 28-05-2012, 10:33 PM   #600
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

अब जैविक उपचार विधि करेगी प्रदूषण का खात्मा

नई दिल्ली। पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शक्ति के क्षरण, भूजल प्रदूषण आदि के कारण मनुष्यों, वनस्पतियों एवं जीव जन्तुओं पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव के मद्देनजर सरकार ने जैविक उपचार विधि से ऐसे प्रदूषण को दूर करने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा नई प्रौद्योगिकी के विकास की योजना बनाई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश के विभिन्न इलाकों से भूमि की उर्वरा शक्ति में लगातार क्षरण होने तथा भूजल में आर्सेनिक, कैडमियम, सीसा एवं अन्य भारी धातु युक्त प्रदूषण फैलने की खबरें लगातार आती रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रदूषण के कारण मनुष्यों के साथ वनस्पतियों और जीव जन्तुओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कई छोटे-छोटे जन्तुओं और वनस्पतियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस स्थिति को देखते हुए मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने जैव उपचार विधि से ऐसे प्रदूषण को दूर करने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा नई प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। अधिकारी ने कहा कि शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, एनजीओ से इस सम्बंध में प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैंं। इनसे 31 जुलाई 2012 तक प्रस्ताव मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों का मूल्यांकन एक विशेषज्ञ समिति करेगी और चुने गए प्रस्तावों को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी। अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत औद्योगिक कचरे (कपड़ा, चमड़ा, कागज) के जैविक शोधन की प्रक्रिया के विकास पर जोर दिया जाएगा। भूजल, दूषित जल और मिट्टी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जैविक विधि से उपचार की प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर रहेगा। प्रस्ताव में नई जैव प्रौद्योगिकी प्रक्रिया और विधि के विकास को स्पष्ट रूप से रेखांकित करना होगा और भविष्य में इसके परिणाम और उपयोग का भी उल्लेख करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, जैवोपचार (जैविक उपचार) एक ऐसी विधि है जिसके तहत सूक्ष्म जीवाणुओं के उपयोग से प्रदूषण दूर किया जाता है। हालांकि सूक्ष्म जीवाणुओं के उपयोग से हर तरह का प्रदूषण पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है। भूजल, मिट्टी आदि के माध्यम से धातु खाद्य शृंखला में घुल-मिल जाते हैं और गंभीर प्रदूषण फैलाते हैं। मिट्टी सम्बंधी प्रदूषण को दूर करने के लिए फफूंदी का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि मिट्टी में पेट्रोलियम के कारण होने वाले प्रदूषण को दूर करने के लिए आस्टर मशरूम का इस्तेमाल किया जाता है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
health news, hindi forum, hindi news, your health


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:05 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.