17-07-2014, 02:15 PM | #611 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
अंशुमती के काढ़ा में 640 मिलीलीटर दूध को पकाकर उसमें 80 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने के लिए दें। उसी प्रकार पिप्पली और सौंठ का काढ़ा तैयार करके 20 मिलीलीटर प्रात:-शाम वातरक्त के रोगी को पीने के लिए दें। |
17-07-2014, 02:15 PM | #612 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
वातशूल:
सोंठ तथा एरंड के जड़ के काढे़ में हींग और सौवर्चल नमक मिलाकर पीने से वात शूल नष्ट होता है। |
17-07-2014, 02:15 PM | #613 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
सूजन:
सोंठ, पिप्पली, जमालगोटा की जड़, चित्रकमूल, बायविडिंग इन सभी को समान भाग लें और दूनी मात्रा में हरीतकी चूर्ण लेकर इस चूर्ण का सेवन तीन से छ: ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सुबह करें। सोंठ, पिप्पली, पान, गजपिप्पली, छोटी कटेरी, चित्रकमूल, पिप्पलामूल, हल्दी, जीरा, मोथा इन सभी द्रव्यों को समभाग लेकर इनके कपडे़ से छानकर चूर्ण को मिलाकर रख लें, इस चूर्ण को दो ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से त्रिदोष के कारण उत्पन्न सूजन तथा पुरानी सूजन नष्ट होती है। अदरक के 10 से 20 मिलीलीटर रस में गुड़ मिलाकर सुबह-सुबह पी लें। इससे सभी प्रकार की सूजन जल्दी ही खत्म हो जाती है। |
17-07-2014, 02:15 PM | #614 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
शूल (दर्द):
सोंठ के काढ़े के साथ कालानमक, हींग तथा सोंठ के मिश्रित चूर्ण का सेवन करने से कफवातज हृदयशूल, पीठ का दर्द, कमर का दर्द, जलोदर, तथा विसूचिका आदि रोग नष्ट होते हैं। यदि मल बंद होता है तो इसके चूर्ण को जौ के साथ पीना चाहिए। |
17-07-2014, 02:15 PM | #615 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
संधिपीड़ा (जोड़ों का दर्द):
अदरक के एक किलोग्राम रस में 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर आग पर पकाना चाहिए, जब रस जलकर तेल मात्र रह जाये, तब उतारकर छान लेना चाहिए। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की पीड़ा मिटती है। अदरक के रस को गुनगुना गर्म करके इससे मालिश करें। |
17-07-2014, 02:16 PM | #616 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
बुखार में बार-बार प्यास लगना:
सोंठ, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, खस लाल चंदन, सुगन्ध बेला इन सबको समभाग लेकर बनाये गये काढ़े को थोड़ा-थोड़ा पीने से बुखार तथा प्यास शांत होती है। यह उस रोगी को देना चाहिए जिसे बुखार में बार-बार प्यास लगती है। |
17-07-2014, 02:16 PM | #617 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
कुष्ठ (कोढ़):
सोंठ, मदार की पत्ती, अडूसा की पत्ती, निशोथ, बड़ी इलायची, कुन्दरू इन सबका समान-समान मात्रा में बने चूर्ण को पलाश के क्षार और गोमूत्र में घोलकर बने लेप को लगाकर धूप में तब तक बैठे जब तक वह सूख न जाए, इससे मण्डल कुष्ठ फूट जाता है और उसके घाव शीघ्र ही भर जाते हैं। |
17-07-2014, 02:16 PM | #618 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
बुखार में जलन:
सोंठ, गन्धबाला, पित्तपापड़ा खस, मोथा, लाल चंदन इनका काढ़ा ठंडा करके सेवन करने से प्यास के साथ उल्टी, पित्तज्वर तथा जलन आदि ठीक हो जाती है। |
17-07-2014, 02:16 PM | #619 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
हैजा:
अदरक का 10 ग्राम, आक की जड़ 10 ग्राम, इन दोनों को खरल (कूटकर) इसकी कालीमिर्च के बराबर गोली बना लें। इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ देने से हैजे में लाभ पहुंचता है इसी प्रकार अदरक का रस व तुलसी का रस समान भाग लेकर उसमें थोड़ी सी शहद अथवा थोड़ी सा मोर के पंख की भस्म मिलाने से भी हैजे में लाभ पहुंचता है। |
17-07-2014, 02:16 PM | #620 |
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Re: घर का वैध:घरेलू चिकत्सा
इन्फ्लुएंजा:
6 मिलीलीटर अदरक रस में, 6 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करें। |
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